19 अप्रैल को लखनऊ में सबकुछ साधारण नहीं था। यह वो दिन था जब लखनऊ सुपरजॉयंट्स (LSG) का सामना
चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) से होना था। एक क्रिकेट मैच के लिए शहर का हाव-भाव बदल जाना मामूली बात नहीं थी। मैच से एक दिन पहले ही फ़ैंस अच्छी मात्रा में स्टेडियम के आस-पास मौजूद थे और मैच के दिन तो मानों पीली जर्सी का सैलाब ही आ निकला था।
शाम क़रीब पांच बजे ही स्टेडियम से लगभग दो किलोमीटर दूर तक तगड़ा जाम लग चुका था और सड़क के किनारे पैदल ही फ़ैंस स्टेडियम की ओर बढ़े जा रहे थे। स्टेडियम के थोड़ा क़रीब पहुंचने पर जैसे ही पुलिस का सायरन बजा तो लोग उछलने लगे क्योंकि उन्हें पता चल चुका था कि CSK की टीम बस आ रही है।
बस को फ़ैंस ने दोनों ओर से घेरना चाहा, लेकिन पुलिस की सख़्ती के चलते उन्हें एक ओर से रास्ता देना ही पड़ा। हालांकि फ़ैंस जिस एक इंसान को देखने के लिए आतुर थे वो तो बस में कहीं छिपकर बैठा था। हर कोई
एमएस धोनी को देखना चाहता था, लेकिन धोनी किसी को दिखे ही नहीं।
स्टेडियम के ठीक बाहर फ़ैंस बेकाबू हो गए और उन्होंने चारों ओर से बस को घेर लिया। इस बार लगभग पांच मिनट तक मेहनत करने के बाद रास्ते को थोड़ा सा खाली कराया जा सका और धीरे-धीरे बस आगे की ओर गई। अब यहां से आप जिधर भी निगाह घुमाते, हर ओर आपको पीली जर्सी ही दिख रही थी। बंगाल से लेकर नेपाल तक के लोग यह मैच या ये कहें कि सिर्फ़ धोनी को देखने आए थे।
मऊ से आठ लोगों की टोली लगभग 300 किलोमीटर की सड़क यात्रा करके यह मैच देखने पहुंची थी। इसमें अधिकतर पढ़ाई करने वाले और कुछ ख़ुद का बिजनेस कर रहे लोग थे। इन सभी ने एक सुर में कहा, "हम माही का बस दीदार करने आए हैं। माही की एक झलक मिल जाएगी तो हमारा दिन बन जाएगा।"
धोनी की झलक पाने को आतुर यह केवल इकलौती टोली नहीं थी, बल्कि धोनी की झलक पाने के लिए लगभग हर कोई तड़प रहा था। थोड़ा और घूमने-टहलने के बाद पता चला कि बिहार के भी बहुत सारे लोग यह मैच देखने पहुंचे हैं। हर कोई अपने-अपने तरीके से तैयारी भी कर रहा था। चेहरे पर धोनी का नाम लिखवाना और माथे पर CSK की पट्टी बांधना भी इस तैयारी का हिस्सा था। पटना से आए छह लोगों की एक टोली मिली जिसमें मौज़ूद सारे ही लोग धोनी को लेकर काफ़ी उत्सुक और भावुक थे।
इस टोली में शामिल विक्की, सुमित कुमार, रोहित, विक्रम सिंह और रवि ने एक सुर में बताया, "हम सभी पढ़ाई कर रहे हैं और पटना से अपने धोनी को देखने आए हैं। लगभग 500 किलोमीटर कार से आए हैं और अगर धोनी ने एक छक्का भी मार दिया तो हमारा यहां तक आना सफल हो जाएगा। भले ही आने-जाने में हमने बहुत खर्च कर दिया है, लेकिन धोनी को देखने को जो मजा है उसके आगे सारे खर्चे भूल जाते हैं।"
विकास जैन, प्रांशू गोयल और हिमांशु शर्मा तो मध्य प्रदेश के शिवपुरी से लगभग 500 किलोमीटर कार चलाकर आए थे। इन लोगों को लग ही नहीं रहा था कि ये लखनऊ हैं क्योंकि माहौल के हिसाब से उन्हें चेन्नई में होने की फील आ रही थी। ये तीनों मैच से एक दिन पहले ही लखनऊ आ गए थे ताकि धोनी का दीदार कर सकें।
हिमांशु ने बताया, "हम जब अपनी टिकट ले रहे थे तभी CSK टीम बस हमारे बगल से निकली थी। हालांकि, हम धोनी को बहुत अच्छे से नहीं देख पाए। मैच से पहले भी टीम बस हमारे सामने से ही गई, लेकिन इस बार भी धोनी को खोज पाना मुश्किल रहा। हम लोग CSK के फ़ैंस हैं, लेकिन आज हम धोनी को ही देखने आए हैं।"
फ़ैंस ने लगातार धोनी के प्रति अपना प्यार दिखाने के साथ ही एक ख़ास डिमांड भी पेश की। हर किसी की मांग थी कि धोनी 3-4 गेंद खेलने की बजाय अधिक गेंदें खेलें ताकि उन्हें अधिक मनोरंजन हासिल हो सके। धोनी तक शायद यह संदेश पहुंचा भी क्योंकि LSG के ख़िलाफ़ उन्होंने केवल नौ गेंदें खेलकर भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर दिया। जब ये आहट मिल चुकी थी कि अगला विकेट गिरते ही धोनी मैदान में आएंगे तो पूरे मैदान ने अपने जोश और आवाज को थाम कर रख लिया था। जैसे ही धोनी ने ड्रेसिंग रूप से सीढ़ियों की ओर कदम बढ़ाए पूरा स्टेडियम पागल सा हो गया। शोर इतना हो गया कि कुछ भी सुन पाना मुश्किल था। लगभग 40 सेकेंड तक लोगों ने अपने पूरे जोश से धोनी का स्वागत किया।
धोनी ने भी इस स्वागत के बदले फ़ैंस को वो खुशी दी जिसकी चर्चा मैच के बाद भी होती रही। केवल नौ गेंदों में नाबाद 28 रन बनाने वाले धोनी की पारी में दो छक्के और तीन चौके शामिल थे। CSK फ़ैंस को अपनी टीम की हार का दुख नहीं था क्योंकि वे धोनी की पारी देखकर ही अपने पैसे वसूल कर चुके थे।