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आर अश्विन : 'यदि मैं दबाव में हूं तो विरोधी टीम को पांच गुना अधिक दबाव में रखने की कोशिश करता हूं'

100 टेस्‍ट खेलने के शिखर पर पहुंचने के क़रीब भारत के बेहतरीन ऑफ़ स्पिनर ने अपने सफ़र पर बात की

धर्मशाला में अपना 100वां टेस्‍ट खेलेंगे अश्विन  •  PTI

धर्मशाला में अपना 100वां टेस्‍ट खेलेंगे अश्विन  •  PTI

टेस्‍ट क्रिकेट अकेला ऐसा खेल है जहां अन्‍य खेलों में इस तरह की चुनौतियां देखने को नहीं मिल सकती। सिर्फ़ एक टेस्ट खेलना आपको उन कुछ हज़ार लोगों की चुनिंदा कंपनी में खड़ा कर देता है, जिन्होंने डेढ़ सदी के दौरान अनुभव किया है कि कैसा महसूस होता है। 100 टेस्‍ट ज़‍िंदगी भर का काम लगता है। ख़ासतौर से तब जब आप एक भारतीय स्पिनर हो, जो विदेशी परिस्‍थतियों में कई मैच नहीं खेलता है।
आर अश्विन इस सप्‍ताह धर्मशाला में यह उपलब्धि हासिल कर लेंगे। अगर राजकोट टेस्‍ट से पहले उनकी मां की तबीयत ख़राब होती तो उन्‍हें इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए अगली सीरीज़ का इंतज़ार करना पड़ता। घर में मज़बूत सपोर्ट सिस्‍टम से वह जल्‍दी ही मैदान पर लौट आए। एक तरह से, जब से उन्हें याद है, यही उनके परिवार का उद्देश्य रहा है: उनके क्रिकेट के रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ को दूर करना।
यह साक्षात्कार उनके परिवार के लिए उतना ही सम्मानजनक है जितना कि यह बताता है कि टेस्ट क्रिकेट कितना महान है। जैसा कि अश्विन खुद भी कहते हैं, "आप टेस्ट क्रिकेट के शीर्ष पर जा सकते हो।" सुनो, आपसे पहले दुनिया में केवल 76 लोगों ने 100 टेस्‍ट खेले हैं। इनमें से केवल 13 भारतीय हैं। तमिलनाडु से ऐसा किसी ने नहीं किया है। टेस्‍ट क्रिकेट वाकई एक अदभुत अनुभव है जिसे आप किसी से नहीं बदल सकते हो, वहीं 100 मैच खेलना कुछ अलग ही अहसास है।
यह आपके लिए क्‍या मायने रखता है?
यह मेरे लिए उतना मायने नहीं रखता है जितना मेरे पिता और मेरी मां या मेरी पत्‍नी के लिए मायने रखता है।
हां मैं नंबरों में बहुत अच्‍छा हूं लेकिन नंबरों को याद रखने में अंतर है और यह वास्‍तव में आपके लिए बहुत मायने रखता है। यह कुछ ऐसा है जैसे, "मैंने एक और बॉक्‍स पर टिक कर दिया है।" कई बार मैंने सोचा है कि क्या 100 टेस्ट का कोई मतलब है। जहीर खान 100 टेस्‍ट नहीं खेल सके थे। एमएस धोनी 100 टेस्‍ट नहीं खेल सके थे। एडम गिलक्रिस्‍ट 100 टेस्‍ट नहीं खेले थे। यह बस एक और नंबर है
लेकिन एक चीज़ जो मुझे बहुत प्रोत्‍साहित करती है वह यह है कि मैं देश के अपने हिस्‍से से 100 टेस्‍ट खेलने वाला पहला होऊंगा। तमिलनाडु में हम खेल को पसंद करते हैं। हम इसके बारे में बहुत बात करते हैं, हम बहुत मैच खेलते हैं और हम इसका पूरा मज़ा लेते हैं। यह एक बेहतरीन सिस्‍टम है, कई बेहतरीन कौशल यहां हैं, लेकिन क्रिकेटर के तौर पर हम इसको समझते नहीं और यह स्‍वीकार नहीं करते कि देश के बाक़ी हिस्‍सों में क्‍या होता है। क्रिकेट की संस्कृति बहुत अलग है। दबाव बहुत अलग है। हमारी सुव्यवस्थित प्रणाली हमें जो सांस लेने की जगह देती है वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद नहीं है। हम क्‍लब क्रिकेट में अच्‍छा करते हैं, हम प्रथम श्रेणी टीम में जगह बनाते हैं और हमारी राज्‍य संघ हमें हर सुविधा देती है और यदि हम फेल होते हैं तो हम अभी भी क्‍लब क्रिकेट में लौअ सकते हैं और फ‍िर सुधार करके प्रथम श्रेणी टीम में वापसी की कोशिश करते हैं। हम वास्‍तव में अपनी सीमाएं नहीं लांघते।
जब हम भारतीय टीम में पहुंचते हैं या IPL टीम में पहुंचते हैं तो हम इस सीन के लिए तैयार नहीं होते हैं कि हमारे पास खुद को साबित करने का एक या दो मौक़ा ही है। यही वह दबाव है जिसको लेकर मैं अपने पूरे करियर में खेला हूं।
मुझे लगता है कि 100 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मेरा वास्तव में उस संबंध में कुछ मतलब है। मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैं दूसरों के लिए प्रेरणा हूं। मैं हो सकता हूं लेकिन यह वह नहीं है जिसको करने का मैंने निश्‍चय किया था। यह 100 टेस्ट खेलने का अनुभव है और इस अद्भुत देश और इस अद्भुत देश के क्रिकेट समुदाय का अनुभव है जिसे मैं क्रिकेटरों के साथ साझा कर सकता हूं, और शायद देश के अपने हिस्से से और अधिक क्रिकेटरों को आगे आने में मदद कर सकता हूं।
आपने कहा कि यह आपके परिवार और आपकी पत्‍नपी के लिए बहुत मायने रखता है। मुझे लगता है कि हमने इसका बेहतरीन उदहारण राजकोट टेस्‍ट में देखा। मुझे लगता है कि उन्‍होंने आपको वापस भेजा जिससे आप इस सीरीज़ में अपना 100वां टेस्‍ट खेल सको।
मैं जानता था मेरी मां क्‍या कहेंगी। मैं जानता था कि मेरी पत्‍नी क्‍या कहेगी। मैं जानता था कि मेरे पिता क्‍या कहेंगे। जब मैं वहां पहुंचा और अस्‍पताल गया, मेरी मां बेहोशी की हालत में सो और जाग रही थी और पहली चीज़ उन्‍होंने मुझसे पूछी, "तुम क्‍यों आए थे?"
अगली बार जब वह होश में आई तो उन्‍होंने कहा, "मुझे लगता है कि तुम्‍हे लौट जाना चाहिए क्‍योंकि टेस्‍ट मैच चल रहा है।
"पूरा परिवार क्रिकेट और मेरे करियर को सुविधाजनक बनाने पर बना है। यह आसान नहीं है। यह उनके लिए बहुत मुश्किल रहा है। यह उनके लिए बड़ा उथल पुथल वाला सफ़र रहा है जहां भावनाएं ऊपर नीचे गई, जैसा मैंने खुद महसूस किया है। मैं पक्‍का कहता हूं कि बहुत से परिवार और माता-पिता ऐसे ही हैं, लेकिन मेरे माता-पिता की ज़‍िंंदगी बहुत अधिक मेरे क्रिकेट के इर्दगिर्द रही है। मेरा मतलब है मैं अब 35 से ऊपर का हूं और मेरे पिता अभी भी ऐसे मैच देखते हैं जैसे यह मेरा पहला अंतर्राष्‍ट्रीय मैच हो। यह उनके लिए बहुत मायने रखता है। अगर यह तुलना कि जाए कि यह उनके लिए कितना मायने रखता है तो बेशक यह मेरे लिए कम मायने रखता है।
मुझे जो करना है, या मेरा क्रिकेट कैसा है, उससे जुड़ी कोई भी चीज़ उनसे बहुत सहजता से जुड़ी हुई है। उन्होंने मेरे क्रिकेट के रास्ते में आने वाली हर चीज़ को ख़त्म कर दिया है। जब से मुझे याद है, यही उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य रहा है।
मेरे पिता और मां जैसा परिवार मिलना बहुत मुश्किल है। मैं दो लोगों को जोड़ना भूल गया मेरे दादा जी और चाची। हम एक संयुक्‍त परिवार में रहते हैं। जब मैं आठ साल का था तो मेरे दादा जी मेरे लिए क्रिकेट किट लाए, मेरे क्रिकेट के कपड़े लाए, दूध और अन्‍य चीज़ लाए और बस ग्राउंड के बाहर खड़े होते या अख़बार पढ़ते और यह पक्‍का करते कि कोई दिक्‍कत ना हो क्‍योंकि मेरे माता-पिता काम कर रहे होते थे। यदि मैं घर आता तो मेरी चाची मेरा ध्‍यान रखती थी। वह सब उपलब्‍ध कराती थी जिसकी मुझे ज़रूरत है।
यह ऐसा था मानो मैं वह सपना जी रहा था जिसे मेरे पिता हासिल करना चाहते थे। चोचिए कोई क्रिकेटर बनना चाहता था लेकिन नहीं बन पाया। उनकी शादी हुई, उनके एक लड़का है। और वह अपने बेटे के जरिए उस सपने को जीना चाहते हैं और उन्‍होंने सबकुछ किया, मुझे पढ़ाया, मेरे क्‍लासमेट से मेरे लिए नोट्स लिए, मुझे निजी ट्यूशन में लेकर जाते थे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मैं अधिक से अधिक क्रिकेट खेल सकूं। और मेरी मां उनसे कहती हैं, "मैं तुम्‍हारा समर्थन करती हूं क्‍योंकि तुम क्रिकेटर नहीं बन पाए। चलिए अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने में मदद करते हैं। उनके ससुर ने समर्थन किया तो मां की बहन ने भी समर्थन किया।"
और फ‍िर मैंने ऐसे व्‍यक्‍ति‍ से शादी की जो इस लाइफ़स्‍टाइल के बारे में कुछ नहीं जातनी थी। प्रीति को कुछ नहीं पता था कि मेरी ज़‍िंंदगी कैसी है। वह बस इस सफ़र में कूद गई। और मुझे लगता है कि पहले दो-तीन साल उसके लिए बहुत मुश्किल थे। वह कुछ नहीं समझ सकी कि यह घर कैसे चलता है। कोविड से पिछले चार या पांच सालों में मैं सुरक्षित रूप से कह सकता हूं, इससे पहले यह मेरे पिताजी और मां थे जिनकी वजह से मैं क्रिकेट खेल पाया लेकिन अब काफ़ी हद तक प्रीति के कारण है। वह हमारे जीवन में एक सुंदर संतुलन लेकर आई हैं।
अगर मैं क्रिकेटर होता और यदि मैं जानता कि कैसे मेरे प्रदर्शन पर मेरे साथ कई लोग भावुक रूप से जुड़े हुए हैं, कि कितना यह मुझे प्‍यार करने वालों के लिए मायने रखता है तो मैं दबाव में आ जाता।
पिछले कुछ सालों में प्रीति और मेरे बच्‍चों ने मुझे कुछ कहान‍ियां सुनाई हैं। कैसे वह एक ही जगह से मैच देखते हैं। अगर मैं कहूं कि मैंने विकेट लिए और उस समय पापा किसी से फ़ोन पर बात कर रहे हैं तो वह अगली बार उसी इंसान से बात करने की सोचेंगे।
मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि बाक़ी दुनिया के संपर्क में आने से मैं और भी अधिक खुल गया हूं। जब भी मैं घर वापस आता हूं, मैं उनसे कहता रहता हूं, "मुझे लगता है कि आपको मुझसे दूर हो जाना चाहिए। आपको और भी बहुत सी चीज़ें करनी चाहिए।" हम खेल के बारे में बहुत कम चर्चा करते हैं, लेकिन हम साथ मिलकर खेल देखते हैं। जब मैं घर पर होता हूं और कोई अन्य मैच हो रहा होता है, तो हम उसे एक साथ देखते हैं।
लेकिन जब आप जानते हैं, जब आप खेल रहे होते हैं, मान लीजिए, दिल्ली या मुंबई में कहीं, और आप जानते हैं कि आपके पिता घर पर इतनी तीव्रता से देख रहे हैं...
असल में इतने सालों में यह कभी मेरे दिमाग़ में नहीं आया। क्‍योंकि वर्तमान में रहना मेरी ताक़त में से एक है। क्‍योंकि मैं वर्तमान में रहता हूं तो मैं उस बारे में नहीं सोचता हूं। और मुझे लगता है कि यह एक अद्भुत आशीर्वाद है।
क्या यह ऐसी चीज़ नहीं है जिस पर आपको काम करना था?
देख‍िए ऐसे कई मौक़े आए हैं जब बड़ा दबाव था। प्रीति और दूसरे लोग मुझे कहते हैं जब दबाव होता है तो मेरे माता-पिता चिंता नहीं करते हैं क्‍योंकि वे जानते हैं कि मैं इससे बाहर निकल आऊंगा। यह अंडर-14, अंडर-16 के दिनों से है। एक तरह से मैं दबाव को स्‍वीकार करता हूं।
क्या आप कहेंगे कि प्रतिस्पर्धा के प्रति आपके अंदर बुनियादी सहज प्रेम है?
संभवतः. यही बात इन दिलचस्प बहसों में से कुछ को सामने लाती है, जिसका मैं अंततः हिस्सा बन जाता हूं, क्योंकि मुझमें हमेशा से जीतने की चाहत रही है और मैं इसके लिए कुछ भी करना चाहता हूं।
हम बाहर संभवत: कुछ हद तक टी20 या 50 ओवर के क्रिकेट के अनुभव को दोहरा सकते हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट कुछ और है। इसका अनुभव बहुत कम लोगों को हो पाता है. क्या आप बता सकते हैं कि टेस्ट क्रिकेट कैसा होता है - 100 मैच खेलना तो दूर की बात है?
सचमुच बोझिल।
मान लीजिए कि आप 100 टेस्ट खेलते हैं। भले ही आप इससे कम टेस्‍ट खेले, फ‍िर भी आप कम से कम 400 दिन खेलते हैं। मैच से पहले बैठकों और एक कठिन अभ्यास और एक आरामदायक अभ्यास के साथ तीन दिनों की तैयारी। यानी 400 में 300 दिन जोड़े जाते हैं। और फिर आप यात्रा करते हैं, आपके पास प्री-सीरीज़ शिविर होते हैं, आप टीम में शामिल होने से पहले खुद तैयारी करते हैं। तो यह सचमुच ऐसा है जैसे आपको टेस्ट मैच में दस दिन लगाने होंगे।
और इस पर निर्भर करते हुए कि आपका मूड कैसे बदलता है या आप कैसे खेलते हैं, और आपका दिन कैसा था, टेस्ट मैच कहां खड़ा है, आप स्विच ऑफ़ नहीं कर सकते। यहां तक ​​कि यात्रा करने वाले आपके परिवार के लिए भी यह सबसे कठिन जीवन होता है। मैं जानता हूं कि बाहर से यह अविश्वसनीय रूप से सुंदर लगता है कि आप इंग्लैंड की यात्रा कर रहे हैं, आप ऑस्ट्रेलिया की यात्रा कर रहे हैं। तुम्हें पता है, जब हम पिछली बार वहां गए थे तो मैंने पहली बार लंदन आई अपनी बेटी के साथ देखी थी? अगर एक दिन प्रीति कहती है, "मैं छुट्टियों पर जाना चाहती हूं" और मैं कहता हूं, "आप अभी इंग्लैंड से वापस आए हैं," तो वह कहेगी, "मैं काम पर थी। मैं तुम्हारे साथ काम पर थी।"
"आप अधिकतर होटल रूम में बंद होते हो और आप चिंता में हो यदि आपका ख़राब दिन जाता है या टेस्‍ट मैच आपकी ओर नहीं है या आप टेस्‍ट मैच हार जाते हो, तो आपका डिनर पर जाने का भी मन नहीं करता है। आप दिखना नहीं चाहते हो। आप अपने बंकर में रहना चाहते हो।"
और जब आप भारत में हों तो यह दोगुना कठिन होता है। मैं बहुत आभारी हूं क्योंकि इस प्रकार के प्रशंसकों के बिना, मैं वह नहीं होता जो मैं आज हूं। और भारतीय टीम आज जितनी लोकप्रिय नहीं होती। लेकिन इसका असर परिवार और आपकी निजी ज़‍िंदगी पर पड़ता है। और यदि आप टेस्ट क्रिकेट खेल रहे हैं और आप भारत के लिए खेल रहे हैं - आप टी20 खेल सकते हैं, आप वनडे खेल सकते हैं, मैंने वह सब किया है लेकिन अपने देश के लिए टेस्ट मैच खेलने के क़रीब कुछ भी नहीं है।
और यह असल टेस्‍ट है। यहां दबाव है, यहां कौशल है, यहां अनुकूल क्षमता है, यहां शारीरिक फ़‍िटनेस है, यहां पर वापसी ज़वाब देना है, कभी-कभी कौशल पर निर्णय लेना है। और आपको इनमें से हर एक विशेषता को तैनात करने में सक्षम होना चाहिए। आपको सब कुछ एक साथ रखना होगा। और यही इसकी खूबसूरती है। किसी टेस्ट मैच के अंत में, यदि आपका टेस्ट मैच बहुत अच्छा रहा हो और आपने एक कठिन संघर्षपूर्ण टेस्ट मैच जीता हो, तो मुझे नहीं लगता कि इससे बेहतर कोई अनुभूति हो सकती है। आप वास्तव में टेस्ट मैच में उत्साहित हो सकते हैं।
शाम को प्रबंधित करना बहुत कठिन होगा, लेकिन उन्हें अच्छी तरह से प्रबंधित करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। चोट के रखरखाव, मानसिक ऊर्जा, नींद लेने के संदर्भ में।
पिछले 50 टेस्‍ट मैचों में मैं नौ बजे रोज सो जाता हूं। मेरा डिनर सात बजे हो जाता है और मैं नौ बजे तक सो जाता हूं। अगर मैं नौ बजे तक नहीं सोता और छह बजे तक नहीं उठता, तो अगले दिन खेलते समय मुझे बहुत बुरा लगता है। मेरे पास उतनी मात्रा में ऊर्जा नहीं होती है। और मुझे काफ़ी चोटें आई हैं और यहां-वहां कुछ मामूली चोटें भी आई हैं। इसलिए उनके रखरखाव की आवश्यकता है।
अगर मैं टेस्ट दौरे पर हूं तो ब्रेक लेने से पहले 20 दिनों से अधिक समय तक सुबह, दोपहर, शाम एक जैसा खाना खाता हूं। क्योंकि मैं लैक्टोज-असहिष्णु और ग्लूटेन-असहिष्णु हूं, मुझे सचमुच एक ही भोजन पर रहना पड़ता है। अगर मैं शाम को थोड़ा सा भी लैक्टोज या थोड़ा सा ग्लूटेन लेता हूं, तो मैं अगले दिन तक अस्वस्थ रहता हूं।
मैं यह भी नहीं सोचता कि ये बलिदान हैं क्योंकि जो मुझे पसंद है उसके लिए मैं यही करता हूँ।
आप कितनी आसानी से सो जाते हैं? उदाहरण के लिए, एडिलेड 2018 का चौथा दिन। आपने दो विकेट ले लिए हैं, आप एक बड़ी विदेशी टेस्ट जीत के कगार पर हैं। क्या आप नौ बजे सोने में सक्षम थे?
मैं बच्‍चों की तरह सोता हूं।
जैसा कि बाद में पता चला, पिच पूरी तरह से सपाट हो गई थी। जोश हेज़लवुड और नेथन लॉयन ऑस्ट्रेलिया को वास्तव में क़रीब ले आए। अगर वे वहां पहुंच जाते तो क्या आको आराम से नींद आ पाती?
नहीं, मुझे कुछ लोगों से [बातचीत] करनी पड़ती और रात गुजारनी पड़ती। जिस तरह एक कठिन टेस्ट को जीतने के साथ तुलना करने का कोई एहसास नहीं है, उसी तरह हारना भी उतना ही दर्दनाक है।
आपको अपना पहला टेस्‍ट कितना बेहतर तरीक़े से याद है? जब आपको पता चला आप खेल रहे हैं, फ‍िर तैयारी करना और कैप का मिलना?
कोई ऐसा व्यक्ति जिसने IPL में पहुंचने तक मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तो वह सुनील सुब्रमण्यन थे, जो टेस्ट मैच के लिए वहां थे। मैंने उन्हें अपने पास बुलाया था। मुझे लगता है मेरे पापा भी आए होंगे। लच्छू भाई [वीवीएस लक्ष्मण] ने मुझे टोपी सौंपी। वह एक टेस्ट मैच था जिसमें प्रीति नहीं थी। धर्मशाला में मैं आधिकारिक तौर पर सौ टेस्‍ट खेलूंगा और उसके 99 होंगे।
मुझे याद है सचिन पाजी मिडऑफ़ पर थे, और मेरी मदद कर रहे थे। एमएस हमेशा की तरह बहुत आत्‍मविश्‍वास से भरे थे। किसी कारण से मैच के वीडियो हाल ही में यूट्यूब पर सामने आए हैं। मैंने नौ विकेट फिर से देखे। तीन और छह।
मुझे नहीं लगता कि एमएस को पता था कि मैं उतनी अच्छी बल्लेबाज़ी कर सकता हूं जितनी मैंने की। क्योंकि IPL में आपको उतनी बल्लेबाज़ी देखने को नहीं मिलती। मैं बहुत ही साधारण नंबर 9, नंबर 8 था। मैं अभी भी गति परिवर्तन का सामना कर रहा था। गेंद को हिट करना मेरे अंदर स्वाभाविक रूप से नहीं आया था। उन्हें यह नहीं पता था, लेकिन जब मैंने अपना पहला शतक [अपने तीसरे टेस्ट में] बनाया, तो उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता था कि आप इतनी अच्छी बल्लेबाज़ी करते हो।" आख़‍िरकार उन्होंने मुझे सीएसके के लिए ओपनिंग करने के कुछ मौके़ दिए और बाद में मुझे ऊपरी क्रम में भेजा क्योंकि उन्हें लगा कि मैं एक अच्छा टच प्लेयर हूं।
एमएस ने सलामी बल्लेबाज़ों के लिए बड़े पैमाने पर टच खिलाड़ियों को चुना है। वह वास्तव में उन टच खिलाड़ियों को पसंद करते हैं। क्या आपको याद है कि जब आपको अपना पहला विकेट मिला था, डैरेन ब्रावो, तो आपको कैसा महसूस हुआ था?
इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। वह कट करने पीछे गए और बॉल अंदर आई और वह बोल्‍ड हो गए थे।
आपके पिछले टेस्ट में ही, आने वाली चीज़ों के संकेत मिल गए थे। भारत लगभग 90 रन से पीछे था, आपने दूसरी पारी में नई गेंद ली और छह विकेट लिए। इस तरह के संकेत कि आप अक्सर नई गेंद से कैसे गेंदबाज़ी करेंगे।
निश्चित रूप से नई गेंद एक ऐसी चीज़ है जिसका मैंने वर्षों से हमेशा लुत्फ उठाया है। आप हर बार ऐसा होने की उम्मीद नहीं कर सकते। और मैंने ऑस्ट्रेलिया या किसी भी जगह पर गेंदबाज़ी की शुरुआत नहीं की है। यह कुछ ऐसा है जब आप खेल पर दबाव डाल रहे होते हैं। विशेष रूप से दूसरी पारी में, यदि आप इसमें अभ्यास कर सकें तो चीज़ें आसान हो जाती हैं। किसी तरह यह मेरे लिए काम करता है।
आपके करियर के बारे में एक बात जो मुझे हमेशा आश्चर्य होती है, वह यह है कि 2012-13 में इंग्लैंड के ख़‍िलाफ़ घरेलू श्रृंखला में हार के बाद आप किस स्थिति में थे। गेंद के साथ आपकी श्रृंखला अच्छी नहीं रही। ऐसी चर्चा थी कि आपको हटाया जा सकता है। मैंने खुद लिखा होगा कि आप एक टी20 गेंदबाज़ थे जो अनिवार्य रूप से विविधतापूर्ण गेंदबाज़ी कर रहे थे। आप ने उसका कैसे सामना किया?
मुझे लगता है कि एक टेस्ट क्रिकेटर या एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर या उच्चतम स्तर पर किसी व्यक्ति के रूप में, उतार-चढ़ाव एक बहुत ही सामान्य बात है। आप अपने उतार-चढ़ाव को कैसे संभालते हैं और आप अपने उतार-चढ़ाव का निवारण कैसे करते हैं, यही आपको एक क्रिकेटर या एक व्यक्ति के रूप में परिभाषित करेगा।
यह वह मंजिल नहीं है जो आपको बनाती है। यह वह यात्रा है जिसने मुझे यह बनाया। मुझे अभी भी याद है कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी (इंग्लैंड सीरीज़ के ठीक बाद) तक मुझ पर किस तरह का दबाव था। क्योंकि जब मैं अपने परिवार के लिए मैच टिकट लेने के लिए तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन गया, तो किसी ने कहा, "आपको बाहर कर दिया जाएगा।" मुझे याद है कि परवेज़ रसूल ने अभ्‍यास मैचों में विकेट लिए थे। हरभजन सिंह वापस आ रहे थे।
मैंने पहले तीन सीरीज़ खेली थीं, दो घर में और एक ऑस्ट्रेलिया में, और दो में प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ रहा था। मुझे यह दिलचस्प लगा कि मुझे हटाया जा सकता है, लेकिन आप कैसीनो में जाकर डीलर से झगड़ा नहीं कर सकते क्योंकि वह आपको ख़राब कार्ड देता है। आपको उसके द्वारा बांटे गए कार्डों से खेलने में सक्षम होना होगा। सबसे बड़ा सबक जो मैंने सीखा है, और जिसका मैंने पालन किया है, वह यह है: मैं अपने हाथ से खेलता हूं और मैं आदमी से खेलता हूं।
मैंने इसे बाहरी बना दिया। मेरे लिए, बहुत सारी आंतरिक लड़ाइयां हुई हैं, लेकिन बाहरी तौर पर मैं विरोधियों पर दबाव बनाने में क़ामयाब रहा हूँ, ताकि मैं आंतरिक रूप से जो दबाव महसूस करता हूं उसे दूर कर सकूं। जब मैं अंदर से कहता हूं तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं इस दौड़ में अकेला हूं, और मैं इस खेल में अकेला हूं। चाहे कुछ भी कहा और किया जाए, क्रिकेट एक टीम गेम है जिसे 11 लोग खेलते हैं। मैंने यह सुनिश्चित कर लिया है कि अगर मैं 10 गुना दबाव में हूं, तो मैं अपने प्रतिद्वंद्वी पर 50 गुना दबाव बनाने की कोशिश करूंगा। इसलिए मुझे कम दबाव महसूस होता है।
आप उनकी आंखों में देखिए, आपको पता चल जाएगा कि कब कोई टूट रहा है। यदि किसी को कोई मिठाई पसंद है और आप उसे 30 दिनों तक वह मिठाई नहीं खिलाते हैं, तो वे मज़ाकिया होंगे। दबाव में लोग बहुत सारी ग़लतियां करते हैं। इसीलिए जब लोग ज़्यादा सोचने के बारे में बात करते हैं तो मैं कहता हूं यह मेरी रोज़ी-रोटी है।
यह विचार कि आपको संभवतः उस समय हटा दिया गया होगा, मुझे कुछ बातें बताता है। एक तो यह कि भारत के लिए अपने घर में हारना कितना दुर्लभ था। और दूसरा ये कि भारत में एक स्पिनर से कितनी उम्मीद की जाती है। तीसरा, आप एक युवा व्यक्ति थे, आपको छोड़ना आसान होता। आप उस दौर से वापस कैसे आए?
सबसे पहले, मैं बहुत अलग तरह से सोचता हूं। भारत में सीरीज़ हारना कितना दुर्लभ है - यह मेरा बोझ नहीं है। अतीत में भारतीय टीमें (वो सीरीज़) खेलती थीं। अगर वे हारे या जीते, तो एक प्रशंसक के रूप में मैंने इसका आनंद लिया। एक क्रिकेटर के तौर पर मैंने इसका लुत्फ़ उठाया है।' लेकिन यह मेरा भार उठाने लायक नहीं है। मैंने इसे उस तरह कभी नहीं देखा।
और भारत के एक स्पिनर के तौर पर यह कितना महत्वपूर्ण है, यह भी मुझे नज़र नहीं आया क्योंकि मैं उस सीरीज़ में खेलने वाला अकेला क्रिकेटर नहीं हूं। ऐसे 11 खिलाड़ी हैं जिन्होंने हर एक मैच खेला। और जब आप हारते हैं, तो कोई भी व्यक्ति मैच नहीं हारता। आप इसे एक टीम के रूप में खो देते हैं। और कभी-कभी जब आप टीम मीटिंग में ऐसा कहते हैं या जब आप इसके बारे में बात करते हैं लेकिन इसे लागू नहीं करते हैं, तो मुझे यह मनोरंजक लगता है। ये मेरी मान्यताएं हैं। आपने जो बातें कहीं, वे आज तक मेरे मन में नहीं आईं।
मुझे पता था कि मेरी बल्लेबाज़ी ठीक चल रही है, इसलिए मैंने रन बनाना जारी रखा। गेंद के मामले में मुझे पता था कि मैं क्या ग़लती कर रहा हूं। मुझे बैकफु़ट और फ्रंटफु़ट दोनों से मार पड़ रही थी। मैं बल्ले के स्टीकर पर गेंद नहीं मार रहा था। जब कोई बचाव कर रहा हो, तो आपको बल्ले के स्टीकर को हिट करने में सक्षम होना चाहिए, आपको अपनी लंबाई सही रखनी होगी। जब मैंने लंबाई कम करने के लिए गेंद को घुमाने की कोशिश की, तो मुझे लाइन ग़लत मिल रही थी और मैं कट जा रहा था। जब मैंने फुटेज देखा तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे कूल्हे अलग करना सही नहीं था। मैं कूल्हे के अलग को कैसे संबोधित करूं? मैं चला गया और मैंने काम किया।
हम नागपुर में इंडिया सीमेंट्स के लिए एक कॉरपोरेट ट्रॉफ़ी खेल रहे थे। मैं सिर्फ़ जांच करने के लिए सुनील को अपने साथ ले गया। मुझे स्पॉट बॉलिंग पसंद है। जब मैं स्पॉट बॉलिंग कर रहा था, तो मुझे पता चला कि मेरे कूल्हे अलग होने के कारण मेरा बायां पैर चौड़ा हो रहा था। जब मैंने उस दूरी को कम किया, तो मैं क्रीज़ पर बहुत संतुलित था, और मैं श्रृंखला में गया और मुझे जो करना था वह किया। मैंने अपना कार्य बदला, उसे सुधारा। मैंने किया जो मुझे करना चाहिए था।
भविष्‍य के बारे में क्‍या सोचा है?
पता नहीं भाई। मैंने इसके बारे में नहीं सोचा। यह 100 टेस्‍ट मेरे से अधिक मेरे परिवार के लिए मायने रखते हैं। तो जो भी बचा है मेरा परिवार जो कहेगा वही करूंगा। मैं नहीं सोचता कि मैं आगे फ़ैसले ले पाऊंगा।
महामारी के दौरान आपको घर जाने के लिए 2021 IPL से हटना पड़ा, क्योंकि आपके विस्तारित परिवार के कई सदस्यों को एक समय में कोविड हुआ था। आपने अतीत में कहा है कि कोविड काल ने आपको क्रिकेट के बारे में बहुत कुछ दृष्टिकोण दिया है। आपने क्रिकेट के बारे में पहले क्या सोचा था और उसके बाद इसमें क्या बदलाव आया?
मुझे लगता था कि कोविड से पहले यह बहुत अल्पविकसित और एक-आयामी था। यह अश्विन ही क्रिकेटर थे जो गंभीर उतार-चढ़ाव से गुजर रहे थे। लेकिन जब से कोविड आया है, मैंने वास्तव में क्रिकेट से परे जीवन के बारे में सोचा है। और मैं अन्य चीज़ें करना चाहता था। मुझे नहीं पता था कि कोविड कब ख़त्म होगा, मेरे पास खेलने के लिए कौन सा क्रिकेट बचेगा
मुझे नहीं पता था कि क्रिकेट जीवन में क्या होने वाला है। इसलिए मैंने क्रिकेट से बाहर जीवन की योजना बनाना शुरू कर दिया। क्या मुझे कोचिंग करनी चाहिए? क्या मुझे कॉमेंट्री करना चाहिए? शायद खेल पूरी तरह छोड़ दें? मैंने वित्त प्रबंधन के कुछ पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया। मैं प्रशिक्षण ले रहा था और मुझे नहीं पता कि मैं किस लिए प्रशिक्षण ले रहा था। मैंने कुछ लक्ष्य निर्धारित किए थे, एक आहार विशेषज्ञ को नियुक्त किया और फिर अचानक चीज़ें खुल गईं। मैं ऑस्ट्रेलिया गया। मेरी एक अच्‍छी सीरीज़ गई।
कल्पना कीजिए, पिछले दो वर्षों में मैं भारत के बाहर ज्‍़यादा नहीं खेला हूं। [रवींद्र] जाडेजा फ्रंटलाइन स्पिनर रहे हैं। फिर, मुझे पता था कि वह फ्रंटलाइन स्पिनर बनने जा रहा है, लेकिन वह चोटिल हो गया। और मैं गया और मेरी (ऑस्ट्रेलिया में 2020-21 में) शानदार सीरीज़ रही। मुझे लगता है कि इसने मुझे फिर से नया जीवन दे दिया। कुछ बातें करने के लिए होती हैं। हमें ये नहीं कहना चाहिए कि मैंने ये किया और ये हो गया। आप बस इतना ही कर सकते हैं। निश्चित रूप से कुछ और है जिसकी आपको आवश्यकता है। आपको स्लिप के लिए सही गेंद निकालने के लिए किसी की ज़रूरत होती है।
मेरा मतलब है, मैं भाग्यशाली हूं और सौभाग्यशाली हूं कि स्लिप और लेग स्लिप पर अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा रहे हैं। मेरे पास शॉर्ट मिडविकेट पर विराट कोहली, लेग स्लिप पर पुजारा, स्लिप पर हमेशा के लिए अजिंक्य थे। वह अभेद्य है। अगर मुझे अपने परिवार के अलावा किसी को धन्यवाद देना है, तो वे तीन हैं। रोहित [शर्मा] के साथ शॉर्ट लेग पर कुछ कैच लपके। रोहित ने अब स्लिप में अजिंक्य की जगह ली है।
और विकेटकीपर्स। मैं याद नहीं कर सकता कि ऋद्धिमान साहा या एमएस ने कोई कैच छोड़ा हो। फ‍िर ऋषभ पंत आए और उन्‍होंने बेहतरीन सुधार किया। एक या दो टेस्‍ट में ही उन्‍होंने सभी कैच और स्‍टंपिंग करना शुरू कर दिया।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में सीनियर लेखक हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।