2022 के मध्य में
देवदत्त पड़िक्कल को अहसास हुआ कि उनका वज़न लगातार घट रहा है। वह अक्सर बीमार पड़ रहे थे और उन्हें यह अहसास हो रहा था कि उनके भीतर उर्जा उतनी नहीं बची है कि वह पूरा सीज़न खेल सकें। उन्होंने शुरू में इसे नज़रअंदाज़ किया लेकिन जब वह घरेलू सीज़न से पहले उन्होंने अपना टेस्ट कराया तब उन्हें पता चला कि बीतते समय के साथ उन्हें आंतों में गंभीर समस्या हो गई है।
उस वर्ष सितंबर से लेकर दिसंबर तक पड़िक्कल लगातार अस्पताल के चक्कर काटते रहे। विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी से उन्हें बाहर होना पड़ा और रणजी ट्रॉफ़ी में भी वह सिर्फ़ पांच मैच ही खेल पाए, जहां उन्होंने 37.14 की औसत से 260 रन बनाए। आईपीएल 2023 के क़रीब उनके पास अभ्यास करने के लिए पर्याप्त समय नहीं बचा था। वहां भी वह कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पाए और उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के लिए 11 पारियों में सिर्फ़ 261 रन ही बनाए।
अब इन कड़वी यादों को बीते हुए काफ़ी समय बीत चुका है। साउथ अफ़्रीका दौरे पर इंडिया ए का हिस्सा होने के बाद अब 2023-24 रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न की शुरुआत से पहले पड़िक्कल तैयार हैं। उन्होंने 2023 के सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में मिलाजुला प्रदर्शन किया लेकिन विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में उन्होंने 465 रन बनाए और कर्नाटका के टॉप रन स्कोरर भी रहे। अब वह रेड बॉल सीज़न में भी इस फ़ॉर्म को क़ायम रखना चाहते हैं।
बेंगलुरु स्थित एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में लंबे नेट अभ्यास के बाद पड़िक्कल ने ESPNcricinfo से कहा, "जब आप सफ़ेद गेंद क्रिकेट से लाल गेंद क्रिकेट की ओर जा रहे होते हैं तब उतना ब्रेक नहीं मिल पाता। ऐसे में यह ज़रूरी है कि हम ज़्यादा से ज़्यादा गेंदें खेलकर अभ्यास करें और इसी तरह मैंने गेंदों की संख्या के लिहाज़ से अपना वॉल्यूम बढ़ाने का प्रयास किया है।"
"साउथ अफ़्रीका का दौरा मेरे लिए अच्छा अनुभव रहा। मुझे सीनियर्स के साथ अभ्यास करने का अवसर मौक़ा मिला। उनके आस-पास मौजूद रहना और उस स्तर की गेंदबाज़ी खेलना आपको रणजी सीज़न के लिए आपको अच्छे से तैयार करता है। मैंने इसे अपने लिए एक अच्छे अवसर के तौर पर देखा।"
पहले की तुलना में पड़िक्कल अपने रोल को लेकर काफ़ी स्पष्ट हैं। एक सलामी बल्लेबाज़ से वह अब ख़ुद को किसी भी स्थिति में ढालने के लिए तैयार कर रहे हैं।
पड़िक्कल ने कहा, "मैं अपने आप को बस अब एक सिर्फ़ ओपनर के तौर पर नहीं देख रहा। मुझे जो अवसर मिल रहे हैं, मैं उनका आनंद उठा रहा हूं। हर स्थान पर बल्लेबाज़ी करना आपको अलग तरह की चुनौती देता है। मैं नई चीज़ें सीखने का प्रयास कर रहा हूं।"
राजस्थान रॉयल्स से लखनऊ सुपर जायंट्स को ट्रेड किए जाने के संबंध में उन्होंने कहा, "हर किसी को लग रहा था कि कुछ तो है जो काम नहीं कर रहा है। ऐसी बात नहीं है कि फ्रैंचाइज़ी मुझे जाने देना चाहती थी। उन्हें यह लगा कि वह मेरे अंदर से मेरा सर्वश्रेष्ठ नहीं निकाल पा रहे हैं। इसमें मेरी भी ग़लती है। मैं फ्रैंचाइज़ी को इसका दोष नहीं दे रहा। मैं ज़ाहिर तौर पर अपनी ही उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया।"
2019-20 सीज़न में पड़िक्कल को ओपनिंग करने का अवसर मिलने की प्रमुख वजह यह थी कि मयंक अग्रवाल उस समय नेशनल ड्यूटी पर थे। लेकिन मयंक के कर्नाटका में वापस लौटने पर ओपनिंग और कप्तानी भी मिली। आर समर्थ के बतौर ओपनर दूसरी पसंद होने के चलते पड़िक्कल को मध्य क्रम में जाना पड़ा।
राजस्थान के साथ भी यशस्वी जायसवाल और जॉस बटलर की मौजूदगी में पड़िक्कल को मध्य क्रम में ही खेलना पड़ा। आईपीएल ऑक्शन से ठीक पहले उन्हें लखनऊ के साथ ट्रेड कर दिया गया। पड़िक्कल राजस्थान के साथ अपने समय को ऐसे अवसर के तौर पर याद करते हैं जिसने उन्हें काफ़ी नज़रिया दिया।
पड़िक्कल ने कहा, "यह चुनौतीपूर्ण था। मुझे यह स्वीकारने में समय लगा कि यह एक अलग रोल रहने वाला है। ऐसा नहीं हो सकता कि आप इससे अपने हाथ पीछे कर लें। आपको एक पेशेवर की तरह हर तरह का रोल अपनाने के लिए तैयार रहना होगा।"
23 वर्षीय पड़िक्कल के पास इस बात की समझ है कि एक क्रिकेटर के तौर पर विकसित होने की कितनी ज़रूरत है। उतार चढ़ाव के अनुभव से ही मानसिक स्थिति मज़बूत होती है।
उन्होंने कहा, "यह आईपीएल में पेशेवरों के साथ संवाद और उनसे सीखने से आता है। आईपीएल में हर साल मुझे नए अनुभव हुए हैं। इस मंच पर खेलना अपने आप में एक बड़ी बात है और मैं हर साल कुछ नया सीखने का प्रयास करता हूं।"
2021 में भारत की टेस्ट टीम के इंग्लैंड में होने के चलते पड़िक्कल को भारत के लिए श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेलने का मौक़ा मिला। वह एक बार फिर जल्द ही भारत की कैप हासिल करना चाहते हैं। जबकि रणजी सीज़न और उसके प्रारूप को लेकर उनका कहना है कि यह एक ऐसा अनुभव होता है जिसे ख़रीदा नहीं जा सकता।
पड़िक्कल रणजी से जुड़ी अपनी यादों को साझा करते हुए कहते हैं, "राजकोट में सौराष्ट्र के ख़िलाफ़ हमने दो दिन तक क्षेत्ररक्षण किया था। मैं पहली पारी में पहली ही गेंद पर आउट हो गया था। हमें फ़ॉलो ऑन दिया गया और मैं बीमार पड़ चुका था। मेरे शरीर तप रहा था लेकिन मैंने 133 गेंदें खेलते हुए अर्धशतक बनाया और हमने वह मैच बचा लिया। इसके बाद उसी सीज़न में बंगाल के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में मैंने एक हरी पिच पर अर्धशतक लगाया था। हम भले ही वह मैच हार गए लेकिन मेरे लिए यह पारी काफ़ी ख़ास थी।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं