धर्मशाला में पंजाब किंग्स, दिल्ली कैपिटल्स से यह मुक़ाबला अंतिम ओवर के आग़ाज़ होने से पहले ही हार चुकी थी, लेकिन अंतिम ओवर में लियम लिविंगस्टन की आतिशबाज़ी और इशांत शर्मा की नो बॉल ने बताया कि आख़िर क्यों क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। चार गेंद में 23 रन चाहिए थे, लेकिन नो बॉल पर लगे छक्के ने पूरे मैच का पासा पलट दिया था। हालांकि पंजाब जीत और प्लेऑफ़ से दूर रह गई, आइए देखते हैं कि इस मुक़ाबले में अलग-अलग क्षेत्रों में दोनों टीमों ने कैसा प्रदर्शन किया।
पंजाब (A) - एक बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी पंजाब की टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही। पहला ओवर मेडन जाने के बाद कप्तान शिखर धवन इशांत शर्मा की गेंद पर स्लिप में कैच थमा बैठे। हालांकि इसके बाद अथर्व ताइडे और प्रभसिमरन सिंह ने पारी को संभाला लेकिन एक विशालकाय लक्ष्य के सामने दोनों की रफ़्तार धीमी थी। आवश्यक रन रेट लगातार बढ़ता जा रहा था, जिस वजह से प्रभसिमरन एक बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में आउट हो गए। इसके बाद अथर्व और लियम लिविंगस्टन ने जीवनदानों का लाभ उठाया और दोनों बल्लेबाज़ों ने पारी को गति प्रदान की। हालांकि आवश्यक रन रेट लगातार बढ़ते ही जा रहा था। ऐसे में 15वें ओवर में पंजाब ने अथर्व को रिटायर्ड आउट किया लेकिन उनकी जगह बल्लेबाज़ी करने आए जितेश शर्मा शून्य पर पवेलियन लौट गए। इसके बाद शाहरुख़ ख़ान ने एक छक्का ज़रूर लगाया लेकिन वह भी बड़ा शॉट खेलने के प्रयास में आउट हो गए। हालांकि लिविंगस्टन अभी भी क्रीज़ पर मौजूद थे लेकिन पंजाब के लिए रास्ता और कठिन होते जा रहा था। लेकिन डेथ में सैम करन और लिविंगस्टन ने आतिशबाज़ी जारी रखी और मैच अभी भी पंजाब के पाले से दूर नहीं गया था। लेकिन 19वां ओवर करने आए नॉर्खिये ने एक बार फिर मैच को पंजाब की पहुंच से दूर कर दिया। हालांकि आख़िरी ओवर की चौथी गेंद फेंके जाने से पहले स्थिति पंजाब के हाथ से नहीं निकली थी लेकिन पंजाब यह मुक़ाबला हार गया।
दिल्ली (A) - दिल्ली की सलामी जोड़ी ने बहुत अच्छी शुरुआत की। डेविड वॉर्नर और पृथ्वी शॉ के आगे पंजाब के गेंदबाज़ बेअसर नज़र आए। पहले 10 ओवर तक दोनों बल्लेबाज़ क्रीज़ पर डटे रहे और एक बड़े स्कोर की आधारशिला रखी। हालांकि वॉर्नर 11वें ओवर में धवन के हाथों मिडऑफ़ पर लपके गए लेकिन उनके बाद बल्लेबाज़ी करने आए राइली रुसो ने तेज़ शुरुआत की और दिल्ली के लिए बड़े स्कोर की आस को थोड़ा और बल मिल गया। रुसो और शॉ के बीच अर्धशतकीय साझेदारी हुई और इसके बाद दिल्ली की पारी और आगे बढ़ गई। शॉ के आउट होने के बाद भी रुसो ने अपनी रफ़्तार को बढ़ाए रखा और डेथ में फ़िल सॉल्ट ने भी रुसो का साथ देते हुए दिल्ली को 213 के स्कोर पर पहुंचा दिया।
पंजाब (C) - पावरप्ले में पंजाब के गेंदबाज़ पूरी तरह से बेअसर नज़र आए। पंजाब का कोई भी गेंदबाज़ दिल्ली की सलामी जोड़ी पर दबाव नहीं बना पाया। पहली बार नेथन एलिस ने 10वें ओवर में मौक़ा बनाया लेकिन उसे राहुल चाहर भुना नहीं पाए। हालांकि अगले ही ओवर में धवन ने सैम करन की गेंद पर वॉर्नर को चलता किया लेकिन इसके बाद बल्लेबाज़ी करने आए रुसो पर भी पंजाब के गेंदबाज़ दबाव नहीं बना पाए। पूरी पारी में एक बार भी पंजाब के गेंदबाज़ दिल्ली के किसी भी बल्लेबाज़ पर दबाव नहीं बनाए और मिडिल और डेथ ओवर्स में विपक्षी बल्लेबाज़ पंजाब पर हावी रहे। हालांकि 18वें ओवर में बराड़ ने सिर्फ़ एक बाउंड्री दी लेकिन इसके अलावा पंजाब के लिए ख़ुश होने की कोई ख़ास वजह नहीं थी।
दिल्ली (C) - बल्लेबाज़ी की तरह ही दिल्ली ने गेंदबाज़ी में अच्छी शुरुआत की। दूसरे ओवर में ही उन्हें धवन का अहम विकेट मिल गया और इसके बाद पंजाब की पारी को रफ़्तार पकड़ने नहीं दिया। हालांकि फ़ील्डरों से उन्हें पूरी पारी में वैसा सहयोग नहीं मिला जिसकी दरक़ार थी। अकेले कुलदीप लगातार दो ओवर में दो बल्लेबाज़ों को अपना शिकार बना सकते थे। लगातार मिल रहे जीवनदानों के बीच मिडिल ओवर्स में दिल्ली के गेंदबाज़ों के कंधे झुके हुए दिखाई दिए और अथर्व और लिविंगस्टन के सामने वे दबाव में आ गए। 16वां करने आए अनरिख़ नॉर्खिये ने जितेश को पवेलियन भेजकर दिल्ली की जीत की उम्मीदों को बढ़ा दिया। 18वें ओवर में मुकेश कुमार काफ़ी महंगे साबित हुए और एक बार फिर मुक़ाबला बराबरी पर आ गया। नॉर्खिये ने लिविंगस्टन का कैच ज़रूर छोड़ा था लेकिन जितेश और करन को अहम मौक़ों पर आउट कर उन्होंने ही दिल्ली की वापसी भी कराई। लेकिन अंतिम ओवर में एक बार फिर मैच का पासा पलटा और इशांत के एक नो बॉल ने मैच को बराबरी पर ला दिया।
पंजाब (B) - पावरप्ले में पंजाब के फ़ील्डरों को जिस मुस्तैदी के साथ फ़ील्डिंग करनी चाहिए थी वह वैसा कर नहीं पाए। कई बार फ़ील्डरों ने फंबल करते हुए दिल्ली के सलामी बल्लेबाज़ों को रन लेने का मौक़ा दिया। जिसके चलते गेंदबाज़ों को भी दिल्ली की सलामी जोड़ी पर दबाव बनाने में मुश्किल हुई। 10वें ओवर में चाहर ने डीप प्वाइंट की तरफ़ दौड़ते हुए वॉर्नर का कैच छोड़ दिया। हालांकि इसका अधिक नुक़सान इसलिए नहीं हुआ क्योंकि धवन ने मिडऑफ़ पर वॉर्नर का एक मुश्किल कैच लपक लिया। चाहर ने जब वॉर्नर का कैच छोड़ा था उस समय धवन भी उनके पास ही कवर पर मौजूद थे। बाउंड्री लाइन पर ताइडे ने शॉ का हाई कैच लपका जो कि आसान नहीं था। हालांकि 16वां ओवर करने आए हरप्रीत बराड़ के ओवर में दो और 17वें ओवर में एलिस की गेंदबाज़ी पर धवन ने एक रन आउट का मौक़ा गंवाया। अंतिम गेंद पर डीप स्क्वायर लेग पर रबाडा की मिसफ़ील्ड से दिल्ली के ख़ाते में तीन अतिरिक्त रन जुड़ गए।
दिल्ली (C) - पंजाब की तरह ही दिल्ली की फ़ील्डिंग भी औसत से काफ़ी ख़राब रही। दिल्ली के फ़ील्डरों ने बारंबार रन आउट के मौक़े गंवाए। इसके साथ ही कुलदीप के लगातार दो ओवर में पहले लिविंगस्टन और फिर अथर्व का कैच टपकाया। हालांकि लिविंगस्टन का अहम कैच छोड़ने वाले नॉर्खिये ने 19वें ओवर में हरप्रीत बराड़ को अपने एंड पर रन आउट ज़रूर किया। अगर पंजाब इतने रन बना पाई तो उसमें दिल्ली के फ़ील्डरों का योगदान भी गिना जाएगा। अगर कैच नहीं टपकाए गए होते तो दिल्ली एक बड़ी जीत हासिल कर सकती थी।
पंजाब (C) - टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने की पंजाब की रणनीति अच्छी थी। शुरुआत में पिच की हरियाली से तेज़ गेंदबाज़ों को उछाल और स्विंग भी प्राप्त हो रही थी लेकिन वह इसका फ़ायदा नहीं उठा पाए। शुरुआत में तेज़ गेंदबाज़ लगातार छोटी गेंद करते रहे जिस वजह से दोनों सलामी बल्लेबाज़ों ने बड़े शॉट्स खेलकर गेंद को पुराना किया और जल्द ही गेंद से स्विंग प्राप्त होना बंद हो गई। धवन चाहते तो अर्शदीप सिंह को पहले भी गेंद दे सकते थे। 18वें ओवर में बराड़ को गेंद थमाने का धवन का गैंबल सही तो साबित हो गया लेकिन अर्शदीप और रबाडा जैसे विकल्प मौजूद होने के बाद भी बराड़ से अंतिम ओवर कराने का फ़ैसला पंजाब पर भारी पड़ गया। बल्लेबाज़ी में इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर प्रभसिमरन सिंह को शामिल करना एक अच्छी रणनीति थी लेकिन प्रभसिमरन दिल्ली के ख़िलाफ़ पिछले मैच में खेली अपनी पारी को दोहरा नहीं पाए। बल्लेबाज़ी में अथर्व को रिटायर्ड आउट करना एक अच्छा फ़ैसला था लेकिन जितेश और शाहरुख़ इस फ़ैसले को भुना नहीं पाए।
दिल्ली (B) - शॉ को अपने साथ पारी की शुरुआत के लिए ले जाना कप्तान वॉर्नर और दिल्ली के लिए फ़ायदेमंद सिद्ध हुआ। आक्रामक बल्लेबाज़ी की रणनीति दिल्ली के लिए क़ाम आई। वॉर्नर जब आउट हुए तब रुसो को उनके ठीक बाद बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया और उन्होंने भी तेज़ शुरुआत की जिसके बाद दिल्ली के लिए बड़ा स्कोर खड़ा करने का रास्ता आसान हो गया। लिविंगस्टन के सामने कुलदीप और अक्षर को लाना एक अच्छी रणनीति थी लेकिन जीवनदान के मिलने के बाद लिविंगस्टन दिल्ली की बस से बाहर चले गए।