चोट, खिलाड़ी की अनुपलब्धता, कार्य प्रबंधन और अन्य कारणों से भारत पांच खिलाड़ियों को डेब्यू कराने पर मजबूर हुआ और इसके बाद भी सीरीज़ जीती। यह उनकी सबसे पहली सीरीज़ के बाद संयुक्त रूप से सबसे अधिक संख्या है। भारतीय कोच
राहुल द्रविड़ ने सीरीज़ ख़त्म होने के बाद ख़ास तौर पर चयनकर्ताओं की तारीफ़ की और कहा कि उनके चलते टीम मैनेजमेंट ने नए खिलाड़ियों को चुनने का फ़ैसला किया।
सीरीज़ में कई जगहों पर भारतीय टीम ने मोहम्मद शमी, विराट कोहली, केएल राहुल, ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह, रवींद्र जाडेजा और मोहम्मद सिराज की कमी झेली लेकिन इसके बाद पहला टेस्ट हारने के बाद भी सीरीज़ को 4-1 से जीत लिया। कमेंटेटरों ने द्रविड़ और उनके सहायक स्टाफ़ को बधाई दी लेकिन उन्होंने ख़ुद चयनकर्ताओं को इसका श्रेय दिया।
द्रविड़ ने कहा, "मैं अजीत अगकरकर [चयन समिति अध्यक्ष] और उनकी टीम को श्रेय देना चाहता हूं। जो युवा यहां आए, सच कहूं तो एक कोच और कप्तान के तौर पर हम अजीत और उनकी टीम जितना घरेलू क्रिकेट नहीं देखते हैं। उन्होंने हमें इन युवा खिलाड़ियों को आज़माने की चुनौती दी, वे आए और उन्होंने प्रदर्शन किया। कई बार बतौर चयनकर्ता यह आसान नहीं होता क्योंकि आप आलोचना झेलते हैं लेकिन इसका बड़ा श्रेय अजीत और उनकी टीम को जाता है।"
चयनित हुए खिलाड़ियों में से एक ने जो बेहतरीन काम किया वह थे विकेटकीपर बल्लेबाज़
ध्रुव जुरेल, जिन्हें केवल 15 प्रथम श्रेणी मैचों के अनुभव के बाद चुना गया था। विकेटकीपर पंत की अनुपस्थिति और ख़ास तौर पर इशान किशन के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अनुपलब्धता जताए जाने के बाद उन्हें चुना गया था। हालांकि केवल अपने दूसरे टेस्ट में ही जुरेल ने भारत को रांची में बड़ी बढ़त से पिछड़ने से बचा लिया और उनके इसी प्रदर्शन की वजह से उन्हें प्लेयर ऑफ़ द मैच चुना गया।
टीम में इतनी बड़ी संख्या में नए खिलाड़ियों को देखते हुए भारत को युवाओं से कुछ बड़े प्रदर्शनों की दरकार थी।
यशस्वी जायसवाल केवल चार टेस्ट का अनुभव लेकर इस सीरीज़ में आए थे और कुलदीप यादव केवल आठ टेस्ट मैच खेलकर इस सीरीज़ में आए और कमाल का प्रदर्शन किया। जायसवाल को उनके इस प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ चुना गया, जहां वह एक सीरीज़ में 700 या अधिक रन बनाने वाले केवल दूसरे भारतीय बल्लेबाज़ बने। वहीं
कुलदीप यादव 50 टेस्ट विकेट लेने वाले सबसे तेज़ भारतीय गेंदबाज़ और कुलमिलाकर दूसरे सबसे तेज़ स्पिनर बने।
रोहित ने दोनों की तारीफ़ की। रोहित ने कहा, "[जब कुलदीप बाहर थे] इसको लेकर उनसे लंबी चर्चा हुई थी। यह केवल एक या दो बार की चर्चा नहीं थी। कई बार हमने उनसे बातचीत की। उनके अंदर बहुत कौशल है। हम जानते हैं कि अपने दिन वह मैच विजेता साबित हो सकते हैं। हमने उन्हें पहली पारी में देखा जहां हम थोड़ा पिछड़े हुए थे। वह आए और बेहतरीन गेंदबाज़ी की।"
"हम सभी उनके लिए ख़ुश हैं। घुटने की चोट के बाद वह काफ़ी समय बाद एनसीए और अपने कोच के साथ काम करके वापस लौटे और जिस तरह की उन्होंने गेंदबाज़ी की वह देखकर अच्छा लगा। सबसे बेहतरीन चीज़ उन्हें पूरी सीरीज़ में बल्लेबाज़ी करते देखना था।"
रोहित, जायसवाल की बहुत अधिक प्रशंसा करने से सावधान थे, कहीं वह उन्हें परेशान न कर दें, लेकिन श्रृंखला समाप्त होने के बाद वह खुद को अपने सलामी जोड़ीदार की तारीफ़ करने से नहीं रोक सके। रोहित ने कहा, "मैं अब उसके बारे में बात कर सकता हूं। इस लड़के को अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना है। उसने शुरुआत बहुत अच्छी की है। इस तरह की स्थिति में होना उसके ख़ुद के लिए बहुत अच्छा है। हमने पूरी सीरीज़ में देखा कि वह गेंदबाज़ों पर दबाव बनाना चाहता था और यही हम देखना चाहते थे। जब किसी लड़के के पास इस तरह का कौशल हो और वह इस तरह के शॉट खेलकर गेंदबाज़ों को दबाव में ला देता है तो यह कुछ ऐसा है जिसका हम प्रोत्साहन करना चाहते हैं और आगे भी ऐसा देखना चाहते हैं।"
"बिल्कुल उसके सामने अभी बहुत चुनौतियां हैं, लेकिन मैं पक्का कह सकता हूं कि वह कड़क लड़का है। जहां वह आज है उसने बहुत लंबा रास्ता तय किया है। तो बिल्कुल वह जानेगा कि उसे व्यक्तिगत तौर पर क्या चाहिए और टीम उससे क्या उम्मीद रखती है।"