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गहरे और विविध आक्रमण ने भारत को सीधे चौथे फ़ाइनल की खोज में प्रेरित किया

उनके ख़िलाफ़ अभी तक कोई भी टीम 200 के पार नहीं पहुंची है, लेकिन सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया की चुनौती अलग होगी

Rajvardhan Hangargekar lets rip, Bangladesh vs India, Under-19 World Cup 2022, quarter-final, Coolidge, January 29, 2022

हंगारगेकर ने अपनी गेंदबाजी से बहुत प्रभावित किया है  •  ICC/Getty Images

भारत का अब तक असामान्य अंडर-19 विश्व कप अभियान रहा है। उन्होंने साउथ अफ़्रीका पर बड़ी जीत के साथ शुरुआत की, फिर अपने कप्तान और उप कप्तान को कोविड-19 के कारण खो दिया। उनके स्टैंड-इन कप्तान ने उन्हें क्वार्टर फ़ाइनल में पहुंचा दिया। इसके बाद उन्हें आठ दिन का ब्रेक मिला। फिर स्टैंड-इन कप्तान भी कोविड-19 पॉज़िटिव हो गए।
जबकि भारत की बल्लेबाज़ी कोविड के कारण डगमगा गई थी, लेकिन उनका गेंदबाज़ी आक्रमण अप्रभावित रहा है। एक ही ग्रुप हर मैच में निकला है, क्योंकि बाक़ी खिलाड़ी कोरोना पॉज़िटिव होने के कारण खेल नहीं सकते थे। इसके बावजूद भी कोई भी टीम उनके ख़िलाफ़ 200 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। यह आश्चर्यजनक नहीं माना जा सकता है कि उन्होंने युगांडा को 97 और आयरलैंड को 133 रन पर आउट कर दिया। लेकिन उन्होंने साउथ अफ़्रीका को 187 रन पर और गत विजेता बांग्लादेश को 111 रन पर ढेर कर दिया ये शानदार है।
पहली गेंद से उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है, ख़ास तौर पर राजवर्धन हंगारगेकर ने। टूर्नामेंट में उनके पांच में से दो विकेट पारी के पहले ओवर में आए हैं और युगांडा के सलामी बल्लेबाज़ इसहाक अटेगेका को उन्होंने चोटिल किया, जिससे उन्हें रिटायर हर्ट होना पड़ा, यह भी पहले ही ओवर की बात है। वह बांग्लादेश के महफ़िज़ुल इस्लाम को पहली गेंद में यॉर्कर के साथ एक और पहले ओवर का विकेट ले सकते थे, लेकिन गेंद स्टंप्स पर लगी और बेल्स गिरी ही नहीं।
अपने पहले स्पेल के बाक़ी समय में, हंगारगेकर ने बल्लेबाज़ों को अनुमान लगाने पर मजबूर कर दिया कि अपने पैर की उंगलियों को बचाया जाए या अपने सिर को। जब बल्लेबाज़ रन बनाने के बजाय टिके रहने की तलाश में होता है, तो एक विकेट हमेशा कोने में होती है। एक लाइन में कहा जाए तो हंगारगेकर एक मज़बूत, लंबे खिलाड़ी हैं, जो अपने शरीर से भी विपक्षी टीम को डरा रहे हैं।
हंगारगेकर आग हैं, तो रवि कुमार बर्फ़। रवि एक पारंपरिक बायें हाथ के सीमर हैं, जो नई गेंद को दायें हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए अंदर की ओर स्विंग कराते हैं। वह शुरुआत में बल्ले के दोनों किनारों को चुनौती देते हैं और बाद में अच्छी लेंथ पर स्टंप-टू-स्टंप लाइन गेंदबाज़ी करते हैं। उन्होंने टूर्नामेंट के दौरान अच्छी गेंदबाज़ी की है, लेकिन बांग्लादेश के ख़िलाफ़ वह वास्तव में उभरकर आए। उन्होंने स्विंग गेंद के साथ तीन शुरुआती विकेट हासिल किए। बांग्लादेश वास्तव में कभी उबर नहीं सका क्योंकि रवि ने उनका स्कोर 14 रनों पर तीन विकेट कर दिया था।
तेज़ गेंदबाज़ों के बाद बायें हाथ के स्पिनर विक्की ओस्तवाल आते हैं, जो रवींद्र जाडेजा की तरह काम करते हैं, फ़्लैट, स्किडी गेंदें फेंकते हैं जो कभी-कभी दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए समझनी मुश्किल हो जाती है। नई गेंद के गेंदबाज़ों द्वारा अपना पहला स्पेल समाप्त करने के बाद बल्लेबाज़ ओस्तवाल पर रिस्क लेने की कोशिश करते हैं, लेकिन इससे उन्हें नुक़सान ही हुआ है। यही वजह है कि ओस्तवाल चार मैचों में अब तक नौ विकेट ले चुके हैं।
साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ तेज़ गेंदबाज़ राज बावा महंगे साबित हुए लेकिन चौथे स्टंप पर कड़ी गेंदबाजी करने की उनकी क्षमता ने भारत को बीच के ओवरों में नियंत्रण दिलाया है। बाएं हाथ के स्पिनर निशांत सिंधु, जिन्हें अभी कोविड है। ऑफ़ स्पिनर कौशल तांबे गेंद को अधिक टर्न कराते हैं, एक और बायें हाथ के स्पिनर अनीश्वर गौतम भी हैं। यह सभी मिलकर भारतीय टीम की गेंदबाज़ी में विविधता लाते हैं। यह उनकी अब तक की सफलता की कुंजी है, क्योंकि उनका संयुक्त गेंदबाज़ी औसत 14.11 टूर्नामेंट में अब तक का सर्वश्रेष्ठ है।
बहुत सारे तेज़ गेंदबाज़ों की सफलता इस बात पर आई है कि कैसे उन्होंने ख़ुद को संभाला है। वीवीएस लक्ष्मण और ऋषिकेश कानितकर की चौकस निगाहों के के बीच, कप्तानों ने ज़रूरत नहीं पड़ने पर तेज़ गेंदबाज़ों का इस्तेमाल नहीं किया है, क्योंकि उन्हें अपने दल को चोट की समस्या से बचाना भी है। हंगारगेकर ने आयरलैंड और युगांडा के ख़िलाफ़ पूरे मैच में सिर्फ़ दस ओवर फेंके और रवि ने केवल सात ओवर फेंके। इसके बजाय भारत ने अपने चार मैचों में से तीन में छह गेंदबाज़ों का उपयोग करते हुए और आयरलैंड के ख़िलाफ़ आठ गेंदबाजों का उपयोग करते हुए काम का बोझ बराबरी से बांटा है।
उनकी विविधता ही वजह रही है कि उन्होंने विशिष्टता वाले गेंदबाज़ को उसी प्रकार की कमज़ोरी के ख़िलाफ़ इस्तेमाल की छूट दी है। अगर कोई बल्लेबाज़ बैकफ़ुट पर आने में धीमा दिख रहा है, तो वह हंगारगेकर को वापस ले आते हैं। अगर दाएं हाथ का कोई खिलाड़ी बाहर जाती स्पिन गेंदबाज़ी में कमजोर दिखा है तो ओस्तवाल और सिंधू को एक साथ लगाया है।
इस दृष्टिकोण ने भारत के प्रत्येक गेंदबाज़ को कुछ हद तक आत्मविश्वास के साथ सेमीफ़ाइनल में प्रवेश करने का मौक़ा दिया है। जिस तरह से गेंदबाज़ी इकाई ने काम किया है, उससे किसी एक गेंदबाज़ को "छठी पसंद" के रूप में पहचानना मुश्किल हो गया है।
हालांकि, सेमीफ़ाइनल में इन गेंदबाज़ों के लिए अब तक का सबसे मुश्किल काम होगा। ऑस्ट्रेलिया के टीग वायली ने टूर्नामेंट में 86*, 101* और 71 का स्कोर किया है। कैंपबेल केलावे की औसत 52 से अधिक है और कोरी मिलर ने पाकिस्तान के एक बहुत अच्छे आक्रमण के ख़िलाफ़ 64 रन बनाए। भारतीय गेंदबाज़ों की गति ने अन्य टीमों को झकझोर दिया है, लेकिन एक ऑस्ट्रेलियाई लाइन-अप के लिए उतना डर ​​नहीं है, जो तेज़ गेंदबाज़ी खेलकर बड़ा हुआ है। वायली ने अपना क्रिकेट पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की तेज़ पिचों पर ही सीखा है।

श्रेष्‍ठ शाह ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।