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कुलदीप यादव तो तैयार हैं, लेकिन क्या भारत है?

इंग्लैंड की सूखी पिचों पर 20 विकेट निकालने में कलाई के जादूगर कुलदीप यादव हो सकते हैं भारत का तुरुप का इक्का

A backlit Kuldeep Yadav , Champions Trophy, Dubai, February 17, 2024

कुलदीप यादव की 13 टेस्ट में औसत है 22.16 की  •  ICC/Getty Images

भारत के नए नेतृत्वकर्ताओं कप्तान शुभमन गिल, कोच गौतम गंभीर और उप-कप्तान ऋषभ पंत की परीक्षा होना तो तय ही था। कप्तान और कोच ने अब तक जो कहा वह सराहनीय है। गिल ने कहा कि वह चार पुछल्ले बल्लेबाज़ों को खिलाने के लिए तैयार हैं ताकि जल्दी से विपक्षी टीम के 20 विकेट लिए जा सकें। लीड्स टेस्ट में मिली हार के तुरंत बाद गंभीर ने भी कहा था कि हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि सामने वाली टीम के 20 विकेट झटकें।
लीड्स में भारत की अंतिम एकादश उम्मीद के मुताबिक़ ही थी। शार्दुल ठाकुर का दल में होने का मतलब ही था कि वह नीतीश कुमार रेड्डी से ज़्यादा बेहतर गेंदबाज़ी विकल्प हैं, हालांकि रेड्डी ने ऑस्ट्रेलिया में नंबर-8 पर बल्लेबाज़ी करते हुए भारत के लिए अहम भूमिका अदा की थी। विडंबना यह थी कि ठाकुर ने बल्लेबाज़ी में न कुछ ख़ास किया और न ही गेंद से उनका ज़्यादा इस्तेमाल हुआ। ठाकुर ने पहली पारी में 1 और दूसरी पारी में 4 रन बनाए तो गेंदबाज़ी में उन्होंने महज़ 16 ओवर डाले, जबकि भारत ने मैच में कुल 182.4 ओवर फेंके थे। पहली पारी में तो ठाकुर को 40 ओवर तक गेंद भी नहीं थमाई गई थी। ठाकुर ने जो 16 ओवर की गेंदबाज़ी की भी तो उसमें न ही विकेट लेने वाले गेंदबाज़ दिख रहे थे और न ही रन रोक पा रहे थे।
समस्या यह है कि भारत ने जो अभी किया वह ऑस्ट्रेलिया दौरे से ज़्यादा साहसिक था। ऑस्ट्रेलिया में हमने एक टेस्ट में यह भी देखा था कि भारत सिर्फ़ तीन तेज़ गेंदबाज़ों के साथ गया था और चौथे सीमर के तौर पर रेड्डी ही थे। जबकि स्पिनर्स के तौर पर रवींद्र जाडेजा और वॉशिंगटन सुंदर, यानी पांच विशेषज्ञ गेंदबाज़ों के साथ कभी नहीं गए। ऊपर यह देखिए "साहसिक" फ़ैसले ने यहां क्या किया - दोनों पारियों में हमने बल्लेबाज़ी लड़खड़ाती हुई देखी। पहली पारी में 41 रन पर जहां 7 विकेट गिरे तो दूसरी पारी में भी 31 रन पर 6 विकेट गंवाया।
भारत के निचले क्रम ने एक ग़लत संदेश की तरफ़ इशारा किया है और वह यह कि एक बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर को लाया जाए या फिर ठाकुर के ही साथ जाना चाहिए। लेकिन ऐसा होता है तो फिर ऐजबेस्टन में भी 20 विकेट निकालना मुश्किल होगा। भारत को अगर टेस्ट जीतना है तो निचले क्रम से कितने रन आते हैं य़ह नहीं सोचना चाहिए बल्कि चार विशेषज्ञ गेंदबाज़ों और साथ में जाडेजा के साथ ही जाना होगा। इसको इस तरह से समझिए कि अगर विपक्षी टीम को जल्दी समेट देते हैं तो इससे बल्लेबाज़ों पर से दबाव कम हो जाएगा। भारत टेस्ट में अगर 471 और 364 रन बनाता है तो फिर पिच चाहे बैज़बॉल वाली हो या पुरानी ड्यूक गेंद से कम स्विंग मिले, टेस्ट में जीत उनके ही नाम होनी चाहिए।
अब ठाकुर की जगह तेज़ गेंदबाज़ को खिलाया जाता है या फिर किसी स्पिनर को लाया जाए, यह पूरी तरह परिस्थितियों पर निर्भर होना चाहिए। हालांकि इंग्लैंड की यह सूखी गर्मी और बैज़बॉल के दौर में सपाट पिच पर एक कलाई के स्पिनर की ज़रूरत बढ़ जाती है। किसी और टीम में या फिर किसी और दौर में कुलदीप यादव जैसा गेंदबाज़ किसी भी टीम का तुरुप का इक्का होता, लेकिन बदक़िस्मती से वह एक ऐसी टीम में रहे हैं जहां टीम के प्रमुख स्पिनर्स शतक लगाने का भी माद्दा रखते हैं।
अच्छी बात यह है कि कुलदीप सिर्फ़ 30 साल के हैं, 13 टेस्ट मैचों में उनकी औसत 22.16 की है और वह अभी अपने चरम पर हैं। कुलदीप को ज़ाहिर है इन पिचों पर उंगलियों के स्पिनरों से ज़्यादा मदद मिलेगी और वह दोनों ही तरफ़ घुमाव प्राप्त कर सकते हैं जबकि उंगलियों के स्पिनर को दूसरी ओर घुमाव के लिए पिच के टूटने का इंतज़ार रहता है। इंग्लैंड ने लीड्स में जाडेजा के ख़िलाफ़ 39 रिवर्स स्वीप खेले थे, जो किसी एक स्पिनर के ख़िलाफ़ (जब से हमने गेंद दर गेंद का आंकड़ा संजाने की शुरुआत की है) सर्वाधिक है। कलाई के स्पिनर के ख़िलाफ़ यह शॉट खेलना उतना आसान नहीं होगा।
कुलदीप ने हाल ही में इस इंग्लिश बल्लेबाज़ी यूनिट के ख़िलाफ़ अच्छा प्रदर्शन भी किया है। उन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ चार टेस्ट में 19 विकेट लिए थे, जब इंग्लैंड ने 2024 में भारत का दौरा किया था जिसमें धर्मशाला में प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब शामिल है। हालांकि यह प्रदर्शन उन्होंने घरेलू पिचों पर किया था, लेकिन इन पिचों में वह घुमाव नहीं था जैसा भारतीय पिचों से उम्मीद की जाती है। लेकिन अगर ऐजबेस्टन में हरी पिच दी जाती है तो फिर भारत एक अतिरिक्त सीम गेंदबाज़ के साथ जा सकता है, हालांकि हरी घास वाली पिच की संभावना कम ही है।
आदर्श तरीक़े से देखें तो यह सही है कि भारत की अगर नंबर-8 या नंबर-9 तक बल्लेबाज़ी हो तो कुछ अतिरिक्त रन बन जाएंगे। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ अतिरिक्त रन के चक्कर में भारत 20 विकेट लेने का मौक़ा गंवा देगा। कुलदीप में एक और चीज़ यह है कि वह भले ही आक्रामक बल्लेबाज़ न हों लेकिन वह टॉप-7 बल्लेबाज़ों को ऐसा समर्थन देने में सक्षम हैं जहां वह उनके साथ खड़े रह सकते हैं। टीम मैनेजमेंट ने उन्हें नज़रअंदाज़ भी नहीं किया है, वह नेट्स में लगातार गेंदबाज़ी कर रहे हैं।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में वरिष्ठ लेखक हैं।