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ऋषभ पंत - एक उतावले, लेकिन बहादुर और प्रतिभाशाली बल्लेबाज़

पंत ने जो किया, वह जोखिम भरा लेकिन अविश्वसनीय था

Rishabh Pant walks out to bat despite his injured foot, 4th Test, 2nd Day, Manchester, July 24, 2025

ऋषभ पंत चोटिल पैर के साथ बल्लेबाज़ी करने उतरे  •  Getty Images

ऋषभ पंत ने मैदान पर और मैदान के बाहर कई चौंकाने वाली चीज़ें की हैं। लेकिन शायद ही उन्होंने कुछ ऐसा किया हो जैसा उन्होंने मैनचेस्टर में किया, जब वह पूरे होश-हवास में मेडिकल सलाह के ख़िलाफ़ टूटे हुए पैर के साथ बल्लेबाज़ी करने उतरे।
आपको लगा होगा कि यह तो पंत के लिए भी ज़्यादा हो गया। यह कोई ऐसा समय नहीं था जब वह नंबर 11 पर मैच बचाने के लिए बल्लेबाज़ी करने उतरे हों। उस वक्त भारत का स्कोर 314 पर 6 था, गेंद दोनों तरफ मूव कर रही थी और पिच से असमान उछाल भी मिल रहा था। विशेषज्ञों का मानना था कि भारत को इस हालत में यह जोखिम लेने की ज़रूरत नहीं थी।
चोट तो तब लगी, जब पंत ने सिर्फ 48 गेंदों की अपनी पारी में दूसरी बार एक तेज़ गेंदबाज़ को रिवर्स स्वीप करने की कोशिश की। इस पूरी सीरीज़ में गेंदें लगातार नरम हो रही हैं। यह गेंद थोड़ी धीमी भी थी, लेकिन फिर भी इतनी असरदार थी कि किसी पैर की हड्डी तोड़ सके।
जिस किसी ने भी कभी हड्डी की चोट देखी या झेली हो, वह जान सकता था कि वह सूजन, फ्रैक्चर का ही संकेत थी। चोट के बाद पंत अपने पैर पर वजन तक नहीं डाल पाए। रात में अस्पताल से लौटते समय का वीडियो सामने आया, जिसमें उनके पैर में मूनबूट (बड़ा जूता) था।
जब पूरी टीम अगले दिन मैदान पर थी, पंत फिर से अस्पताल गए। एक टूटे पैर की कोई जादुई दवा तो होती नहीं। शायद वह यह जांचने गए कि क्या थोड़ा चलने की कोशिश की जा सकती है या बस इतना जानने की कोशिश कि क्या बल्लेबाज़ी की इजाज़त मिल सकती है।
थोड़ी देर बाद वह मूनबूट पहने और बैसाखी का सहारा लेते हुए मैदान पर थे। भारत ने एक और विकेट गंवा दिया था, लेकिन शार्दुल ठाकुर और वॉशिंगटन सुंदर अपनी विकेट संभाले हुए थे। गेंद मूव ज़रूर कर रही थी, पर ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड उसका फ़ायदा नहीं उठा पा रहा।
कुछ देर बाद टीवी कैमरों में पंत दिखाई दिए, सफेद ड्रेस में कोच गौतम गंभीर के पीछे खड़े हुए। अगर उन्हें बल्लेबाज़ी नहीं करनी थी, तो होटल में आराम क्यों नहीं कर रहे थे?
300 पर 5 के स्कोर पर पंत बल्लेबाज़ी करने क्यों आएंगे? 30 रन पर 4 विकेट गिर जाएं, तब भी नहीं। लेकिन पंत ने कभी दर्शकों की समझ में आने वाले काम किए हैं? शायद कभी नहीं.
सिडनी 2020-21 में पंत ने अपनी कोहनी इतनी बुरी तरह से चोटिल कर ली थी कि हाथ हिला भी नहीं पा रहे थे। पेनकिलर ली, नेट्स पर गए, खुद को समझाया कि दर्द नहीं हो रहा और फिर 97 रन ठोक दिए। उन्हें समझाने का कोई मतलब भी है?
या फिर उनकी कार दुर्घटना से अविश्वसनीय वापसी, डॉक्टरी टाइमलाइन से कहीं तेज़ वापसी। ऐसे में पंत को कौन बता सकता है कि उनके लिए क्या सही है?
संभवतः उन्हें खुद ही निर्णय लेना था कि बल्लेबाज़ी करनी है या नहीं। कोई भी टीम मैनेजमेंट ऐसा फ़ैसला मजबूरी में नहीं लेता।
स्वास्थ्य तो एक पहलू था, मैच के लिहाज़ से भी यह फैसला अजीब था। दूसरे छोर पर एक सेट बल्लेबाज़ मौजूद था। क्या पंत, जो अभी कुछ समय पहले तक पैर भी नहीं रख पा रहे थे, रनिंग के लिए उपयुक्त थे? क्या इससे वॉशिंगटन की लय पर असर नहीं पड़ता?
लेकिन पंत ने रन लेना भी शुरू कर दिया। अपनी पारी में उन्होंने 14 रन दौड़कर लिए। पहले दिन के अंत में इंग्लैंड के स्पिनर लियाम डॉसन ने कहा था कि उन्होंने पंत को जिस हालत में देखा, उससे नहीं लगता कि वह आगे मैच में कोई भूमिका निभा पाएंगे।
जब पंत फिर से बल्लेबाज़ी करने आए, इंग्लैंड ने रणनीति बदली। पंत के पैर को निशाना बनाया या उन्हें खेलने से दूर रखने की कोशिश की।
एक और चोट अगर उसी पैर पर लगती तो हालात बेहद गंभीर हो सकते थे। लेकिन पंत किसी तरह बचते रहे। एक गेंद बेहद क़रीब से गुज़री, लेकिन बूट के ठीक सामने गिरकर पैड में लग गई। अब तक उन्होंने ख़ुद को बचाने के लिए फ्रंट फुट हटाने तक की कोशिश नहीं की थी।
एक इंसान को पेनकिलर की एक हद तक ही डोज़ दी जा सकती है। इस दर्द और दवाइयों के बीच इस अजीबोगरीब पारी में पंत ने जोफ्रा आर्चर की स्लोअर गेंद को खींचकर छक्का लगाया। एक बाहर जाती फुल लेंथ गेंद को ब्लॉक किया, जो बल्ले से लगकर चौका चली गई और उनका अर्धशतक पूरा हुआ।
एक उतावले, लेकिन बहादुर और बेहद प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ का जोखिम भरा शॉट चोट का कारण बना। लेकिन इसके बाद उन्होंने जो किया, वह शायद और भी जोखिम भरा और भी अविश्वसनीय था। लेकिन यह इससे कहीं ज़्यादा बहादुरी और कौशल से भरा हुआ था।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में सीनियर राइटर हैं