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लॉर्ड्स में हार के बाद ऐसा होता तो क्या होता में फंसा भारत

गिल ने कहा, "इधर उधर कुछ बाउंड्री" भारत के हक़ में दे सकती थी परिणाम

भारत के पास लॉर्ड्स टेस्ट जीतने का अच्छा मौक़ा हो सकता था अगर उन्होंने इंग्लैंड को दूसरी नई गेंद लेने के लिए मजबूर किया होता। शुभमन गिल ने कहा कि वे इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए "आशावादी" थे, लेकिन मोहम्‍मद सिराज टेस्‍ट क्रिकेट में सबसे नाटकीय अंत में आखिरी विकेट के तौर पर आउट हो गए।
इंग्लैंड दूसरी नई गेंद लेने से 5.1 ओवर दूर था जब सिराज शोएब बशीर की ऑफ़ब्रेक गेंद को डिफ़ेंस करने के बाद गेंद को वापस विकेट में घुसने से नहीं रोक पाए और उनकी बेल गिर गई। इस तरह रवींद्र जाडेजा और जसप्रीत बुमराह के बीच 22 ओवर में 35 रन जोड़ने के बाद आख़‍िरी विकेट के लिए 23 रनों की साझेदारी टूट गई। इन साझेदारियों ने बेन स्टोक्स और उनके साथियों को निराश कर दिया था, जिन्हें नरम ड्यूक्स गेंद, बेजान पिच और लॉर्ड्स में ज़्यादातर भारतीय दर्शकों से भरी भीड़ ने चुनौती दी।
गिल ने मैच के बाद पत्रकार वार्ता में कहा, "जब बुमराह भाई और जाडेजा भाई बल्‍लेबाज़ी कर रहे थे, तो हर पांच-छह रन के बाद इंग्‍लैंड पर दबाव बढ़ रहा था। और एक 30-40 रन की छोटी साझेदारी बड़ा अंतर बन सकती थी। हम उस सबय बहुत आ‍शावादी थे जब सिराज और जाडेजा बल्‍लेबाज़ी कर रहे थे, कि यदि हम नई गेंद लाने में क़ामयाब रहे और तब हमें दूसरी नई गेंद से केवल 12-15 रन बनाने पड़ते। आप नहीं जानते, लेकिन जानते हैं कि इधर-उधर कुछ बाउंड्री आपको दोबारा शीर्ष पर ले आती।"
इसके बजाय, हार के कुछ मिनट बाद गिल और उनके साथी सोचते रहे कि क्या हो सकता था। बुमराह जैसे गर्वित मैच विजेता, जिन्होंने पहली पारी में पांच विकेट लिए थे, और ऋषभ पंत, जो तीसरे दिन लंच से ठीक पहले 74 रन पर एक मुश्किल सिंगल लेने के चक्कर में खु़द रन आउट हो गए थे, सिर झुकाए खड़े थे।
आखिरी दिन दोपहर के सत्र में, स्टोक्स एंड कंपनी की हर गेंद का दृढ़ता और धैर्य से सामना करने के बाद, बुमराह अंततः बढ़ते दबाव के आगे झुक गए और इंग्लैंड के कप्तान की एक शॉर्ट गेंद पर आसान कैच दे दिया। सोमवार को अपने दूसरे स्पेल के तीसरे ओवर के मध्य में स्टोक्स ने जो रूट के साथ लंबी बातचीत के बाद, बुमराह के ख़‍िलाफ़ शॉर्ट-बॉल की रणनीति अपनाई। स्लिप और गली क्षेत्ररक्षकों को लेग-साइड-हैवी (6-3) फ़ील्डिंग के साथ बाउंड्री तक फैला दिया गया। बुमराह ने इस रणनीति की पहली गेंद पर लगभग हुक मारने की कोशिश की, जो उनके सिर के ऊपर से निकल गई, और फिर शैडो में रैंप का अभ्यास किया, जिससे दूसरे छोर पर जाडेजा अपना सिर हिलाते दिखे।
इसके बाद, बुमराह ने इस तरह के ध्यान भटकाने वाले पलों को नज़रअंदाज़ किया और हल्के हाथों से खेलते हुए, जो खेलने लायक गेंद नहीं थी उसको छोड़ दिया। स्टोक्स ने उस स्पेल में 15 शॉर्ट या शॉर्ट ऑफ़ लेंथ गेंदें फ़ेंकी, लेकिन बुमराह सिर्फ़ पांच गेंदों तक ही नियंत्रण में नहीं रहे।
लेकिन बुमराह का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने ऑफ़ स्टंप के बाहर डाली गई शॉर्ट बॉल पर पुल करने की कोशिश में आसान कैच दे दिया। स्टोक्स मदहोशी में डूबे हुए लग रहे थे। इंग्लैंड खु़शी से झूम उठा। बुमराह एक-एक कदम ऐसे बढ़ा रहे थे मानो टूटे हुए शीशे पर चलकर ड्रेसिंग रूम की तरफ़ जा रहे हों।
लेकिन इंग्लैंड के प्रशंसकों की ज़ोरदार हूटिंग के बीच मैदान पर उतरे सिराज ने जाडेजा के साथ मिलकर भारत की एक असंभव जीत की तलाश को फिर से शुरू करने का साहस और हिम्मत दिखाई। जोफ़्रा आर्चर की एक छोटी और तेज़ गेंद से बचने की कोशिश में उनके बाएं हाथ में एक दर्दनाक चोट लग गई। इस समय भारत लक्ष्य से 23 रन पीछे था। बल्लेबाज़ों को एक संदेश दिया गया, जिसके बारे में गिल ने मैच के बाद बात की, "जब आर्चर की गेंद पर सिराज को चोट लगी, तो अगर जाडेजा हर ओवर में दो गेंद छोड़ने के बजाय पूरा ओवर खेल सकते थे, तो हमें लगा कि अगर वह [सिराज] ऑफ़ स्पिनर को खेलेंगे तो हमारे लिए बेहतर मौके़ होंगे।"
अगले ओवर में, सिराज बशीर को डिफ़ेंस करने के लिए पीछे गए, लेकिन उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि आगे क्या हुआ। बशीर जब अपने साथियों के साथ विजय रन के लिए दौड़े, तब भी वह स्तब्ध खड़े रहे। दूसरी तरफ़, जाडेजा दर्द से ऊपर देख रहे थे। सिराज सिर नीचे करके घुटनों के बल बैठ गए, सिराज सुन्न और गुस्से में थे।
जब उनसे पूछा गया कि क्‍या उन्‍होंने हंसते हुए कहा कि यह सही समय नहीं था।
हालांकि, गिल ने जाडेजा की तारीफ़ की, जिन्होंने सीरीज़ का अपना चौथा अर्धशतक लगाया। इस उपलब्धि तक पहुंचने पर, उन्होंने तलवार चलाने वाला अपना पारंपरिक जश्न नहीं मनाया, क्योंकि उन्हें पता था कि उन्हें अभी और काम करना है।
गिल ने कहा, "वह हमारे सबसे अहम खिलाड़‍ियों में से एक हैं। जो अनुभव वह लाते हैं और जिस तरह की उनका गेंदबाज़ी, बल्‍लेबाज़ी और क्षेत्ररक्षण कौशल है वह उनको ऐसा खिलाड़ी बनाता है जो मुश्किल से मिलता है। आज उन्होंने जिस तरह का संयम दिखाया, वो देखने लायक था। हमारा निचला क्रम और पुछल्ले बल्लेबाज़ पिछले दो टेस्ट मैचों में उतना योगदान नहीं दे पाए थे, लेकिन उन्होंने जो जज्बा और साहस दिखाया, वो कमाल का था।"
शनिवार को तीसरे दिन के अंत तक मैच एक पारी के शूटआउट जैसा हो गया था और गिल ने कहा कि दबाव हमेशा आखिरी बल्लेबाज़ी करने वाली टीम पर ही रहेगा। नतीज़ा भी ऐसा ही हुआ क्योंकि भारत के बल्लेबाज़ दो बार नाकाम रहे, पहले रविवार को आखिरी घंटे में और फिर सोमवार को पहले घंटे में, जिससे उनका स्कोर 82/7 हो गया। इस हार के मुख्य कारण स्टोक्स थे, जिन्होंने 14 ओवरों का मैराथन स्पेल डाला।
गिल ने स्वीकार किया कि स्टोक्स ने अपने शरीर और दिमाग़ को पूरी तरह झोंककर लॉर्ड्स को एक बार फिर रंगमंच में तब्दील कर दिया है।
गिल ने कहा, "आपको जहां श्रेय देना चाहिए, वहां देना चाहिए। उन्होंने जो स्पेल फ़ेंका, लगातार 11 [14] ओवर, वह कभी आसान नहीं होता। उन्होंने और उनकी टीम ने जिस तरह का प्रयास किया, वह वाकई काबिले तारीफ़ था। आप अपना सब कुछ झोंक देते हैं, और ऐसे पल भी आते हैं जब माहौल गरमा जाता है और कई भावनाएं उभरती हैं, लेकिन आख़‍िरकार, इस तरह के टेस्ट मैच के बाद दोनों तरफ़ से हमेशा प्रशंसा होती है। उन्होंने भी अपना सब कुछ दिया, हमने भी पूरी कोशिश की, लेकिन आज वे बेहतर टीम थे।"

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्‍यूज़ एडिटर हैं।