दो महीने, दो बड़े फ़ाइनल।
यशस्वी जायसवाल, राजस्थान रॉयल्स के साथ पिछले महीने आईपीएल जीतने से चूक गए थे, लेकिन उम्मीद है कि वह इस महीने मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफ़ी ज़रूर जीत लेंगे।
तीन लगातार शतक लगाने के बाद उनके पास चौथा शतक लगाने का बेहतरीन मौक़ा था, जिससे वह मुंबई की एलीट सूची में विजय मर्चंट और सचिन तेंदुलकर के साथ जगह बना लेते। लेकिन करीब दो सत्र चुनौती देने के बाद वह मध्य प्रदेश के ख़िलाफ़ 21 रनों से शतक से चूक गए। वह एक ख़राब गेंद पर स्क्वेयर कट लगाना चाहते थे और गली क्षेत्र में आउट हो गए।
जायसवाल के लिए हालिया फ़ॉर्म में सुधार विशेष रूप से संतोषजनक रहा है क्योंकि उन्हें आईपीएल से पहले रणजी के लीग चरण के लिए टीम से बाहर कर दिया गया था। उनकी जगह आकर्षित गोमेल को मौक़ा दिया गया था लेकिन वह भी 8, 21 और 15 का ही स्कोर कर पाए।
नॉकआउट में आते हुए उनके लिए अलग हुआ। एक तो वह आईपीएल की बेहतरीन फ़ॉर्म लेकर आए और दूसरा टीम में उनकी वापसी से उन्हें आत्मविश्वास मिला, जिससे रनों का आना रुका नहीं। पिछले तीन सप्ताह में उन्होंने 35, 103, 100, 181 और 79 का स्कोर किया।
बुधवार को यह जायसवाल का संयम था, जिसने अहम भूमिका निभाई। शुरुआत में उन्होंने स्पिनरों पर आक्रमण किया, ख़ास तौर से
कुमार कार्तिकेय पर। लेकिन पेस के ख़िलाफ़ वह संभलकर खेले, उन्होंने अच्छी गेंदों को जाने दिया, जिससे गेंदबाज़ों को ओवरकास्ट परिस्थितियों में मदद नहीं मिल सकी।
मध्य प्रदेश के दोनों तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ वह संभलकर खेले थे लेकिन अंत में वह आउट हो गए। वह उस गेंद पर बीट नहीं होना चाहते थे।
उन्होंने कहा, "हां मैं थोड़ा निराश हूं, लेकिन यह क्रिकेट है। कई बार यह सही जाता है और कई बार नहीं। मैं विकेट पर ज़्यादा से ज़्यादा देर तक रुकना चाहता था और टीम के मुताबिक़ खेलना चाहता था। मैं जानता था कि जितना लंबा मैं बल्लेबाज़ी करूंगा, उतना टीम को फ़ायदा होगा।"
जायसवाल को दबाव पसंद है। वह इसमें ढलने को सीख रहे हैं। आईपीएल में वह शुरुआत में तीन मैच खेलने के बाद बाहर हो गए और इसके बाद वापसी करते हुए राजस्थान के शीर्ष क्रम को मज़बूत बनाया। जॉस बटलर के साथ बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने आख़िरी सात मैचों में 33.28 की औसत और 137.05 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। नॉकआउट में पहुंचते ही इन्हीं रनों ने उन्हें आत्मविश्वास दिया।
उन्होंने कहा, "फ़ाइनल अलग है। यहां मानसिकता अलग है। लोग आपको कई बातें बताते हैं। वे चाहते हैं कि आप अच्छा करें लेकिन वे आप पर दबाव बनाते हैं। मैं इस दबाव को लेकर ख़ुश हूं। मैं इसका लुत्फ़ ले रहा हूं और जब मैं दबाव में अच्छा करता हूं, तो गर्व महसूस करता हूं। मैं उस सोच के साथ जाता हूं जिसकी उस वक़्त ज़रूरत होती है। मुझे ख़ुद पर पूरा विश्वास है और मुझे विश्वास है कि मैं ऐसा कर सकता हूं।"
जायसवाल की एक पहचान गेंदों के बीच के शोर को बंद करने की उनकी क्षमता है। वह उनमें से नहीं है जो सोच से हार मान जाएं। वह चहकने का जवाब नहीं देते, बल्कि पूरी तरह से अपने स्वभाव पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हेलमेट को सही पोज़िशन में लाना, ग्लव्स की चिप्पी को टाइट करना, कंधे को थपथपाना और तैयार होने से पहले बल्ले को कुछ बार टैप करना। और जैसे ही वह गेंद खेल लेते हैं, वह गेंदबाज़ को अपनी पीठ दिखा रहे होते हैं, जिससे शब्दों की अदलाबदली की कोई संभावना नहीं रहती।
मध्य प्रदेश ने दिन में बहुत जल्दी खेल कौशल में अपना हाथ आज़माया, पहले उन्होंने गेंद को अनुभव अग्रवाल को सौंप दिया, यह सुझाव देने के लिए कि वे एक तेज़ गेंदबाज़ के साथ शुरुआत कर रहे थे। जायसवाल जानते थे कि क्या आ रहा है और उन्होंने अपने इरादे बहुत स्पष्ट कर दिए। उन्हें विरोधियों से एक क़दम आगे रहना था। उनकी पहली बाउंड्री कार्तिकेय की गेंद पर छह रन के लिए थी।
उन्होंने कहा, "वे चतुराई दिखाना चाहते थे, कीपर पीछे चला गया [यह दिखाने के लिए कि वे तेज़ गेंदबाज़ के साथ जा रहे हैं], लेकिन हम जानते थे कि बाएं हाथ का स्पिनर शुरुआत करेगा और हम तैयार थे। यह साधारण है। हम जानते हैं कि कोई भी गेंद करने आए, हमें गेंद को देखने की ज़रूरत है। शुरुआत में मुझे लगा था कि इस विकेट पर स्पिनरों को मारना आसान है, लेकिन तेज़ गेंदबाज़ों को नहीं। मैं रन बनाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि मैं जानता था कि मैं स्पिनरों पर मार सकता हूं लेकिन तेज़ गेंदबाज़ों पर ऐसा करना आसान नहीं। मैं यही सोच रहा था।"
"मैं जानता था कि जब भी हम रन बनाएंगे, वे ऑफ़ स्टंप से बहुत बाहर गेंद करने का प्रयास करेंगे, जिससे रनों पर लगाम लग सके। मैं अपने आउट होने से चिंतित नहीं हूं। गेंद नहीं घूम रही थी और यह इतना आसान शॉट नहीं था, मैंने बस खेल दिया और लाइन को पूरी तरह से कवर नहीं कर पाया।"
जायसवाल की फ़ॉर्म को देखते हुए लगता है कि उन्हें इंडिया ए का बुलावा जल्द आने वाली है। जायसवाल हालांकि इतनी दूर की नहीं सोचते हैं। इस समय यहां पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "मैं भविष्य के बारे में इतना नहीं सोचता हूं। मेरा फ़ोकस प्रक्रिया पर है। मैं रोज़ ज़िंदगी में क्या करता हूं यह ज़रूरी है।"
"मैं ट्रेनिंग पर कड़ी मेहनत करता हूं, अपने शरीर पर काम करता हूं। पांच दिन का मैच खेलना इतना आसान नहीं है और इसके बाद दो दिन के गैप के बाद दोबारा से पांच दिन का मैच खेलना। आपको सही रहने की ज़रूरत है। सही से खाना खाने और सोने की ज़रूरत है। मैं बस इसी पर फ़ोकस रखता हूं।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।