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BCA में फैले भ्रष्टाचार पर पटना हाईकोर्ट सख़्त, BCCI को भी फटकार

पटना हाईकोर्ट ने कहाः 'BCCI ने अपनी आंखें बंद कर रखी हैं'

Bihar has found itself in troubled waters upon its return to the top tier of Indian cricket

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) में फैले भ्रष्टाचार को लेकर पटना हाईकोर्ट सख़्त  •  ESPNcricinfo Ltd

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर आदित्य प्रकाश वर्मा की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने BCA पर सख़्त टिप्पणी की है। साथ ही साथ कोर्ट ने इन शिकायतों को देखते हुए न्यायाधीश शैलेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त) को लोकपाल नियुक्त किया है।
दरअसल, BCA पर भ्रष्टाचार के आरोप और असंवैधानिक गतिविधियों की बात कोई नई नहीं है। बिहार में क्रिकेट दोबारा बहाल होने के बाद से ही चयन प्रक्रिया से लेकर बोर्ड के प्रबंधन और संरचना पर भी सवाल उठते रहे हैं। इन्हीं चीज़ों को लेकर आदित्य प्रकाश ने BCA के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी। जिसपर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने 5 अगस्त 2024 को यह फ़ैसला सुनाया।
इस फ़ैसले की प्रतिलिपी ESPNcricinfo को भी मिली है। जिसमें पटना हाईकोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को भी फटकार लगाई है। 54 पन्ने वाले पटना हाईकोर्ट के उस फ़ैसले के कुछ प्रमुख अंश हम आपके सामने रख रहे हैं।
कोर्ट ने इस मामले में लोकपाल नियुक्त किए गए न्यायाधीश शैलेश कुमार को आदेश दिया है कि वह BCA के पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ की गई सभी शिकायतों की जांच करें और BCA के उपनियमों के अनुसार फ़ैसला लें।

BCA अध्यक्ष के ख़िलाफ़ भी कोर्ट गंभीर

राकेश कुमार तिवारी 2019 में हुए BCA के अध्यक्ष पद के चुनाव में विजेता रहे थे, जिसके बाद से वह लगातार इस पद पर बने हुए हैं। तिवारी पर चयन प्रक्रिया में दख़लअंदाज़ी से लेकर भ्रष्टाचार तक के आरोप लगते रहे हैं।
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा, "अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के ख़िलाफ़ शक्तियों के केंद्रीकरण के बारे में शिकायतें बहुत गंभीर हैं और यह उम्मीद की जाती है कि अब से BCA के अध्यक्ष BCA के नियमों और विनियमों के अनुसार काम करेंगे। ऐसा लगता है BCA वन मैन शो हो कर रह गया है जिससे बिहार में क्रिकेट बुरी तरह प्रभावित हुआ है।"
कोर्ट ने आगे कहा कि BCA का मुख्य उद्देश्य राज्य में क्रिकेट को बढ़ावा देना है, लेकिन वहां के कुप्रशासन के कारण बिहार क्रिकेट लंबे समय से प्रभावित हो रहा है।
कोर्ट ने आगे कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि BCA के अध्यक्ष के रूप में राकेश कुमार तिवारी का चुनाव स्वयं ही दाग़दार है क्योंकि वह कभी भी किसी पूर्ण एसोसिएशन के प्रतिनिधि नहीं रहे हैं। याचिका की दलीलों और लोकपाल द्वारा पारित दिनांक 09.06.2023 और 25.08.2023 के आदेशों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वह BCA के अध्यक्ष पद पर संवैधानिक तौर पर नहीं रह सकते। उपरोक्त आदेश BCA के नियमों और विनियमों के नियम 9(1) से यह निर्धारित करता है कि BCA के पदाधिकारी BCA के पूर्ण सदस्यों और पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सदस्यों द्वारा चुने जाएंगे। लेकिन इनके साथ ऐसा नहीं है और ये अभी भी अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं।"

निर्वाचित सचिव का पद लंबे समय तक रखा गया रिक्त

BCA ने 30 दिसंबर 2022 को एक बैठक के बाद सचिव अमित कुमार को हटा दिया था। उनपर BCA की मैनेजमेंट कमेटी ने ग़ैर-क़ानूनी क्रिकेट गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया था। इसको लेकर अमित ने भी तब के लोकपाल के सामने अपना पक्ष रखा था जिसे बाद में 30 मई 2023 को ख़ारिज करते हुए दोबारा सचिव पद के चुनाव का आदेश दिया था। हालांकि पटना हाईकोर्ट ने पहले नियुक्त किए गए लोकपालों को भी अवैध करार दिया है।
कोर्ट ने इसको लेकर कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि निर्वाचित सचिव का एक महत्वपूर्ण पद BCA द्वारा लंबे समय तक ख़ाली रखा गया। जबकि BCA के नियमों और विनियमों के नियम 17(9)(ए) के अनुसार इसे 45 दिनों के अंदर भरा जाना चाहिए था। बैंक खाता संचालन और वित्त प्रबंधन से संबंधित शिकायत भी गंभीर मामला है।"
कोर्ट ने यह भी कहा, "बैंक खाता संचालन और वित्त प्रबंधन से संबंधित शिकायतें भी गंभीर हैं। बैंक खाता सचिव और कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर से संचालित होना चाहिए था, लेकिन नियमों की अनदेखी की गई। प्रबंध समिति की बैठक में लिए गए निर्णय से यह लगता है कि 12 फ़रवरी 2023 की विशेष वार्षिक आम बैठक में लाया गया संकल्प अवैध था।"
इसके अलावा कोर्ट ने निर्देश दिया कि BCA का बैंक खाता BCA के नियमों और विनियमों के अनुसार ही संचालित किया जाए। इसका संचालन केवल सचिव और कोषाध्यक्ष ही करेंगे और अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष नहीं।

चयन प्रक्रिया पर भी उठाए सवाल

बिहार क्रिकेट टीम के चयन को लेकर भी अक्सर मौजूदा खिलाड़ियों के साथ-साथ पूर्व खिलाड़ी भी धांधली का आरोप लगाते रहे हैं। ESPNcricinfo ने भी इस ख़बर को प्रमुखता से उठाया था।
कोर्ट ने कहा, "चयनकर्ताओं की नियुक्ति के लिए प्रबंधन समिति की दिनांक 17.06.2022 की बैठक में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, जबकि नियम 29(2)(ii) के तहत यह स्पष्ट है कि चयनकर्ताओं की नियुक्ति की शक्ति विशेष रूप से वार्षिक आम बैठक में निहित है। BCA के उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव को उक्त तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष और संयोजक के रूप में नामित किया गया था। क्योंकि तीन सदस्यीय समिति में कम से कम दो पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी का होना अनिवार्य होता है और इसलिए ही राजेश चौहान और डोडा गणेश का नाम उस तीन सदस्यीय समिति में था लेकिन उनकी उम्मीदवारी को ख़ारिज कर दिया गया और चयनकर्ताओं के तौर पर अपने चहेते को नियुक्त किया गया। जिन्होंने फिर पुरुष क्रिकेट टीम में शिवम सिंह (उपाध्यक्ष के पुत्र) और जी डी चौधरी (संयुक्त सचिव के पुत्र) का चयन करके उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। हितों के टकराव और न्याय का मज़ाक बनाए जाने का इससे ख़राब उदाहरण कुछ और नहीं हो सकता।"

'BCCI ने अपनी आंखें बंद कर रखी हैं'

पटना हाईकोर्ट ने BCA के साथ-साथ BCCI को भी फटकार लगाई है। कोर्ट का ये मानना है कि जब सालों से BCA के ख़िलाफ़ इस तरह के गंभीर आरोप और शिकायतें मिलती रहीं हैं तो फिर BCCI ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
कोर्ट के फ़ैसले की प्रतिलिपी में लिखा है, "इस न्यायालय ने यह भी पाया कि BCCI, BCA के अवैध कृत्यों का समर्थन कर रहा है और BCA के ख़िलाफ़ मिली शिकायतों पर आंखें बंद किए हुए है। BCCI को BCA के पदाधिकारियों के अवैध कार्यों का समर्थन नहीं करना चाहिए, उन्हें स्वतंत्र रहना होगा और जब भी BCA के पदाधिकारियों द्वारा कोई अवैधता की जाती है तो उसे कार्रवाई करनी होगी। इसलिए, यह निर्देशित किया जाता है कि BCCI निकट भविष्य में BCA के पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ की गई शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करेगा।"
बिहार में पिछले साल भी रणजी ट्रॉफ़ी मैच के दौरान दो-दो टीम का मुद्दा काफ़ी सुर्ख़ियों में रहा था। साथ ही साथ पटना के मोइन-उल-हक़ स्टेडियम की दुर्दशा भी ख़बरों में छाई रही थी। रणजी ट्रॉफ़ी के इस सीज़न में बिहार इस बार भी एलीट ग्रुप में शामिल है, जहां उन्हें कुल सात लीग मुक़ाबले खेलने हैं जिसमें तीन घर में और चार बाहर होने हैं। बिहार को अपने घर में 26 से 29 अक्तूबर के बीच कर्नाटक की मेज़बानी करनी है, जबकि 6 से 9 नवंबर को मध्यप्रदेश के ख़िलाफ़ और 23 से 26 जनवरी के दौरान उत्तरप्रदेश के ख़िलाफ़ घर में ही खेलना है। बिहार को घर से बाहर हरियाणा, बंगाल, पंजाब और केरल के ख़िलाफ़ खेलने जाना है।

सैयद हुसैन ESPNCricinfo हिंदी में एंकर कम प्रोड्यूसर हैं।@imsyedhussain