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कैसे लोमरोर और पाटीदार ने सीएसके की स्पिन को दबाया

रोमांचक मैच में बेंगलुरु के सबसे महत्वपूर्ण रन इस अप्रत्याशित जोड़ी से आए

पुणे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और चेन्नई सुपर किंग्स के लिए एक तटस्थ स्थान माना जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं था। मैच से तीन घंटे पहले एमसीए स्टेडियम के चारों ओर पीले रंग का एक समुद्र जमा हो गया था, जैसा कि उन्होंने 2018 में किया था, जब फ़्रैंचाइज़ी को अपने घरेलू मैदान से बाहर खेलने की वजह से अपने प्रशंसकों के लिए पुणे तक एक विशेष ट्रेन का आयोजन करना पड़ा था। धोनी के प्रशंसकों ने लंबी कतार लगाई, कोहली के प्रशंसक उसमें शामिल हुए और यह ऐसा था जैसे स्टेडियम एक विशाल पार्टी थी जो उड़ान भरने की प्रतीक्षा कर रही थी, जिसमें पीला आराम से लाल रंग से अधिक था। इस बार भी पिच ऐसी तैयार की गई थी कि प्रशंसकों की तरह खिलाड़ियों को भी घर जैसा महसूस हो। यहां स्पिन थी, यहां ग्रिप थी और बाउंस भी था। जब यह तीनों चीज़ें एक साथ मिल जाती हैं तो एमएस धोनी कप्तान के तौर पर कुछ अलग ही दिखते हैं।
बेंगलुरु की शुरुआत ख़राब रही। उनका पावरप्ले में 6.58 का स्कोरिंग रेट इस सीज़न में सभी 10 टीमों में सबसे कम है। बुधवार को उन्होंने बहुत ग़लतियां की। बल्ले का भारी और हल्का किनारा लग रहा था, लेकिन इसके बाद विराट कोहली का कवर के ऊपर से एक पंच आया जो छक्के के लिए गया। यह लाजवाब था, फ‍िर चाहे मैदान पर येलो का बोलबाला हो, लेकिन इससे पहले की बेंगलुरु को लगता कि उन्होंने अच्छी शुरुआत की है, चीज़ें उनके लिए बिगड़ने लगी। एमएस धोनी की स्पिन की रणनीति काम करने लगी थी और जब ऐसा होता है तो वह मैच पर पकड़ बना लेते हैं।
मोईन अली दूसरी ही गेंद करने आए और डीप मिडविकेट पर गेंद को उठाकर मारने के प्रयास में वह आउट हो गए। नौवें ओवर में ग्लेन मैक्सवेल एक रन चुराने के चक्कर में रन आउट हो गए। 10वें ओवर में एक अच्छी ऑफ़ स्पिन पर कवर ड्राइव लगाने के चक्कर में कोहली चूक गए और गेंद बहुत ज़्यादा टर्न होती हुई स्टंप्स में जा घुसी। 10 ओवर के अंदर शीर्ष तीन बल्लेबाज़ पवेलियन में थे और स्कोर 60 पर 0 से 79 पर 3 हो गया।
यहां से अनकैप्ड खिलाड़ियों रजत पाटीदार और महिपाल लोमरोर के हाथों में बेंगलुरु की कमान थी। सीज़न की शुरुआत में किसी ने सोचा नहीं होगा कि यह दोनों एक साथ प्लेयिंग इलेवन में होंगे। पाटीदार तो नीलामी में भी नहीं चुने गए थे। वह ढाका प्रीमियर लीग या यूके में क्लब क्रिकेट खेलने पर विचार कर रहे थे क्योंकि उन्हें नीलामी में नहीं चुना गया था, लेकिन इसी बीच बेंगलुरु के डायरेक्टर ऑफ़ क्रिकेट ऑपरेशंस माइक हेसन ने कॉल किया और अपना बस्ता बांधकर आईपीएल में जलवा दिखाने को कहा। युवा विकेटकीपर लवनीत सिसोदिया के चोट की वजह से बाहर होने की वजह से पाटीदार को यह मौक़ा मिला।
वहीं दूसरी ओर लोमरोर हैं, जिन्होंने 22 साल की उम्र में बहुत ज़िंदगी और क्रिकेट देख लिया है। छह साल पहले वह ऋषभ पंत, इशान किशन और आवेश ख़ान के साथ अंडर 19 भारतीय टीम का हिस्सा थे। उन तीनों के करियर तेज़ी से आगे बढ़े, वहीं लोमरोर को 19 साल की उम्र में राजस्थान की कप्तानी दे दी गई। यह एक ऐसे प्रदेश की टीम थी जहां पर प्रशासनिक चुनौतियां थी, जहां चयन का पता नहीं होता और टीम पर प्रस्थान के दिन से पहले कुछ फ़ैसला नहीं होता। एक कप्तान के तौर पर उन्होंने टीम को, ट्रेनिंग सहित सभी कुछ संभाला।
इस उम्र में जहां उनका लाल और सफ़ेद गेंद के साथ लुत्फ लेने का समय था, वह इन सब चीज़ों में फंस गए। हालांकि, इस अतिरिक्त ज़िम्मेदारी की वजह से वह एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभरे। कप्तानी उनके पास से जा सकती है, लेकिन उन्होंने दिखाया कि वह सही रास्ते पर हैं।
जूनियर क्रिकेट में लोमरोर और पंत दोनों राजस्थान में प्रसिद्ध थे। घरेलू क्रिकेट के सम्मानित कोच चंद्रकांत पंडित ने तो लोमरोर का नाम जूनियर गेल तक रख दिया था। बुधवार को लोमरोर को अपने अंदर के गेल को ही जगाने का मौक़ा था। उन पर अपनी टीम को दोबारा पटरी पर लाने की ज़िम्मेदारी थी। एक ऐसी पिच पर जहां आते ही रन बनाना आसान नहीं था।
यहीं पाटीदार ने उनकी मदद की। दोनों लगातार स्ट्राइक को बदलते रहे, अच्छी गेंद को सम्मान देते रहे और स्कोरबोर्ड को चलाते रहे। चौथी गेंद जो उन्होंने खेली वह मोईन की थी और उन्होंने लांग ऑन के ऊपर शॉट लगा दिया। मोइन की लेंथ को ख़राब करने के प्रयास में वह उन पर दोबारा उन पर शॉट खेलने गए। जब थीक्षना आए तो उन्होंने साइट स्क्रीन की ओर गोली की रफ़्तार से शॉट खेला। वह स्पिन के साथ ही गेंद को खेल रहे थे।
पाटीदार की छाप अब लोमरोर पर भी पड़ने लगी थी। जल्द ही दोनों ने 32 गेंद में 44 रन जोड़ लिए। जब डीप मिडविकेट पर मुकेश चौधरी ने पाटीदार का शानदार कैच लिया और वह 15 गेंद में 21 रन बनाकर 16वें ओवर में आउट हुए तब तक लग गया था कि उन्होंने अपना काम कर लिया है। अब ​फ‍़िनिशर दिनेश कार्तिक क्रीज़ पर थे, लेकिन उन्हें थीक्षना को खेलने में परेशानी हो रही थी, ऐसे में कमाल लोमरोर ने अपने हाथों में संभाली।
बेंगलुरु में बहुत कम ही देखने को मिलता है कि उनके शीर्ष क्रम और फ‍़िनिशर का गैप एक अनकैप्ड खिलाड़ी भरता है, लेकिन पिछली दो पारियों में लोमरोर ने ऐसा कर दिया है। 19वें ओवर में जब लोमरोर आउट हुए तो उन्होंने अपनी टीम के गेंदबाज़ों को बचाने के लिए कुछ स्कोर दे दिया था।
यह स्कोर तब भी कम था, लेकिन कम ओस की वजह से यह काम कर सकता था। 26 गेंद में 42 रन की पारी में उन्होंने परिपक्वता दिखाई और बेंगलुरु के लिए एक उजाले की किरण की तरह दिखे।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।