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इशांक जग्गी : पूरे करियर में चोट से जूझते रहें लेकिन क्रिकेट को कभी ना नहीं बोला

झारखंड के सबसे सफल बल्लेबाज़ ने इस घरेलू सीज़न के दौरान संन्यास ले लिया था

Ishank Jaggi goes big during his 90, East Zone v South Zone, Syed Mushtaq Ali, Mumbai, February 15, 2017

इशांक जग्गी ने एक मई को घरेलू क्रिकेट से संन्यास ले लिया था  •  ESPNcricinfo Ltd

2007-08 में सौरव गांगुली देवधर ट्रॉफ़ी के दो वनडे मैच के लिए ईस्ट ज़ोन की टीम में शामिल हुए थे। उसके बाद उन्हें पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक सीरीज़ खेलने के लिए जाना था। उस दौरान गांगुली ने झारखंड के एक युवा बल्लेबाज़ को नेट्स में बल्लेबाज़ी करते हुए देखा। उन्होंने उसे बुलाया और कहा, "इशांक, मेरे जाने के बाद तू ओपन करेगा।"
गांगुली ने हमेशा से कई युवा खिलाड़ियों की पहचान की है, जिन्होंने बाद में जाकर काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया। उसमें से इशांक जग्गी भी एक थे। घरेलू स्तर पर उनका प्रदर्शन काफ़ी शानदार रहा लेकिन चोट ने उन्हें कभी राष्ट्रीय टीम की तरफ़ बढ़ने का मौक़ा नहीं दिया।
एक मई को इशांक ने 33 साल की उम्र में घरेलू क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। वह फ़िलहाल झारखंड प्रीमियर लीग में जमशेदपुर की टीम के कोच हैं।
झारखंड की तरफ़ से खेलेते हुए इशांक ने सबसे ज़्यादा 27 शतक लगाएं हैं और उनके नाम सभी फ़ॉर्मेट में मिलाकर 10 हज़ार से अधिक रन हैं। वह झारखंड के उन खिलाड़ियों में शुमार हैं, जिन्होंने ईस्ट ज़ोन की तरफ़ से खेलते हुए लगातार बढ़िया प्रदर्शन किया। उन्हें इंडिया ए के लिए भी खेलने का मौक़ा मिला। झारखंड जैसी कम ख़्याति वाली टीम को विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी जीतने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई, लेकिन उनका करियर दुर्भाग्यपूर्ण तरीक़े से समाप्त हुआ।
इशांक संन्यास के बारे में ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से कहते हैं, "इस रणजी सीज़न का पहला मैच मैं नहीं खेल पाया। दूसरा मैच खेलने वाला था लेकिन अभ्यास के दौरान फिर से मेरी पीठ में असहनीय दर्द हुआ। मुझे एक बार जब पीठ में दर्द शुरू होता है तो वह ठीक होने में मुझे कम से कम 10 दिन लगते हैं। यह दर्द ऐसा था कि जिसके बाद मेरी रीढ़ की हड्डी में सूजन बढ़ गया था। साथ ही इसके कारण मेरे सीने में भी समस्या होने लगी थी। यह दर्द 10 साल पुराना था। मैं इसे मैनेज करके खेल रहा था। इस बार मामला ऐसा था कि खेलना भी जोखिम लग रहा था।"
इशांक को सबसे पहली चोट साल 2012 में लगी थी। डेक्कन चार्जर्स की टीम में रहते हुए भी उन्हें घुटने में चोट लगी थी लेकिन पीठ में दर्द उन्हें 2012 में शुरू हुई। इसके बाद वह अपने इस दर्द से कभी नहीं उबर पाए।
वह कहते हैं, "डेक्कन चार्जर्स में रहते हुए मुझे जब घुटने में चोट लगी तो मैं ग़लती से दूसरे पैर पर अधिक भार डालने लगा। इसके बाद यह चोट ठीक तो हुई लेकिन फिर मुझे पीठ में इंजरी हो गई। 2012 में हम जमशेदपुर में पंजाब के ख़िलाफ़ रणजी ट्रॉफ़ी में पहली बार क्वार्टरफ़ाइनल खेल रहे थे। उस मैच में मैंने 100 रन बनाए। पहली पारी में काफ़ी देर बल्लेबाज़ी करने के बाद मुझे साढ़े तीन दिन फ़ील्डिंग करनी पड़ी। उस मैच में हमारे दो गेंदबाज़ चोटिल भी हो गए थे। जिसके कारण मुझे 13-14 ओवर गेंदबाज़ी भी करनी पड़ी। वहां से मेरे पीठ में दर्द शुरू हुआ। दो दिन के बाद मैं खड़ा तक नहीं हो पा रहा था।"
इशांक ने अपनी चोट के बारे में एक बात काफ़ी ज़ोर देकर बताई कि किसी भी खिलाड़ी को अगर अपने करियर को लंबा करना है तो उसे अपने शरीर को समझना होगा। उसे पता होना चाहिए वह कितना लोड ले सकता है। दर्द में ही रहते हुए उन्होंने तक़रीबन 10 साल तक क्रिकेट खेला और क्रिकेट के हर फ़ॉर्मेंट में जम कर रन बनाए। लेकिन कई बार उनके करियर में ऐसे पड़ाव आए जहां उन्होंने अपने चोट को दरकिनार करते हुए खेलने को ज़्यादा तवज्जो दिया।
इशांक कहते हैं, "2017 में ईस्ट ज़ोनल चैंपियनशिप हुआ था। उसमें भी मैं सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में था। मैंने चार में से तीन मैच बढ़िया खेला था। इसी के बाद मेरा सिलेक्शन केकेआर की टीम में हुआ था। हालांकि एक बात यह भी थी कि उस समय भी मैंने दर्द में रहते हुए कई मैच खेले थे। बाद में मैंने उसका फिर से इलाज करवाया। हालांकि मुझे रिहैब में छह सप्ताह का समय लगने वाला था लेकिन मैंने उसमें सिर्फ़ तीन हफ़्ते दिए। जब आपके सपने सच होने लगते हैं तो एक चांस तो लेने का मन करता ही है। यह एक ऐसा समय था कि मैं आईपीएल भी नहीं छोड़ सकता था। इससे क्या हुआ कि मेरी चोट और ज़्यादा बढ़ गई। शायद यह मेरे लिए एक ग़लत फ़ैसला था। मुझे अपने रिहैब में जाना था।"
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झारखंड के कप्तान सौरभ तिवारी भी मानते हैं कि इशांक की चोट इतनी ज़्यादा बढ़ गई थी कि उनका खेलना सही नहीं था। हालांकि वह इस बात को स्वीकारते हैं कि झारखंड की टीम में इशांक की जगह को भरने के लिए कई साल लग जाएंगे। सौरभ कहते हैं, "इशांक एक फ़ाइटर प्लेयर हैं। इस बात को इशांक ने कई मौक़ों पर साबित भी किया है।"
जब धोनी भैया भारतीय टीम में गए तो हमें विश्वास हो गया था कि अब हमारे राज्य से भी कोई लड़का इस स्तर तक जा सकता है और उसे पहचान भी मिलेगी। 2015 में वह हमारी टीम के मेंटॉर बने थे। उस दौरान मैं टीम के प्रमुख बल्लेबाज़ों में से एक था। उस दौरान उन्होंने मेरी बल्लेबाज़ी में एक ऐसी कमी निकाली जिसका घाटा पूरी टीम को हो रहा था।
इशांक जग्गी
फ़ॉलोऑन करने के बावजूद किसी टीम को अगर जीत मिलती है तो हम हमेशा लक्ष्मण और द्रविड़ की पारी और 2001 कोलकाता टेस्ट को याद करते हैं। घरेलू क्रिकेट में सौरभ और इशांक की जोड़ी ने भी एक ऐसी ही साझेदारी की थी। 2019 में झारखंड और त्रिपुरा का मैच चल रहा था। उस मैच में झारखंड, रणजी इतिहास में फ़ॉलोऑन खेलने के बाद जीत दर्ज करने वाली पहली टीम बनी थी। जग्गी और सौरभ के बीच एक शानदार साझेदारी हुई लेकिन दर्द ने इस मैच में भी इशांक को नहीं बख़्शा था।
इशांक ने बताया, "उस मैच में भी शतक बनाने के बाद मैं रिटायर हर्ट हो गया था। मैं दर्द में ही वह पारी खेल रहा था लेकिन हमारी टीम जिस स्थिति में थी कि मुझे वहां ज़िम्मेदारी लेनी ही पड़ती। अगर मैं पीछे हट जाता तो शायद हम वह मैच हार जाते। मेरा जब 100 बना तो हम एक टारगेट तक पहुंच गए थे। इसके बाद मैंने सौरभ को बोला कि अब मेरे लिए खेलना संभव नहीं हो पा रहा है।"
इशांक के लिए आत्मसम्मान और टीम सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। अगर वह चयन के लिए उपलब्ध हैं तो वह 100 फ़ीसदी देंगे। उनके लिए यह मायने नहीं रखता कि वह दर्द में हैं या फिर उन्हें कोई और समस्या हो रही है।
भारतीय टीम के लिए ना खेल पाने को लेकर वह कहते हैं, "हर खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए नहीं खेल सकता। ईमानदारी से कहूं तो मैं भारतीय टीम के लायक मेटिरियल नहीं था क्योंकि मेरी पीठ की जो हालत थी, उसने मुझे धीमा कर दिया था। क्रिकेट का पेस जैसे-जैसे ऊपर जा रहा था, वह मेरे लिए कठिन होता जा रहा था।"
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झारखंड क्रिकेट का नाम आते ही शायद सबसे पहले जेहन में जो नाम सामने आता है वह महेंद्र सिंह धोनी का है। इशांक कहते हैं, "जब धोनी भैया भारतीय टीम में गए तो हमें विश्वास हो गया था कि अब हमारे राज्य से भी कोई लड़का इस स्तर तक जा सकता है और उसे पहचान भी मिलेगी। 2015 में वह हमारी टीम के मेंटॉर बने थे। उस दौरान मैं टीम के प्रमुख बल्लेबाज़ों में से एक था। उस दौरान उन्होंने मेरी बल्लेबाज़ी में एक ऐसी कमी निकाली जिसका घाटा पूरी टीम को हो रहा था।"
मैं बढ़िया प्रदर्शन कर रहा था लेकिन भारतीय टीम के लिए तैयार नहीं था लेकिन अब मुझे युवा खिलाड़ियों को ऐसे तैयार करना है कि जब वह बढ़िया प्रदर्शन करें तो भारतीय टीम में शामिल होने के लायक भी बने।
इशांक जग्गी
"हम कर्नाटका के ख़िलाफ़ एक मैच खेल रहे थे। उसमें मैंने 50 रन बनाए थे लेकिन जब आउट होकर पवेलियन आया तो धोनी भैया ने मुझे अकेले में बुलाया। मुझे लगा कि वह मुझे शाबाशी देंगे कि मैंने मुश्किल पिच पर बढ़िया खेला लेकिन मामला अलग था। मुझे ज़ोर की डांट पड़ी। उन्होंने कहा, 'पिच पर जाने के बाद अगर तुम ऐसे रिएक्ट कर रहे हो जैसे पिच बहुत कठिन है और बल्लेबाज़ी करना नामुमकीन है। तुम उस मुश्किल पिच पर रन बनाने का रास्ता ढूंढ ले रहे हो लेकिन जो युवा खिलाड़ी हैं, वह तुम्हारे रिएक्शन को देखेंगे तो उनके प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।' उनकी यह बात तब मुझे समझ में नहीं आई लेकिन बाद में मैंने कुछ मैच की सीडी देखी तो मुझे पता चला कि मैं वाकई पिच से ड्रेसिंग रूम में काफ़ी नकारात्मक सिगनल भेज रहा हूं।"
इशांक ने अपने करियर में ना सिर्फ़ अपने क्रिकेट को आगे बढ़ाया बल्कि झारखंड के कई युवाओं को भी आगे बढ़ने में मदद की। झारखंड के कई खिलाड़ियों ने आज राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बनाई है। एक ऐसी टीम के निर्माण में भी इशांक और सौरभ ने युवाओं को जमकर मौक़ा दिया और इसमें झारखंड क्रिकेट एसोशिएशन ने उनका काफ़ी साथ दिया।
इशांक कहते हैं, "हमने 2010 में एक बड़ा टूर्नामेंट जीत लिया था। हालांकि 2010-11 के तीन चार साल बाद हमारी टीम का प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं था। जेएससीए ने सौरभ को यह साफ़ संकेत दे दिया था कि आप फ़ैसला लो कि आपको कैसी टीम चाहिए। उस समय सौरभ, मैंने और टीम मैनेजमेंट ने कुछ झारखंड के ज़िला स्तरीय टूर्नामेंट से कुछ खिलाड़ियों की पहचान की। 2014-15 में हमें काफ़ी बढ़िया खिलाड़ी मिले। हालांकि युवाओं को मौक़ा देना इतना भी आसान नहीं है। इसके लिए सौरभ ने भी काफ़ी साहस दिखाया। यह वह समय था जब हमें विराट सिंह, कौशल सिंह, इशान किशन, राहुल शुक्ला सहित कई खिलाड़ी मिले।"
आने वाले समय में झारखंड क्रिकेट में अपनी भूमिका के बारे में इशांक का मानना है कि फ़िलहाल वह नए खिलाड़ियों की तलाश कर के टीम को देना चाहते हैं। वह कहते हैं, "मैं अपने करियर में जो नहीं पा पाया, उसे पूरा करने के लिए राज्य के युवाओं को तैयार करना है। एक समय ऐसा था जब राज्य के सात खिलाड़ी आईपीएल खेलते थे, हमें उस चीज़ को जारी रखना होगा।
"मैं बढ़िया प्रदर्शन कर रहा था लेकिन भारतीय टीम के लिए तैयार नहीं था लेकिन अब मुझे खिलाड़ियों को ऐसे तैयार करना है कि जब वह बढ़िया प्रदर्शन करें तो भारतीय टीम में शामिल होने के लायक भी बने।"

राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं