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'यह तो ज़हर गेंदबाज़ है', जब आकाश दीप की गेंदबाज़ी देखकर ख़ुद को नहीं रोक पाए सूर्यकुमार यादव

आकाश के साथ काफ़ी लम्बा समय बिता चुके सुराशीष लाहिरी ने आकाश की प्रभावी गेंदबाज़ी की वजह बताई

सूर्यकुमार यादव और दलीप ट्रॉफ़ी में उनकी टीम के कुछ साथी ड्रेसिंग रूम में एक ज़हर गेंदबाज़ की गेंदबाज़ी टीवी पर देख रहे थे।
यह गेंदबाज़ कुछ ही सप्ताह पहले तक उनके साथ ही था। हालांकि यह गेंदबाज़ दूसरी टीम में था और मैच में उसने नौ विकेट चटकाए थे। जब यह गेंदबाज चेन्नई गया तो उसने अपने खाते में दो और विकेट जोड़ लिए।
इंडिया बी के कोच सुराशीष लाहिरी ने उस पल को याद करते हुए कहा कि सूर्यकुमार ने आकाशदीप गेंदबाज़ी देखते समय अपने बॉम्बे स्टाइल में कहा, "यह तो ज़हर है।"
लाहिरी आकाश के साथ उस समय से हैं जब वह क्लब क्रिकेट के बाद बंगाल की टीम से जुड़े थे।
उन्होंने कहा, "मैंने उसे पहली बार CAB (क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल) के इंडोर नेट्स में देखा था। इंडोर नेट्स में ज़्यादा लम्बा रन अप लेने की सुविधा नहीं होती लेकिन आकाश उसमें भी अपनी गति से काफ़ी प्रभावी दिखाई दिया। वह सच में बल्लेबाज़ों को काफ़ी परेशानी में डाल रहा था।"
आकाश ने चेन्नई में अपनी गेंदबाज़ी से दर्शाया कि वही 130 किमी से अधिक की गति के रेंज के आसपास गेंदबाज़ी कर सकते हैं और फिर भी जिन दो बल्लेबाज़ों को उन्होंने आउट किया, वो दोनों ही अपना शॉट खेलने में लेट थे। उन्हें यह गति कहां से मिल रही थी?
लाहिरी ने कहा, "उसके आर्म एक्शन से। उसके आर्म का रोटेशन इतना तेज़ है कि हाथ से गेंद छूटते ही उसके ऊपर एक तरह से व्हिप इफ़ेक्ट पड़ जाता है। व्हिप इफ़ेक्ट टेनिस का एक टर्म है। जब गेंद रैकेट से छूटती है तो वो बहुत स्पिन होती हुई जाती है और उसके बाद कोर्ट में स्किड होती है। आकाश के पास वही व्हिप इफ़ेक्ट है।"
वह गेंद को ज़ोर से नहीं पकड़ते हैं। उंगलियां सीम पर घूमती हैं। यह सब कुछ एक क्विक आर्म एक्शन की वजह से होता है। और यह एक बैकस्पिन पैदा करती हैं जिससे गेंद के टप्पा खाने के बाद भी आकाश अपनी गति नहीं खोते। एंड्र्यू फ़्लिंटॉफ़ को इस विधा में महारत हासिल थी।
ज़ाकिर हसन और मोमिनुल हक़ को अपना शिकार बनाने के लिए आकाश ने एक और तरकीब का इस्तेमाल किया था। उन्होंने गेंद के चमकदार हिस्से को हथेली के अंदर की ओर पकड़ा था। इससे गेंद अमूमन दूसरी दिशा में घूमती है, स्लिप की ओर लेकिन यह गेंदें उस तरफ़ न घूमकर अंदर की ओर आईं। क्योंकि सीम अपराइट न होकर वोबलिंग थी।
सही से इस्तेमाल करने पर वोबल सीम से की हुई गेंद एक तरह से अनिश्चितता पैदा कर सकती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में यह संभावना बनी रहती है कि गेंद सीम पर पड़कर किसी भी दिशा में मुड़ सकती है और उतनी ही संभावना इस बात की भी बनी रहती है कि गेंद लेदर पर टप्पा खाए और अपेक्षा अनुसार घुमाव ही प्राप्त न करे। मोहम्मद सिराज जोकि प्राकृतिक तौर पर एक आउटस्विंगर हैं वो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के अंदरूनी किनारे को टारगेट करने के लिए वोबल सीम का इस्तेमाल करते हैं।
लाहिरी आकाश की तरक्की देखकर प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा, "जब पहली बार उसे इंग्लैंड सीरीज़ के लिए बुलावा आया तब मैं उसके साथ ही था। हम तिरुवनंतपुरम में एक रणजी ट्रॉफ़ी मैच खेल रहे थे। इस बार मैं दलीप ट्रॉफ़ी में उसके साथ था। वो इंडिया ए के लिए खेल रहा था लेकिन हर समय हम साथ में ही थे। हम एक ही होटल में थे। 8 सितंबर को उसका चयन हुआ था, है न? और 9 सितंबर को मेरा जन्मदिन था, और वो मेरे लिए केक लेकर आया था। उसने मेरे से कहा कि यह मेरे जन्मदिन का केक है लेकिन मैंने उससे कहा कि आज दोहरी खुशी का मौक़ा है। मुकेश (कुमार) भी वहीं था। काफ़ी अच्छा अनुभव था।"
वह घरेलू क्रिकेट में भी अभी अपने करियर की शुरुआत में हैं। उन्होंने अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू पांच साल पहले किया था। बहुत संभव है कि उन्हें इस चढ़ाव के बाद उतार भी देखना पड़े। लेकिन उन संभावित चुनौतियों से बड़ी चुनौतियों का सामना वह काफ़ी पहले ही कर चुके हैं। अपने पिता और भाई को खोने के बाद बिहार के सासाराम से चलकर पूरे देश भर में उस खेल में जगह बनाने के लिए घूमना, जिसके बारे में बहुत लोग सोच भी नहीं पाते।
यह सब आकाश की मेहनत का ही नतीजा है कि लोग उनके बारे में कह रहे हैं, "यह तो ज़हर गेंदबाज़ है।"