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गिल का स्पष्ट संकेत: जीत चाहिए तो 20 विकेट ज़रूरी

भारतीय कप्तान ने कहा है कि पहले टेस्ट में चार तेज़ गेंदबाज़ों को मौक़ा दिया जा सकता है

ऑस्ट्रेलिया में जो रणनीति अपनाई गई थी, उससे अलग इस बार भारतीय टीम अपनी सोच को स्पष्ट रखेगी। शुभमन गिल, जो अब भारत के नए कप्तान हैं, उन्होंने हेडिंग्ले में सीरीज़ शुरू होने से पहले कहा कि वह 20 विकेट जल्दी लेने के लिए चार विशेषज्ञ तेज़ गेंदबाज़ों के साथ भी खेलने को तैयार हैं।
गिल ने एक सवाल के जवाब में कहा, "20 विकेट लिए बिना आप कोई टेस्ट मैच नहीं जीत सकते, चाहे आप कितने भी रन बना लें। हम लगातार इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि 20 विकेट कैसे लिया जाए। साथ ही यह भी संभव है कि हम सिर्फ़ ख़ालिस बल्लेबाज़ों के साथ जाएं और उसमें एक बॉलिंग ऑलराउंडर और तीन से चार प्रमुख तेज़ गेंदबाज़ या विशेषज्ञ गेंदबाज़ हों।"
ऑस्ट्रेलिया में खेली गई सीरीज़ हाल के वर्षों में भारत की टेस्ट क्रिकेट की पारंपरिक सोच से हटकर थी। पूरी सीरीज़ में उन्होंने केवल तीन मुख्य तेज़ गेंदबाज़ों को खिलाया। पिच ऐसे थे, जिसके कारण स्पिनरों की भूमिका कम हो गई थी और पांचवें गेंदबाज़ के तौर पर या तो नितीश कुमार रेड्डी खेले या फिर वॉशिंगटन सुंदर को टीम में लाया गया। उस दौरान शार्दुल ठाकुर की गैरमौजूदगी में भारत बल्लेबाज़ी की गहराई को लेकर चिंतित दिखा।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी भी दो अलग-अलग कप्तानों की सीरीज़ थी, और शायद इसी कारण एक स्पष्ट दिशा नहीं दिखी। अब जब गिल पूर्णकालिक कप्तान बने हैं, तो कम से कम प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने विराट कोहली-रवि शास्त्री और रोहित शर्मा-राहुल द्रविड़ की सोच के अनुरूप ही अपना दृष्टिकोण रखा।
इस सोच की परीक्षा दो मौकों पर हो सकती है। पहला, जब टॉस के समय प्लेइंग XI घोषित होगी। अंतिम एक-दो स्थानों का फ़ैसला मैच सुबह ही लिया जाएगा। टेस्ट की पूर्व संध्या पर मुख्य तेज़ गेंदबाज़ों ने नेट्स में गेंदबाज़ी नहीं की। सिर्फ़ अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव ही गेंदबाज़ी करते नज़र आए, जबकि ज़्यादातर बल्लेबाज़ों ने अंतिम अभ्यास किया।
दूसरी परीक्षा तब होगी जब टीम कोई टेस्ट हार जाती है। तब यह ज़रूरी होगा कि वही तरीक़ा अपनाए रखें, जो पिछले सात वर्षों में उन्हें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ़्रीका में प्रतिस्पर्धी बनाए रखता आया है। अगर भारत चौथे तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर शार्दुल को खिलाता है और वह सफल नहीं होते हैं, चाहे इंग्लैंड उन पर हावी हो जाए या निचले क्रम में भारत के रन न जुड़ें तो टीम का जवाब मायने रखेगा।
गिल बेशक इस सोच को सफल बनाना चाहेंगे। इसका मतलब बल्लेबाज़ों पर अतिरिक्त ज़िम्मेदारी होगी, लेकिन परोक्ष रूप से यह भी कि रन कम बनाए या पीछा किए जा सकें। कप्तान के रूप में गिल को रन भी जल्दी बनाने होंगे। चयनकर्ताओं का उन्हें समर्थन मिला है, IPL के दौरान उन्हें कोहली और रोहित से टेस्ट कप्तानी पर बात करने का समय भी मिला, लेकिन इस बात का थोड़ा दबाव हो सकता है कि उन्होंने 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया में डेब्यू सीरीज़ की तरह विदेशों में अब तक वैसा असर नहीं डाला है।
गिल इस सीरीज़ में उस कमी को दूर करना चाहते हैं। और उनके लक्ष्य मामूली नहीं हैं। उन्होंने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो जब मैं बल्लेबाज़ी करने जाता हूं, तो मैं बतौर बल्लेबाज़ ही खेलना चाहता हूं, यह नहीं सोचना चाहता कि मैं कप्तान हूं क्योंकि इससे अनावश्यक दबाव आ जाता है। जब भी मैं मैदान पर उतरता हूं, तो एक बल्लेबाज़ की तरह खेलना चाहता हूं, विपक्ष पर हावी होना चाहता हूं और सीरीज़ का सबसे अच्छा बल्लेबाज़ बनना चाहता हूं - यही मेरा लक्ष्य है।"
कप्तान बनने के बाद विपक्ष की नज़र सबसे ज़्यादा आप पर होती है। आप विपक्ष का नंबर 1 निशाना बन जाते हैं। लेकिन गिल इससे विचलित नहीं हैं। गिल ने आगे कहा, "मेरा मानना है कि जब भी मैं खेलता हूं, तो विपक्षी टीम हमेशा मुझे चुनौती देना चाहता है। मुझे लगता है कि वे हर उस खिलाड़ी को चुनौती देना चाहते हैं जिसे वे अहम मानते हैं। तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ नया होने वाला है।"
गिल पहले अंडर-19 टीम और अपनी IPL टीम की कप्तानी कर चुके हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट को वह "सबसे बड़ा सम्मान" मानते हैं। जब उनसे पूछा गया कि IPL जीतना बड़ा है या इंग्लैंड में पांच टेस्ट की सीरीज़ जीतना, तो उनका जवाब हैरान करने वाला नहीं था, लेकिन बेहद ठोस था।
गिल ने कहा, "मेरे हिसाब से निश्चित रूप से टेस्ट सीरीज़ जीतना। कप्तान के रूप में इंग्लैंड आकर टेस्ट सीरीज़ जीतने के ज़्यादा मौक़े नहीं मिलते। शायद दो ऐसे मौक़े आएंगे; अगर आप अपनी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ हों तो तीन मौके़ मिल सकते हैं। और IPL हर साल आता है, हर साल उसमें प्रयास किया जा सकता है। तो मेरी नज़र में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, साउथ अफ़्रीका में टेस्ट सीरीज़ जीतना ज़्यादा बड़ा है।"