शमी की साधारण वापसी भी भारतीय टीम के लिए बड़ी बात
उन्होंने बिना किसी परेशानी के तीन ओवर डाले जिसमें उनकी गति 135 किमी/घंटा के आसपास रही, इससे भारत और शमी दोनों ने राहत की सांस ज़रूर ली होगी
हेमंत बराड़
29-Jan-2025
राजकोट शायद वह आख़िरी मैदान होगा जहां कोई तेज़ गेंदबाज़ वापसी करना चाहेगा। इस मैच से पहले यहां T20 अंतर्राष्ट्रीय में पहली पारी का औसत स्कोर 186 था। तीसरे भारत-इंग्लैंड T20I के लिए पिच रिपोर्ट में मुरली कार्तिक ने इसे "मेरे सिर की तरह सपाट" कहा, जबकि निक नाइट ने इसे बल्लेबाज़ी के लिए काफ़ी अच्छा बताया। लेकिन मोहम्मद शमी को इन सब बातों से फर्क नहीं पड़ा होगा। उनके लिए सबसे ख़ास बात यह होगी कि 14 महीनों के मुश्किल सफर के बाद एकबार फिर से वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी कर रहे हैं।
शमी ने भारत के लिए आख़िरी मैच अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ODI वर्ल्ड कप फ़ाइनल में खेला था। पूरे टूर्नामेंट के दौरान वह अपने टखने की चोट से जूझ रहे थे और फ़रवरी 2024 में उनकी सर्जरी हुई।
उनका पिछला T20 अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबला 2022 में एडिलेड में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल था। तब से भारत की T20 क्रिकेट की सोच में बड़ा बदलाव आया है। लेकिन सौभाग्य से यह बदलाव बल्लेबाज़ी को लेकर है, गेंदबाज़ी के लिए नहीं। इसलिए शमी को अपनी गेंदबाज़ी में कुछ भी बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ी।
जब इंग्लैंड के ख़िलाफ़ T20I सीरीज़ के लिए शमी को टीम में शामिल किया गया, तब तक भारतीय क्रिकेट जगत का ध्यान उनके टखने से हटकर घुटनों पर आ चुका था। कई लोगों को उम्मीद थी कि वह तुरंत खेलेंगे। उन्होंने पहले दो T20I से पहले अभ्यास के दौरान घुटने पर स्ट्रेप बांधकर नेट्स में गेंदबाज़ी की, लेकिन प्लेइंग XI में जगह नहीं मिली। क्या वह अभी भी 100% फ़िट नहीं थे, या फिर टीम संयोजन इसकी वजह थी? इसका जवाब अब तक साफ़ नहीं है। लेकिन मंगलवार को भारत ने अर्शदीप सिंह को आराम दिया और शमी को मौक़ा मिला।
जब सूर्यकुमार यादव ने गेंदबाज़ी चुनी, तो शमी तुरंत एक्शन में आ गए। अपनी पहली ही गेंद पर उन्होंने दिखा दिया कि भारत को उनकी कितनी कमी महसूस हो रही थी। यह एक अच्छी लेंथ की गेंद थी, जिसकी सीम डीप थर्ड की ओर झुकी हुई थी। फ़िल सॉल्ट ने इस पर हाथ खोला, लेकिन गेंद स्विंग होकर उनसे दूर निकल गई।
जब भी कोई तेज़ गेंदबाज़ चोट के बाद वापसी करता है, तो सबकी नज़रें स्पीड गन पर होती हैं। शमी की पहली गेंद की रफ्तार 134.6 किमी/घंटा रही, जो संतोषजनक थी। विकेटकीपर के पास यह गेंद एक बाउंस के बाद पहुंची थी, जिसका कारण पिच थी।
यह शमी के लिए स्लिप हटाने का संकेत था। अगली ही गेंद पर सॉल्ट ने सीधा शॉट खेला और बाउंड्री हासिल की, हालांकि वह इसे पूरी तरह मिडल नहीं कर पाए।
इसके बाद शमी ने स्टंप्स पर आक्रमण करने का फै़सला किया और एक इनस्विंगर डाली। सॉल्ट ने इसे शॉर्ट मिडविकेट की दिशा में खेला। इस गेंद की गति 134.1 किमी/घंटा थी। इसी रफ़्तार के आसपास गेंदबाज़ी करते हुए शमी ने अपने पहले ओवर में केवल छह रन दिए।
दूसरे ओवर की पहली ही गेंद पर शमी ने अपनी पहचान के अनुरूप सीधी सीम गेंद डाली। जोस बटलर ने इसे खेलने की कोशिश की, लेकिन गेंद सीम होकर बाहर चली गई। ऐसा लगा कि बल्ले का हल्का किनारा लगा था, लेकिन अपील नहीं हुई क्योंकि संजू सैमसन इसे स्टंप्स के पीछे ठीक से पकड़ नहीं पाए।
बाएं हाथ के बल्लेबाज़ बेन डकेट के लिए शमी राउंड द विकेट आए। डकेट ने एंगल का फ़ायदा उठाया और गेंद को विकेटकीपर के सिर के ऊपर स्कूप कर छक्का जड़ दिया। अपने इन दो ओरों में शमी ने कुल 15 रन दिए और उन्हें कोई विकेट नहीं मिला।
जब शमी अपना तीसरा ओवर (जो पारी का 19वां था) डालने लौटे, तब उनहोंने हार्ड लेंथ और धीमी गेंदों का सहारा लिया, लेकिन आदिल रशीद और मार्क वुड ने उनके ओवर से दस रन निकाल लिए। उन्होंने एक बार यॉर्कर डालने की कोशिश की, लेकिन वह बीमर बन गई।
यह किसी सपने जैसी वापसी नहीं थी, लेकिन ख़राब भी नहीं थी। सबसे अहम बात यह रही कि उन्होंने किसी तरह की परेशानी नहीं दिखाई, जिससे शमी और टीम प्रबंधन दोनों संतुष्ट होंगे।
बीते कुछ महीनों में जब भी शमी ने वापसी की कोशिश की, उन्हें किसी न किसी झटके का सामना करना पड़ा। पिछले साल वह घरेलू टेस्ट सीरीज़ में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ खेलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यही स्थिति न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ में भी रही।
कुछ महीनों बाद उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी में बंगाल के लिए मध्य प्रदेश के ख़िलाफ़ मैच खेला और दो पारियों में कुल 43 ओवर डाले। इसके बाद उन्होंने सैयद मुश्ताक अली T20 ट्रॉफ़ी में सभी नौ मैच खेले, जहां उन्होंने 7.85 की इकॉनमी रेट से 11 विकेट लिए।
जब ऐसा लगने लगा कि वह ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी का हिस्सा बन सकते हैं, तब घुटने की समस्या फिर सामने आ गई। टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार होने के दौरान जैसे-जैसे उन्होंने वर्कलोड बढ़ाया, उनके बाएं घुटने में सूजन आ गई और उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर होना पड़ा।
इसीलिए भले ही उन्होंने आज सिर्फ़ तीन ओवर फेंके और कोई विकेट नहीं लिया, भारत शमी की वापसी को एक बड़ी सकारात्मक बात मानेगा। इसके बाद भारत को चैंपियंस ट्रॉफ़ी और फिर साल के अंत में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ होने वाली है और उस दृष्टिकोण से यह वापसी काफ़ी महत्वपूर्ण है।