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ज़िम्बाब्वे की नैय्या को अपने बलबूते पर पार लगा रहे हैं सिकंदर रज़ा

पिछले कुछ महीनों में सिकंदर ने काफ़ी सफलता हासिल की है, जो जिम्बाब्वे के लिए जीत का कारण बन रहा है

Regis Chakabva and Sikandar Raza soak in the moment of Chakabva's maiden ODI hundred, Zimbabwe vs Bangladesh, 2nd ODI, Harare, August 7, 2022

नौ साल बाद ज़िम्बाब्वे ने बांग्लादेश को वनडे सीरीज़ में मात दी है  •  AFP/Getty Images

दूसरे वनडे में जैसे ही टोनी मुनयोंगा ने विजयी रन बनाए, नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े सिकंदर रज़ा ने जम कर एक दहाड़ लगाई। उनकी इस उत्तेजना का कारण साफ़ समझ में आ रहा था। बांग्लादेश के ख़िलाफ़ पिछले नौ सालों में ज़िम्बाब्वे ने अपना पहला सीरीज़ जीता है। इस सीरीज़ जीत के लिए उनकी टीम ने पहले दो मैचों में दो मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए, इस मुकाम को हासिल किया है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका रज़ा की रही है। उन्होंने पिछले एक महीने में जिस तरीक़े से अपनी बल्लेबाज़ी का आनंद लिया है, वह अदभुत है।
पिछले चार सप्ताह में रज़ा ने सभी फ़ॉर्मेंट को मिला कर 607 रन बनाए हैं और इस दौरान उनका औसत 101.16 का है। यही नहीं पिछले चार सप्ताह में उन्होंने दो शतक और चार अर्धशतक लगाए हैं। इसके अलावा उन्होंने गेंदबाज़ी में 22.18 की औसत से 11 विकेट लिए हैं। टी20 विश्व कप के क्वालीफ़ायर मैच में उन्होंने 8 रन देकर चार विकेट लेकर अपनी टीम की मदद की थी।
सीधे शब्दों में कहें तो रज़ा ने ज़िम्बाब्वे की उस टीम को बदलने का प्रयास किया है, जिसने इस साल की शुरुआत में अफ़ग़ानिस्तान और नामीबिया के ख़िलाफ़ हार का सामना किया था। रज़ा टी 20 विश्व कप क्वालीफ़ायर में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट चुने गए थे। इसके अलावा बांग्लादेश के ख़िलाफ़ खेली गई टी 20 सीरीज़ में भी वह प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ थे, और वनडे सीरीज़ में भी शायद यह पुरुष्कार उन्हें ही मिले।
जब सिकंदन इस जून में बांग्लादेश के राजशाही में एक टी20 टूर्नामेंट खेल रहे थे, तो उन्हे नहीं पता था कि आने वाले महीनों में उनका जीवन कितना बदलने वाला है। उस समय उनकी एकमात्र चिंता टी20 विश्व कप के लिए क्वालीफ़ाई करना था। 2019 में क्वालीफ़ाई नहीं कर पाने के कारण उनके अंदर एक झल्लाहट थी। 36 साल की उम्र में, यह उनके लिए एक तरह से करो या मरो वाला क्षण था। हालांकि पिछले एक महीने में उन्होंने जिस तरीक़े से ज़िम्बाब्वे क्रिकेट की तस्वीर बदली है, वह संभवतः लोककथाओं का हिस्सा बन जाएगा।
पहले मैच में उन्होंंने नाबाद 135 रन बनाए थे, जिसके कारण ज़िम्बाब्वे पहले वनडे में 304 रनों का पीछा करने में सफल रहा था। अपने नए कप्तान के साथ उन्होंने दूसरे वनडे मैच में भी कमाल ही कर दिया। उनकी टीम 49 रन के स्कोर पर चार विकेट गंवाने के बावजूद एक बार फिर से 290 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करने में सफल रही। गेंदबाज़ी में भी रज़ा ने 56 रन देकर तीन विकेट झटके थे।
हरारे और बुलावायो के दर्शक पिछले चार हफ़्तों में रज़ा की वीरता के गवाह हैं। उन्होंने सबसे पहले सिंगापुर के ख़िलाफ़ 40 गेंदों में 87 रनों की पारी खेली थी और रविवार को उनकी आख़िरी पारी 117 रनों की थी। उन्होंने व्यवस्थित रूप से बांग्लादेश के गेंदबाज़ों का सामना किया। लगातार स्ट्राइक बदलते रहे और जब मौक़ा आया तब जम कर हमला किया।
इन सभी मैचों में रज़ा उस अंदाज़ में खेल रहे थे, जैसे कि वह कभी भी मैच को अपने पाले से बाहर नहीं जाने देना चाहते हैं। वह अपनी पारी के लय को काफ़ी अच्छे तरीक़े से समझ रहे थे। रज़ा की इस समझदारी के कारण विपक्षी टीम के कप्तान को ज़्यादा सोचने पर मज़बूर कर दिया।
रज़ा की यह सफलता सामने से दिख रही है लेकिन उन्होंने जिस तरीक़े से पिछले एक साल में व्यक्तिगत कठिनाई को दूर किया है, वह और भी ज़्यादा खू़बसूरत है। पिछले साल रज़ा के दाहिने कंधे में एक संक्रमण हो गया था, जिसके कारण कैंसर होने का संदेह था। तीन महीने बाद उनकी वापसी संदेह से भरी थी क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि वह फिर से गेंदबाज़ी कर पाएंगे। रजा ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने गेंदबाज़ी एक्शन में बदलाव किया और वह काफ़ी हद तक ठीक हो गए हैं।
अब वह लगातार तीसरी बार प्लेयर-ऑफ़ द सीरीज़ पुरस्कार जीतने की कतार में हैं। अगर वह ऐसा करते हैं तो हीथ स्ट्रीक और एंडी फ़्लावर के बाद चार प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ का पुरस्कार जीतने वाले ज़िम्बाब्वे के तीसरे खिलाड़ी बन जाएंगे। हाल ही में एक साक्षात्कार में रज़ा ने कहा था कि वह कभी भी उन दिग्गजों से अपनी तुलना नहीं करते हैं, जिनमें ब्रेंडन टेलर भी शामिल हैं।

मोहम्मद इसाम ESPNcricinfo के बांग्लादेशी संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।