भारतीय टीम का मुख्य कोच बनने से पहले गंभीर अभी तक किसी टीम के कोच नहीं रहे हैं • Pankaj Nangia/Getty Images
ऐंडी फ़्लॉवर एक महत्वपूर्ण सवाल का जवाब देते हैं: क्या गौतम गंभीर एक कोच हैं? भारतीय टीम का मुख्य कोच बनने से पहले गंभीर किसी भी टीम के कोच नहीं रहे हैं। वह 2022 और 2023 में लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) जबकि 2024 में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के मेंटॉर थे।
वह कोच के मुख्य कामों अभ्यास सत्र, थ्रोडाउन देना और खिलाड़ियों को उनकी तकनीक के बारे में बताना, इन सबसे कभी भी सीधे तरीके से नहीं जुड़े हैं।
फ़्लॉवर इन पहलुओं पर तब से काम कर रहे हैं, जब से उन्होंने एक बेहद सफल कोचिंग करियर शुरू किया है। यह अब दो दशकों की एक यात्रा बन चुकी है, इस दौरान वे इंग्लैंड और कई घरेलू टी20 लीग टीमों के मुख्य कोच रह चुके हैं। वह LSG के मुख्य कोच के रूप में तत्कालीन मेंटॉर गंभीर के साथ समय बिता चुके हैं।
फ़्लॉवर कहते हैं, "गंभीर के पास एक सफल कोच बनने के लिए कई गुण हैं। वह पारंपरिक कोच नहीं हैं और ना ही उन्होंने कभी किसी टीम की कोचिंग की है। उन्हें एक कोच के बजाय एक प्रेरणादायक नेता कहना अधिक बेहतर होगा। उनके पास अपनी ताक़त, दृढ़ विश्वास और कुछ सिद्धांत हैं, जिसके कारण लोग उनका अनुसरण करते हैं।"
"टीमें इस बात पर निर्भर करती हैं कि उनके नेता में अपनी बातों पर दृढ़ रहने का साहस है या नहीं। गंभीर में निश्चित रूप से यह क़ाबिलियत है। उनके पास अपनी एक मज़बूत राय है। वह जानते हैं कि उन्हें कहां जाना है, क्या करना है। वह कठिन निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं और वह हमेशा स्पष्ट रहते हैं कि उनकी टीम को किस तरह का क्रिकेट खेलना है," फ़्लॉवर आगे बताते हैं।
भारतीय टीम के मुख्य कोच के रूप में गंभीर का कार्यकाल 2027 वनडे विश्व कप तक चलने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि उनके पास अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए तीन साल से ज़्यादा का समय है। उनकी नियुक्ति भारतीय क्रिकेट में बदलाव के दौर से मेल खाती है। अजीत आगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति युवा खिलाड़ियों को मौक़ा देने के लिए उत्सुक नज़र आ रही है, जो आने वाले समय में रोहित शर्मा, विराट कोहली, आर अश्विन, मोहम्मद शमी और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों की जगह भर सकें।
फ़्लॉवर का मानना है कि गंभीर के पास न केवल कोच के रूप में आगे बढ़ने बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए एक लाइनअप तैयार करने का भी अवसर है। वह कहते हैं, "फ्रैंचाइज़ी और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कोचिंग का सबसे बड़ा अंतर यह है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आप एक टीम विकसित कर रहे होते हैं और आपके पास दीर्घकालिक लक्ष्य होते हैं। फ्रैंचाइज़ी क्रिकेट में आपके पास इतना समय नहीं होता है। गंभीर तीनों प्रारूप के कोच होंगे और हो सकता है कि उनके पास अलग-अलग फ़ॉर्मैट में अलग-अलग कप्तान और खिलाड़ी हों, लेकिन वह टीम कल्चर और सिद्धांत तीनों टीमों में एक साथ विकसित कर सकते हैं।"
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KKR के लिए खेलने वाले ऑलराउंडरवेंकटेश अय्यर ने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि कैसे गंभीर स्पष्टता के साथ चीज़ों को रखने में संकोच नहीं करते।
अय्यर ने IPL 2024 में पंजाब किंग्स द्वारा KKR के ख़िलाफ़ 262 का लक्ष्य हासिल किए जाने के तुरंत बाद का ही घटनाक्रम याद करते हुए कहा, "हम सभी स्तब्ध थे, लेकिन उन्होंने काफ़ी स्पष्टता के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमने अपनी रणनीति के अनुसार खेल नहीं खेला और हमने अच्छी गेंदबाज़ी नहीं की। यह मीटिंग हमारे लिए काफ़ी लाभदायक सिद्ध हुई क्योंकि इसके बाद हमने अपने सभी मैच गेंदबाज़ी के दम पर ही जीते। यह एक दिन KKR के हर खिलाड़ी को अच्छी तरह से याद है क्योंकि इसी के बाद सबकुछ हमारे अनुकूल होना शुरू हो गया।"
अय्यर KKR के एक अहम खिलाड़ी हैं, उन्होंने अप्रैल की शुरुआत में खेले गए दिल्ली कैपिटल्स के मैच का उदाहरण दिया, जहां उन्होंने नंबर सात पर बल्लेबाज़ी की थी। अय्यर ने कहा कि उनके करियर में वह अब तक जितने भी मेंटॉर और कोच के सानिध्य में रहे हैं गंभीर उनमें सबसे बेहतर हैं।
"मुझे याद है, मैंने RCB के ख़िलाफ़ अर्धशतक (नंबर तीन पर) लगाया था लेकिन इसके ठीक अगले मैच में मैं DC के ख़िलाफ़ सिर्फ़ दो गेंदें ही खेल पाया। वह मेरे पास आए और इस बात पर चर्चा भी कि जब आप फ़ॉर्म में होते हैं और इसके बावजूद जब आपको बल्लेबाज़ी का मौक़ा नहीं मिलता तब कैसा महसूस होता है। एक मेंटॉर का इस तरह से बात करना काफ़ी मायने रखता है। मैंने अभ्यास मैचों में अच्छा नहीं किया था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मुझे आत्मविश्वास दिया।"
भारत और दिल्ली के पूर्व विकेटकीपर विजय दहिया गंभीर को दो दशक से भी अधिक समय से जानते हैं। दिल्ली के लिए दोनों एक दूसरे की कप्तानी में खेल चुके हैं। शुरुआत में वह KKR के सहायक कोच थे जब गंभीर टीम के कप्तान थे और बाद में वह LSG के भी दो सीज़न तक सहायक कोच रहे।
दहिया कहते हैं कि गंभीर ने IPL में कई वर्तमान भारतीय खिलाड़ियों के साथ और ख़िलाफ़ खेला है। वह मैच विजेता हैं और उन्हें नेतृत्व का अनुभव है। इसलिए उन्हें इस काम में संवाद की कोई बाधा नहीं आएगी। अलग-अलग खिलाड़ियों के साथ उनकी बातचीत खिलाड़ियों पर बहुत प्रभाव डालती है।
दहिया और फ्लावर दोनों का कहना है कि गंभीर चयन समेत कई कठिन विषयों पर बहस करने से पीछे नहीं हटेंगे। वह एक अच्छे श्रोता तो हैं, लेकिन अगर उन्हें लगता है कि उनकी सोच टीम के लिए फायदेमंद होगी तो वह पीछे नहीं हटेंगे।
फ़्लॉवर कहते हैं, "उनके पास बहुत मज़बूत राय है और वह कुछ चीज़ों के बारे में बहुत स्पष्ट हैं। लेकिन वह एक चतुर व्यक्ति भी हैं। इसीलिए मैं कहता हूं अगर आप किसी बहस में हैं तो आपको उनका मन बदलने के लिए एक बहुत अच्छा तर्क देना होगा। वह ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो अपना मन बदलने या सुनने में असमर्थ हों। वह वास्तव में सुनते हैं। हो सकता है कि उनकी ऐसी प्रतिष्ठा ना हो, लेकिन वह [सुनते हैं]।"
कप्तान और मेंटॉर के रूप में गंभीर की सफलता का एक और गुण, मैदान पर या डगआउट में उनका शांत रहना रहा है। फ़्लॉवर कहते हैं, "जब आप बोलते हैं तो श्रोताओं के बॉडी लैंग्वेज से उनकी गंभीरता का भी अंदाज़ा लगा सकते हैं। यही कारण है कि वह डगआउट में शांत रहते हैं।"
गंभीर का विराट के साथ संबंधों पर दहिया का कहना है, "दोनों, एक दूसरे पर अपनी निर्भरता को स्वीकार करेंगे। विराट बेहतर बनना चाहते हैं और गौतम अच्छी तरह समझते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में विदेशों, खासकर SENA देशों में में जीतने के लिए भारत को विराट और रोहित दोनों की ज़रूरत है।"
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पिछले कुछ सालों से भारतीय ड्रेसिंग रूम से जुड़े एक सूत्र ने कहा, "गंभीर की सबसे बड़ी चुनौती 'सुपरस्टार्स' को संभालना होगा। यह आसान काम नहीं होगा। यह फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट नहीं है और आप टीम के सर्वेसर्वा नहीं हो। इसलिए आपका दबदबा यहां काम नहीं करेगा। आपको यहां पर फ़ोन उठाना होगा, खिलाड़ियों से बात करनी होगी, जो काम द्रविड़ ज़बरदस्त तरीके से कर रहे थे। जब द्रविड़ ने भारतीय टीम के कोच पद को स्वीकार किया था, तो उन्हें भी इसमें मुश्किल आ रही थी।"
माना जा रहा है कि गंभीर ने यह काम करना शुरू भी कर दिया है। श्रीलंका दौरे पर गई भारतीय टीम के अभ्यास के पहले ही दिन गंभीर, हार्दिक पंड्या से लंबी बात करते नज़र आए। उन्होंने हार्दिक को बताया कि टीम उनसे क्या चाहती है और उन्हें यह भी बताया कि चयनकर्ता चाहते हैं कि हार्दिक हर समय क्रिकेट के लिए उपलब्ध रहें।
गंभीर की सफलता उनके सहयोगी स्टाफ़ पर विश्वास करने पर टिकी होगी। वह अभिषेक नायर और रायन टेन डेशकाटे के साथ काम करेंगे, जिनके साथ वह KKR में भी काम कर चुके हैं। अगर गंभीर थोड़े कठोर हैं तो इन दोनों को थोड़ा कोमल बनना होगा और खिलाड़ियों के साथ संबंध स्थापित करने होंगे।
फ़्लॉवर कहते हैं कि मुख्य कोच के रूप में कोई भी व्यक्ति टीम के पिता के जैसे होता है, जिनका काम अनुशासन लागू करना होता है। वहीं सहायक कोच के रूप में कोई भी व्यक्ति टीम की मां की तरह होता है, जिनका काम खिलाड़ियों के साथ नरम रहना होता है।
फ़्लॉवर के पास गंभीर के लिए एक सलाह भी है, जो द्रविड़ ने भी गंभीर से कहा था। फ़्लॉवर ने कहा, "गंभीर के पास भी मुस्कान है और वह मुस्कुराते भी हैं। मैंने ऐसा कई बार देखा है और यह उनका एक सुंदर पक्ष है। लेकिन मुझे लगता है कि दुनिया को भी गंभीर के इस पक्ष से अवगत होना चाहिए।"