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दबाव जब हद से गुज़रता है तो हर्षल याद आता है : फ़ाफ़

हर्षल ने ख़ुद भी कहा कि वह चुनौतियों से नज़रें घुमाने में विश्वास नहीं रखते हैं

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के कप्तान फ़ाफ़ डुप्लेसी की नज़र में हर्षल पटेल ताश के पत्तों में जोकर कार्ड की तरह हैं जिसे सबसे अधिक ज़रूरत महसूस होने पर बाहर निकाला जाता है। आईपीएल 2022 के आगाज़ से पहले हर्षल ने डुप्लेसी से कहा था उन्हें मुश्किल ओवरों में गेंदबाज़ी करना भाता है। लखनऊ सुपर जायंट्स के ख़िलाफ़ खेले गए प्लेऑफ़ के मुक़ाबले में डुप्लेसी ने हर्षल के दो ओवरों को बाद के लिए बचा कर उन्हें कुछ वैसी ही ज़िम्मेदारी दी।
हर्षल का तीसरा ओवर बेहद महत्वपूर्ण और निर्णायक रहने वाला था, लखनऊ को तीन ओवरों में जीत के लिए 41 रनों की दरकार थी। उन्होंने वाइड के साथ ओवर की शुरुआत की और इसके बाद एक और वाइड फेंकी जो कि विकेटों के पीछे खड़े दिनेश कार्तिक के भी सिर के ऊपर से चली गई। नतीजन अब लखनऊ को तीन ओवरों में 35 रनों की ज़रूरत थी और मैदान में केएल राहुल और मार्कस स्टॉयनिस की मौजूदगी से यह लक्ष्य हासिल होने योग्य प्रतीत हो रहा था।
हर्षल राउंड द विकेट वाइड यॉर्कर का प्रयास कर रहे थे लेकिन एक बार जब यह रणनीति काम नहीं आई तब वह वापस उसी योजना की ओर चले गए जो कि उन्होंने अपने पहले दो ओवरों के दौरान अपनाई थी। इस रणनीति के कारण हर्षल ने दो ओवरों में सिर्फ़ आठ रन ही ख़र्च किए थे। लिहाज़ा वह वापस स्लोअर गेंद डालने लगे और बल्लेबाज़ को अक्रॉस खेलने पर मजबूर करने लगे।
यह रणनीति काम आई, स्टॉयिस, हर्षल की छोटी गेंद पर डीप प्वाइंट में रजत पाटीदार के हाथों लपक लिए गए। उस ओवर में गौर करने योग्य बात यह भी थी कि पहली दो गेंदों पर छह अतिरिक्त रन देने के बाद हर्षल के उस ओवर में महज़ दो रन ही आए। जिसके फलस्वरूप लखनऊ को अब जीत के लिए 12 गेंदों में 33 रन बनाने थे। डुप्लेसी ने हर्षल की प्रशंसा में कहा, "वह पैक में जोकर कार्ड की तरह नहीं हैं? एक ऐसा ख़ास कार्ड जिसे आप सही मौक़े पर बाहर निकालते हैं। वह भारी दबाव में भी गेंदबाज़ी कर सकते हैं। जब भी मुझे दबाव सबसे अधिक महसूस होता है, मैं हर्षल का रुख़ करता हूं। हर्षल के साथ शुरुआती चर्चा में उन्होंने ख़ुद भी मुझसे यही कहा था कि वह महत्वपूर्ण ओवर डालना चाहते हैं। यह आत्मविश्वास अपने आप मे बहुत कुछ कहता है। आज उन्होंने महत्वपूर्ण ओवर डाले और सबसे महत्वपूर्ण उनका तीसरा ओवर था (लखनऊ की पारी का 18वां) जिसमें उन्होंने अकेले दम पर मैच का रुख़ पलट कर रख दिया।"
मैच की समाप्ति के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान हर्षल ने यह बात कबूली कि वह नर्वस थे, लेकिन उन्होंने अपनी रणनीति में स्पष्टता की बात भी कही ताकि परिस्थिति के अनुसार वह अपनी रणनीति में बदलाव कर सकें।
हर्षल ने कहा, "ज़ाहिर तौर पर मैं नर्वस था, इसमें कोई संदेह नहीं है। जब आप 18 गेंदों में 35 रनों का बचाव करने के लिए जाते हैं तो आपका नर्वस होना स्वभाविक है लेकिन जब मैंने वाइड के ज़रिए छह रन दे दिए तब मुझे मालूम पड़ गया कि वाइड यॉर्कर की रणनीति काम नहीं आने वाली है इसलिए मैं उस रणनीति पर वापस चला गया जो पहले दो ओवरों में मेरे काम आया था ताकि मैं स्टॉयनिस और राहुल को आउट कर सकूं। मुझे स्टॉयनिस का विकेट मिल गया और उन्होंने (हेज़लवुड) राहुल को आउट कर दिया। खेल वहीं बदल गया।"
बीते कुछ वक़्त मैं हर्षल की बड़ी ताक़त यही रही है कि वह खेल को बहुत अच्छे से पढ़ते हैं। अपने पहले दो ओवरों में हर्षल ने हार्ड लेंथ पर गेंदबाज़ी की और कटर गेंदों का भरपूर इस्तेमाल किया ताकि बल्लेबाज़ को लंबी बाउंड्री की तरफ़ खेलने के लिए मजबूर किया जा सके। यह पूर्वकल्पित नहीं था, बल्कि लखनऊ की गेंदबाज़ी को करीब से देखने, अपने ही बल्लेबाज़ों से इनपुट लेने और फिर परिस्थितियों का तेज़ी से आकलन करने का परिणाम था।
हर्षल ने अपनी रणनीति को लेकर कहा, "जब भी उनके गेंदबाज़ों ने छोटी या धीमी गेंदबाज़ी की, तो गेंद बल्ले पर अच्छी तरह से नहीं आ रही थी। यह मेरे लिए एक संकेत था कि जितना संभव हो मैं छोटी और पिच में जितनी धीमी गति से गेंदबाज़ी करूं और फिर इसे एक अच्छी यॉर्कर या हार्ड लेंथ के साथ मिलाऊं। लेकिन मुझे पता था कि मेरी अधिकांश गेंदें इस तरह की विकेट पर धीमी गेंदें होंगी, क्योंकि अगर आप यदि गेंद को गति देते तो उस हिट करना आसान हो रहा था।"
हर्षल ने जिस निरंतरता के साथ अपनी योजनाओं को अमली जामा पहनाया वह अविश्विसनीय था क्योंकि वह चोट से उबरने के बाद यह मुक़ाबला खेलने आ रहे थे। मुश्किल ओवरों में गेंदबाज़ी करने की इच्छा पर हर्षल ने कहा, "मैं अच्छी गेंदबाज़ी कर पाऊंगा या नहीं, यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं ऐसी परिस्थिति में ख़ुद को डालना चाहता हुं। मैं पिछले दो-तीन वर्षों से ऐसा करते आ रहा हूं। मैं हरियाणा के लिए ऐसा करते रहा हूं और बड़े स्टेज पर भी ऐसा करना चाहता हूं। हालांकि ऐसा भी मौक़े आएंगे जब मुझे असफलता मिलेगी लेकिन मैं चुनौतियों से नज़रें घुमाने में विश्वास नहीं रखता।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनिय सब ए़डिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में एडिटोरियल फ़्रीलांसर नवनीत झा ने किया है।