रणजी ट्रॉफ़ी 2022-23 अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचने जा रही है। शुक्रवार को क्वार्टर-फ़ाइनल में पहुंचने वाली टीमों की पुष्टि हुई।
गतविजेता मध्य प्रदेश के पास लगातार दूसरा ख़िताब जीतने का मौक़ा होगा जबकि पिछले सीज़न की उपविजेता मुंबई नाटकीय परिस्थितियों में प्रतियोगिता से बाहर हो गई है। दो साल पहले फ़ाइनल में हारने वाली बंगाल और 2014-15 से अपनी पहली ट्रॉफ़ी की तलाश कर रही कर्नाटका भी प्रबल दावेदार बनकर उभरी है।
पंजाब ट्रॉफ़ी के लिए अपना हाथ खड़ा करेगी जबकि आंध्रा को बेहतरीन क्रिकेट के साथ-साथ भाग्य का बड़ा साथ मिला है। इसके अलावा झारखंड, उत्तराखंड और सौराष्ट्र ने अंतिम आठ में जगह बनाई है। हालांकि सौराष्ट्र के तीन बड़े खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा, जयदेव उनादकट और रवींद्र जाडेजा भारतीय टेस्ट टीम में हैं और 2 फ़रवरी से नागपुर में टेस्ट टीम के अभ्यास कैंप का हिस्सा होंगे।
भाग्य ने दिया आंध्रा का साथ
गुरुवार की दोपहर
असम के विरुद्ध बोनस अंक अर्जित करने के बाद भी रणजी ट्रॉफ़ी क्वार्टर-फ़ाइनल से बाहर होने पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए आंध्रा के कप्तान
हनुमा विहारी ने ट्विटर पर लिखा था, "सात में से चार जीत दर्ज करने के बाद भी हम नॉकआउट से बाहर होने पर निराश हैं। हम अगले साल मज़बूत वापसी करेंगे।"
आंध्रा ने बोनस अंक लेकर अपना काम कर दिया था लेकिन उसे आवश्यकता थी कि
मुंबई-महाराष्ट्र के बीच मैच ड्रॉ पर समाप्त हो। साथ ही अगर कोई टीम पहली पारी में बढ़त ले जाती तो आंध्रा का सफ़र समाप्त हो जाता। हालांकि शुक्रवार की शाम को ठीक ऐसा ही हुआ।
महाराष्ट्र 58 के स्कोर पर पांच विकेट गंवा चुकी थी जिसके बाद अज़ीम काज़ी (75) और सौरभ नावल (47) की जोड़ी ने महत्वपूर्ण रन बनाकर महाराष्ट्र को 252 के स्कोर तक पहुंचाया। इसका अर्थ यह था कि मुंबई को मैच जीतने के लिए 28 ओवरों में 253 रन बनाने थे। मुंबई ने आक्रामक बल्लेबाज़ी की लेकिन समय उनके हाथ से फिसल गया। जब खेल समाप्त हुआ तब मुंबई ने छह विकेट पर 195 रन बना लिए थे।
दोनों टीमें सोच रही होंगी कि अगर थोड़ा और प्रयास करते तो कहानी कुछ और हो सकती थी। इन सबके बीच मज़ेदार बात यह रही कि पहली पारी में दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहना आंध्रा के लिए एक चमत्कार साबित हुआ।
रणजी ट्रॉफ़ी के पिछले 87 सीज़नों में केवल नौ मौक़ों पर पहली पारी के बाद दोनों टीमों के स्कोर बराबर हुए हैं। जब महाराष्ट्र के 384 के स्कोर का पीछा कर रही मुंबई छह विकेट पर 238 बनाकर खेल रही थी, आंध्रा की उम्मीदें कम होती जा रही थी। बढ़त लेने पर महाराष्ट्र के 28 अंक हो जाते, जो एलीट ग्रुप बी से क्वार्टर-फ़ाइनल में जाने वाली दूसरी टीम बनने के लिए काफ़ी होते।
लेकिन मैच में ट्विस्ट बाक़ी था।
अगर हार्दिक तामोरे चोटिल नहीं होते तो शायद 27 वर्षीय
प्रसाद पवार को मैच खेलने का मौक़ा नहीं मिलता। पूर्व कप्तान आदित्य तरे के उत्तराखंड की ओर से खेलने जाने के कारण टीम में रिज़र्व विकेटकीपर की जगह बन गई थी। इस मैच में पवार रिज़र्व नहीं बल्कि एकादश का हिस्सा थे और मुंबई को पहली पारी की बढ़त दिलाने के लिए उन्हें दिलेरी के साथ बल्लेबाज़ी करने की आवश्यकता थी।
अपनी पहली दो पारियों में पवार ने कुछ ख़ास नहीं किया था। उन्हें ब्रेबॉर्न स्टेडियम की कठिन पिच पर महाराष्ट्र के विरुद्ध तीसरे नंबर पर भेजा गया। उन्होंने अपनी आंखों के सामने पूरे मध्य क्रम को बिखरते हुए देखा। उन्हें अब निचले क्रम के साथ मिलकर मैच को बचाना था और उन्होंने बहुत ख़ूब काम किया। महाराष्ट्र के गेंदबाज़ों से बचते हुए उन्होंने अपने तीसरे ही मैच में प्रथम श्रेणी करियर का पहला शतक जड़ा।
तनुष कोटियन के रूप में उन्हें एक सही जोड़ीदार मिला। तनुष दाएं हाथ में छह टांकों के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे, जिससे बल्ला पकड़ना भी आसान नहीं था। इस जोड़ी ने 68 रन जोड़ते हुए मुंबई को महाराष्ट्र के स्कोर के 78 रन पास पहुंचाया। हालांकि 306 के स्कोर पर पवार 145 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद तनुष ने तुषार देशपांडे और मोहित अवस्थी के साथ मिलकर मुंबई को और क़रीब पहुंचाया।
जब अवस्थी आउट हुए तब मुंबई को स्कोर बराबर करने के लिए अंतिम विकेट पर 12 तथा बढ़त लेने के लिए 13 रन बनाने थे। बढ़त लेने पर मुंबई के अंतिम आठ में जाने का मौक़ा बन सकता था, लेकिन जब स्कोर बराबर हुए तब तनुष ने बाएं हाथ के स्पिनर विकी ओस्तवाल के विरुद्ध बड़ी स्वीप लगाने के प्रयास किया। वह गेंद को खेलने से चूके और बोल्ड हो गए। मुंबई और महाराष्ट्र का स्कोर बराबर रहा।
कुछ मिनट बाद विहारी की निराशा भरी ट्वीट गायब हो चुकी थी। शायद वह जानते थे कि चार सेशन में मुंबई और महाराष्ट्र के पास मैच को जीतने का पर्याप्त समय नहीं बचा था।
बसंत मोहनती ने कहा अलविदा
अपने अंतिम प्रथम श्रेणी मैच की शुरुआत से पहले ओडिशा के वरिष्ठ खिलाड़ी
बसंत मोहनती केवल एक इच्छा की पूर्ती करना चाहते थे: बंगाल के
मनोज तिवारी को आउट करना। लगभग 15 साल पहले सिलीगुड़ी में मोहनती ने तिवारी के रूप में अपना पहला प्रथम श्रेणी विकेट लिया था। ईडन गार्डंस पर मोहनती ने दूसरी पारी में तिवारी को आउट किया।
ओडिशा ने एक पारी से मैच को जीतकर इस सीज़न की अपनी पहली जीत दर्ज की। 105 मैचों में 20.97 की औसत से 403 विकेटों के साथ मोहनती ने अपने प्रथम श्रेणी करियर को अलविदा कहा।
हैदराबाद और नागालैंड अगले साल प्लेट ग्रुप में
प्रशासनिक उथल-पुथल, संघ के भीतर कलह की बातें और चयन में असंगति के बीच, हैदराबाद ने एक बुरे सपने की तरह चल रहे सीज़न का अंत किया, जिसने उन्हें अगले सत्र के लिए प्लेट ग्रुप में भेज दिया। सात मैचों में छह हार और केवल एक अंक के साथ हैदराबाद एलीट ग्रुप बी के अंतिम स्थान पर रही। हैदराबाद के अलावा प्लेट ग्रुप में जाने वाली दूसरी टीम नागालैंड और चंडीगढ़ ने पूरे सीज़न में एक भी मैच नहीं जीता। चंडीगढ़ ने अधिक अंक अर्जित करते हुए एलीट ग्रुप में अपना स्थान बरक़रार रखा।
वहीं प्लेट प्रतियोगिता का फ़ाइनल खेल रही
बिहार और मणिपुर की टीमों ने अगले सीज़न के लिए एलीट ग्रुप में स्थान अर्जित किया है। मणिपुर पर पहली पारी में 195 रनों की विशाल बढ़त लेने के बाद बिहार प्लेट चैंपियन बनने की ओर अग्रसर है।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।