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जीतेगा भाई जीतेगा, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु...

हम पर नहीं तो भाग्य का सहारा, विपक्ष की बड़ी ग़लतियां और एक अदृश्य हीरो पर भरोसा रखिए

इस बार आरसीबी के जीतने के चांस बन रहे हैं  •  BCCI

इस बार आरसीबी के जीतने के चांस बन रहे हैं  •  BCCI

खिलाड़ियों के भूमिका की स्पष्टता को एक मिनट के लिए भूल जाइए। आख़िरी ओवरों में हर्षल पटेल की गेंदबाज़ी और दिनेश कार्तिक की बल्लेबाज़ी को भी नज़रअंदाज़ करते हैं। वनिंदु हसरंगा की मिडिल ओवर गेंदबाज़ी को भी छोड़ दीजिए। अगर आप रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के असली फ़ैन हैं (और हमारे हिंदी टीम में कम से कम एक सदस्य तो है ही) तो शायद आप शादी में "ई साला कप नमदे" बजाने ही लगे हैं। 2022 बेंगलुरु का साल दिख रहा है। शायद आप ने भी कुछ और चिंह देखे हैं लेकिन अगले कुछ पंक्तियों में हम आपको बताते हैं हमने क्या कुछ साफ़ देखा है।
डीआरएस
बेंगलुरु समर्थकों को बीते सीज़न में हुए क़रीबी फ़ैसलों और प्लेऑफ़ में हुए दुर्घटनाओं के बुरे सपने आज भी सताते होंगे। एलिमिनेटर में दिनेश कार्तिक दूसरी गेंद पर डक पर आउट हो सकते थे। उनको पगबाधा नहीं दिया गया और इससे वह अंपायर्स कॉल पर बच गए।
ऋषभ पंत को कैसे भूलें? वही पंत जो आम तौर पर हर अपील पर रिव्यू लेने को तैयार रहते हैं लेकिन मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ रिव्यू ना लेने का फ़ैसला आख़िर में दिल्ली कैपिटल्स पर भारी पड़ा।
ऐसे क़रीबी फ़ैसले इस साल बेंगलुरु के विपक्ष को परेशान करते आ रहे हैं। रोवमन पॉवेल को दिल्ली के लिए अहम मोड़ पर नो बॉल ना मिलना। गुजरात टाइटंस के मैथ्यू वेड का गेंद पर संपर्क करने के बावजूद अल्ट्राएज पर कोई गतिविधि नहीं आना (इस मैच में बेंगलुरु हारते तो प्लेऑफ़ से बाहर होते)। ऐसा लगता है पहली बार एक सीज़न के बाद बेंगलुरु टीम अंपायरों से कोई निर्णय प्रणाली में कटौती करवाने की मांग नहीं करेगी।
छोड़ो कैच हारो मैच
रजत पाटीदार और कार्तिक दोनों को तब ड्रॉप किया गया था जब उनकी साझेदारी 10 रन तक भी नहीं पहुंची थी और आख़िर में उन्होंने 41 गेंदों पर 92 रन जोड़े। पंत भाईसाहब को जाने देने से पहले यह भी याद दिला दें कि उन्होंने कार्तिक का कैच भी पांच के निजी स्कोर पर गिराया था और फिर उन्होंने 34 गेंद पर 66 रन ठोके थे।
बड़े नाम पर कम निर्भरता
फ़ाफ़ डुप्लेसी, ग्लेन मैक्सवेल और विराट कोहली ने कुल मिलाकर इस सीज़न केवल तीन ऐसी पारियां खेली हैं जहां उन्होंने 140 या अधिक के स्ट्राइक रेट से 40 के ऊपर मारे हो। डुप्लेसी ने तो ऐसी धारदार पारी 8 मई के बाद नहीं खेली है। इन तीनों की भरपाई कोई ना कोई और कर रहा है। प्रकृति के नियम कहते हैं कि भाई इनका दिन आएगा।
लक बाइ चांस
पाटीदार आईपीएल के दौरान छुट्टी लेकर शादी करने वाले थे। लवनिथ सिसोदिया के चोटिल होने पर उन्हें खेलने का मौक़ा मिला। उन्होंने पहले 20 दिन टीम से बाहर ही बिताए और बाक़ी विकल्पों के नाक़ाम होने पर उन्हें खिलाया गया। और उन्होंने आपको अपनी टी20 जीवन के पहले शतक के साथ एलिमिनेटर जितवा दिया।
अन्य टीमों में बसे जासूस
पाटीदार तो टीम के होते हुए इस साल घर लौटे, टिम डेविड बेंगलुरु के ही हुआ करते थे। उन्हें इस साल नीलामी में बेंगलुरु ने नज़रअंदाज़ कर दिया था। डेविड ने मुंबई की ओर से एक कड़े मुक़ाबले में 11 गेंदों पर 34 बनाए और दिल्ली को बेंगलुरु के रास्ते से हटा दिया।
मिस्टर इंडिया
इस टीम में एक ऐसा शख़्स है जिसके बिना 2016 के बाद केवल मुंबई ने आईपीएल का ख़िताब जीता है। इन्होने ख़ुद केवल चार प्लेऑफ़ मैच खेले हैं। चार प्लेऑफ़ मैच में उन्होंने चार ख़िताब जीते हैं, सनराइज़र्स हैदराबाद, मुंबई इंडियंस के साथ एक-एक और चेन्नई सुपर किंग्स के लिए दो। एक ख़िताबी दौड़ में तो वह खेले भी नहीं।
'रनऑर्डर' में हमारे साथी प्रभंजन वर्मा ने ज़रूर बताया था कैसे बेंगलुरु की कर्ण शर्मा को अपने बेस प्राइस 50 लाख रुपयों में खरीदना एक मास्टरस्ट्रोक था।
कप्तान साहब
जब पिछली बार आईपीएल का ख़िताब शीर्ष की दो टीमों में से बाहर की किसी टीम ने जीता था तो उनके कप्तान विदेशी थे। इस सीज़न प्लेऑफ़ में डुप्लेसी इकलौते विदेशी कप्तान हैं।
बहुत ज़्यादा तो नहीं हो गया? जो भी हो भाई, ई साला कप नमदे

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं