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ओपनिंग की अग्निपरीक्षा में पूरी तरह से खरे उतरे रोहित

उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी पर बहुत मेहनत की है जिसका फल उन्हें मिल रहा है

भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन मैं सोच में डूबा हुआ था कि रोहित शर्मा साल 2014 के बाद इंग्लैंड में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज़ बनने पर किस तरह जश्न मनाएंगे? क्या वह मिस्बाह उल हक की तरह पुश-अप करेंगे या माइकल स्लेटर की तरह हेल्मेट को चूमेंगे? या वह हर बार की तरह ड्रेसिंग रूम और अपने परिवार की ओर देखकर एक मुस्कान के साथ अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करेंगे?
शतकवीर केएल राहुल के पास बेहतरीन ड्राइव खेलने की कला है, लेकिन वह भी इस बात से सहमत होंगे कि रोहित बल्लेबाज़ी को बहुत आसान बना देते हैं। जब रोहित फ़ॉर्म में होते है तो अच्छे अच्छे गेंदबाज़ों के पसीने छूट जाते है। लॉर्ड्स टेस्ट के पहले दिन रोहित ने कुछ ऐसा ही किया।
रोहित की यह ख़ास बात है कि वह ज़्यादा सोच विचार करे बिना चीज़ों को सरल रखने में विश्वास करते हैं। अब ट्रेंट ब्रिज में उनके पहले पुल शॉट को ही देख लीजिए। लंच से पहले इंग्लैंड द्वारा इस मैच में उनको डाली गई पहली बाउंसर गेंद को रोहित ने पुल किया और अपना विकेट गंवाया। गेंद पर टाइमिंग अच्छी थी पर वह सीधे फाइन लेग पर तैनात सैम करन की ओर गई।
उस दिन खेल के बाद मीडिया से बात-चीत के दौरान रोहित ने कहा था कि अगर गेंद मेरे पाले में होगी तो मुझे शॉट्स खेलने होंगे। वह (पुल) मेरा खास शॉट है। उस शॉट से मैंने काफी रन बनाए हैं।
यहां पर बात रोहित के अहंकार की नहीं है। उन्हें समझ गया है कि इंग्लैंड में वही बल्लेबाज़ सफल होते है जो परिस्थितियों का सम्मान करते हुए रन बनाने पर ध्यान दे। सफेद गेंद की क्रिकेट के बादशाह होने की वजह से रोहित अब खराब गेंद को बड़ी आसानी से सीमा रेखा के बाहर भेज देते हैं। यह उनके खेल का सबसे मज़बूत पहलू है। परंतु अपने छोटे टेस्ट ओपनिंग करियर में रोहित ने दर्शाया है कि उनके पास एक तगड़ा डिफेंस भी है।
रोहित मुश्किल परिस्थितियों में रन बनाने में कामयाब हो रहे है क्योंकि उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी पर बहुत मेहनत की है। बुधवार को वह चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे के साथ स्वैच्छिक (ऑप्शनल) ट्रेनिंग सेशन का हिस्सा थे। उस सेशन में रोहित का ध्यान केवल गेंद की लेंथ को पढ़ने और ऑफ स्टंप से बाहर जा रही गेंदों को छोड़ने पर था। पर जैसी ही पटकी हुई गेंद आ रही थी, वह अपना पसंदीदा पुल शॉट खेल रहे थे।
उनका यह सकारात्मक अंदाज़ हमें आज नज़र आया जब स्विंग गेंदबाज़ी के लिए अनुकूल परिस्थितियों का फ़ायदा उठाने के लिए इंग्लैंड ने पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला किया। पहले घंटे में सलामी जोड़ी ने मात्र 35 रन बनाए। लेकिन उनका ध्यान अपनी विकेट बचाने पर था। भारत ने धीमी शुरुआत के बाद तेज़ी से रन जोड़े। ट्रेंट ब्रिज की पहली पारी में रोहित और राहुल के बीच 97 रनों की साझेदारी एशिया के बाहर 2010 के बाद पहले विकेट के लिए भारत की सबसे बड़ी साझेदारी थी। आज उन्होंने उसे बेहतर करते हुए 126 रन जोड़े।
इस सदी के पहले दो दशकों में केवल पांच बार भारत की सलामी जोड़ी SENA देशों (साउथ अफ़्रीका, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में 20 ओवरों से ज़्यादा टिक पाई थी। साल 2021 में पहले गिल और अब राहुल के साथ रोहित ने इस आंकड़े की बराबरी कर ली है।
रोहित के एक सफल टेस्ट ओपनर होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण उनके आक्रामक और रक्षात्मक अंदाज़ के बीच का संतुलन है। इस दौरे पर अब तक उन्होंने बल्ले को अपने शरीर के करीब रखा है। साथ ही वह ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद से छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं। इस सीरीज़ को रोहित के लिए एक अग्निपरीक्षा कहा जा रहा था। रोहित अब तक इस परीक्षा में पूरी तरह से खरे उतरे हैं।
और जहां तक बात रही शतक बनाने के बाद सेलिब्रेट करने की, उसके लिए हमें थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ेगा।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo के न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।