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द्रविड़ और पुजारा से कोसो दूर हैं जायसवाल लेकिन नंबर तीन को अपना बना सकते हैं

वह स्‍मार्ट हैं, परिपक्‍व हैं और उनके शॉट्स उस स्‍थान को भर सकते हैं जिस पर दो दिग्‍गजों ने तीन दशक तक राज किया

Yashasvi Jaiswal has a hit at nets, Arundel, May 31, 2023

टेस्‍ट डेब्‍यू को तैयार हैं यशस्‍वी जायसवाल  •  ICC via Getty Images

हवाएं अब बदलने लगी हैं।
28 सालों तक एक अच्‍छे हिस्‍से में भारत के पास नंबर तीन पर टेस्‍ट क्रिकेट में दो दीवारें रही हैं राहुल द्रविड़ और चेतेश्‍वर पुजारा, जिन्‍होंने आपस में मिलकर 267 टेस्‍ट खेले। उनके खेलने की शैली शास्त्रीय संगीत की याद दिलाती है, हर मामले पर दिमाग़, तड़क-भड़क से दूर तक़नीक और कड़ी मेहनत और बोर्ड पर रन जितना महत्वपूर्ण क्रीज़ पर कब्ज़ा।
वे शानदार थे। याद कीजिए सिडनी 2008 या जोहैनेसबर्ग 2018 जहां रन बनाने से अधिक उनके द्वारा खेली गई खाली गेंद और छोड़ी गई गेंद पर तालियां बजीं। उन्‍होंने आप पर अपनी छाप छोड़ी थी। गेंद को छोड़ना तो शायद आप अपने ज़ेहन से निकाल ही नहीं सकते और एक सॉलिड डिफ़ेंस उनकी यूएसपी रही। इन्‍हीं वजह से वे दोनों मिलकर टेस्‍ट में 20,483 रन और 55 शतक लगा पाए।
अब भारत जुलाई में वेस्‍टइंडीज़ दौरे पर दो टेस्‍ट मैचों की सीरीज़ के साथ नए डब्‍ल्‍टीसी चक्र की शुरुआत कर रहा है और पुजारा टीम में नहीं है। भारत के पास अब उनकी जगह को भरने के लिए तीन विकल्‍प मौजूद हैं। इनमें से ऋतुराज गायकवाड़ और यशस्‍वी जायसवाल को पहली बार टीम में चुना गया है। वहीं शुभमन गिल तीनों ही प्रारूपों में ओपनर हैं।
भले ही वे किसी को भी चुनें, एक बात निश्चित है : पहले के विपरीत, भारत सबसे महत्वपूर्ण बल्लेबाज़ी पदों में से एक को भरने के लिए एक टी20 सुपरस्टार को चुनेगा।
अभी के लिए अधिकांश संकेत यह हैं कि एक युवा को इस भूमिका में चुना जाएगा और यह मुंबई के 21 वर्षीय जायसवाल होने की संभावना है, जिन्होंने पिछले तीन सीज़न में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
सामने से देखकर कहा जा सकता है कि जायसवाल को आईपीएल की वजह से चुना गया है, क्‍योंकि किसी भी अनकैप्‍ड बल्‍लेबाज़ ने 2023 सीज़न में उनसे अधिक रन (625) नहीं बनाए हैं, जिसमें टूर्नामेंट का 13 गेंद में आया सबसे तेज़ अर्धशतक शामिल है। वह लुत्‍फ़ लेते हुए आसानी से तेज़ गेंदबाज़ों पर पुल और हुक लगा देते हैं। वह जॉस बटलर के स्‍कूप का ट्रेनिंग में मज़ा लेते हैं और उनके साथ मैदान के अंदर के साथ ही मैदान के बाहर भी काफ़ी समय बिताते हैं।
जो लोग जायसवाल को जानते हैं वे दावा करते हैं कि हार न मानने वाला स्वभाव उनके व्यक्तित्व की पहचान है। एक ऐसा युवा जो लगातार अपने में सुधार को देखता है। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से बात करते हुए पिछले साल जायसवाल ने कहा था, "मुझे लगता है कि आप अगर मदद मांगोगे तभी आपको मिलेगी और जब आपके पास इतने सारे लोग मदद को तैयार हों तो आपको एक युवा के तौर पर आगे बढ़ना होगा। बाद में मैंने महसूस किया कि मेरी केवल टी20 बल्‍लेबाज़ी में ही सुधार नहीं हुआ है, मेरी अंग्रेज़ी में भी सुधार हुआ है।"
इस महीने की शुरुआत में जायसवाल डब्‍ल्‍यूटीसी फ़ाइनल में गायकवाड़ के बाहर जाने की वजह से रिज़र्व टीम का हिस्‍सा थे। और फ़ाइनल हारने के बाद जब रोहित शर्मा ने ब्रैंड ऑफ़ क्रिकेट खेलने की बात कही और कहा कि उन्‍हें ऐसे लड़कों की ज़रूरत है जो घरेलू क्रिकेट में अच्‍छा कर रहे हैं तो यह एक संकेत था कि टीम बदलाव के दौर से गुज़रेगी जब अगले डब्‍ल्‍यूटीसी चक्र में जाएगी।
यहीं से जायसवाल का चयन हुआ। उनका प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड शानदार है। उन्‍होंने 26 पारियों में 80.21 की औसत से 1845 रन बनाए हैं। उन्‍होंने 11 अर्धशतक शतकों को शतक में बदला है। वह ऐसे दौर में हैं जहां उनमें रनों की भूख नज़र आ रही है। यही वह भूख है जिसने उनको मुंबई में एक समय टेंट में सोने को मजबूर किया था। इसी ने उन्‍हें महसूस कराया कि अगर कोई 100 बनाता है तो ध्‍यान खींचने के लिए उसको 200 बनाने होंगे।
लेकिन मुंबई के लोगों के मुंह से निकलने वाले इस संघर्ष का एक पल के लिए भी वर्णन किए बिना यह काफ़ी प्रभावशाली है कि जायसवाल पिछले वर्ष में ही अपनी एक पहचान बनाने में क़ामयाब रहे हैं। चलिए साफ़ करते हैं जायसवाल वह दीवार नहीं बनने वाली है। उनका 70 के क़रीब का स्‍ट्राइक रेट है जो आपको बताता है कि वह एक फ़्री स्‍ट्रोकिंग हैं जो अपनी तक़नीक से कोई समझौता नहीं करते हैं।
जायसवाल हमेशा आंखों के नीचे गेंद को खेलते हैं। और उनका फ़ुटवर्क उनको शॉर्ट गेंद के ख़‍िलाफ़ संतुलित करता है, जहां वह आसानी से स्‍क्‍वेयर की ओर गेंद को खेल देते हैं।
हालांकि जो चीज़ उन्हें अलग करती है, वह है लाइन के अंदर जाकर लॉन्ग लेग की ओर समान गेंदों को मारने की उनकी क्षमता। जायसवाल के साथ कोई विध‍ि नहीं है। उनका निरंतर विकसित होने वाला खेल समय के साथ किए गए छोटे बदलावों की एक सीरीज़ है। फ‍िर भी, जब आपको उसकी आवश्यकता हो तो वह धीमा खेल सकते हैं। जैसे कि पिछले साल जून में रणजी ट्रॉफ़ी क्वार्टर फाइनल में उत्तर प्रदेश के अच्छे आक्रमण के ख़‍िलाफ़।
अपना केवल तीसरा प्रथम श्रेणी मैच खेल रहे जायसवाल 33 और 37 रनों पर दो बार कैच आउट होने से बचे थे। पहले में वह पांचवें स्‍टंप की गेंद को छेड़ रहे थे। इसके बार वह गली में कट मार रहे थे। इसके बाद मुंबई के कोच अमोल मजु़मदार ने उन्‍हें मैसेज भेजा लेकिन सीधा मेसेज, "तुम्‍हारे पास दो विकल्‍प हैं : सिंगल लो और अगले 15 मिनट तक नॉन स्‍ट्राइकर एंड पर खड़े रहो और कोई शॉट मत खेलो चाहे गेंद मारने वाली क्‍यों ना हो।"
इसके बार बचे हुए दिन उन्‍होंने शांति अपनाई और 353 मिनट तक बल्‍लेबाज़ी की और शतक लगाया, जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका दूसरा शतक था, जिसके बाद उन्‍होंने अपने कोच को मेसेज दिया, "सर, जो आपने कहा मैंने उसको माना।"
यही जायसवाल की परिपक्‍वता को दर्शाता है, जो केवल 21 साल के हैं। अब तक की जहां तक बात है तो जासयवाल क्‍या तीन दशक तक रहने वाले दो दिग्‍गज़ों की जगह को भर सकेंगे, यह कहना मुश्किल है। हालांकि, जायसवाल इसके बोझ तले दबने और अपने रास्ते में आने वाली कड़ी चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।