24 सितंबर को जब भारत इंग्लैंड के ख़िलाफ़ तीसरे वनडे के लिए लॉर्ड्स के मैदान पर उतरेगा तो तेज़ गेंदबाज़ झूलन गोस्वामी भारत के लिए अपना 284वां और आख़िरी अंतर्राष्ट्रीय मैच में हिस्सा लेंगी। 2002 में डेब्यू के बाद झूलन ने भारत के लिए खेलते हुए कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं और उनके 353 अंतर्राष्ट्रीय विकेट महिला क्रिकेट में एक रिकॉर्ड है। वनडे प्रारूप में भी उन्होंने रिकॉर्ड 253 विकेट लिए हैं (एक मज़ेदार तथ्य यह है कि झूलन ने 203 वनडे मैच में ठीक उतने विकेट अपने नाम किए हैं जितने लेने में पूर्व विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव को 225 मैच लगे थे) और शायद 1999 के बाद इंग्लैंड में पहली वनडे सीरीज़ जीत कर भारतीय टीम उन्हें सटीक विदाई दे रही है।
मुझे ऐसा लगता है मैंने जब भी भारत के ख़िलाफ़ कोई मैच खेला है तो झूलन गोस्वामी गेंद करने के लिए रन-अप लेने के लिए तैयार खड़ी रहीं हैं और मैं गेंद का इंतज़ार कर रही हूं। उनके साथ खेलने में मज़ा आता था क्योंकि आपको पता था हर गेंद में आपको संघर्ष करना पड़ेगा।
उनकी निरंतरता ग़ज़ब की थी और उन्होंने इतना लंबा करियर तेज़ गेंदबाज़ होते हुए भी निभाया है यह भी उल्लेखनीय है। मैं ख़ुश हूं आगे उनका सामना नहीं होगा लेकिन वह मैदान पर नहीं दिखेंगीं, इस बात का खेद है। वह इस गेम की महानतम खिलाड़ियों में हैं और मैं जानती हूं आगे भी क्रिकेट में उनका बड़ा योगदान रहेगा।
सब उनकी गेंदबाज़ी को याद रखते हैं लेकिन मुझे उनकी बल्लेबाज़ी याद रहेगी। उन्होंने कुछ बढ़िया पारियां खेली हैं जिनमें उनके शॉट बहुत करारे रहे हैं। अगर कभी वह गेंदबाज़ी करते हुए दिशा या लंबाई में चूक जातीं थीं तो ख़ुद से नाराज़ होतीं थीं और उनका यही अंदाज़ मुझे बेहद पसंद है।
मैंने आपके (झूलन) बारे में मैदान पर और उसके बाहर काफ़ी कुछ जाना है और मैं खेल में आपके प्रतिद्वंद्वी स्वभाव को पहचानती हूं। मैदान के बाहर आप उतनी ही सरल और नम्र हैं। ऐसा लगता है आप करोड़ों सालों से क्रिकेट खेल रहीं हैं और मैं केवल शुभकामना देना चाहती हूं क्योंकि आप जो भी करेंगी उसमें पूरा दिल लगाकर प्रयास करेंगी।
मेरे लिए वह काफ़ी सालों से भारतीय महिला क्रिकेट का चेहरा रहीं हैं। उनके ना रहने से भारतीय टीम में उनकी कमी ज़रूर खलेगी। उन्होंने भारतीय युवा तेज़ गेंदबाज़ों के लिए सही राह दिखाया है और उनकी गेम में दीर्घकालिक, करियर लाजवाब है। उनका नाम महिला क्रिकेट में सालों तक लिया जाएगा।
झूलन ने जो देश के लिए किया है, वह उन्हें एक विशाल व्यक्तित्व बनाता है। वह भारत की सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ रहीं हैं और मैंने हमेशा उन्हें पूरे जुनून और जोश के साथ देश के लिए खेलते हुए देखा है। जो युवा क्रिकेट में आ रहे हैं उन्हें इससे काफ़ी कुछ सीखने को मिल सकता है। चाहे वह कोई महिला हो या पुरुष हो, अगर उन्हें भारत के लिए खेलना है तो वह झूलन को देख कर सीखेंगे। वह इस उम्र में भी तेज़ी से दौड़ कर आ रहीं हैं और विरोधी टीम के बल्लेबाज़ को आउट करने का पूरा प्रयास कर रहीं हैं। यही उनके बारे में सब कुछ दर्शाता है।
मैं उनसे बहुत कम बार मिला हूं। मैं एक बार इंजरी के बाद एनसीए में अभ्यास कर रहा था और वह मुझे वहां गेंदबाज़ी कर रहीं थीं। उनकी अंदर आती गेंद से मुझे कड़ी चुनौती मिली थी। ऐसी खिलाड़ी पीढ़ी में एक बार ही आती हैं।
झूलन एक ज़बरदस्त रोल मॉडल हैं। वह इतने सालों से खेल रहीं हैं और मुझे कभी ऐसा समय याद नहीं आता जब उनके फ़ॉर्म में कोई गिरावट आई हो। आप हमेशा जानते हैं आप उनसे क्या उम्मीद रख सकते है और उन्होंने इतने सालों से निरंतरता के साथ प्रदर्शन किया है। किसी खिलाड़ी के लिए लॉर्ड्स में अपना आख़िरी गेम खेलना सम्मान की बात है और वह इसकी हक़दार हैं।
झूलन इस गेम की लेजेंड हैं। उन्होंने मिताली राज के साथ भारतीय महिला क्रिकेट की नींव रखी है। मुझे उनके विरुद्ध विश्व कप और दौरों पर कई बार खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। वह केवल भारतीय खिलाड़ी ही नहीं अपने विरोधी टीम के सदस्यों से भी खुलकर क्रिकेट और जीवन पर बात करती हैं और उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान होती है। वह आपको एक अविश्वसनीय गेंद से बीट करतीं थीं और फिर आपकी तरफ़ देखकर मुस्कुराती थीं। उनके प्रतिस्पर्धीय स्वाभाव में भी खेल भावना की कोई कमी नहीं थी और इस बात से हम सब प्रेरणा ले सकते हैं।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि हम झूलन गोस्वामी को आगे नहीं देखेंगे। यह अवसर आंखों को नम कर देने वाला है लेकिन मैं बहुत ख़ुश हूं कि आपकी (झूलन) टीम इस सीरीज़ में इतनी मेहनत कर रही है और इसे आपको समर्पित कर रही है। यह दर्शाता है कि आपने इस टीम ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में कैसी छाप छोड़ी है।
मैंने पहली बार आपको2003 में न्यूज़ीलैंड में एक चौकोना सीरीज़ के दौरान देखा था। आप एक लंबी, पतली तेज़ गेंदबाज़ थीं जो बहुत कठोर प्रतियोगी थीं। मुझे याद है आप इंग्लैंड के ख़िलाफ़ बल्ले से रन नहीं बना पाकर बहुत निराश थीं। आप हमेशा टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहतीं थीं और आप जैसी 2003 में थीं, आज भी ठीक वही व्यक्ति हैं। आपका जुनून और साथ में आपका उदार स्वाभाव ही है जिसके वजह से आप को पूरा विश्व आज तक प्यार करता है।
उनका करियर शानदार रहा है। उनकी गेम के प्रति लगन, वह जिस तरह से अभी भी मेहनत कर रहीं हैं और जैसी गेंदबाज़ी डालतीं हैं वह क़ाबिलेतारीफ है। उन्होंने पहले वनडे में भी दिखाया कि वह अभी भी भारत की बड़ी खिलाड़ी हैं। उम्मीद है लॉर्ड्स का मैच उनके लिए एक अच्छा सेंड-ऑफ़ रहेगा।
अपने देश का इतने सालों तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर पाना एक बहुत बड़ी बात है। आपने (झूलन) इसे इतनी आसानी से कर दिखाया है। आप इतिहास रच चुकी हैं और 300 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विकेट ले पाना आपकी गुणवत्ता का प्रमाण है।