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भारत बनाम पाकिस्तान की यादें : कोहली, धोनी, इरफ़ान और ढेर सारा सचिन

भारत और पाकिस्तान के हर मुक़ाबले से हमने अपने पसंदीदा यादों को फिर से ताज़ा किया

2003 विश्व कप में शोएब अख़्तर पर प्वाइंट के ऊपर से लगाया गया अपर कट भला कौन ही भूल सकता है?  •  AFP

2003 विश्व कप में शोएब अख़्तर पर प्वाइंट के ऊपर से लगाया गया अपर कट भला कौन ही भूल सकता है?  •  AFP

भारत और पाकिस्तान जब भी आमने-सामने आते हैं तो सिर्फ़ इन दो देशों के समर्थक ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया रुक कर इस महान प्रतिद्वंद्विता का मज़ा लेती है। 28 अगस्त को इन देशों का पिछले साल के टी20 विश्व कप मैच के बाद पहला मुक़ाबला होगा और ऐसे में हमने सोचा कि हम ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के सदस्यों से पूछें कि उनका इस राइवलरी की सर्वश्रेष्ठ याद कौन सी है।

बुरा ना मानो, कोहली है

पाकिस्तान के कप्तान मिस्बाह-उल-हक़ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हैं। सलामी बल्लेबाज़ मोहम्मद हफ़ीज़ और नासिर जमशेद शतक जड़ते हुए उस फ़ैसले को सही साबित कर देते हैं। रही कसर यूनुस ख़ान पूरी कर देते हैं और भारत के सामने 330 रन का विशाल लक्ष्य रखा जाता है।
मैच की पहली गेंद खेलने के बाद भारतीय पारी का पहला ओवर डालने आए 'प्रोफ़ेसर' हफ़ीज़ ने दूसरी ही गेंद पर फ़ॉर्म में चल रहे गौतम गंभीर को शून्य के स्कोर पर एलबीडब्लयू कर इस लक्ष्य को और पहाड़ सा बना दिया। अब क्रीज़ पर आए विराट कोहली। वह कोहली, जो पिछले महीने कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ में ज़बरदस्त फ़ॉर्म दिखाने के बाद एशिया कप में भी गेंदबाज़ों की धुलाई जारी रखे हुए थे। पहले उन्होंने मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के साथ मिलकर भारतीय पारी को संवारा और शतकीय साझेदारी निभाई। सईद अजमल ने सचिन को आउट कर इस 133 रन की साझेदारी को तोड़ा। यहां से भारतीय टीम के दो मौजूदा सितारे कोहली और रोहित शर्मा ने कमान संभाली। दोनों के बीच 172 रनों की साझेदारी हुई और भारत को जीत की दहलीज़ पर ला खड़ा कर दिया।
कोहली ने अपने वनडे करियर का सर्वोच्च स्कोर 183 इसी मैच में बनाया थो जो अबतक बरक़रार है। जब वह आउट हुए तो भारत को जीत के लिए 17 गेंदों में 12 रनों की ज़रूरत थी, जिसे महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना ने अंजाम तक पहुंचा दिया। कोहली-रोहित के मास्टरक्लास चेज़ ने दिखाया कि भारत का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। - कुणाल किशोर

जब चली थी इरफ़ान की कैंची

साल था 2006। लाहौर और फ़ैसलाबाद में खेले गए पहले दो टेस्ट ड्रॉ रहे और अंतिम टेस्ट कराची में खेला जाना था। मैं इस मैच के लिए काफ़ी उत्साहित था। 29 जनवरी की सुबह भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का निर्णय लिया और नई गेंद 21-वर्षीय इरफ़ान पठान को थमाई गई।
ओवर द विकेट से इरफ़ान की चौथी गेंद मिडिल स्टंप से स्विंग होकर बाहर निकली और डिफ़ेंड कर रहे सलमान बट के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर पहली स्लिप के हाथों में जा समाई। यूनुस ख़ान का स्वागत हुआ फ़ुल इनस्विंग गेंद के साथ। युनुस ग़लत लाइन खेल गए और पगबाधा हुए। इसके बाद इरफ़ान ने मोहम्मद यूसुफ़ को गुड लेंथ गेंद पर फ़्रंटफ़ुट पर बुलाया, उसे हवा में अंदर की तरफ़ लहराया और बल्ले और पैड के बीच गैप से बोल्ड करते हुए अपनी हैट्रिक पूरी की। तीनों बल्लेबाज़ों को कोई अतापता नहीं था की उनके साथ क्या हो गया। वो तीन विकेट मुझे आज भी याद है और शायद हमेशा याद रहेंगे। - अफ़्ज़ल जिवानी

जब धोनी ने बनाया एक राष्ट्रपति को अपना फ़ैन

अपने करियर के शुरुआती दिनों में एम एस धोनी अपने आक्रामक बल्लेबाज़ी, बड़े-बड़े बालों से सब को काफ़ी आकर्षित करते थे। 2006 में पाकिस्तान दौरे पर थी तीसरे वनडे मैच में पाकिस्तान ने भारत को 289 रनों का लक्ष्य दिया। इसके जवाब में शुरुआत काफ़ी ख़राब रही। उन्होंने सिर्फ़ 12 के स्कोर पर दो विकेट गंवा दिए। जैसे-जैसे पारी आगे बढ़ी यह लक्ष्य भारत के लिए मुश्किल होता चला गया।
हालांकि 190 की स्कोर पर पांचवां विकेट गंवाने के बाद युवराज सिंह और धोनी के बीच एक बेहतरीन साझेदारी हुई। 46 गेंदों में 72 रनों की पारी खेलने के लिए धोनी को इस मैच में प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब दिया गया। इस बेहतरीन साझेदारी के अलावा इस मैच में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ भी उस मैच को देखने आए थे। मैच के बाद उन्होंने धोनी से कहा, "मैंने मैदान में कई प्लैकार्ड लगे हुए देखें, जिसमें धोनी को हेयर कट की सलाह दी जा रही है, लेकिन धोनी आप मेरी राय मानों तो आपको अपने बाल नहीं कटवाने चाहिए, इसमे आप बेहद अच्छे दिखते हैं।" - राजन राज

सेंचूरियन में सचिन शतकवीर से कम थे क्या?

इस मैच में मेरे सबसे पंसदीदा क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने विश्व क्रिकेट के बेहतरीन पारी में से एक खेली थी। शोएब अख़्तर पर प्वाइंट के ऊपर से लगाया गया अपर कट भला कौन ही भूल सकता है? सईद अनवर के शानदार शतक के बाद 274 रनों का लक्ष्य और सामने वाली टीम में वसीम अकरम, वक़ार युनूस और अख़्तर जैसे गेंदबाज़ों की उपस्थिति बता रही थी कि भारत के लिए यह मैच मुश्किल होने जा रहा है। लेकिन सचिन ने अपनी आतिशी पारी से इन सभी संभावनाओं को धता बता दिया।
इसके अलावा उस मैच में मोहम्मद कैफ़, ज़हीर ख़ान, आशीष नेहरा और युवराज सिंह जैसे युवा खिलाड़ियों ने एक बार फिर से अपनी उपयोगिता साबित की थी और दिखाया था कि नैटवेस्ट ट्रॉफ़ी फ़ाइनल 2002 का प्रदर्शन कोई तुक्का नहीं था और वे अगले एक दशक तक क्रिकेट जगत पर राज करने वाले हैं। 2011 विश्व कप में इन खिलाड़ियों में से अधिकतर की उपस्थिति इस बात को साबित भी करती है। - दया सागर

सचिन की एक भावभीनी मास्टरक्लास

चेन्नई का चेपॉक मैदान तारीख़ थी 31 जनवरी 1999, सामने थे चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान। भारत को ये टेस्ट मैच जीतने के लिए लक्ष्य मिला था 271 रन का, जिसके जवाब में चौथे दिन भारत की स्थिति बेहद नाज़ुक हो गई थी और टीम इंडिया ने अपने पांच विकेट 82 रन पर गंवा दिए थे। लेकिन क्रीज़ पर 90 के दशक की सबसे बड़ी उम्मीद या भरोसे का दूसरा नाम सचिन तेंदुलकर मौजूद थे। एक छोर से विकेट गिरती जा रही थी और ज़िम्मेदारी सचिन पर बढ़ती जा रही थी, उम्मीदों का बोझ तो सचिन का कंधा उठा रहा था लेकिन उनकी पीठ में तेज़ दर्द था। बार बार सचिन दर्द से कराह रहे थे, कमर पर बेल्ट बांध कर फिर भी वह ऐसे डटे थे कि भारत को जीत की मंज़िल तक पहुंचाकर ही दम लेंगे।
मास्टर ब्लास्टर दर्द में कराहते हुए शतक बना चुके थे और टीम को जीत की दहलीज़ तक पहुंचा दिया था, भारत अब 17 रन ही दूर था और सचिन दर्द की वजह से मैच को जल्दी ख़त्म करना चाहते थे और इसी सिलसिले में उन्होंने सक़लैन मुश्ताक़ की गेंद को बाउंड्री के बाहर पहुंचाने की कोशिश की लेकिन अफ़सोस गेंद वसीम अकरम के हाथों में समा गई। इसके बाद भारत मैच ज़रूर हार गया लेकिन ये यादें हमेशा हमेशा के लिए दिल में समा गईं। - सैयद हुसैन

वह पहला पहला प्यार

मेरी व्यक्तिगत मनपसंद भारत-पकिस्तान क्रिकेट की स्मृति है 1992 विश्व कप का मैच। उन दिनों मैं 10 साल का बच्चा था और क्रिकेट में रूचि लगभग पांच-छह साल से ही रखता था लेकिन असली लत लगभग अक्तूबर 1991 में शारजाह में भारत, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज़ के त्रिकोणीय श्रृंखला को देखकर लगी थी।
ऐसे में विश्व कप और वह भी रंगीन कपड़ों में... मुझे उस मैच के कई लम्हें स्पष्ट तौर पर याद आती हैं। अजय जाडेजा के ख़िलाफ़ एक विवादस्पद कैच। सचिन तेंदुलकर और कपिल देव की स्लॉग ओवर में बल्लेबाज़ी। मनोज प्रभाकर की नई गेंद के साथ कलाकारी। सचिन का आमिर सोहैल को आउट करवाना और जावागल श्रीनाथ की ज़बरदस्त यॉर्कर पर जावेद मियांदाद का बोल्ड होना। मियांदाद और किरण मोरे के बीच के नोक-झोंक पर भी कई लेख लिखे गएं हैं। दो साल पहले ईएसपीएन के अंदरूनी क्रिकेट क्विज़ में मैंने इसी मैच को एक राउंड में अपना विषय बनाया था और क्विज़मास्टर गौरव सुंदररमन मेरे एक सही जवाब से हैरान थे। उनका सवाल था कि इस मैच में किस गेंदबाज़ ने किस बल्लेबाज़ को सर्वाधिक डॉट गेंदें डाली? मैंने इस मैच को इतने अच्छे से देखा था कि मेरा तुक्का सही बैठा - सचिन तेंदुलकर टू जावेद मियांदाद! - देबायन सेन