23/24: कैसे रोहित एंड कंपनी ने ICC टूर्नामेंट्स में बनाया दबदबा
2023-25 के बीच भारत ने ICC टूर्नामेंट में किसी भी पुरुष टीम के तौर पर सबसे प्रभावशाली अवधि का आनंद लिया है। आइए आंकड़ों पर एक नज़र डालते हैं
संपत बंडारुपल्ली
11-Mar-2025
Rohit Sharma और उनकी टीम के सफ़र पर एक नज़र • ICC via Getty Images
24 में से 23 मैचों में जीत। यह पिछले तीन ICC सीमित ओवर टूर्नामेंट्स में भारत का रिकॉर्ड है। उनकी केवल एक हार 2023 वनडे विश्व कप फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ आई थी। इससे उनका टूर्नामेंट में लगातार दस जीत का सफ़र समाप्त हुआ था।
इसके बाद से भारत 2024 T20 विश्व कप और 2025 चैंपियंस ट्रॉफ़ी में एक भी मैच नहीं हारा है। अगर वे 2023 में ऑस्ट्रेलिया को हरा देते तो तीनों ICC सीमित ओवर टूर्नामेंट में यह एक ऐसा शिखर होता, जहां पर कोई टीम नहीं अभी तक नहीं चढ़ी है। ऑस्ट्रेलिया 2010 और भारत 2014 में इसके क़रीब आया था, लेकिन दोनों T20 विश्व कप फ़ाइनल में हार गए थे।
ICC टूर्नामेंट्स में दबदबा बनाने में भारत, वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया के बराबर
2023-25 के बीच भारत ने ICC टूर्नामेंट में किसी भी पुरुष टीम के तौर पर सबसे प्रभावशाली अवधि का आनंद लिया है। वेस्टइंडीज़ की टीम 1975 और 1983 के बीच तीनों वनडे विश्व कप फ़ाइनल में पहुंचा था। उस समय उन्होंने 17 में से 15 मैच जीते। उन्होंने 1975 और 1979 में कोई मैच हारे बिना ख़िताब जीता लेकिन 1983 में वे फ़ाइनल समेत भारत से दो बार हारे।
ऑस्ट्रेलिया ने 1999, 2003 और 2007 में लगातार तीन वनडे विश्व कप जीतकर वेस्टइंडीज़ को पीछे छोड़ दिया। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया ने 2006 में चैंपियंस ट्रॉफ़ी भी जीती और 2003 और 2007 में उनका विश्व कप ख़िताब एक भी मैच हारे बिना आया। इन आठ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया ने ICC टूर्नामेंट में 44 में से 37 मैच जीते और केवल छह हारे।
रिकी पोंटिंग ने उन आठ वर्षों के दौरान पांच ICC टूर्नामेंट्स में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की और 30-3 का उल्लेखनीय जीत-हार का रिकॉर्ड बनाया, जबकि दो विश्व कप और एक चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीती।
इंग्लैंड ने चार साल की अवधि में दो ICC ख़िताब भी जीते, जिसमें 2019 वनडे विश्व कप और 2022 T20 विश्व कप शामिल था। हालांकि, उनका अभियान उतना प्रभावशाली नहीं रहा, उन्होंने उन टूर्नामेंटों में खेले गए 23 मैचों में से छह में हार का सामना किया।
रोहित बड़े टूर्नामेंट्स में बेहतरीन कप्तान
भारत को लगातार दो ICC ख़िताब दिलाने वाले रोहित शर्मा ICC सीमित ओवरों के टूर्नामेंट में 27 जीत और तीन हार का प्रभावशाली रिकॉर्ड रखते हैं। उनका जीत-हार का अनुपात 9.00 है उन किसी भी कप्तानों के लिए सबसे अच्छा है, जिन्होंने तीन टूर्नामेंट्स के कम से कम 15 मैचों में अपनी टीम का नेतृत्व किया है।
27 जीत के साथ, रोहित पहले ही ICC पुरुष टूर्नामेंट में सबसे अधिक जीत की सूची में एमएस धोनी (41) और पोंटिंग (40) के बाद तीसरे स्थान पर हैं।
पांच या उससे ज़्यादा टीमों वाले वनडे टूर्नामेंट में कप्तान के तौर पर रोहित का रिकॉर्ड और भी शानदार है, 24 जीत और सिर्फ़ दो हार। चैंपियंस ट्रॉफ़ी की जीत मल्टी-टीम टूर्नामेंट में कप्तान के तौर पर उनका तीसरा वनडे ख़िताब था, जिसमें 2018 और 2023 में एशिया कप ख़िताब भी शामिल है।
केवल इमरान ख़ान और पोंटिंग ने ही पांच या उससे अधिक टीमों वाले अधिक वनडे टूर्नामेंट जीते हैं। पिछले साल के T20 विश्व कप को मिलाकर रोहित के पास सभी प्रारूपों में चार मल्टी-टीम टूर्नामेंट ख़िताब हैं, जो इमरान, पोंटिंग और धोनी की बराबरी करते हैं।
वनडे में रोहित का पूरा जीत-हार अनुपात 50 से अधिक मैचों में कप्तानी करने वाले कप्तानों में वेस्टइंडीज़ के क्लाइव लॉयड के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ है।
कैसे भारत इतना दबदबा बना रहा है?
भारत का हालिया दबदबा असाधारण बल्लेबाज़ी और उनके गेंदबाज़ी आक्रमण की अनुकूलनशीलता के कारण है। परंपरागत रूप से वे वनडे में कम से कम तीन तेज़ गेंदबाज़ों के साथ खेलते हैं, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफ़ी के दौरान दुबई में धीमी परिस्थितियों में उन्होंने स्पिन पर बड़ा दांव खेला।
2025 चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत के दो तिहाई ओवर स्पिनरों ने फ़ेंके थे। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ ग्रुप मैच और फ़ाइनल में स्पिनरों ने क़रीब 80% ओवर फ़ेंके थे।
रोहित की कप्तानी में वनडे टूर्नामेंट में भारत के गेंदबाज़ों का औसत सिर्फ़ 23.14 रहा है और हर 30 गेंद पर एक बार विकेट मिला है। उन्होंने 26 में से 19 पारियों में विरोधियों को ऑलआउट किया है और सिर्फ़ एक बार 300 से ज़्यादा रन दिए हैं।
गेंदबाज़ों ने अक्सर यह सुनिश्चित किया है कि भारत को बड़े स्कोर का पीछा करने की ज़रूरत न पड़े और जब टीम के पास बचाव के लिए पर्याप्त स्कोर होता है, तो वे टीम को कई आरामदायक जीत दिलाते हैं। केवल दो कप्तानों के गेंदबाज़ों ने वनडे टूर्नामेंट में बेहतर औसत बनाए हैं, पोंटिंग की ऑस्ट्रेलिया (22.13) और महेला जयवर्दना की श्रीलंका (23.07)।
रोहित की अगुआई में भारतीय बल्लेबाज़ों का औसत वनडे टूर्नामेंट में 46.92 का है, जो गेंदबाज़ी औसत से दोगुना है। रोहित की अगुआई में बल्लेबाज़ी का स्ट्राइक रेट 93.46 है, जो एबी डिविलियर्स की अगुआई में साउथ अफ़्रीका (96.01) और ओएन मॉर्गन की अगुआई में इंग्लैंड (95.11) से आगे है।
शीर्ष पर परिवर्तन
रोहित ने जो मुख्य बदलाव किए, उनमें से एक था ज़्यादा आक्रामक बल्लेबाज़ी करना। उन्होंने पहले दस ओवरों में फ़ील्ड प्रतिबंधों का फ़ायदा उठाया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि भारत चुनौतीपूर्ण लक्ष्य का पीछा करते हुए अक्सर मैच में आगे रहे।
पूर्णकालिक कप्तान के रूप में रोहित की पहली वनडे सीरीज़ फ़रवरी 2022 से भारत ने पहले दस ओवरों में 5.87 प्रति ओवर और 55.15 प्रति विकेट की औसत से रन बनाए हैं। इसकी तुलना में, इसी अवधि के दौरान अन्य पांच शीर्ष टीमों (ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, पाकिस्तान और साउथ अफ़्रीका) का सामूहिक रन रेट 5.39 है, जिसका औसत 34.64 प्रति विकेट है। इसका मतलब है कि भारत ने पहले दस ओवरों में अन्य शीर्ष टीमों की तुलना में लगभग पांच रन ज़्यादा बनाए हैं जबकि औसत 21 रन प्रति विकेट रहा है।
भारत ने पहले दस ओवरों में इतना अच्छा प्रदर्शन पहले कभी नहीं किया था। 2010 के दशक में, भारत ने आम तौर पर अन्य शीर्ष टीमों की तुलना में लगभग चार रन ज़्यादा बनाए, जिसका श्रेय काफ़ी हद तक वीरेंद्र सहवाग को जाता है। हालांकि, उस समय वे दूसरों की तुलना में औसतन कुछ रन ज़्यादा बना रहे थे।
2011 विश्व कप जीत के बाद के दो वर्षों में उनके प्रदर्शन में गिरावट देखी गई, क्योंकि पहले दस ओवरों में उनका औसत केवल 29.3 रन प्रति विकेट था, जिसके कारण वरिष्ठ खिलाड़ियों से दूरी बनानी पड़ी।
जब रोहित ने 2013 में शिखर धवन के साथ साझेदारी की थी, तो टीम की शुरुआत धीमी थी, लेकिन अन्य शीर्ष टीमों की तुलना में औसत बेहतर रहा। 2017 में विराट कोहली के कप्तान बनने के बाद भारत की स्कोरिंग दर में सुधार हुआ, लेकिन वे अभी भी अन्य टीमों से पीछे थे, औसत केवल तीन रन से अधिक था। अन्य टीमों ने अधिक कुशलता से स्कोर करने के तरीके़ ख़ोज लिए थे।
कप्तानी संभालने से पहले वनडे में रोहित का स्ट्राइक रेट सिर्फ़ 69.87 था और औसत सिर्फ़ 36.94 था। पिछले तीन सालों में उन्होंने इस चरण में 61.52 की औसत और 119.62 की स्ट्राइक रेट से 1292 रन बनाए हैं।
इसकी तुलना में, पिछले तीन सालों में भारत के अन्य बल्लेबाज़ों ने इस चरण में 80.93 की औसत से रन बनाए हैं। शुभमन गिल का योगदान उल्लेखनीय रहा है जिन्होंने 94.22 की स्ट्राइक रेट और 93.83 की औसत के साथ 1126 रन बनाए। रोहित के आक्रमण के दौरान एंकर की भूमिका निभाने की उनकी क्षमता भारत की पारी की शुरुआत में सफलता के लिए महत्वपूर्ण रही है।
एक स्थापित बल्लेबाजी यूनिट
वनडे टूर्नामेंटों में भारत की हालिया सफलता का श्रेय उसके स्थिर बल्लेबाज़ी क्रम को भी दिया जा सकता है जिसमें रोहित, गिल, कोहली और श्रेयस अय्यर जैसे शीर्ष चार बल्लेबाज़ शामिल हैं और उसके बाद पांचवें या छठे नंबर पर केएल राहुल हैं।
इन पांच बल्लेबाज़ों ने एक साथ 21 वनडे खेले हैं, जिसमें 18 में जीत और दो में हार मिली है।
इन 21 मैचों में इन पांच बल्लेबाज़ों में से चार का औसत 50 से ऊपर रहा, जिसमें रोहित अपवाद रहे (औसत 49.04)। हालांकि, रोहित का स्ट्राइक रेट 116.51 है जो बाक़ी बल्लेबाज़ों से काफ़ी बेहतर है।
30 की उम्र के बाद के सुधार
रोहित 35 साल के होने से कुछ महीने पहले ही भारत के सभी प्रारूपों के कप्तान बने थे। 37 साल और 60 दिन की उम्र में उन्होंने भारत को टी20 विश्व कप में जीत दिलाई। जब भारत ने चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीती थी, तब उनकी उम्र 37 साल और 313 दिन थी।
रोहित से ज़्यादा उम्र में ICC ट्रॉफ़ी जीतने वाले एकमात्र कप्तान इमरान हैं, जिनकी उम्र 39 साल और 172 दिन थी जब उन्होंने 1992 के वनडे विश्व कप में पाकिस्तान को जीत दिलाई थी। ब्रायन लारा 35 साल की उम्र के बाद ICC ट्रॉफी जीतने वाले एकमात्र अन्य कप्तान हैं, जिन्होंने 35 साल और 146 दिन की उम्र में वेस्टइंडीज़ को 2004 चैंपियंस ट्रॉफ़ी का ख़िताब जिताया था।
उम्र का रोहित की बल्लेबाज़ी पर कोई असर नहीं पड़ा है, बल्कि उनकी बल्लेबाज़ी में सुधार हुआ है।
ESPNcricinfo के स्मार्ट स्टैट्स के अनुसार, 2023 से रोहित की बल्लेबाज़ी रेटिंग 60.93 है, जो इस अवधि में पूरे हुए वनडे मैचों में 1000 से अधिक रन बनाने वाले किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे अधिक है। हाइनरिक क्लासेन 59.82 के साथ दूसरे स्थान पर हैं, जबकि गिल 57.90 के साथ तीसरे स्थान पर हैं। रोहित ने इस अवधि में अपनी 36 पारियों में से 20 में कम से कम 50 बल्लेबाज़ी रेटिंग अंक दर्ज़ किए हैं, यानि उनकी 55.56% पारियों में कम से कम 50 बल्लेबाज़ी रेटिंग अंक, कम से कम 20 बार बल्लेबाज़ी करने वाले 72 खिलाड़ियों में सबसे अधिक है।
वह 35 साल की उम्र के बाद पुरुषों के वनडे में 1000 से ज़्यादा रन बनाने वाले 45 बल्लेबाज़ों में शामिल हैं। उनका स्ट्राइक रेट 117.37 है जो इन सभी में सबसे ज़्यादा है, जबकि सिर्फ़ छह खिलाड़ियों का औसत उनके 49.60 से बेहतर है। तुलना के लिए, 35 साल की उम्र से पहले वनडे में उनका स्ट्राइक रेट 89.01 था, जो उनके करियर के आख़िरी दौर में उनकी बल्लेबाज़ी शैली में आए महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
19 बल्लेबाज़ों ने 35 साल की उम्र से पहले और बाद में पुरुषों के वनडे मैचों में 1500 से ज़्यादा रन बनाए हैं। इनमें से रोहित का स्ट्राइक-रेट अनुपात 35 साल की उम्र से पहले और बाद में 1.32 है, जो सभी में सबसे बेहतर है। क्रिस गेल 1.29 के अनुपात के साथ दूसरे स्थान पर हैं, जिनका स्ट्राइक रेट 35 साल की उम्र के बाद 108.65 है, जबकि पहले यह 84.05 था।
रोहित के बल्लेबाज़ी दृष्टिकोण में बदलाव के कारण बड़े स्कोर कम हुए हैं और रूपांतरण दर भी कम हुई है, उन्होंने 42 पारियों में केवल तीन शतक दर्ज़ किए हैं लेकिन उनकी कुल मिलाकर स्थिरता बरक़रार रही है। 35 वर्ष की उम्र से पहले उनका बल्लेबाज़ी औसत 48.60 था, जो पिछले तीन वर्षों की तुलना में केवल एक रन कम है।
संपत बंडारुपल्ली ESPNcricinfo में स्टैटिशियन हैं।