जेम्स एंडरसन और
स्टुअर्ट ब्रॉड की तेज़ गेंदबाज़ी जोड़ी ने माना कि तीसरे टेस्ट में रविवार के खेल के ख़राब रोशनी के चलते स्थगित होने से उन्हें निराशा तो हुई लेकिन वे अंपायरों की मजबूरी भी समझ सकते हैं।
खेल के दूसरे ही दिन इंग्लैंड को सीरीज़ 2-1 से जीतने के लिए
130 रनों का लक्ष्य मिला था और
ज़ैक क्रॉली व
ऐलेक्स लीस ने 17 ओवर में बिना विकेट गंवाए 97 बना लिए थे। हालांकि दिन के निर्धारित समापन समय, शाम के साढ़े छह बजते ही अंपायर रिचर्ड केटलब्रॉ और नितिन मेनन ने खिलाड़ियों को मैदान से अपर्याप्त रोशनी के चलते बाहर निकलवा दिया।
इस निर्णय के चलते ही दर्शकों ने आवाज़ों से अपनी आपत्ति जताई और इंग्लैंड की बालकनी में कप्तान बेन स्टोक्स भी निराश दिखे। हालांकि दोनों अंपायर ने शनिवार के खेल में भी लाइट मीटर से रोशनी की एक रीडिंग ली थी और नियमों के अनुसार रविवार को उसी मापदंड के अनुसार खिलाड़ियों को बाहर निकालने के अलावा और कोई चारा नहीं था।
एंडरसन ने 'स्काई स्पोर्ट्स' से बात करते हुए कहा, "यह ज़रूर बेहद निराशाजनक है। हमारे बल्लेबाज़ों को गेंद अच्छे से दिख रही थी और जिस दर से हम रन बना रहे थे शायद हमें और पांच-छह ओवर ही लगते। अच्छी तादाद में आए दर्शकों के सामने मैच को ख़त्म करना एक अच्छा अनुभव होता। लेकिन हम अंपायर की सोच समझ सकते हैं। उन्होंने कल रीडिंग ले रखी थी और वही इस मैच का मापदंड है। उनका संदेश यही है कि अगर सोमवार को पूरे दिन बारिश हो तो आज मजबूरन खेलना साउथ अफ़्रीका के प्रति अन्याय होता। फिर भी कभी-कभी क्रिकेट में सामान्य बुद्धि का प्रयोग किया जा सकता है।"
वहीं ब्रॉड का कहना था, "अगर आप निष्पक्ष रूप से देखें तो अंपायरों का फ़ैसला बिलकुल सही है। उन्होंने ज़ैक और लीसी को पहले से ही सचेत कर दिया था कि उनके पास समय काफ़ी कम है। ऐसा नहीं था कि उन्होंने अचानक से खिलाड़ियों को मैदान से बाहर होने को कहा हो। हम निराश हैं क्योंकि दोनों बल्लेबाज़ इतनी अच्छा खेल दिखा रहे थे। लीसी ने दिन के आख़िरी गेंद को भी कवर के बीच चौके के लिए भेजा।"
पूर्व कप्तान और कॉमेंटेटर
नासिर हुसैन ने कहा, "आप अंपायरों से ख़फ़ा नहीं हो सकते क्योंकि वे बस अपना काम कर रहे हैं। जो खेल के नियम बनाते हैं उन्हें इस बारे में सोचना होगा। क्या सितंबर में इंग्लैंड में अचानक पौने सात बजे रोशनी कहीं से बेहतर हो सकती है? ऐसा नहीं होता। इसलिए अगर आपको दिन के खेल में समय बढ़ाना ही है तो शाम के वक़्त की बजाय आप सुबह जल्दी शुरू कर सकते हैं। लेकिन यहां एक फ़ुल हाउस मौजूद है। क्रिकेट को इस तरह के आत्मघाती निर्णय से बचना होगा।"
अंपायरों का यह फ़ैसला इस नए इंग्लैंड की सोच के भी विपरीत था। स्टोक्स के कप्तानी और नए कोच ब्रेंडन मक्कलम के आने के बाद इंग्लैंड घरेलू मैदान पर सात मैचों में अपनी छठी जीत के काफ़ी क़रीब आ चुकी है। हर मैच में इंग्लैंड की रणनीति एक जैसी रही है - चौथी पारी में आक्रामक रुख़ से लक्ष्य का पीछा करना और उससे पहले गेंदबाज़ो से 20 विकेट लेने की पूरी उम्मीद रखना।
एंडरसन ने कहा, "बैज़ के आने से टीम में एक नई ऊर्जा सी आ गई है। उनका संदेश यही है कि हमें लोगों का अपने खेल में मनोरंजन करना चाहिए। हर खिलाड़ी ने भी इसे अपना गुरुमंत्र मान लिया है। यह कभी-कभी असफल भी होगी लेकिन जब सब सही होता है तो परिणाम ज़बरदस्त होते हैं। इस सीज़न से खिलाड़ियों की ही नहीं शायद पूरे दुनिया की टेस्ट क्रिकेट के प्रति सोच में एक बड़ा परिवर्तन आया है। उम्मीद है हम कल इस काम को पूरा कर लेंगे।"
ऐंड्रूयू मिलर ESPNcricinfo UK के एडिटर हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषाओं के प्रमुख देबायन सेन ने किया है