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राहुल करेंगे पारी की शुरुआत, रोहित मध्य क्रम में खेलेंगे

एडिलेड में होने वाले दूसरे टेस्ट मैच के दौरान भारतीय कप्तान कई वर्षों के बाद मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करते हुए दिखेंगे

"मैं मध्‍य क्रम में कही बल्लेबाज़ी करूंगा" - रोहित शर्मा के इस बयान के साथ ही यह तय हो गया कि वह ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ होने वाले दूसरे टेस्ट में कहां बल्लेबाज़ी करेंगे और कौन ओपन करेगा।
पहले टेस्ट में केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल ने रोहित की गैरमौजूदगी मे जिस तरह की बल्लेबाज़ी की थी, उसके बाद से यह सवाल लगातार बने हुए थे कि क्या रोहित मध्‍य क्रम में बल्लेबाज़ी करेंगे या जायसवाल-राहुल की सलामी जोड़ी को तोड़ कर रोहित ओपन करेंगे।
भारतीय टीम ने प्रधानमंत्री XI के ख़िलाफ़ एक दो दिवसीय मैच खेला था, जहां एक दिन बारिश के कारण धुल गया था। दूसरे दिन भारत के बल्लेबाज़ी के दौरान रोहित ने मध्‍य क्रम में बल्लेबाज़ी की थी।
उस में मध्‍य क्रम में अपनी बल्लेबाज़ी को लेकर रोहित ने कहा, "यह एक अभ्यास मैच था। इसी कारण से हम ज़्यादा कुछ सोचे बिना, अपना खेल आगे बढ़ाना चाह रहे थे। पहले से ही एक दिन बारिश के कारण धुल चुका था। हम चाह रहे थे कि हमें थोड़ा गेम टाइम मिले। हम मैच के डिटेल के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं सोच रहे थे। हमने पिंक बॉल के साथ ज़्यादा नहीं खेला है तो हम चाह रहे थे कि हमें इस गेंद के साथ खेलने का मौक़ा मिले।"
हालांकि एडिलेड टेस्ट से एक दिन पहले प्रेस कांफ़्रेंस के दौरान रोहित ने इस बात की पुष्टि की। रोहित ने कहा, "मैं मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी के निर्णय पर इसलिए पहुंचा क्योंकि हम परिणाम और सफलता चाहते हैं। उस मैच में शीर्ष क्रम में उन दोनों ने ही बेहतरीन बल्लेबाज़ी की। मैं अपने नवजात बच्चे के साथ घर पर था और मैच देख रहा था और जिस तरह से केएल ने बल्लेबाज़ी की वह काफ़ी बेहतरीन था। इसलिए मुझे लगा कि इसमें बदलाव करने की कोई आवश्यकता नहीं है। भविष्य में चीज़ें अलग हो सकती हैं, मुझे नहीं पता। लेकिन जिस तरह से केएल ने भारत के बाहर प्रदर्शन किया है मुझे लगता है कि वह इस स्थान पर बल्लेबाज़ी करने के हक़दार हैं।"
पर्थ में जायसवाल ने पहली पारी में शून्य पर आउट होने के बाद दूसरी पारी में शतक जड़ा। राहुल भले ही शतक नहीं लगा पाए लेकिन वह दोनों ही पारियों में अच्छी लय में नज़र आए। भारत ने दूसरी पारी को 487 पर 6 के स्कोर पर घोषित किया और भारत को 295 रनों से जीत हासिल हुई।
रोहित ने कहा, "पर्थ जैसी जगह पर 500 रन बनाना बहुत बड़ी बात है। बाहर से यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और इसमें कोई बदलाव करने की भी ज़रूरत मालूम नहीं पड़ी। व्यक्तिगत तौर पर यह मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन टीम के लिहाज़ से यह तर्कसंगत भी था।"
टीम को ऊपर रखने की सोच का ही परिणाम था कि पर्थ में एकादश का निर्णय करने के दौरान भारत को टेस्ट में 800 से अधिक विकेट चटका चुकी जोड़ी को भी बाहर रखने का फ़ैसला करना पड़ा।
"(रवींद्र) जाडेजा और (आर) अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को टीम से बाहर रखने का फ़ैसला कठिन होता है लेकिन मुझे लगता है उस समय टीम के लिए जो सही था वो फ़ैसला लिया गया।"
रोहित ने कहा, "इस टेस्ट सीरीज़ में मैं उन दोनों द्वारा अहम भूमिका निभाने की ओर देख रहा हूं क्योंकि वे दोनों जिस तरह का प्रदर्शन कर सकते हैं उसे कभी दरकिनार नहीं किया जा सकता। और जहां तक वॉशिंगटन सुंदर की बात है तो हमने देखा है कि वह बल्ले और गेंद दोनों के साथ कैसा प्रदर्शन कर सकते हैं। उनके पास दुनिया के किसी भी हिस्से में खेलने के लिए मज़बूत तकनीक है। मैं यही उम्मीद करता हूं कि वॉशी चोटिल ना हों क्योंकि उनके जैसा खिलाड़ी हमेशा दल की अहम कड़ी होता है। मैं यहां से उनका ग्राफ़ ऊपर की ओर ही जाता देख रहा हूं।"
रोहित ने अपने दल के युवा बल्लेबाज़ों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि कैसे जायसवाल, शुभमन गिल और ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ी अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही विदेशी धरती पर सफलता प्राप्त करने में सफल हुए हैं।
रोहित ने कहा, "आज के समय में युवा खिलाड़ी निर्भीकता के साथ खेलते हैं, वह अपने ऊपर किसी तरह का बोझ लेकर नहीं चलते। जायसवाल, पंत और गिल यह सभी एक अलग पीढ़ी के खिलाड़ी हैं। जब हम पहली बार ऑस्ट्रेलिया आए थे तब हमारे ज़ेहन में सिर्फ़ यही चलता था कि हमें रन बनाना है और इस क्रम में हम अपने ऊपर अधिक दबाव डाल लिया करते थे। लेकिन हर पीढ़ी अलग होती है और आज की पीढ़ी निर्भीकता के साथ खेलने में विश्वास रखती है।"
"जब भी मैं उनसे बात करता हूं तो उनके जे़हन में यही चल रहा होता है कि मैच कैसे जीतना है। वह यह नहीं सोचते कि उन्हें शतक या दोहरा शतक बनाना है। जब आप इस तरह से सोचने लग जाते हैं तब व्यक्तिगत प्रदर्शन अपने आप अच्छा हो जाता है। क्योंकि जब आपको जीतना है तब आप बिना प्रदर्शन किए जीत ही नहीं सकते। अगर वे बल्ले से अच्छा नहीं कर पाते तब वे यह सोचते हैं कि वे गेंदबाज़ी और फ़ील्डिंग में क्या बेहतर कर सकते हैं। तो यह लोग इस तरह से सोचते हैं जो कि बहुत ही अच्छी बात है। मुझे नहीं पता कि उन्हें कोई यह सब बताता है या नहीं लेकिन जब वे ऐसे किसी दौरे पर आते हैं तो उन सभी का ऐसा ही माइंडसेट रहता है।"