कुलदीप यादव और
युज़वेंद्र चहल सालों तक एक साथ खेलते दिखे हैं। कुलदीप के जून 2017 में वनडे डेब्यू के बाद से 2019 विश्व कप तक भारत ने 63 वनडे खेले हैं जिसमें दोनों में से कोई एक प्लेयिंग इलेवन में रहा, 34 मैच में दोनों खेले और ऐसा एक भी मैच नहीं था जब दोनों प्लेयिंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे।
ओल्ड टैफ़र्ड में सेमीफ़ाइनल में मिली हार के बाद भारत अपने कलाई के स्पिनरों को एक साथ खिलाने में सतर्कता बरतता दिखा। 51 वनडे में भारत ने कुलदीप या चहल को खिलाया, वहीं केवल तीन ही बार ये दोनों एक साथ खेले और केवल चार ही बार ये दोनों प्लेयिंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे।
यह बहुत चुनौतीपूर्ण स्थिति थी लेकिन कुलदीप के मुताबिक इससे उन्हें कुछ सहना नहीं पड़ा।
वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ पहले वनडे में छह रन देकर चार विकेट लेने के बाद कुलदीप ने कहा, "हम काफ़ी संतुष्ट हैं। हम जानते हैं कि यह संयोजन काफ़ी मायने रखता है। कई बार वह खेलता है और कई बार मै खेलता हूं और हमारी समझ काफ़ी अच्छी है।"
"जब मैं खेलता हूं तो वह मेरी मदद करता है और वह बताता है कि मैं क्या कर सकता हूं। जब वह खेलता है तो यही मैं करता हूं, जिससे कि वह टीम के लिए अच्छा कर सके। हो सकता है कि इसी वजह से कुल-चा की साझेदारी ने सालों से बहुत अच्छा किया है। हम एक दूसरे का समर्थन करते हैं।"
कुलदीप का तीनों ही प्रारूपों में काफ़ी अच्छा रिकॉर्ड है लेकिन भारत के पास स्पिन महकमे में इतनी गहराई है कि उनके डेब्यू करने के बाद 302 मैंचों में से उन्हें 184 में बाहर बैठना पड़ा। उन्होंने कहा कि वह परिस्थिति को समझते हैं और इससे सामंजस्य बैठाने के आदी हो चुके हैं।
उन्होंने कहा, "आपको कई बार परिस्थिति या संयोजन की वजह से बाहर बैठना पड़ता है। यह आम बात है। मैं काफ़ी लंबे समय से क्रिकेट खेल रहा हूं। मेरे को डेब्यू किए छह या साढ़े छह साल हो गए हैं और कई चीज़ आम हो चुकी हैं।"
"मैं उस पर ज़्यादा ध्यान देता हूं कि मुझे क्या करने की ज़रूरत है और इस पर कि जब भी मुझे मौक़ा मिले तो मैं अपनी गेंदबाज़ी में क्या कर सकता हूं। जब मैं नहीं खेलता हूं तो मुझे दिक्कत नहीं होती है, क्योंकि मेरे पर मैदान पर प्रदर्शन का दबाव नहीं है। आप भारत के लिए खेल रहे हो, आपको कई लोग देख रहे हैं, आपको फ़ॉलो कर रहे हैं, तो आप आपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हो।"