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क्या चक दे इंडिया के कोच कबीर ख़ान और राहुल द्रविड़ का किरदार वाक़ई एक जैसा है?

क्या द्रविड़ आज भी 2007 विश्व कप की कड़वी हार को याद करते होंगे?

Rahul Dravid remains chill ahead of the final, November 17, 2023

फ़ाइनल से पहले चिंतन करते राहुल द्रविड़  •  AFP/Getty Images

वनडे विश्व कप 2007 से बाहर होने के बाद भारतीय टीम के खिलाड़ियों को क्या कुछ नहीं झेलना पड़ा था? पुतले जलाए जा रहे थे, खिलाड़ियों के घर पर पत्थर फेंके जा रहे थे। खिलाड़ी अपनी यात्रा की योजना को बदलने तक पर मजबूर हो गए थे। इरफ़ान पठान को एयरपोर्ट पर कतार में लगे होने के दौरान धक्का दिया गया था, एम एस धोनी किसी भी अप्रिय घटना को होने देने से रोकने के लिए काफ़ी दिनों तक रांची ही नहीं गए थे।
उस दौरान मीडिया ने राहुल द्रविड़ की छवि हां में हां मिलाने वाले एक ऐसे कप्तान के तौर पर गढ़ दी थी जिसने कोच ग्रेग चैपल को मैदान के अंदर दखल देने दिया। हालांकि चैपल के जाने के बाद कालांतर में द्रविड़ की छवि एक सच्चे सिपाही की रही जिसे कभी कप्तान नहीं बनाना चाहिए था।
विश्व कप से बाहर होने के बाद प्रेस वार्ता के दौरान द्रविड़ से घर वापस जाने पर सुरक्षा संबंधी समस्या होने के बारे में भी पूछा गया था। मौजूदा समय में सोशल मीडिया पर मीम साझा किए जा रहे हैं लेकिन अलग तरह से। द्रविड़ को चक दे इंडिया के कबीर ख़ान के किरदार से जोड़ा जा रहा है। चक दे इंडिया के किरदार और द्रविड़ में एक समानता बताई जा रही है, दोनों को ही कप्तान के तौर पर अपमानित किया गया लेकिन दोनों ने ही कोच के तौर पर विश्व विजेता का ख़िताब जीत लिया।
अगर आप द्रविड़ को यह मीम दिखाएंगे तो वह संभवतः अपने लुक्स की शाहरुख़ के साथ तुलना किए जाने का मज़ाक़ उड़ाएंगे। द्रविड़ ख़ुद भी इस बात को भूल चुके होंगे कि वह कभी खिलाड़ी थे। मौजूदा समय में वह एक पेशेवर कोच हैं। रोहित शर्मा के साथ मिलकर वह परिणाम से ज़्यादा टीम की तैयारी, प्रदर्शनों की समीक्षा और योजना को अमली जामा पहनाए जाने पर ध्यान दे रहे हैं।
इंदिरानगर का गुंडा वाला मीम भी ना तो द्रविड़ की छवि से पूरी तरह विपरीत है और ना ही पूर्ण रूप से काल्पनिक है। जब द्रविड़ को सख़्त होने की ज़रूरत पड़ती है तब वह सख़्त भी होते हैं। यह आप उन खिलाड़ियों से पूछ सकते हैं जिन्होंने अंडर 19 और इंडिया ए के लेवल पर द्रविड़ के साथ काम किया है। शुभमन गिल, ऋषभ पंत, इशान किशन, कुलदीप यादव, श्रेयस अय्यर, मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे खिलाड़ी पहले भी द्रविड़ के साथ अंडर 19 और इंडिया ए में रहने के दौरान काम कर चुके हैं। यह वह समय था जब द्रविड़ ने भारतीय टीम को खड़ा करने के लिए एक आधारशिला रखी थी।
इस विश्व कप में भारतीय टीम एक ऐसी टीम की तरह खेल रही है, जो हर तरह से मज़बूत है। अगर फ़ाइनल में अपेक्षाकृत नतीजे नहीं भी मिलते हैं तब भी द्रविड़ के कार्यकाल में टीम इंडिया की प्रगति को कोई छीन नहीं सकता। हालांकि फ़ाइनल में जीत इस प्रगति को और ख़ास बना देगी। और शायद ख़ुद कोच भी थोड़ा समय लेकर 2007 के पोर्ट ऑफ़ स्पेन के ड्रेसिंग रूम के उस दृश्य को याद करेंगे जब लगातार गिर रहे विकेटों के चलते सचिन तेंदुलकर, द्रविड़, अनिल कुंबले, गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों की आंखें नम हो गई थीं।
तेंदुलकर, सहवाग और युवराज को तो विश्व कप ट्रॉफ़ी नसीब हो गई लेकिन हर किसी को नहीं। और तब कोच संभवतः बॉलीवुड के किंग के साथ एक और मीम में फ़ीचर होता देख हंस पड़ेंगे।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में सहायक एडिटर हैं।