रेटिंग्स : सिराज, रहाणे और शार्दुल रहे पॉज़िटिव, रोहित, गिल और पुजारा ने किया निराश
आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप 2023 फ़ाइनल में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की समीक्षा
देबायन सेन
11-Jun-2023
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 209 रनों से हराया • AFP/Getty Images
भारत को लगातार दूसरी बार विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल में हार का सामना करना पड़ा है। कुछ सवाल वाजिब हैं - क्या IPL के दो महीने इस मैच के लिए आदर्श तैयारी थी? क्या भारत ने पहले दिन दि ओवल के पिच पर हरियाली को देखकर रणनीति में ग़लती की? शायद सारे ही सवालों के जवाब आनेवाले दिनों में चर्चा में रहेंगी, लेकिन फ़िलहाल भारत की बल्लेबाज़ी क्रम के असफलता से ही ऑस्ट्रेलिया को 209 रनों की जीत मिली। इस मुक़ाबले में भारत के लिए केवल दो अर्धशतक आए और वह भी अजिंक्य रहाणे (89) और शार्दुल ठाकुर (51) के बल्ले से।
क्या सही, क्या ग़लत?
अगर भारत के लिए इस टेस्ट में कुछ सही था तो वह रही उनकी फ़ाइटिंग स्पिरिट। पहले दिन के खेल में काफ़ी पिछड़ने के बाद गेंदबाज़ो ने अच्छ वापसी करवाई थी और फिर बल्ले से भी अजिंक्य रहाणे और शार्दुल ठाकुर ने तीसरे दिन काफ़ी साहस से मुक़ाबला किया। दूसरी पारी में भी भारत के गेंदबाज़ों ने अच्छे अनुशासन का परिचय दिया और ऑस्ट्रेलिया को एक बड़े बढ़त तक पहुंचने के लिए काफ़ी परिश्रम करवाया।
अगर निगेटिव गिनें तो पहले दिन भारत का टीम चयन और टॉस के बाद पिच को पढ़ने की क्षमता, दोनों काफ़ी नकारात्मक लगे। साथ ही पहले दिन रणनीति भी बहुत सुरक्षात्मक लगी। मार्नस लाबुशेन जब लंच के तुरंत बाद आउट हुए थे तब भारत के पास ऑस्ट्रेलिया को 300 या 350 के अंदर सीमित रखने का बढ़िया मौक़ा था, लेकिन गेंदबाज़ों ने ट्रैविस हेड को तेज़ शुरुआत दिलाकर मैच में विरोधी टीम को हावी होने दिया।
अगर निगेटिव गिनें तो पहले दिन भारत का टीम चयन और टॉस के बाद पिच को पढ़ने की क्षमता, दोनों काफ़ी नकारात्मक लगे। साथ ही पहले दिन रणनीति भी बहुत सुरक्षात्मक लगी। मार्नस लाबुशेन जब लंच के तुरंत बाद आउट हुए थे तब भारत के पास ऑस्ट्रेलिया को 300 या 350 के अंदर सीमित रखने का बढ़िया मौक़ा था, लेकिन गेंदबाज़ों ने ट्रैविस हेड को तेज़ शुरुआत दिलाकर मैच में विरोधी टीम को हावी होने दिया।
प्लेयर रेटिंग्स (1 से 10, 10 सर्वाधिक)
रोहित शर्मा, 6: भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने दर्शनीय बल्लेबाज़ी की लेकिन क्रीज़ पर पर्याप्त समय नहीं बिता पाए। ख़ासकर दूसरी पारी में नेथन लायन के फ़ुल गेंद पर लैप स्वीप करने की कोशिश में उन्होंने लाइन को ग़लत पढ़ने की ग़लती कर दी और एक अहम समय में थकती ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ी क्रम को पुनर्जीवित होने का अवसर दे दिया। उनकी कप्तानी भी काफ़ी सुरक्षात्मक रही और ऐसा लगा कि कुछ बड़े अवसरों पर उन्होंने मैच के रुख़ को बदलने के जोखिम नहीं लिए।
शुभमन गिल, 5: गिल ज़बरदस्त फ़ॉर्म में आए थे लेकिन इस टेस्ट में उन्होंने क्षमता के अनुसार परफ़ॉर्म नहीं किया। पहली पारी में स्कॉट बोलंड की अंदर आती गेंद पर लीव भारी पड़ी और दूसरी पारी में वह कैमरन ग्रीन के एक ज़बरदस्त कैच का शिकार बने। गिल की फ़ील्डिंग अच्छी थी लेकिन उन्हें टेस्ट क्रिकेट के लय के हिसाब से बल्लेबाज़ी करने की आदत बिठानी होगी, ख़ासकर उपमहाद्वीप के बाहर।
चेतेश्वर पुजारा, 5: पुजारा को भी दोनों पारियों में स्टार्ट मिली लेकिन उसे बड़े स्कोर में परिवर्तित नहीं कर पाए। पहले पारी में लीव और दूसरी पारी में एक धीमी पिच पर स्लिप्स के ऊपर गेंद को टापने के प्रयास में उनका विकेट गिरा। इंग्लैंड के परिस्थितियों में पहले तीन बल्लेबाज़ों में किसी को चलना ही होता है, लेकिन पुजारा सलामी बल्लेबाज़ों के अनिरंतरता को कवर नहीं दे पाए।
विराट कोहली, 6.5: कोहली दूसरी पारी में अपने सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में लौटते दिखे। चौथे शाम को उनकी सकारात्मक बल्लेबाज़ी के चलते भारत के लिए उम्मीद के दिए कुछ देर के लिए जल उठे थे। लेकिन कहा जा सकता है दोनों पारियों में उनके डिस्मिसल अनुशासन की कमी से आए।
अजिंक्य रहाणे, 7.5: लगभग डेढ़ साल की ग़ैरमौजूदगी के बाद रहाणे की बल्लेबाज़ी आश्वस्त नज़र आई। पहली पारी में 89 रनों की पारी उनके कौशल, साहस और धैर्य के चलते उनके सर्वश्रेष्ठ टेस्ट पारियों में एक कहलाई जाएगी।दूसरी पारी में भी उनका संतुलन बढ़िया लग रहा था और जिस प्रकार उन्होंने लायन पर ऑफ़ साइड में करारे ड्राइव जड़े, इसमें कोई आश्चर्य नहीं था कि ऑस्ट्रेलियाई ऑफ़स्पिनर ने चार में से तीन विकेट रहाणे के आउट होने के बाद ही लिए।
रवींद्र जाडेजा, 7: इकलौते स्पिनर के नाते ऐसा लगा था इस पिच पर जाडेजा काफ़ी गेंदबाज़ी कर सकते हैं। पहली पारी में सीमित भूमिका के बाद उन्होंने दूसरी पारी में काफ़ी अच्छी गेंदबाज़ी की और भारत को लगभग मैच में बनाए रखा। पहली पारी में उनकी बल्लेबाज़ी भी काफ़ी कर्मठ थी लेकिन लायन के ख़िलाफ़ एक सॉफ़्ट डिस्मिसल का शिकार हुए। दूसरी पारी में तो बोलंड ने उन्हें कोई मौक़ा दिया ही नहीं।
श्रीकर भरत, 5: बतौर कीपर भरत के लिए मैच थोड़ा मिला-जुला रहा। उन्हें पहले दिन लेट मूवमेंट के चलते काफ़ी कठिनाई हुई लेकिन धीरे धीरे मैच में उनकी कीपिंग में सुधार दिखा। हालांकि बल्ले से उन्होंने दोनों पारियों में निराश किया। उनमें सटीक तकनीक है, लेकिन सही वक़्त पर सही शॉट लगाना शायद अभी भी बेहतर किया जा सकता है।
शार्दुल ठाकुर, 7: एक छोटे करियर में शार्दुल ने लगातार कई बार दिखाया है कि वह टेस्ट क्रिकेट में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। दूसरे दिन गेंद से स्टीवन स्मिथ का विकेट हो या तीसरे दिन एक जुझारू अर्धशतकीय पारी, उन्होंने उसी शाम को स्मिथ का कैच भी पकड़ा और भारत की उम्मीद जगाई। आख़िरी दिन वह ऐसी गेंद का शिकार बने जो शायद पहली बार पिच के बीच से अधिक टर्न लेकर पैड से टकराई।
उमेश यादव, 6: पहले सत्र में उमेश यादव का पहला ओवर बहुत ख़राब साबित हुआ, जिसमें उन्होंने दिशाहीन गेंदबाज़ी करते हुए एक टाइट शुरुआत के बाद दबाव ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों से हटने दिया। लेकिन इसके बाद उनकी गेंदबाज़ी बेहतर थी। लगातार स्टंप्स पर आक्रमण करते हुए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को बहुत ज़्यादा आसानी से रन नहीं लेने दिए। हालांकि यह उनके हाथ में कतई नहीं थी, लेकिन उनकी मैच फ़िटनेस की कमी काफ़ी साफ़ नज़र आई।
मोहम्मद शमी, 7: शमी ने पूरे मैच में काफ़ी बढ़िया गेंदबाज़ी की। उन पर हमेशा यह आरोप लगाया जाता है कि उनकी लेंथ उन्हें पर्याप्त विकेट नहीं दिलाती, लेकिन इस टेस्ट में उन्होंने दोनों पारियों में लगातार बल्लेबाज़ों को परेशान किया।
मोहम्मद सिराज, 8: अगर भारत ने दूसरे दिन ऑस्ट्रेलिया को संभावित 550 के स्कोर तक नहीं जाने दिया तो इसका श्रेय काफ़ी हद तक सिराज को ही जाता है। उन्होंने शॉर्ट गेंद का भी अच्छा उपयोग किया और लगातार ऊर्जा के साथ हर स्पेल में कोशिश करते रहे। सिराज का गेंदबाज़ी क्रम के लीडर के रूप में उभरना इस विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चरण में भारत के लिए सबसे बड़ी जीत रही है।