मैच (16)
ENG vs IND (1)
County DIV1 (5)
County DIV2 (4)
WI vs AUS (2)
ज़िम्बाब्वे T20I त्रिकोणीय सीरीज़ (1)
Blast Women League 2 (3)
फ़ीचर्स

गौड़ का उभार, हरमनप्रीत की फ़ॉर्म वापसी : भारत के इंग्लैंड दौरे का हासिल

रावल और हरलीन का स्ट्राइक रेट चिंता का विषय, खुल सकते हैं शेफ़ाली के लिए दरवाज़े

Kranti Goud made a mess of Tammy Beaumont's stumps, England vs India, 3rd women's ODI, Durham, July 22, 2025

क्रांति गौड़ ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए आख़िरी वनडे में छह विकेट झटके  •  NurPhoto/Getty Images

भारत ने इस साल अब तक वनडे क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया है। आयरलैंड और वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ बड़ी जीत, साउथ अफ़्रीका और श्रीलंका के ख़िलाफ़ त्रिकोणीय सीरीज़ फतह के बाद उन्होंने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए इंग्लैंड को उसी की ज़मीन पर हराया, जैसा उन्होंने 2022 में भी किया था। इस सीरीज़ की कुछ सकारात्मक बातें।

क्रांति गौड़ - एक उभरती सितारा

अब यह यक़ीन करना मुश्किल है, लेकिन मध्य प्रदेश की 21 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ क्रांति गौड़, अप्रैल 2025 तक राष्ट्रीय टीम की दौड़ में भी नहीं थीं। श्रीलंका में त्रिकोणीय सीरीज़ के लिए वनडे टीम में उनका नाम नहीं था, लेकिन एक चोट के कारण तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर काश्वी गौतम बाहर हुईं, तो गौड़ को फ़ाइनल में डेब्यू करने का मौक़ा मिला। उन्होंने पांच ओवर में 22 रन दिए और कोई विकेट नहीं लिया।
जब इंग्लैंड दौरे के लिए प्रारंभिक टीम चुनी गई, तो लगभग 30 खिलाड़ियों की सूची में गौड़ का नाम नहीं था, जिनसे UK वीज़ा के लिए पासपोर्ट जमा करने को कहा गया था। लेकिन बेंगलुरु में विशेष स्किल कैंप में उन्होंने प्रभावित किया और बाद में टीम में जोड़ी गईं।
रेणुका सिंह और तितास साधु के चोटिल होने के कारण गौड़ को यह पता था कि इंग्लैंड में वनडे सीरीज़ के दौरान उन्हें अरुंधति रेड्डी के साथ एक स्थान के लिए संघर्ष करना होगा, क्योंकि भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे स्पिन-प्रधान आक्रमण के साथ उतरेंगे और अमनजोत कौर दूसरी तेज़ गेंदबाज़ होंगी।
मंगलवार को चेस्टर-ले-स्ट्रीट में गौड़ भारत की सबसे युवा खिलाड़ी बनीं, जिन्होंने महिला वनडे में पांच विकेट लिए। 21 साल और 345 दिन की उम्र में उन्होंने झूलन गोस्वामी का रिकॉर्ड तोड़ा। उनकी अंदर आती गेंदें और बल्लेबाज़ों को चकमा देने की क्षमता इंग्लैंड के लिए मुश्किल बनीं। धीमी गेंदों और यॉर्कर का उपयोग भी काफ़ी प्रभावशाली रहा।
मैच में 52 रन देकर छह विकेट लेने के बावजूद उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार नहीं मिला। उनकी कप्तान हरमनप्रीत कौर ने अपनी ट्रॉफ़ी उन्हें समर्पित की और उनके आंकड़े लिखी एक साइन की हुई बॉल उन्हें दी। BCCI द्वारा जारी एक वीडियो में हरमनप्रीत ने कहा: "एक गेंदबाज़ के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। हम लंबे समय से ऐसी तेज़ गेंदबाज़ की तलाश में थे। बहुत अच्छा किया क्रांति तुमने, तुम इसका हक़ रखती हो।"
अपनी राज्य की पूजा वस्त्रकर की तरह, गौड़ ने "तेज़" गेंदबाज़ माने जाने के सभी गुण दिखाए हैं। 30 दिसंबर 2024 को सीनियर महिला एकदिवसीय टूर्नामेंट के फ़ाइनल में ऋचा घोष को आउट करने वाले स्पेल में उन्होंने चार विकेट लिए और सबका ध्यान खींचा। फिर WPL में जब उन्होंने मेग लानिंग को आउट किया, तब उन्होंने बड़े मंच पर अपनी दस्तक दी। चार महीने बाद होने वाले विश्व कप के लिए शायद वह विश्व कप के टिकट की हक़दार बन गई हैं।

रावल बनाम देओल: कोई स्पष्ट विजेता नहीं

प्रतिका रावल ने स्मृति मांधना के साथ पहले और तीसरे वनडे में क्रमशः 48 और 64 रनों की साझेदारी की, लेकिन ऐसा लगा कि उन्होंने दोनों मौक़े गंवाए। इस सीरीज़ में रावल के स्कोर 36, 3 और 26 के रहे और स्ट्राइक रेट लगभग 70 का था। उनकी धीमी शुरुआत और बाद में तेज़ी वाली शैली, आयरलैंड और वेस्टइंडीज़ जैसे अपेक्षाकृत कमज़ोर टीमों के ख़िलाफ़ तो चली, लेकिन इंग्लैंड में नहीं।
हरलीन देओल का पैटर्न भी कुछ ऐसा ही रहा। भारत की नंबर 3 बल्लेबाज़ के तौर पर उन्होंने 27, 16 और 45 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट 66.16 का रहा। देओल के डॉट बॉल की वजह से मांधना को तीसरे वनडे में अतिरिक्त जोखिम उठाना पड़ा और अंततः 45 रन पर बाउंड्री की तलाश में वह आउट हो गईं।
विस्फोटक अंदाज़ की वजह से शेफ़ाली वर्मा को लेकर सबका स्पष्ट आकर्षण है। वह अक्टूबर 2024 से वनडे में नहीं खेली हैं, लेकिन लगातार चर्चाओं में हैं। अगर योजना यह है कि रावल या देओल में से कोई एक नंबर तीन पर खेले, तो संभव है कि वह ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अगले महीने तीन वनडे में आज़माई जाएं, जो विश्व कप से पहले के कुछ आख़िरी मैच होंगे।
हालांकि, अगर दोनों को ही मौक़ा मिलना है, तो उनके स्ट्राइक रेट को लेकर बातचीत ज़रूरी है।

हरमनप्रीत कौर फ़ॉर्म में लौटीं

आयरलैंड के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ के दौरान हरमनप्रीत चोट के चलते बाहर थीं। उससे पहले वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ उन्होंने तीन बार तेज़ शुरुआत की थी, लेकिन उन्हें बड़ी पारी में नहीं बदल सकीं। कुल मिलाकर अक्टूबर 2024 के बाद से उन्होंने कोई अर्धशतक नहीं बनाया था और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अंतिम वनडे से पहले 13 पारियों में उनका औसत सिर्फ़ 29 का था।
ऊपरी तौर पर यह चिंता की बात नहीं थी, क्योंकि शीर्ष क्रम लगातार रन बना रहा था।
लेकिन पहले दो वनडे में 17 और 7 के स्कोर के बाद कप्तान को आगे आना था और उन्होंने वैसा ही किया। हरमनप्रीत ने अपनी 11वीं गेंद पर पहला रन लिया, लेकिन उसके बाद वह ज़्यादातर नियंत्रण में दिखीं। वह पचास रन पूरे होने तक स्वीप शॉट से बचती रहीं और फिर अपने क्लासिक अंदाज़ में स्पिन को मैदान के चारों ओर भेजती रहीं।
हरमनप्रीत ने सलामी बल्लेबाज़ों के जल्दी आउट होने के बाद जेमिमाह रॉड्रिग्स के साथ पारी को संभाला और मध्य ओवरों में धीमे हुए रनरेट की भरपाई की। उन्होंने बार-बार कहा है कि हर पारी में 300 से ज़्यादा स्कोर करना ज़रूरी है और इस मैच में उन्होंने ख़ुद उस लक्ष्य की तरफ़ टीम को पहुंचाया, जिससे उनकी स्पिन-प्रधान गेंदबाज़ी को इंग्लैंड पर दबाव बनाने का मौक़ा मिला।
उन्होंने मैच के बाद कहा, यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण मैच था और मैं यह पारी अपने पापा को समर्पित करना चाहती हूं, जो इस तरह की पारी का इंतज़ार कर रहे थे। मुझ पर थोड़ा दबाव था और मैं टीम के लिए अच्छा करना चाहती थी। जब आप मेहनत करते हैं, तो सही समय ज़रूर आता है। आज वह सही समय था।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में वरिष्ठ संवाददाता हैं