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'भले ही हमने ज़्यादा टेस्ट नहीं खेला लेकिन जीत की भूख बाक़ी है'

भारतीय महिला टीम की टेस्ट क्रिकेट में वापसी पर रमन, हेमलता काला और नूशीन अल ख़दीर की प्रतिक्रिया

Mithali Raj and Shikha Pandey seal victory at Wormsley, England v India, only women's Test, Wormsley, 4th day, August 16, 2014

भारतीय महिला टीम ने 2014 में इंग्लैंड को वर्मस्ली में खेले गए टेस्ट में 6 विकेट से मात दी थी  •  Getty Images

साल 2014 के बाद भारतीय महिला टीम इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट खेल रही है। इसके बाद भारतीय महिला टीम इस साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिंक टेस्ट मैच खेलेगी और यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा क्योंकि यह एक डे-नाइट टेस्ट होगा।
इस संदर्भ में हमने भारतीय महिला टीम के पूर्व कोच डब्ल्यू वी रमन और पूर्व चयनकर्ता हेमलता काला से बातचीत की है। हेमलता काला साल 2015 से 2020 तक भारतीय महिला टीम की चयनकर्ता रही चुकी हैं। इसके अलावा हमने रेलवे महिला टीम के मौजूदा कोच नूशीन अल ख़दीर से भी यह जानने का प्रयास किया है कि इन दोनों टेस्ट मैचों का महिला क्रिकेट पर विश्व भर में क्या प्रभाव पड़ेगा।
एक ही साल में 2 टेस्ट और पिंक बॉल टेस्ट का महिला क्रिकेट में महत्व
स्पोर्ट्स टुडे से बात करते हुए पूर्व कोच ने कहा कि "प्रश्न यह है कि इस प्रकार के टेस्ट में है महिला क्रिकेट के प्रारूप में कितने दिनों तक चलाए जा सकते हैं।" इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस प्रकार के टेस्ट मैच कराने में काफी ज्यादा पैसे खर्च होते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि विश्व क्रिकेट में जो चार -पांच सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड हैं, वह इस तरीके के प्रारूप को काफी दिनों तक चला सकते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि क्रिकेट में विज्ञापनों का क्या रोल है। एक सच यह भी है कि अगर तीन-चार क्रिकेट बोर्ड भी इस प्रारूप को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो यह महिला क्रिकेट के लिए काफी अच्छा है और हमें यह प्रयास करना चाहिए कि आगे भी चलता रहे। आधुनिक पुरुष क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी को वास्तव में आंकने का सबसे बढ़िया तरीका है। अगर वो लगातार इस फॉर्मेट में खेलते हैं तो महिला खिलाड़ियों को हर क्षेत्र में आंकने का एक बढ़िया मौका मिल सकता है। दूसरी बात यह है कि टेस्ट मैच में खेलने का मौका देकर महिला खिलाड़ियों के फिटनेस को मांपने और उस पर काम करने का बढ़िया मौका मिलेगा। 4-5 दिन लगातार खेलते रहना काफी कठिन है। एक बार अगर वो सभी इस प्रारूप के आदि हो जाएं तो उन्हें फिर इस खेल में मजा आने लगेगा।
अल ख़दीर
गुलाबी गेंद को टेस्ट भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए थोड़ी सी नई कड़ी है लेकिन पिछले कुछ साल में भारतीय टीम लगातार बढ़िया प्रदर्शन करते आई है। मुझे याद है कि साल 2006 में जब भारतीय महिला टीम से कोई आस भी नहीं लगा रहा था तब पहले ही टी-20 मैच में हमारी टीम ने इंग्लैंड को हराया था। उसी दौरे पर हमने एक टेस्ट भी जीता था। मेरा कतई यह मतलब नहीं है कि टीम में सुधार या बदलाव की कोई संभावना नहीं है लेकिन एक बात तो तय है कि हो सकता है कि हमने ज्यादा टेस्ट नहीं खेले हैं लेकिन जीतने की क्षमता और चाहत जरूर है। "क्रिकेट जगत के सभी फैंस लिए यह एक बहुत बड़ी खबर है। मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी की कोई और बात हो ही नहीं सकती है। टेस्ट मैच क्रिकेट की सबसे अहम कड़ी है और यहीं से एक खिलाड़ी के स्वभाव, संकल्प और कौशल की असली परीक्षा है। ऐसे में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के खिलाफ खेलने से ज्यादा बेहतर मौका और क्या हो सकता है। "
काला
इस तरह का क्रिकेट सभी उम्र के खिलाड़ियों को पेशेवर दृष्टिकोण से काफी बेहतर बनाएगी। मुझे ये भी लगता है कि समय के साथ घरेलू सीरीज़ में भी यह प्रारूप वापसी करेगा। अगर भारतीय महिला क्रिकेट के कैलेंडर में टेस्ट मैचों को लगातार शामिल किया जाने लगेगा तो बेहतर महिला खिलाड़ियों को तलाशने और तराशने का मौका मिलेगा। जिस तरीके से बीसीसीआई ने टेस्ट क्रिकेट को एक बार फिर से वापस लाने की कवायद की है। उससे घरेलू क्रिकेट को भी काफी फायदा मिलेगा।
पिंक बॉल के टेस्ट की तैयारी हमें कैसे करनी चाहिए?
रमन
भारतीय महिला टीम को एक प्रैक्टिस मैच मिल पाना काफी कठिन लगता है। कोरोना काल को देखते हुए अभी भी काफी प्रतिबंध है। इस कारण से आपके पास जो भी लोकल प्रतिभाओं को तराशने का मौका है वह नहीं मिल पाएगा। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ एक अभ्यास मैच खेलने के बारे में है,अगर हम एक प्रैक्टिस मैच खेलने का मौका मिलता तो हम एक बेहतर टीम के साथ उतर सकते थे। हालांकि इससे कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। उन्हें यह सोचना चाहिए कि पिच पर एक लकड़ी के टुकड़े के साथ खेलने की बात है। इस गेम को समझने और खेलने का यह सबसे बढ़िया तरीका है। अगर चीजें काफी खराब भी जाती हैं तो उन्हें ज्यादा निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि भारतीय महिला टीम के लिए एकदिवसीय श्रृंखला ज्यादा महत्वपूर्ण है और वो टी-20 खेलना भी पसंद करते हैं। खास कर के यह ऐसा पल होगा जहां टीम 7 वर्षों के बाद टेस्ट मैच खेलने के लिए मैदान पर उतरेगी। इसी कारण से यह भारतीय टीम के लिए आसान नहीं होगा। मेरे हिसाब से भारतीय टीम के पास पाने के लिए सब कुछ है और खोने के लिए कुछ नहीं।"
काला
मुझे लगता है कि बीसीसीआई ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले हमारे सभी खिलाड़ियों को पिंक गेंद से तैयारी करने का पूरा मौका देगी। पिंक गेंद के साथ खेलना, लाल या सफेद गेंद के साथ खेलने के से थोड़ा अलग है। पिंक टेस्ट मैच खेलने से पहले भारतीय टीम को दो अलग-अलग टीमों में बांट कर एक अभ्यास मैच खेलने की जरूरत है। इसके बाद संतुलित और बढ़िया अंतिम एकादश चुनने में टीम मैनेजमेंट को काफी मदद मिलेगी।
अल ख़दीर
एक बैटिंग ग्रुप के तौर पर भारतीय टीम में कई बल्लेबाज़ तकनीकी रूप से काफी बढ़िया है। हमारी टीम में मिताली राज, स्मृति मांधना, पूनम राउत, हरमनप्रीत कौर, दीप्ती शर्मा, जैसे बल्लेबाज़ हैं। वहीं गेंदबाज़ी में झूलन के पास शानदार अनुभव है और राजेश्वरी गायकवाड़ एक शानदार स्पिनर है और हमने देखा है कि पिछले कुछ सालों में किस तरीके से स्पिन गेंदबाज़ी ने इस खेल में एक बड़ी भूमिका अदा की है। ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए हमारे टीम के खिलाफ खेलना आसान नहीं होगा। "इसके साथ ही भारतीय टीम में और भी कई बढ़िया प्लेयर हैं। जेमिमाह,राधा यादव, शफ़ाली, हरमनप्रीत को ऑस्ट्रेलियाई लीग में खेलने का बढ़िया अनुभव मिलने वाला है। जब ये खिलाड़ी विदेशी लीग में विपक्षी दल के खिलाड़ियों के साथ एक ही टीम में खेलेंगे तो वो एक-दूसरे को समझने में काफी मदद मिलेगी। अगर वो अपने इस अनुभव को आने वाले युवा खिलाड़ियों के साथ के साथ बांट सके तो आने वाले समय में यह काफी बढ़िया रहेगा।
क्या एक बार फिर से टेस्ट मैच खेलने से खिलाड़ियों को फायदा मिलेगा?
काला
अगर भारतीय महिला टीम के एकदिवसीय और टी-20 टीम को देखा जाए तो हमारे पास मिथाली और झूलन जैसे खिलाड़ी हैं जो एक खास प्रारूप के स्पेशलिस्ट है। अब जब टेस्ट क्रिकेट को एक बार फिर से लाया जा रहा है तब हमें कुछ ऐसे भी खिलाड़ी मिलेंगे जो इस फॉर्मेट के स्पेशलिस्ट होंगे। कुछ ऐसे खिलाड़ी भी होते हैं जिन्हें सीमित ओवरों का क्रिकेट से ज्यादा टेस्ट पसंद है। ऐसे खिलाड़ियों को भी टेस्ट मैच खेलने का मौका दिया जा सकता है।
अल- ख़दीर
टेस्ट मैच के लिए खिलाड़ियों को विकसित करना, उन्हें संयमित तरीके से खेलने लिए तैयार करने का मतलब होगा कि हम 50 ओवरों के प्रारूप के लिए भी खिलाड़ी तैयार करने में सक्षम हैं। जब से बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को संभाला है, हम काफी हद तक सीमित ओवरों के प्रारूप की ओर झुके हुए हैं क्योंकि जहां तक महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने की बात है तो आईसीसी भी इसी दिशा में विश्वास करती है। अब, टेस्ट क्रिकेट को फिर से वापस लाना, एक स्वागत योग्य कदम है और मुझे उम्मीद है कि हम घरेलू कैलेंडर में तीनों प्रारूप को वापस लाने में सक्षम हैं।"
टेस्ट मैच कैसे युवा खिलाड़ियों का आकर्षित करेगा
अल खदीर
"ज़रा सोचिए कि झूलन गोस्वामी को पर्थ के एक टेस्ट में या इंग्लैंड में शिखा पांडे को गेंदबाजी करते हुए देखा जाए तो कितने युवा तेज गेंदबाज़ प्रभावित होंगे। कल्पना कीजिए कि जब वो मैदान पर बढ़िया प्रदर्शन करेंगे और बल्लेबाज़ो को परेशान करने में सफल रहे तो कितना अच्छा होगा। यह समय के साथ जमीनी स्तर पर बदलाव को प्रेरित करेगा और युवाओं को तेज गेंदबाज़ी के कौशल को और अधिक अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।"
ऑनेशा घोष और शशांक किशोर ने किया था इंटरव्यू

अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।