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क्या सिराज वॉबल सीम गेंदबाज़ी का प्रयोग आवश्यकता से अधिक कर रहे हैं?

चटगांव टेस्ट के दूसरे दिन सिराज ने इसी गेंद के सहारे बांग्लादेश को शुरुआती झटके दिए

Mohammed Siraj high-fives Virat Kohli after taking his third wicket, Bangladesh vs India, 1st Test, Chattogram, 2nd Day, December 15, 2022

सिराज ने चटगांव टेस्ट के दूसरे दिन तीन विकेट लेकर बांग्लादेश को बैकफ़ुट पर ला दिया  •  Associated Press

पिछले दो महीनों में भारतीय क्रिकेट में कुछ एक ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसे देख कर आप बुरा महसूस कर सकते हैं। जैसे कि भारत का टी20 विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में हार जाना या फिर बांग्लादेश के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ में हार का सामना करना।
हालांकि अगर आप भारतीय क्रिकेट को लेकर किसी तरह की आशा के किरण के तलाश में हैं तो चटगांव टेस्ट के दूसरे दिन के खेल को देखें।
दो ऐसे गेंदबाज़ जो शायद सभी खिलाड़ियों के फ़िट रहने पर टीम का हिस्सा नहीं बन पाते, उन्होंने कमाल की गेंदबाज़ी करते हुए सात विकेट झटके। पहले मोहम्मद सिराज ने अपनी धारदार गेंदबाज़ी से बांग्लादेश की टीम को शुरुआती झटके दिए। उन्होंने पारी के पहली ही गेंद पर एक बेहतरीन आउट स्विंग गेंद पर नजमुल हसन शांतो का विकेट लिया। इसके बाद में कुलदीप यादव ने अपनी फ़िरकी से बांग्लादेश को एक मुश्किल परिस्थिति में लाकर खड़ा कर दिया।
ऐसा माना जाता है कि सिराज को वॉबल सीम गेंदबाज़ी करने की आदत है। इसी कारण से वह अमूमन स्वभाविक स्विंग गेंदबाज़ी नहीं कर पाते हैं। इस वज़ह से उनकी काफ़ी आलोचना भी होती है। हालांकि बाक़ी के दो विकेट सिराज को कुछ इसी तरह की गेंद पर मिले। सिराज के लिए यह कोई नई बात नहीं है। 2020-21 के बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में भी सिराज को इसी तरह की गेंदों से सफलता मिली थी।
वॉबल-सीम ​​डिलीवरी के बारे में पूछे जाने पर सिराज ने कहा, " 2018 में मैं इनस्विंग गेंदबाज़ी नहीं कर पा रहा था। इसके बाद मुझे मैं इस बात को लेकर चिंतित हो गया कि गेंद क्यों स्विंग नहीं कर रही है। फिर मैंने वॉबल सीम गेंदबाज़ी पर काम किया था। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी था कि अंदर आती हुई गेंद हमेशा बल्लेबाज़ों के लिए सिरदर्द होता है। बल्लेबाज आउटस्विंग गेंद को छोड़ सकता है, लेकिन वॉबल-सीम गेंद तेज़ ऑफ़कटर की तरह पिच करने के बाद ही चलती है। मैं इस तरह की गेंदबाज़ी पर अधिक भरोसा करता हूं और उससे मुझे सफलता भी मिली है।"
सिराज ने 2021 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ इस तरह की गेंदबाज़ी करते हुए काफ़ी सफलता हासिल की थी। एक बार तो आर अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर मजाक करते हुए कहा था कि वह बस काफ़ी तेज़ गति से ऑफ़ ब्रेक गेंदबाज़ी करते हैं। फ़ील्डिंग कोच आर श्रीधर ने भी एक बार कहा था कि सिराज को एक नया खिलौना मिल गया है। हालांकि यह कोई नया खिलौना नहीं है। सिराज खु़द कहते हैं कि उन्होंने 2018 में इस पर काम करना शुरू कर दिया था। कम से कम शॉन पॉलक भी बल्लेबाज़ों को आश्चर्यचकित करने के लिए जान बूझकर इसका प्रयोग करते थे। यदि यह सीम के किनारे पर गिरती है, तो गेंद अंदर जाने लगती है; यदि यह चमड़े पर गिरती है, तो यह सीधे चलती है। पॉलक इसके असली मास्टर थे। वह सीम-अप डिलीवरी को वॉबल-सीम ​​के साथ मिला कर गेंदबाज़ी करते थे।
स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन इस भिन्नता के आधुनिक मास्टर हैं। टिम साउदी भी इसका प्रयोग करते हैं क्योंकि वह इनस्विंग गेंदबाज़ी नहीं करते। सिराज भी उसी तर्क का उपयोग करते हैं। साउदी शायद इसका अधिक संयम से उपयोग करते हैं क्योंकि उनके पास सिराज की तुलना में बेहतर, अधिक सुसंगत आउटस्विंगर है।
क्या वास्तव में सिराज इसका अति प्रयोग करते हैं? अति प्रयोग करने से उन्हें किस तरह का घाटा होता है? क्या वह इसके कारण आउटस्विंग गेंदबाज़ी करने के लिए अपने कलाइयों का ठीक से प्रयोग नहीं कर पाते हैं? यह केवल सिराज, टीम प्रबंधन और उनका सामना करने वाले बल्लेबाज़ ही जानते हैं।