मैच (23)
MLC (1)
ENG v WI (1)
IRE vs ZIM (1)
Men's Hundred (2)
एशिया कप (2)
विश्व कप लीग 2 (1)
Canada T20 (4)
Women's Hundred (2)
TNPL (3)
One-Day Cup (5)
SL vs IND (1)
फ़ीचर्स

उपेंद्र यादव : शुरुआत धोनी जैसी लेकिन मंज़िल अभी बहुत दूर है

बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद संघर्ष भरा रहा है इंडिया ए के विकेटकीपर का करियर

Upendra Yadav pictured during nets

उपेंद्र यादव की कहानी महेंद्र सिंह धोनी के करियर से मेल खाती है  •  UPCA

अगर आपने पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित फ़िल्‍म देखी है तो आप ज़रूर उनके संघर्ष से वाक़िफ़ होंगे। कैसे उन्‍हें झारखंड (तब बिहार) छोड़कर रेलवे के लिए खेलने पर मजबूर होना पड़ा। धोनी के प्रदर्शन और चयकर्ताओं के उन पर विश्‍वास की वजह से वह इंडिया ए के लिए खेले और आज उनका क़द कहां है हम सभी जानते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के विकेटकीपर बल्‍लेबाज़ उपेंद्र यादव की है।
एक ऐसा बल्‍लेबाज़ जिसने हमेशा अपने प्रदेश (यूपी) के लिए ख़ुद को साबित किया लेकिन जब मौके़ नहीं मिले तो रेलवे की नौकरी में उनके लिए सीनियर क्रिकेट खेलने पर मजबूर हुए। यादव पिछले साल साउथ अफ़्रीका दौरे पर इंडिया ए के लिए पदार्पण कर चुके हैं और अब बेंगलुरु में न्‍यूज़ीलैंड ए के ख़िलाफ़ होने वाली सीरीज़ के लिए चुने गए हैं।
2017 में रणजी ट्रॉफ़ी में पदार्पण करने से 2020 सीज़न तक यूपी के लिए खेलते हुए यादव ने 23 मैचों में 48.90 की औसत से 1027 रन बनाए, जिसमें चार शतक और दो अर्धशतक शामिल थे। उनका सर्वश्रेष्‍ठ निजी स्‍कोर 203 रन नाबाद रहा जो उन्‍होंने 2020 सीज़न में मुंबई के ख़िलाफ़ उनके घर पर बनाया। लिस्‍ट ए करियर की भी बात करें तो उनके नाम 24 मैच में 42.29 की औसत से एक शतक समेत 719 रन थे।
इतना अच्‍छा प्रदर्शन तब भी आख़िर क्‍या हुआ कि यादव को अपना प्रदेश छोड़ना पड़ा? इसके लिए फ़्लैशबैक में जाने की ज़रूरत है।
2013 में पीयूष चावला की कप्‍तानी में यादव सैयद मुश्‍ताक़ अली ट्रॉफ़ी में यूपी के लिए पदार्पण कर चुके थे, और टीम फ़ाइनल भी पहुंची। यह वह समय था जब ऋषभ पंत और इशान किशन भी विकेटकीपर बल्‍लेबाज़ के तौर पर भारत के आगामी भविष्‍य की नींव खड़ी कर रहे थे।
हर क्रिकेटर की तरह यादव का भी सपना भारत के लिए अंडर-19 विश्‍व कप खेलना और उसमें भारत को जीत दिलाने का था। वह बांग्‍लादेश में हुए अंडर-19 विश्‍व कप से पहले लगे कैंप का हिस्‍सा भी थे, लेकिन तक़दीर ने उनके सामने चुनौती रख दी थी। एक टीम में तीन विकेटकीपर भी कैसे हो सकते हैं, इसी वजह से यादव उस विश्‍व कप की टीम में जगह नहीं बना पाए।
यादव ने कहा, "अंडर-19 क्रिकेट में भी प्रदर्शन करने के बाद मैं पीछे रह गया था। अब तक मुझे यही चीज़ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्‍साहित करती रही है। हमारे हाथ में जो है हम वह कर सकते हैं, टीम में चयन हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन आज भी यह टीस तो दिल में रहती ही है कि मैं उस वक़्त टीम में जगह नहीं बना पाया था। जब चयन नहीं हो पाया था तो यही सोच थी कि उत्तर प्रदेश के लिए सीनियर क्रिकेट खेलूंगा, रणजी में प्रदर्शन करूंगा, वहीं से भारतीय टीम में जगह बनाऊंगा। अब तो यही रह गया था मेरे लिए।"
2013 और 2015 में यूपी ने यादव की कप्‍तानी में जूनियर क्रिकेट में कूच बिहार ट्राफ़ी भी अपने नाम की थी।

****

कानपुर ने भारत को कई क्रिकेटर दिए हैं। एक पुलिसकर्मी के बेटे होने के नाते यादव ने पुलिस लाइंस में ही पहली बार बल्‍ला थामा था। तब उनके पड़ोसी विवेक पांडे ने उनके खेल को देखकर उनके पिता से उन्‍हें अकादमी में भेजने की बात कही थी। तब वह साउथ कानपुर अकादमी में कोच सत्‍य नारायण के पास पहुंचे। उसके बाद उत्तर प्रदेश क्रिकेट के बेहतरीन कोचों में से एक, और पूर्व घरेलू क्रिकेट के दिग्गज, शशिकांत खांडेकर का उन्‍हें कमला क्‍लब में साथ मिला। यहीं से उन्‍होंने उनके अंडर-16, अंडर-19 और रणजी ट्रॉफ़ी में पदार्पण किया।
यूपी का एक उभरता हुआ विकेटकीपर आख़िर 2016-17 रणज़ी ट्रॉफ़ी में पहली बार चुन ही लिया गया। रेलवे के ख़िलाफ़ पदार्पण मैच में यादव केवल 0 और 1 के स्‍कोर ही कर पाए।
यादव बताते हैं, "जब पहले सीज़न में मैं कुछ मैचों में अच्‍छा नहीं कर पाया तो मुझे अंडर-23 टीम के लिए भेज दिया गया था, इसके चार मैच बाद ही मुझे दोबारा रणजी टीम में बुलाया गया और मैंने दिल्‍ली के ख़िलाफ़ 67 नाबाद, असम में 127 और 49 कर्नाटका के ख़िलाफ़ बनाए।"
आमिर ख़ान और एकलव्‍य द्विवेदी के क्रिकेट छोड़ने या टीम से बाहर होने के बाद यादव को उम्‍मीद थी कि उन्‍हें अब सीनियर टीम में लगातार मौके़ मिलेंगे। अगले साल ऐसा हुआ भी, लेकिन उसके बाद...

****

यादव ने असम के ख़िलाफ़ 138 रन जड़ दिए। अगले सीज़न 2019-20 में एक और बार यादव को मौक़ा मिला और उन्‍होंने बड़ौदा के विरुद्ध कानपुर में 100 रन और मुंबई के ख़िलाफ़ उनके घर में 203 रनों की नाबाद पारी खेल दी। वह इस सीज़न रणज़ी ट्रॉफ़ी में यूपी के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। 2018-19 में 10 मैचों में 37.66 की औसत से 339 रन, एक शतक और एक अर्धशतक। 2019-20 में आठ मैचों में 55 की औसत से दो शतक की मदद से 385 रन।
यादव ने कहा, "कोविड से पहले 2019-20 सीज़न में चयनकर्ता मेरे प्रदर्शन को देखने मैदान पर आए थे। मैंने उम्‍मीद बांध ली थी लेकिन तभी कोविड आ गया और रणजी ट्रॉफ़ी में यूपी की ओर से सबसे ज़्यादा रन बनाने के बाद भी कोविड के बाद हुई सैयद मुश्‍ताक़ अली ट्रॉफ़ी (टी20) में मुझे नहीं चुना गया। मैं हिम्‍मत नहीं हारा। ये मेरे करियर का ऐसा वक़्त था जब सभी की निगाहें मुझ पर थी, मैं आईपीएल की टीम में जगह बना सकता था, लेकिन वह साल ऐसे ही चला गया और तब मैंने विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में टीम में वापसी की। दिल्‍ली के ख़िलाफ़ क्‍वार्टर-फ़ाइनल मैच में हमने 66 रन पर चार विकेट गंवा दिए थे तब मैंने वहां पर 112 रन की पारी खेलकर टीम को 280 रनों तक पहुंचाया था। हम मुंबई के ख़िलाफ़ फ़ाइनल हार गए थे।"
उनके लिए अब रास्‍ते बदलकर अपने सपनों को सिकोड़कर जीवन जीने का वक़्त आ गया था। वो वक़्त जिसके लिए एक समय धोनी भी अपने करियर में मजबूर हुए थे, लेकिन इंडिया ए के लिए उस एक कॉल ने धोनी की ज़िंदगी को बदलकर रख दिया था।
यादव को भी आख़िरकार रेलवे में नौकरी के दबाव की वजह से यूपी का साथ छोड़ना पड़ा। रेलवे में नौकरी थी लेकिन वह संतुष्‍ट नहीं थे। हालांकि शायद चयनकर्ता अभी भी उनको देख रहे थे। उनके पिछले प्रदर्शन की वजह से यादव को 2021 में साउथ अफ़्रीका ए दौरे पर चुन लिया गया। यह यादव के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी।

****

यादव ने कहा, "2017 से ही मेरी रेलवे में जॉब लग गई थी लेकिन वह मुझे जूनियर क्रिकेट खिलाना चाहते थे। मैं उत्तर प्रदेश से सीनियर क्रिकेट खेल रहा था, इसी वजह से मना कर दिया था लेकिन जब मैंने रन बनाए तो मुझे रेलवे में जाना पड़ा। संतुष्‍ट तो मैं अभी भी नहीं हूं, लेकिन मेरे पिछले प्रदर्शन को देखकर ही चयनकर्ताओं ने मेरा नाम दिया था। मेरे इस सफ़र में बीसीसीआई के उपाध्‍यक्ष राजीव शुक्‍ला ने भी मेरी बहुत मदद की है। जब मेरा पहली बार इंडिया ए में चयन हुआ तो जब वह कानपुर आए थे तो उन्‍होंने मुझे उत्तर प्रदेश के लिए दोबारा खेलने की बात कही थी लेकिन मैं रेलवे में जॉब की वजह से मजबूर था।"
एमएस धोनी फ़िल्म की तरह ही यादव के करियर में भी इंटरवेल का समय आ गया है। उन्हें फिर एक बार इंडिया ए टीम में चुना गया है। वह न्यूज़ीलैंड ए के विरुद्ध तीन अनौपचारिक टेस्ट मैचों की सीरीज़ में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी छाप छोड़ना चाहेंगे।
क्या पता शायद उनकी क़िस्मत में भी एक यादगार क्लाइमैक्स बचा हो?

निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26