आंकड़े : 1948 के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार किया ऐशेज़ में 250 के ऊपर के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा
ऐशेज़ में इससे पहले सिर्फ़ दो ही बार ऐसा हुआ है जब किसी टीम ने अपनी पहली पारी घोषित की हो और उन्हें हार का सामना करना पड़ा हो
संपत बंडारूपल्ली
21-Jun-2023
281 1948 के बाद से यह पहला मौक़ा है, जब ऑस्ट्रेलिया ने किसी ऐशेज़ टेस्ट की चौथी पारी में 250 से ऊपर के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया है। इससे पहले ऐसा 1948 में हेडिंग्ली में हुआ था, जब ऑस्ट्रेलिया ने चौथी पारी में 404 रन बनाकर मैच जीता था। यह ऐशेज़ में ऑस्ट्रेलिया के लिए चौथा सबसे बड़ा चेज़ है। 1949 और 2022 के बीच 31 ऐशेज़ टेस्ट ऐसे हुए हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया को चौथी पारी में 250+ का लक्ष्य मिला था, लेकिन इसमें वे एक भी बार नहीं सफल हो पाए। इस दौरान 31 में से 18 टेस्ट मैचों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, जबकि बाक़ी मैच ड्रॉ हुए।
2011 इससे पहले 2011 में ऑस्ट्रेलिया ने 250 के ऊपर के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया था। तब उन्होंने जोहैनसबर्ग में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ चौथी पारी में 310 रन बनाए थे और डेब्यू कर रहे पैट कमिंस ने इमरान ताहिर की गेंद पर चौका लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया ने 250+ के स्कोर का पीछा करते हुए 21 में से 19 मैच गंवाए हैं।
26 इस मैच से पहले लगातार 26 पारियों में इंग्लैंड ने विपक्षी टीम को चौथी पारी में ऑलआउट किया था। ऑस्ट्रेलिया ने 1999 और 2001 के बीच ऐसा लगातार 33 पारियों में और इंग्लैंड ने 1885 से 1896 के बीच ऐसा 59 पारियों में किया था।
8 ऐसे सिर्फ़ 8 टेस्ट मैच हुए हैं, जब ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ़ 2 या उससे कम विकेट शेष रहते हुए कोई टेस्ट मैच जीता है। 2011 का जोहैनसबर्ग टेस्ट ऐसा अंतिम मैच था, जब उन्होंने 310 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 8 विकेट गंवा दिए थे। वहीं यह सिर्फ़ पांचवां मैच है, जब इंग्लैंड को चौथी पारी में 8 विकेट मिलने के बावजूद भी हार का सामना करना पड़ा है।
2 ऐशेज़ में इससे पहले सिर्फ़ दो ही बार ऐसा हुआ है जब किसी टीम ने अपनी पहली पारी घोषित की हो और उन्हें हार का सामना करना पड़ा हो। 1981 के लीड्स टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने 401/8 पर अपनी पहली पारी घोषित की थी और उन्हें 18 रन से हार का सामना करना पड़ा था, वहीं 2006 के ऐडिलेड टेस्ट में पहली पारी में 551/6 का घोषित स्कोर बनाने के बावजूद इंग्लैंड को छह विकेट से हार का सामना करना पड़ा था।
55* कमिंस और नेथन लायन के बीच नौवें विकेट के लिए नाबाद 55 रन की साझेदारी हुई। नौवें या दसवें विकेट के लिए चौथी पारी में हुई सफलतापूर्वक चेज़ में यह टेस्ट इतिहास की सातवीं सबसे बड़ी साझेदारी है। ऑस्ट्रेलिया के लिए इस तरह की यह दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी है। इससे पहले इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ही 1907 के सिडनी टेस्ट में टिब्बी कॉटर और गेरी हैज़लिट ने नौवें विकेट के लिए नाबाद 56 रन जोड़े थे और 274 रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया था।
796 उस्मान ख़्वाजा ने इस मैच में 796 मिनट बल्लेबाज़ी की। यह मार्क टेलर के 938 मिनट के बाद क्रीज़ पर किसी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ द्वारा बिताई गई दूसरी सबसे बड़ी पारी है। टेलर ने 1998 के पेशावर टेस्ट में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ऐसा किया था। समय के हिसाब से यह ऐशेज़ में किसी भी बल्लेबाज़ की चौथी सबसे बड़ी पारी और ऑस्ट्रेलिया के लिए तो सबसे बड़ी पारी है। 1964 के मैनचेस्टर टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ बॉब सिंपसन ने क्रीज़ पर क़रीब 767 मिनट बिताए थे।
13 टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसा सिर्फ़ 13 बार हुआ है, जब किसी बल्लेबाज़ ने किसी टेस्ट के सभी पांचों दिन बल्लेबाज़ी की हो। उस्मान ख़्वाजा ने ऐसा इस मैच में किया। वह किम ह्यूज के बाद ऐसा करने वाले सिर्फ़ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ हैं। ह्यूज ने ऐसा 1980 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ लॉर्ड्स में किया था।
ESPNcricinfo Ltd
518 ख़्वाजा ने इस मैच में 518 गेंदें खेली। 2012 के बाद किसी टेस्ट में 500 से अधिक गेंदें खेलने वाले वह सिर्फ़ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ हैं। तब 2012 के ऐडिलेड टेस्ट में रिकी पोंटिंग ने ऐसा किया था। ख़्वाजा 2010 में ऐलेस्टर कुक के बाद किसी ऐशेज़ टेस्ट में 500 से अधिक गेंद खेलने वाले एकमात्र बल्लेबाज़ भी हैं। कुक ने 2010 गाबा टेस्ट में 596 गेंदें खेली थीं।
35 मार्नस लाबुशेन और स्टीव स्मिथ ने इस मैच में कुल 35 रन जोड़े। यह ऑस्ट्रेलिया के लिए किसी जीते हुए मैच में नंबर तीन और चार के बल्लेबाज़ों द्वारा किया गया तीसरा सबसे कम योगदान है। 1888 के लॉर्ड्स टेस्ट में हैरी ट्रॉट और जॉर्ज बॉनर ने ऑस्ट्रेलिया की 61 रन की जीत में सिर्फ़ 17 रनों का योगदान दिया था, वहीं 1882 के सिडनी ऐशेज़ टेस्ट जीत में बिली मर्डोक और टॉम हॉरन ने सिर्फ़ 27 रन बनाए थे।
संपत बंडारूपल्ली ESPNcricinfo की स्टैट्स टीम के सदस्य हैं