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विदेशी लीग में भारतीय खिलाड़ियों के खेलने को लेकर क्या बोले मूडी, फ़्लेमिंग और कुंबले?

तीनों विशेषज्ञों ने इस पर भी अपनी राय रखी कि कोहली और रोहित अगले विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा होंगे या नहीं?

एडिलेड में इंग्लैंड के हाथों मिली करारी हार ने भारतीय टीम के दूसरी दफ़ा टी20 विश्व कप जीतने के सपने को चकनाचूर कर दिया। इस हार के बाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के टी20 टाइम आउट शो पर टॉम मूडी, स्टीफन फ़्लेमिंग और अनिल कुंबले एकत्रित हुए और उन्होंने बताया कि आख़िर इस विश्व कप में भारतीय टीम के साथ ग़लत क्या हो गया? और उन्हें 2024 के लिए कैसी तैयारी करनी चाहिए? इसके साथ ही क्या रोहित शर्मा और विराट कोहली को टी20 से किनारा कर लेना चाहिए?
ठीक दो साल बाद अगला विश्व कप है। शीर्ष क्रम की समस्या से निपटने के लिए क्या करना चाहिए?
मूडी: मुझे लगता है कि भारतीय टीम का शीर्ष क्रम थोड़ा उर्जावान होना चाहिए। इसलिए मैं ऐसे खिलाड़ियों की तलाश करूंगा जो इस प्रोफ़ाइल में फ़िट बैठेंगे। ऐसे खिलाड़ियों को चिन्हित करते हैं जो शीर्ष क्रम में निर्भीकता के साथ खेल सकते हैं, सूर्यकुमार यादव इसका उदाहरण हैं लेकिन वह मध्य क्रम में खेलते हैं। शीर्ष क्रम में उनके जैसी बल्लेबाज़ी कौन कर सकता है?
आदर्श स्थिति में मैं शीर्ष तीन बल्लेबाज़ों में ऐसे दो बल्लेबाज़ चाहूंगा और तीसरा एक ऐसा बल्लेबाज़ जो जल्दी विकेट गिरने पर परस्थिति के हिसाब से पारी को एंकर कर सके।
तो वह डायनैमिक खिलाड़ी कौन हैं? ऋषभ पंत उनमें से एक हैं और इशान किशन दूसरे हैं। अंतत: आप खिलाड़ियों को चुनने के बजाय एक ऐसे ब्रांड को चुनते हैं जिस तरह का खेल आप खेलना चाहते हैं।
क्या आपको लगता है कि भारतीय क्रिकेट की संरचना में खिलाड़ी जैसे विकसीत होता है वह उस ब्रांड का खेल खेलने की क्षमता को लगभग खो बैठता है?
कुंबले: क्रिकेट एक्सपर्ट पर जैसा हम सोचते हैं या जो मीडिया सोचता है उसके परे मुझे लगता है कि ऐसी परिस्थिति में खिलाड़ियों के समूह के साथ आपका संवाद अधिक महत्व रखता है। क्योंकि जब आप इस तरह की क्रिकेट खेलते हैं तो ज़ाहिर तौर पर इसमें जोख़िम रहता है और आप प्रदर्शन में निरंतरता की उम्मीद नहीं कर सकते।
ऐसे अवसर आ सकते हैं जब 80 पर सिमट जाएं। इसलिए जब आप इस तरह की क्रिकेट खेलना चाहते हैं जहां आप पहली गेंद से ही आक्रमण के लिए जाएंगे तो टीम के भीतर एक स्पष्ट संवाद होना बेहद ज़रूरी है और यह सिर्फ़ कप्तान या कोच पर निर्भर नहीं करता है। मुझे क्या लगता है, जिस तरह से हम बात करते हैं कि गेंदबाज़ों को भी बल्लेबाज़ी करने आना चाहिए लेकिन भारतीय क्रिकेट में बल्लेबाज़ों को भी गेंदबाज़ी करने का प्रयास करना चाहिए और इस पर काम करना अधिक ज़रूरी है।
इंग्लैंड के पास मोईन अली और लियम लिविंगस्टन की तरह कुछ इसी तरह के विकल्प हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस तरह की इंडिया ए टीम भी चुनी जाती है उसमें अधिकतर ऐसे बल्लेबाज़ होते हैं जो गेंदबाज़ी नहीं कर सकते।
मूडी: आज के परिणाम में जो बात देखी जा सकती है वह ऐसी विरासत है जो ओएन मॉर्गन अपने साथ इंग्लैंड टीम के लिए छोड़ गए हैं, जो सीमित ओवरों में इस ब्रैंड की क्रिकेट खेलना चाहते थे और उन्होंने हमेशा इस ब्रैंड का बचाव किया। जब आप इस तरह की क्रिकेट खेलते हैं तो आपको उतार और चढ़ाव दोनों से ही गुज़रना पड़ता है लेकिन आपको लोगों के साथ खड़ा रहना होता है।
इसलिए आपको ऐसे खिलाड़ियों की पहचान करनी चाहिए जो भविष्य में इस तरह का खेल, खेल सकते हैं।
इस तरह का खेल खेलने के लिए नए खिलाड़ियों को आसानी से प्रेरित किया जा सकता है?
मूडी: ऐसा ज़रूरी नहीं है। जॉनी बेयरस्टो को देखिए। मैं जानता हूं कि वह चोट के चलते इस विश्व कप में नहीं खेल पाए लेकिन आज से दस साल पहले वह उस तरह से नहीं खेलते थे जैसा कि अब खेलते हैं।
तो आपके पास सूर्यकुमार जैसे इंटेंट के साथ बल्लेबाज़ी करने वाले चार-पांच बल्लेबाज़ चाहिए?
मूडी: हां और वह इसे फ़्रीलांसर की तरह करते हैं। वह ऐसा कर पाने में इसलिए सक्षम हो पाते हैं कि वह वही करते हैं जैसा वह वास्तव में हैं और क्रिकेटर के रूप में यही उनकी प्राथमिकता है।
फ़्लेमिंग: मैं खिलाड़ियों की ज़िम्मेदारी पर अधिक ध्यान केंद्रीत करना चाहूंगा। यह टॉम, अनिल और मेरे लिए कहना आसान है कि आपको मैदान में जाकर फ़्री होकर खेलना चाहिए लेकिन ऐसा करने के लिए आपको पता होना चाहिए कि आपको यह करना कैसे है? और यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ विशेष कौशल और आत्मविश्वास की दरक़ार होती है। इसिलए आप सीधे एक झटके में अपने गेम में बदलाव नहीं ला सकते।
कुंबले: एक ख़ास ब्रैंड की क्रिकेट खेलने के लिए खिलाड़ियों को चुनने के साथ ही यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि यह खिलाड़ी जहां भी खेलें वहां एक ख़ास तरह की भूमिका निभाएं। क्योंकि यह नहीं हो सकता कि आप भारत के लिए इस तरह का खेल खेलेंगे और घरेलू क्रिकेट और फिर आईपीएल में किसी अलग भूमिका में नज़र आएंगे। मिसाल के तौर पर पंत आज छठे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए, तब पारी का 19वां ओवर प्रगति पर था लेकिन वह घरेलू क्रिकेट में अमूमन ऐसा नहीं करते। लिहाज़ा भूमिकाओं को लेकर स्पष्टता भी उतनी ही ज़रूरी है।
मूडी: मैं इसमें कुछ जोड़ना चाहता हूं। जैसा कि आपने पंत के 19वें ओवर में मैदान में आने का उदाहरण दिया। जब पंत जैसा बल्लेबाज़ 19वें ओवर में बल्लेबाज़ी के लिए आता है तब आप यह उम्मीद करते हैं कि टीम का स्कोर 180 या 190 होगा। लेकिन पारी के 70 फ़ीसदी हिस्से में जिस तरह का खेल खेला गया उसके चलते पंत जैसा संसाधन बर्बाद चला गया और यह आधुनिक दौर में क्रिकेट विश्व कप जीतने लायक शैली नहीं है।
तो कोहली और रोहित आज ग़लत कर गए?
कुंबले: मैं यह नहीं कह रहा कि उन्होंने कुछ ग़लत किया। वह दोनों ही उस तरह के खिलाड़ी हैं जो अच्छे स्ट्राइक रेट के साथ खेल सकते हैं। लेकिन ज़ाहिर तौर पर रोहित पिछले कुछ समय से अच्छी लय में नहीं हैं। ऐसा नहीं था कि उन्होंने कोशिश नहीं की लेकिन चीज़ें उनके पक्ष में नहीं गईं। के एल राहुल के जल्दी आउट हो जाने के बाद पावरप्ले को ध्यान में रखते हुए किसी एक को आक्रामक रुख़ अपनाना चाहिए था। विराट ने एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से छक्का भी लगाया लेकिन अगले दो ओवर में मोमेंटम एक बार फिर इंग्लैंड के पक्ष में चला गया। ख़ास तौर पर जब पावरप्ले की समाप्ति के बाद स्पिनरों को लाया गया तब मुझे इंग्लैंड पर वापस दबाव बनाने के इंटेंट की कमी साफ़ तौर पर दिखाई दी।
मूडी: अनिल ने अच्छा प्वाइंट रखा है। पावरप्ले में एक तरफ़ जहां भारतीय टीम ने पांच बाउंड्री लगाई तो दूसरी तरफ़ इंग्लैंड ने 10 बाउंड्री लगाई। अनिल ने इसे समझने के लिए कई ओवर डाले हैं।
भारतीय खिलाड़ी सिर्फ़ आईपीएल खेलते हैं और उनका सामना ऐसे खिलाड़ियों से होता है जो दुनिया भर की लीग क्रिकेट खेल कर आ रहे होते हैं। क्या इस पर विचार किया जाना चाहिए?
फ़्लेमिंग: जब आप कॉमेंटेटर्स को यह कहते हुए सुनते हैं कि ऐलेक्स हेल्स को इस ग्राउंड पर खेलने का अच्छा अनुभव है, फ़िल सॉल्ट इस मैदान पर काफ़ी मुक़ाबले खेल चुके हैं तब ज़ाहिर तौर पर इस पर संज्ञान लिया जाना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि दुनिया भर में घरेलू क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी ज़रूरी अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। अगला विश्व कप कैरेबियाई धरती पर खेला जाना है ऐसे में सीपीएल की महत्ता बढ़ जाती है।
क्या आपको लगता है कि ऐसे युवा खिलाड़ी जिनके पास केंद्रीय अनुबंध नहीं है, कम से कम उन्हें अलग लीग में खेलने की अनूमति मिलनी चाहिए?
कुंबले: मुझे लगता है कि एक्पोज़र हर खिलाड़ी के लिए मददगार सिद्ध होता है। हमने ख़ुद भारतीय क्रिकेट पर इसका प्रभाव पड़ते देखा है। उदाहरण के तौर पर आईपीएल को ही ले लीजिए, इसमें विदेशी खिलाड़ी खेलने के लिए आते हैं और इसने निश्चित तौर पर भारतीय क्रिकेट में हुए बदलावों पर अपनी छाप छोड़ी है। और अगर आप उस ब्रैंड की क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों की पहचान करना चाहते हैं तो युवा खिलाड़ियों को दूसरी लीग में खेलने का अवसर क्यों नहीं देना चाहिए?
मूडी: हम ज़हीर ख़ान और इशांत शर्मा जैसे खिलाड़ियों को काउंटी क्रिकेट से मिली मदद के गवाह रहे हैं। आपने भारतीय बल्लेबाज़ी में गहराई की बात की, ऐसे बल्लेबाज़ जो गेंदबाज़ी करने में सक्षम हों। मुझे लगता है कि इसके लिए सीपीएल सबसे उपयुक्त लीग है, जहां प्रति टीम दो बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर होते हैं। और मुझे लगता है कि वह टूर्नामेंट खिलाड़ियों का खुले दिल से स्वागत करेगा।
कुंबले: हां, मुझे लगता है कि इससे युवा खिलाड़ियों को काफ़ी मदद मिलेगी। और बल्लेबाज़ों के गेंदबाज़ी करने की क्षमता पर आवश्यक तौर पर चर्चा होनी चाहिए। अन्यथा आप हमेशा इसी असमंजस में फंसे रहेंगे कि क्या हमें पांच गेंदबाज़ों के साथ उतरना चाहिए? मेरे हिसाब से आपके पास टॉप छह में कम से कम दो ऐसे बल्लेबाज़ होने चाहिए जो गेंदबाज़ी कर सकें।
क्या हमने टी20 अंतर्राष्ट्रीय में रोहित शर्मा या विरोट कोहली में से किसी एक को आख़िरी बार खेलते देखा है?
मूडी: विश्व कप में अभी दो साल बचे हुए हैं और मुझे नहीं लगता कि वह अभी और विश्व कप के बीच में अधिक टी20 क्रिकेट खेलेंगे। यह एक ऐसा निर्णय है जो उन्हें विश्व कप से छह महीने पहले क्रिकेट बोर्ड के साथ बैठकर लेना होगा। क्योंकि मुझे नहीं लगता कि फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट को छोड़कर वह भारत के लिए टी20 क्रिकेट खेलने जा रहे हैं।
कुंबले: मुझे नहीं लगता कि अभी इस समय कोई निर्णय लिया जाएगा हालांकि यह खिलाड़ी का निर्णय है। और यह भी कि आप अगले विश्व कप में किस ब्रांड का क्रिकेट खेलना चाहेंगे। यह तय करेगा कि कौन अगले विश्व कप में टीम का हिस्सा होगा और कौन नहीं?
फ़्लेमिंग: मुझे पता है कि बड़े टूर्नामेंट के बाद बड़े फ़ैसले लिए जाते हैं और कुछ जल्दबाज़ी में हो सकते हैं। मुझे बड़े टूर्नामेंट के बाद खिलाड़ियों को बाहर करना पसंद नहीं है। मुझे लगता है कि एक प्रक्रिया है जिसमें दोनों लड़कों ने वहां पहचान की है कि आप काम करते हैं। आप प्रतिभा को देख रहे हैं, आप आने वाले टूर्नामेंटों को देख रहे हैं और आप एक योजना बना रहे हैं जो खिलाड़ी के साथ चयनकर्ताओं और बोर्ड के साथ है। आप कभी भी दरवाज़ा बंद नहीं करते हैं, आप उस दरवाज़े की ओर काम करते हैं और देखते हैं कि आप किस तरह की समय सीमा के बारे में सोच रहे हैं और फिर एक योजना के साथ आते हैं।