दर्शक रोहित शर्मा और यशस्वी जायसवाल को देखने आए थे। लेकिन अंत में वे
शार्दुल ठाकुर के लिए तालियां बजा रहे थे। मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित शरद पवार अकादमी में क़रीब 200 दर्शक जुटे थे। लेकिन गुरुवार सुबह जायसवाल और रोहित (जो लगभग एक दशक बाद अपना पहला रणजी ट्रॉफ़ी मैच खेल रहे थे)
जल्दी आउट हो गए और तब तक सिर्फ़ आधे ही दर्शक मैदान पर आए थे।
घरेलू टीम को नॉकआउट चरण में जगह बनाने के लिए अपने बचे हुए दो लीग मैचों में कम से कम एक मैच में जीत की ज़रूरत थी, लेकिन पहले दिन की सुबह डेढ़ घंटे के भीतर जम्मू और कश्मीर के
ख़िलाफ़ उनका स्कोर 47/7 हो चुका था।
इसके बाद शार्दुल ने आठवें नंबर पर 57 गेंदों में 51 रन बनाए। साथ ही नौवें विकेट के लिए तनुश कोटियान के साथ 63 रनों की साझेदारी की, जिसने मुश्किल परिस्थितियों में मुंबई को 100 रनों के पार पहुंचाया।
जम्मू और कश्मीर के तेज़ गेंदबाज़ उमर नज़ीर मीर और युधवीर सिंह ने गेंद को ख़तरनाक तरीके से स्विंग कराया। साथ ही सही लाइन और लेंथ पर गेंदबाज़ी की, जिससे ठाकुर के बल्ले के दोनों किनारों को चुनौती मिली।
ठाकुर ने लगातार दो पगबाधा की अपीलों से बचकर बल्लेबाज़ी जारी रखी, लेकिन जब भी गेंदबाज़ों ने थोड़ी सी ज़्यादा चौड़ाई दी, उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया।
ठाकुर इस तरह की चुनौतियों से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भी जूझ चुके हैं। टेस्ट क्रिकेट में उनकी चार में से तीन अर्धशतक तब आए जब भारत मुश्किल में था। उनमें से एक भारत की तरफ़ से दूसरा सबसे तेज़ अर्धशतक भी था।
ठाकुर ने युधवीर की गेंद को मिडविकेट के ऊपर से पुल करके 49 रन तक पहुंचे और फिर डीप पॉइंट पर शॉट खेलकर 51 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया। छोटा सा दर्शक समूह शार्दुल की इस बल्लेबाज़ी से बेहद उत्साहित था। पास के ऑफ़िसों के कई कर्मचारी रेलिंग के पास खड़े होकर अपनी लंच ब्रेक का भरपूर आनंद ले रहे थे।
ठाकुर आख़िरकार लांग ऑन पर कैच आउट हो गए और मुंबई 120 रन पर ऑल आउट हो गया ।
शार्दुल ने दिन का खेल ख़त्म होने के बाद कहा, "मुझे मुश्किल परिस्थितियों में बल्लेबाज़ी करना पसंद है। आसान परिस्थितियों में तो हर कोई अच्छा प्रदर्शन करता है, लेकिन कठिन हालात में जो प्रदर्शन आप करते हैं, वही मायने रखता है। मैं मुश्किल हालात को चुनौती के रूप में देखता हूं और हमेशा सोचता हूं कि उस चुनौती को कैसे पार करना है।"
ठाकुर ने अच्छी बल्लेबाज़ी प्रदर्शन के बाद गेंदबाज़ी में भी अपना हुनर दिखाया। उन्होंने नई गेंद संभाली और पहले ओवर में शुभम खजूरिया के ख़िलाफ़ पगबाधा की एक क़रीबी अपील की, जिसे अंपायर ने नकार दिया। अपने दूसरे ओवर में उन्होंने खजूरिया को दूसरी स्लिप में लगभग कैच आउट करा दिया था। लेकिन श्रेयस अय्यर दाईं ओर डाइव लगाकर कैच पकड़ने में नाकाम रहे। उन्होंने बाद में अब्दुल समद को कैच आउट कराया, जो काफ़ी महत्वपूर्ण विकेट था।
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफ़ी (20 ओवर) में ठाकुर मुंबई के सबसे महंगे गेंदबाज़ थे (साथ ही उनके सबसे अधिक विकेट लेने वाले भी), और 50 ओवर की विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में भी उनकी इकॉनमी छह रन प्रति ओवर से अधिक रही। इन सबके पहले नवंबर में हुए आईपीएल नीलामी में ठाकुर को कोई खरीदार नहीं मिला, और वह 2025 सीज़न का हिस्सा नहीं होंगे।
ठाकुर ने इन घटनाओं के बारे में कहा, "जो भी अतीत में हुआ है, उसे भूलना ज़रूरी है; उसे बदला नहीं जा सकता। मौजूदा समय में रहना और यह सोचना महत्वपूर्ण है कि निकट भविष्य में आप क्या कर सकते हैं। अगर आप घरेलू T20 या वनडे टूर्नामेंट देखें, तो अधिकतर मैच वही टीम जीतती थी जिसने टॉस जीता। मैच सुबह 9 बजे शुरू होते थे, और शुरुआती 20 ओवरों में तेज़ गेंदबाजों को काफ़ी मदद मिलती थी। हम कर्नाटक और पंजाब जैसी दो अच्छी टीमों के ख़िलाफ़ टॉस हार गए, और लंच के बाद पिच बिल्कुल सपाट हो गई। ये ऐसी पिचें थीं, जहां आप पहली गेंद से ही बड़े शॉट खेले जा सकते थे।
"ऐसी परिस्थितियों में गेंदबाज़ों का आकलन करना सही नहीं है। उन पिचों पर कोई भी शीर्ष गेंदबाज़ रन खाएगा; आप किसी भी बड़े गेंदबाज का नाम लें, वह मार खाएगा। पिचें ऐसी थीं, जहां आसानी से 300-350 रन बन रहे थे, और गेंदबाज़ छह से ज़्यादा रन प्रति ओवर की इकॉनमी से रन दे रहे थे। उन प्रदर्शन को दिल पर लेने की ज़रूरत नहीं है।"