झारखंड की टीम इस बार के रणजी सीज़न में क्वार्टरफ़ाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई लेकिन लीग चरण में उनका प्रदर्शन काफ़ी शानदार रहा। टीम के कप्तान सौरभ तिवारी ने टीम के प्रदर्शन और आने वाले सीज़न के बारे में ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी से बात की।
सवाल: झारखंड के इस साल के प्रदर्शन को आप कैसे आंकते हैं?
सौरभ: लाल गेंद की क्रिकेट में हमने छह साल बाद इस बार क्वार्टर फ़ाइनल खेला, जो टीम के लिए एक बढ़िया संकेत है। आप इस साल हमारे प्रदर्शन को देखिए। हमने जिन टीमों को लीग स्टेज में हरा कर क्वालीफ़ाई किया है, उसमें दिल्ली और तमिलनाडु जैसी टीमें हैं। इन दोनों मैचों के बीच में हमारी टीम के पास बस तीन दिन का गैप था। तामिलनाडु ने पहली पारी में बढ़त ले ली थी, लेकिन उसके बावजूद हम उन्हें हराने में क़ामयाब हुए।
पिछले दो साल से हम एक युवा टीम के साथ खेल रहे हैं। हम अपनी टीम में हर साल लगभग 30 खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफ़ी का एक्सपोज़र दे रहे हैं। इस सीज़न या पिछले कुछ सीज़न में देखें तो कई ऐसे युवा हैं जो प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनमें निंरतरता की कमी है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यह टीम एक अच्छी दिशा में बढ़ रही है बस हमें थोड़ा धैर्य दिखाना होगा।
क्वार्टर फ़ाइनल में कहां चूक हो गई?
मुझे निजी तौर पर ऐसा लगता है कि लीग चरण के बाद हमारे पास बढ़िया मोंमेंटम था लेकिन क्वार्टरफ़ाइनल तक़रीबन डेढ़ महीने के बाद हुआ। इस दौरान हमारी टीम का मोमेंटम टूट गया। बंगाल की टीम बहुत अच्छी है। उन्हें हराने के लिए आपको हर क्षेत्र में उन पर दबाव बनाना होगा और उनसे बढ़िया प्रदर्शन करना होगा।
जैसे हम लोगों ने टॉस जीत कर पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला किया था। हमारे गेंदबाज़ों को और ज़्यादा सटीक होना था। दूसरी बात यह थी कि जब बल्लेबाज़ी के लिए पिच अच्छी हो गई थी तब हम अपना विकेट फेंक कर आ गए। मैंने खु़द पिच पर टिकने के बाद अपना विकेट फेंक दिया। एक बैटिंग ग्रुप के तौर पर बंगाल के ख़िलाफ़ हमने एक ग़लती की कि हम लड़े ही नहीं।
हालांकि अच्छे टीम के साथ खेल कर हारना कहीं ना कहीं अच्छी बात होती है। आप उससे काफ़ी कुछ सीखते हैं।
जब आप लीग मैच खेलते हैं तो आपका प्रदर्शन अच्छा रहता है, लेकिन बड़े मैचों में आपकी टीम कई बार दबाव में दिखती है?
जब आप एक बढ़िया ग्रुप में होते हैं तो आपको कई बार हार का सामना करना पड़ता है लेकिन हारने से आपका अनुभव बढ़ता है। आप काफ़ी कुछ सीखते हैं। आप अपनी ग़लतियों और कमज़ोरियों के बारे में जान पाते हैं। लाल गेंद की क्रिकेट में आपको अनुभव की आवश्यकता होती है, आपको सीखना होता है कि आप कैसे एक मुश्किल परिस्थिति से टीम को बाहर निकाल सकते हैं। फ़िलहाल हमारे पास एक युवा टीम है। जैसे-जैसे वे आगे खेलेंगे, बड़े मैचों के दबाव को बेहतर तरीक़े से हैंडल कर पाएंगे।
आपके करियर का अगला पड़ाव क्या है? इसे आप कैसे आगे लेकर जाना चाह रहे हैं?
मैं रिटायरमेंट नहीं ले रहा हूं भाई (हंसते हुए), अभी काफ़ी क्रिकेट बाक़ी है। मुझे इसके अलावा कुछ आता ही नहीं है। मैं क्या ही करूंगा। मुझे कुछ भी कर के एक बार रणजी ट्रॉफ़ी का फ़ाइनल खेलना है।
मैं रिटायरमेंट के बारे में नहीं, आपके प्रदर्शन के बारे में बात कर रहा हूं?
रेड बॉल क्रिकेट में इस सीज़नमें मेरा प्रदर्शन अच्छा हो सकता था। मैं कई चीज़ों पर काम भी कर रहा हूं। मुझे पता है कि मैं कहां ग़लतियां कर रहा हूं। हालांकि एक बात यह भी है कि आपको हमेशा सीखना पड़ता है। आज का क्रिकेट बहुत फ़ास्ट हो चुका है। अगर आप कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो आपको भी फ़ास्ट होना पड़ेगा और मैं वही करने का प्रयास कर रहा हूं।
आपने कहा कि मैं रणजी फ़ाइनल खेलना चाहता हूं। कई खिलाड़ी कहते हैं कि उनका लक्ष्य फिर से टीम इंडिया में शामिल होना है?
देखिए भारत के लिए खेलना हर किसी का सपना होता है लेकिन मैंने रणजी ट्रॉफ़ी इसलिए कहा कि फ़िलहाल मेरा यही लक्ष्य है। जिस टीम के साथ मैं इतने दिनों तक जुड़ा रहा, उसे आगे लेकर जाने की चाह अलग ही होती है। इंडिया खेलना सबका सपना होता है, मैं अपने बचे हुए क्रिकेट में रणजी का फ़ाइनल खेलना चाहता हूं।
झारखंड की टीम को आप कैसे आगे लेकर जाना चाहते हैं, उसके लिए क्या रणनीति है?
पिछले कुछ सालों में मेरा, इशांक जग्गी और कुछ खिलाड़ियों का यह प्रयास रहा है कि हम एक बढ़िया टीम बनाना चाहते हैं, इसमें हमारे टीम प्रबंधन का बहुत बड़ा रोल रहा है।
हम आज भी चाहते हैं कि हमारी टीम देश में घरेलू स्तर पर टॉप चार या पांच नंबर की टीम रहे। कई बार ऐसा होता था कि हम लीग चरण का में बढ़िया खेलते हैं लेकिन किसी कारणवश क्वालीफ़ाई नहीं कर पाते। हमारा प्रयास यही रहने वाला है कि हम लगातार अपने प्रदर्शन से बड़े टूर्नामेंट में कालीफ़ाई करें।
टीम में युवा खिलाड़ियों की भूमिका को कैसे देखते हैं आप?
आप अगर देखें कि कुछ साल पहले जब हम विजय हज़ार ट्रॉफ़ी जीते या फिर जब हम रणजी के सेमीफ़ाइनल तक पहुंचे तो हमारी टीम में नए खिलाड़ियों की भरमार थी। हम लगातार नए खिलाड़ियों को बैक करना चाहते हैं, उन्हें उचित मौक़ा देना चाहते हैं। अभी भी हमारी मानसिकता वही है। आज भी हमारी टीम में कई युवा हैं जो बढ़िया कर रहे हैं। आप कुछ सालों में देखेंगे कि यही युवा थोड़ा और परिपक्व होकर हमें बड़े टूर्नामेंट जिताएंगे।
एक समय ऐसा भी आया जब हम लगातार क्वालीफ़ाई कर रहे थे। क्वार्टर या सेमीफ़ाइनल खेल रहे थे। इससे टीम की मानसिकता हमेशा सकारात्मक रहती है। आपके टीम का और खिलाड़ियों का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो आपकी टीम के कई खिलाड़ी आगे जाते हैं। आप देख सकते हैं कि आज हमारी टीम के कई खिलाड़ी भारत के लिए या फिर इंडिया ए के लिए खेलते हैं।
इस सीज़न में आपके टीम के एक बड़े बल्लेबाज़ इशांक जग्गी ने संन्यास ले लिया। आप मिस करेंगे उन्हें?
यह बात तो है कि झारखंड की टीम में हम इशांक (जग्गी) को काफ़ी मिस करेंगे। उसकी जगह को भरने में अभी हमें काफ़ी समय लगने वाला है। अचानक से जब आपकी टीम से इतना बड़ा प्लेयर चला जाता है तो उसके स्थान को भरना इतना आसान नहीं होता है। पिछले चार-पांच सालों में उसने जिस तरीक़े से लाल गेंद की क्रिकेट में प्रदर्शन किया है, मुझे लगता है कि वह अदभुत था। यह दौर मेरे हिसाब से उसके करियर का सबसे शानदार दौर रहा है। हालांकि इंजरी के कारण उसे रूकना पड़ा। पूरे करियर में ही उसे इंजरी ने काफ़ी परेशान किया और इंजरी के साथ ही वह अपने क्रिकेट के आगे लेकर जाता रहा।
इशांक एक ऐसा खिलाड़ी जो अगर टीम में है तो वह अपना काम पूरा करने के लिए अपना सौ फ़ीसदी देगा। इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वह दर्द में है या नहीं है। वह अपना विकेट फेंक कर नहीं आएगा या ना ही वह बैक ऑफ़ करेगा कि अभी दर्द हो रहा है और मैं अपनी पारी को आगे नहीं बढ़ा पाऊंगा। वह एक फ़ाइटर प्लेयर है। हम सबको पता है कि उसने काफ़ी ज़्यादा दर्द में कई पारियां खेली है।