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क्या धोनी ने गुजरात के ख़िलाफ़ पथिराना को गेंदबाज़ी कराने के लिए जानबूझकर समय बर्बाद किया?

पथिराना को मैदान से बाहर रहने के एवज़ में 8 मिनट तक गेंदबाज़ी के लिए इंतज़ार करना था लेकिन धोनी उनसे तत्काल गेंदबाज़ी कराना चाहते थे और फिर शुरू हुई अंपायरों के साथ धोनी की लंबी बातचीत...

MS Dhoni has a chat with Chris Gaffaney about Matheesha Pathirana's time back on the field after taking a few minutes off, Gujarat Titans vs Chennai Super Kings, Qualifier 1, IPL 2023, May 23, 2023

एम एस धोनी अंपायर क्रिस गफ़ाने से मथीश पथिराना के बारे में बातचीत करते हुए  •  BCCI

आठ मिनट से अधिक समय तक मैदान से बाहर रहने के बावजूद मथीश पथिराना को डेथ ओवरों में अपना दूसरा ओवर करने की अनुमति कैसे दी गई? ये घटना हुई थी गुजरात और चेन्नई के बीच हुए क्वालीफ़ायर-1 मुक़ाबले में। भले ही चेन्नई सुपर किंग्स ने 15 रनों से मैच जीत लिया हो, लेकिन इस सवाल ने काफ़ी उत्सुकता पैदा कर दी है।
आईपीएल के नियमों के अनुसार, अगर कोई खिलाड़ी आंतरिक चोट के इलाज के लिए - या किसी अन्य कारण से मैदान छोड़ता है तो उसे गेंदबाज़ी करने की अनुमति देने से पहले आठ मिनट से अधिक समय तक मैदान पर फ़ील्डिंग करने की ज़रूरत होती है । हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी कि मैदान छोड़ते समय पथिराना को क्या चोट लगी थी। पथिराना के मैदान छोड़ने का कारण जानने के लिए चेन्नई से पूछा गया सवाल अभी तक अनुत्तरित है।
पथिराना ने पारी के 12वें ओवर के रुप में अपना पहला ओवर डाला था जिसमें चार वाइड सहित 10 रन बने। उसके कुछ देर बाद वह मैदान से बाहर चले गए। उनकी वापसी पर, उन्हें 16वां ओवर फेंकने को कहा गया। मैच की इस स्टेज पर गुजरात का स्कोर 6 विकेट पर 102 रन था, और जीत के लिए 71 रन और चाहिए थे।
जब चेन्नई के कप्तान एम एस धोनी मैदान को फ़ील्ड जमा रहे थे तो उन्होंने देखा कि पथिराना स्ट्राइकर एंड पर अंपायर अनिल चौधरी से बात कर रहे थे। इस बारे में बात करने के लिए धोनी स्क्वेयर लेग पर खड़े अंपायर क्रिस गफ़ाने से जानकारी लेने गए। इस दौरान टीवी कमेंटेटर्स ने समझाते हुए कॉमेंट्री में कहा कि पथिराना नौ मिनट के लिए मैदान से बाहर थे, इसलिए अंपायर्स की बातचीत स्पष्ट रूप से इस बारे में थी कि, क्या पथिराना उस समय गेंदबाज़ी करने के लिए योग्य थे।
ईएसपीएनक्रिकइन्फ़ो को पता चला है कि मैच अधिकारियों ने उस समय धोनी को सूचित किया था कि पथिराना को फिर से गेंदबाज़ी करने से पहले कुछ और मिनट इंतज़ार करना होगा। ज़ाहिर तौर पर धोनी ने खेल के नियमों को स्वीकार किया, लेकिन तर्क दिया कि उनके पास पथिराना से गेंदबाज़ी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
उनके तीन अन्य प्रमुख गेंदबाज़ों - रवींद्र जडेजा, महीश थीक्षणा और दीपक चाहर - ने अपने चार-चार ओवर पूरे कर लिए थे। पथिराना के तीन ओवरों के अलावा केवल तुषार देशपांडे के दो ओवर बचे थे। एकमात्र अन्य गेंदबाज़ी विकल्प मोईन अली ने बिल्कुल भी गेंदबाज़ी नहीं की थी और यह पता चला है कि धोनी ने अंपायरों से कहा कि वह दाएं हाथ के दो बल्लेबाज़ों - विजय शंकर और राशिद ख़ान - के सामने एक ऑफ़ स्पिनर से गेंदबाज़ी नहीं करा सकते हैं।
धोनी और अंपायरों के बीच इस बातचीत में समय गुज़रता रहा। धोनी को याद दिलाया गया कि अगर 20वां ओवर निर्धारित कट-ऑफ़ समय पर शुरू नहीं हुआ तो उन्हें और सीएसके टीम को धीमी ओवर गति के लिए वित्तीय दंड भुगतने के साथ ही जुर्माने के तौर पर 30 गज के घेरे के बाहर केवल चार फ़ील्डर ही रखने होगें। माना जा रहा है कि गुजरात के बल्लेबाज़ों ने भी देरी के बारे में मैच अधिकारियों से बात की।
आख़िरकार, धोनी और अंपायरों के बीच चार मिनट की चर्चा के बाद पथिराना को गेंदबाज़ी करने की अनुमति दी गई। इस बीच पथिराना के मैदान पर लौटने के बाद फ़ील्डिंग की अनिवार्यता वाला ज़रूरी समय भी बीत गया। उन्होंने अपने दूसरे ओवर में 13 रन दिए, फिर अपने अगले ओवर में विजय शंकर का विकेट चटकाया, जिसमें चार रन और दर्शन नालकंडे को भी रन आउट किया।
इस देरी ने चेन्नई को आर्थिक रूप से कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, हालांकि उन्हें कट-ऑफ़ समय के बाद 20वां ओवर शुरू करने के लिए इन-मैच पेनल्टी यानी 30 गज के घेरे के बाहर केवल चार फ़ील्डर रखने वाला जुर्माना भुगतना पड़ा।
ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या अंपायरों ने अनुचित खेल से जुड़े नियमों के अनुच्छेद 41.9 के तहत चेन्नई को दंडित करने पर विचार किया? ये नियम फ़ील्डिंग टीम द्वारा समय बर्बाद करने से संबंधित है।
इस नियम के अनुसार, अगर अंपायरों को लगता है एक ओवर के दौरान जानबूझकर समय बर्बाद किया जा रहा है तो अंपायरों को फ़ील्डिंग कर रही टीम के कप्तान को पहली और अंतिम चेतावनी जारी करनी होती है। इसी ग़लती को दोबारा करने पर बल्लेबाज़ी टीम को पांच पेनल्टी रन दिए जाते हैं और गेंदबाज़ को उसी समय निलंबित भी कर दिया जाता है। हालांकि, समय बर्बाद करने वाले नियम को लागू करना पूरी तरह से अंपायरों के विवेक पर छोड़ दिया गया है।
इस घटना के बाद अब इस बात की संभावना है कि अन्य टीमें भी इस घटनाक्रम को देखेंगी और ऐसा करना भविष्य में एक प्रवृत्ति बन सकती है।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं.