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जेपीएल युवा खिलाड़ियों को क्रिकेट के सर्वोच्च स्तर को 'जोहार' कहने का मौक़ा दे रहा है

झारखंड रणजी टीम के कप्तान सौरभ तिवारी मानते हैं कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से भविष्य के सितारे सामने आते हैं

जेपीएल में छह टीमें हिस्सा ले रही हैं। हर टीम 10-10 मैच खेलेगी।  •  ESPNcricinfo Ltd

जेपीएल में छह टीमें हिस्सा ले रही हैं। हर टीम 10-10 मैच खेलेगी।  •  ESPNcricinfo Ltd

झारखंड प्रीमियर लीग (जेपीएल) में छह टीमें शामिल हुई हैं। छह टीमें जिस इंटेंसिटी के साथ मैदान पर खेल रही हैं, वह देखते ही बन रहा है। कुछ युवाओं का प्रदर्शन आला दर्जे का है।
टूर्नामेंट के तीसरे मैच में बोकारो के सत्या सेतु ने रांची के ख़िलाफ़ 53 गेंदों में 80 रनों की पारी खेली। उनकी उस पारी में वह हर गुण था जो एक युवा खिलाड़ी में होना चाहिए। बढ़िया बॉडी पोज़ीशन, बेहतरीन टाइमिंग, बढ़िया रणनीति। वह मैदान के चारों तरफ़ शॉट लगाने में सक्षम हैं। उनकी टीम भले ही हार गई लेकिन सत्या ने अपनी पारी से एक सकारात्मक छाप छोड़ी है।
सत्या लगातार अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं की नज़र में रहे हैं और घरेलू क्रिकेट में हर तरफ़ उनकी बल्लेबाज़ी की तारीफ़ भी हो रही है। जेपीएल जैसा घरेलू टूर्नामेंट सत्या जैसे खिलाड़ियों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का एक बेहतरीन मंच प्रदान करता है।
इन युवाओं के खेल को देख कर लग रहा है कि हमारे राज्य की टीम का भविष्य बहुत बढ़िया है। मैं रणजी के दौरान जब टीम के साथ था तो मैंने देखा कि युवा खिलाड़ी अब टीम में ज़िम्मेदारी लेने के लिए बिल्कुल तैयार हैं।
इशांक जग्गी
इसके अलावा कुमार सूरज, कुमार कुशाग्र जैसे बल्लेबाज़ भी लगातार बढ़िया बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। दूसरी ओर सचिन यादव और अर्पित यादव जैसे खिलाड़ी अपनी गुणवक्ता पूर्ण गेंदबाज़ी से लगातार विकेट झटक रहे हैं।
झारखंड के पूर्व बल्लेबाज़ और जमशेदपुर जगलर्स के कोच इशांक जग्गी कहते हैं, "इन युवाओं के खेल को देख कर लग रहा है कि हमारे राज्य की टीम का भविष्य बहुत बढ़िया है। मैं रणजी के दौरान जब टीम के साथ था तो मैंने देखा कि युवा खिलाड़ी अब टीम में ज़िम्मेदारी लेने के लिए बिल्कुल तैयार हैं। इस बार के जेपीएल में ऐसे खिलाड़ियों की भरमार है जो बहुत ही बढ़िया और ज़िम्मेदारी के साथ खेल रहे हैं। झारखंड क्रिकेट में इस तरह की प्रतियोगिता होने से हमारे राज्य की टीम को काफ़ी मज़बूती मिल रही है।"
टूर्नामेंट का दूसरा मैच दुमका और रांची के बीच खेला जा रहा था। दुमका ने पहली पारी में सिर्फ़ 118 का स्कोर बनाया। ऐसा लग रहा था कि मैच रांची आराम से जीत जाएगा लेकिन असली तस्वीर अभी आना बाक़ी थी। दुमका के गेंदबाज़ों ने एक आसान मैच को कठिन बना दिया। पहले पॉवरप्ले में दुमका ने कसी हुई गेंदबाज़ी करते हुए सिर्फ़ 30 रन दिए और एक विकेट भी लिया।
10वें ओवर के बाद रांची ने 2 विकेट के नुकसान पर सिर्फ़ 55 रन बनाए थे। 18वें ओवर तक मामला 8 विकेट के नुकसान ओर 95 रन तक पहुंच गया। अब मैच दुमका के पाले में था लेकिन रांची हार मानने के मूड में बिल्कुल नहीं थी। मैच ऐसा बना की 'रोमांच' शब्द भी एक बार के लिए मात खा जाए। अंतिम ओवर में 10 रन चाहिए थे। इस ओवर में दो चौके लगे, दो विकेट और एक सिंगल आया। यानि सुपर ओवर।
सुपर ओवर में मैच आसानी से रांची ने जीत लिया। रांची ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 12 का टारगेट दिया लेकिन दुमका के तीन विकेट गिर गए। इस मैच में अब जो भी रोमांच था, उसे लाने का काफ़ी श्रेय दुमका के युवा गेंदबाज़ अतुल सुरवार को जाता है। उन्होंने अपने चार ओवर में 27 रन दिए और पांच विकेट झटके। उनके स्पेल की सबसे अच्छी बात यह थी कि उनके पास हर एक बल्लेबाज़ के लिए एक सोची समझी रणनीति थी।
मैच भले ही यहां ख़त्म हो गया हो लेकिन टूर्नामेंट का रोमांच यहीं नहीं रुका।
जेपीएल जैसे टूर्नामेंट में राज्य के लगभग 75 से 90 खिलाड़ियों को मौक़ा मिल रहा है। हम उनके प्रदर्शन को देख रहे हैं और इससे हमारे टीम मैनेजमेंट को बढ़िया खिलाड़ियों को तलाशने में काफ़ी मदद मिल रही है।
सौरभ तिवारी
अगले दिन सुबह जमशेदपुर और सिंहभूम का मैच था। जमशेदपुर ने 20 ओवर में 183 का स्कोर बनाया लेकिन सिंहभूम के कप्तान सुमित कुमार की दर्शनीय 86 रनों की पारी ने अंतिम लम्हों में जीत अपनी टीम को दिला दी।
पिछले कुछ सालों में झारखंड ने घरेलू क्रिकेट में अच्छी-ख़ासी उपस्थित दर्ज कराई है। झारखंड से कई खिलाड़ी आइपीएल का हिस्सा बन रहे हैं। भारत ए टीम के लिए खेल रहे हैं और साथ ही इशान किशन जैसे खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में लगातार जगह बना रहे हैं। शायद इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि झारखंड में इस तरीक़े के लोकल टूर्नामेंट नियमित रूप से बिना रोक-टोक के हो रहे हैं।
झारखंड रणजी टीम के कप्तान सौरभ तिवारी कहते हैं, "जेपीएल जैसे टूर्नामेंट में राज्य के लगभग 75 से 90 खिलाड़ियों को मौक़ा मिल रहा है। हम उनके प्रदर्शन को देख रहे हैं और इससे हमारे टीम मैनेजमेंट को बढ़िया खिलाड़ियों को तलाशने में काफ़ी मदद मिल रही है। एक खिलाड़ी या कप्तान के तौर पर भी मैं जेपीएल पर लगातार नज़र बनाए रखता हूं। इस साल कुछ खिलाड़ियों का प्रदर्शन मुझे काफ़ी अच्छा लगा है लेकिन उसमें उन्हें निरंतरता लानी होगी, जो फ़िलहाल हमारी टीम की सबसे बड़ी ज़रूरत है।"
कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि झारखंड प्रीमियर लीग ने हमेशा से शांत रहे रांची के माहौल में क्रिकेट का रोमांच भरने का सकारात्मक प्रयास किया है। साथ ही झारखंड के युवा खिलाड़ी क्रिकेट के उच्चतम स्तर को जोहार कहने के लिए तैयार हो रहे हैं।

राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं