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गिल ने अपनी आधुनिक शैली की टेस्ट बल्लेबाज़ी का बेहतरीन नमूना पेश किया है

इस शतक ने यह बता दिया कि गिल टेस्ट क्रिकेट में काफ़ी दिनों तक टिकने के लिए आए हैं

किसी भी बल्लेबाज़ के एक पारी का विश्लेषण सिर्फ़ एक शॉट के आधार पर नहीं किया जा सकता है। हालांकि चटगांव टेस्ट में भारतीय टीम की दूसरी पारी के दौरान शुभमन गिल ने 95 के स्कोर पर जो रिवर्स स्वीप लगाया वह उनकी पारी का विवरण देने के लिए लगभग काफ़ी था। साथ ही वह शॉट गिल की मानसिकता को भी उजागर करता है।
यह पहली बार था जब गिल टेस्ट क्रिकेट में 95 रन पर थे। गिल का 11 टेस्ट मैचों में सिर्फ 30.47 की औसत है। यह दूसरी बार था जब वह 90 के स्कोर के पार पहुंच पाए थे। इससे पहले गाबा में भारत को मिली ऐतिहासिक जीत गिल ने 91 का स्कोर बनाया था।
कई बार कहा गया कि गिल टेस्ट क्रिकेट में मिडिल ऑर्डर में ज़्यादा बढ़िया बल्लेबाज़ी करेंगे। हालांकि भारतीय टीम प्रबंधन ने अब उनसे मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी नहीं करवाया है। एक बार ऐसा मौक़ा आया था जब वह मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी कर सकते हैं लेकिन गिल की जगह पर श्रेयस अय्यर को मौक़ा दिया गया और उन्होंने उस मौक़े का पूरा फ़ायदा उठाया।
भारत टेस्ट क्रिकेट में अमूमन पांच बल्लेबाज़ों के साथ ही मैदान पर उतरता है। ऐसे में गिल को मध्य क्रम में जगह मिलना मुश्किल है। कुल मिलाकर गिल टीम में तभी आते हैं, जब कोई नियमित सलामी बल्लेबाज़ टीम किसी कारण से टीम से बाहर होता है। जैसा कि इस मैच में रोहित शर्मा टीम में नहीं थे और गिल को ओपनिंग करने का मौक़ा दिया गया।
चटगांव टेस्ट में भारत ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया। गिल ने के एल राहुल के साथ बढ़िया शुरुआत की लेकिन एक पैडल स्वीप मारने के चक्कर में कैच आउट हो गए। ऐसा नहीं है कि यह एक ख़राब शॉट था। यह 11वीं बार था जब गिल ने 20 या उससे ज़्यादा का स्कोर बनाया था।
गिल को पता था कि उनके बल्ले से बड़े स्कोर नहीं आ रहे हैं और वह इसको लेकर थोड़े चिंतित भी थे। उन्होंने मेज़बान ब्रॉडकास्टर को बताया कि वह मैच से पहले विराट कोहली से बात कर रहे थे कि उन्होंने अभी तक टेस्ट शतक नहीं बनाया है। हालांकि बांग्लादेश के ख़िलाफ़ उन्हें ऐसा लगा होगा कि वह एक बार फिर से वह मौक़ा चूक गए होंगे लेकिन चटगांव टेस्ट में जब भारत ने बांग्लादेश को फॉलोऑन खेलने को नहीं कहा तो गिल को एक और मौक़ा मिल गया और इस बार वह नहीं चूके।
गिल ने अपनी इस पारी को काफ़ी सोच समझ कर आगे बढ़ाया। पहले 54 गेंदों पर उन्होंने सिर्फ़ 17 रन बनाए थे। हालांकि एक बार परिस्थितियों को पढ़ने के बाद जब गेंद उनके बल्ले पर आने लगी तो वह अपने शॉट खेलने लगे और एक स्थिति ऐसी थी, जहां उन्होंने 98 गेंदों पर 93 रन बना लिया था।
गिल ने कहा, 'जब लंच हुआ, मेरी पहली 50 गेंदों में मैं 13 के आसपास बल्लेबाज़ी कर रहा था। जब तक मैंने 100 गेंदों का सामना किया, मैं लगभग 70 रनों के क़रीब था। यह सब पारी को आगे बढ़ाने और यह जानने के बारे में था कि कब आक्रमण करना है। क्योंकि एक निश्चित समय के बाद गेंदबाज़ थक जाते हैं। एक बल्लेबाज़ के तौर पर आपको पता होना चाहिए कि आक्रमण करने का सही समय कब है।"
जब वह 90 के स्कोर के पास पहुंचे तब वह बड़े शॉट नहीं लगा रहे थे। उन्होंने 95 रनों तक आराम से एक-एक रन लिया। बांग्लादेश की टीम समझ चुकी थी कि अभी गिल अपनी शैली के अनुसार नहीं खेल रहे हैं। इसी कारण से उन्होंने मेहदी हसन को राउंड द विकेट गेंदबाज़ी करवाई, ताकि गिल कोई ग़लती करें। इसी समय गिल ने एक रिवर्स स्वीप लगा दिया। यह एक ऐसा शॉट था जिसे गिल ने अपने पूरे टी20 करियर में सिर्फ़ आठ बाहर खेला है और टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ़ तीन बार।
गिल एक क्लासिक बल्लेबाज़ हैं, लेकिन वह एक आधुनिक बल्लेबाज़ भी हैं। आप विकेट के एक तरफ़ गेंदबाज़ी करके उन्हे लंबे समय तक बांध कर नहीं रख सकते। गिल ने कहा, "(90 के स्कोर के आस-पास) मेरे विचार कुछ ज़्यादा अलग नहीं थे। यह सब इस बारे में था कि मैं अपना शतक कैसे बना सकता हूं। मैं बस यह सोच रहा था कि मैं मैदान के अनुसार कैसे खेलूं।"
अब गिल के पास एक टेस्ट शतक है। एक युवा बल्लेबाज़ के लिए शतक बनाना मानसिक रूप से बहुत ज़रूरी होता है। हालांकि एक सवाल यह भी है कि ब्रिसबेन या चटगांव में अगर गिल शतक बना भी लेते तो क्या रोहित शर्मा के रहते हुए उन्हें टेस्ट में शामिल किया जाता?

सिद्धार्थ मोंगा Espncricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद Espncricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।