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सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी से 'टैक्टिकल सब्स्टीट्यूट' खिलाड़ी बनेंगे टी20 का हिस्सा

बीसीसीआई मैच में 'इम्पैक्ट प्लेयर' लाने की अनुमति देगा जिससे टीमें रणनीतिक बदलाव कर सकेंगी; इस नियम को आईपीएल 2023 में भी देखने को मिल सकता है

Sanju Samson enjoys a quiet moment in the Rajasthan Royals dugout , Chennai Super Kings vs Rajasthan Royals, IPL 2021, Mumbai, April 19, 2021

सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी से टीमों को खिलाड़ियों के टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन (रणनीतिक प्रतिस्थापन) करने की अनुमति दे दी गई है  •  BCCI/IPL

भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने आगामी घरेलू टी20 प्रतियोगिता सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी से टीमों को खिलाड़ियों के टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन (रणनीतिक प्रतिस्थापन) करने की अनुमति दे दी है। इस प्रतियोगिता का आयोजन 11 अक्तूबर से होगा और बीसीसीआई ने एक ई-मेल के ज़रिए अपने सभी स्टेट एसोसिएशन को 'इम्पैक्ट प्लेयर' नियम के बारे में बताया है जिसके तहत एक टीम हर मैच के दौरान एक खिलाड़ी को रणनीतिक बिंदु के तौर पर स्थानांतरित कर सकेगी।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को पता चला है कि बोर्ड इस नियम को पिछले कुछ सालों से आईपीएल में भी लागू करने की सोच रहा था। अगर सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग होगा तो ऐसा माना जा रहा है कि ऐसे ही नियम को आईपीएल 2023 में भी देखा जा सकेगा।

इस सब्स्टीट्यूट का क्या रोल रहेगा?

हर मैच में एकादश के साथ कोई भी टीम चार सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों की घोषणा करेगी। इनमें से किसी एक को मैच में खेलने का मौक़ा मिलेगा।
यह खिलाड़ी शुरुआती एकादश के किसी भी सदस्य की जगह दोनों पारियों के 14वें ओवर से पहले किसी भी समय टीम में शामिल होगा। यह नया खिलाड़ी पूरे ओवर डाल सकेगा और बल्लेबाज़ी भी कर सकेगा। ऐसा खिलाड़ी किसी बल्लेबाज़ को भी स्थानांतरित कर सकेगा जिसने पहले ही बल्लेबाज़ी कर ली हो, हालांकि टीम से सिर्फ़ 11 ही खिलाड़ी बल्लेबाज़ी कर सकेंगे। ठीक ऐसे ही इम्पैक्ट प्लेयर किसी गेंदबाज़ को रिप्लेस करके अपने पूरे ओवर डाल सकेगा, भले ही पिछला खिलाड़ी भी कुछ ओवर डाल चुका हो।
इस नियम से टीमों को टॉस हारने से होने वाली क्षति को कम करने का अवसर मिलेगा। उदाहरण के तौर पर अगर किसी टीम को टॉस हारकर शाम को ओस के वक़्त गेंदबाज़ी करनी पड़ती है तो वह अपने गेंदबाज़ी क्रम में एक अतिरिक्त गेंदबाज़ को शामिल करके इसकी भरपाई कर सकते हैं। या किसी अत्यधिक टर्न ले रही पिच पर लक्ष्य का पीछा कर रही टीम इस नियम से अपने टीम में एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ को डाल सकता है।
इस नियम से अकस्मात् इंजरी से किसी खिलाड़ी के बाहर हो जाने से उसकी जगह किसी और को खेल में लाया जा सकता है। ठीक ऐसे ही अगर किसी गेंदबाज़ को दो बीमर फेंकने पर गेंदबाज़ी से प्रतिबंधित कर दिया जाए तो उसकी जगह कोई और भी मैदान में आकर आक्रमण संभाल सकेगा।

तो यह बीबीएल का एक्स-फ़ैक्टर ही हुआ ना?

नहीं, क्योंकि एक्स-फ़ैक्टर में आप किसी खिलाड़ी को पहली पारी के मध्यांतर (यानी 20 ओवर के मैच में पहली पारी के 10वें ओवर के पड़ाव पर) पर ही सब्स्टीट्यूट कर सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के बीबीएल के इस नियम के हिसाब से बदलाव के तौर पर बाहर जाने वाला खिलाड़ी बल्लेबाज़ी नहीं कर सकता और एक ओवर से ज़्यादा गेंदबाज़ी भी नहीं कर सकता। बीसीसीआई के इस नियम में ऐसी कोई शर्त नहीं है।
साथ ही यह नियम 2005 और 2006 में वनडे क्रिकेट में चले सुपरसब नियम से भी अलग है। उस नियम के अनुसार आप एक बल्लेबाज़ की भूमिका में खेल रहे एक खिलाड़ी को एक बल्लेबाज़ से ही बदल सकते थे। इसका मतलब था कि मौलिक खिलाड़ी के आउट होने से नया प्लेयर बल्लेबाज़ी नहीं कर सकता था और अगर वह गेंदबाज़ था तो शुरुआती खिलाड़ी के गेंदबाज़ी करने से वह केवल उसी के कोटा को समाप्त कर सकता था।

क्या बारिश से प्रभावित मैचों में भी यह खिलाड़ी उतरेगा?

हां लेकिन तभी अगर ओवर कम करने पर भी कम से कम 10 ओवर प्रति पारी खेले जाएं। 10 ओवर से ज़्यादा होने पर इम्पैक्ट खिलाड़ी को मैच में लाने की अवधि में भी बदलाव होगा। मिसाल के तौर पर 17 ओवर प्रति टीम के मैच में ऐसा 13 ओवरों तक संभव होगा। ऐसे ही 11 ओवर के मैच में नौ ओवर तक यह नियम होगा।
अगर एक मैच पूर्ण टी20 के रूप में शुरू होता है और पहली पारी में 10 ओवर के बाद रूकावट आती है तो दोनों टीमों को इम्पैक्ट प्लेयर को लाने का मौक़ा मिलेगा। अगर मैच में ऐसे रुकावट आए कि एक टीम इम्पैक्ट प्लेयर का उपयोग कर चुका हो और फिर दूसरी पारी में 10 ओवर से कम का खेल हो सके, तो दूसरे टीम को भी इम्पैक्ट प्लेयर लाने का मौक़ा मिलेगा। नौ ओवर के मैच में यह सातवें ओवर तक आ सकेगा और पांच ओवर की पारी में तीसरे ओवर तक।

और क्या जानना ज़रूरी है?

इम्पैक्ट प्लेयर को किसी ओवर की समाप्ति पर ही मैच में लाया जा सकता है। इसमें केवल दो अपवाद संभव है - जब बल्लेबाज़ी कर रही टीम नए खिलाड़ी को किसी विकेट के गिरने पर मैच में शामिल करे, या तब जब गेंदबाज़ी कर रही टीम किसी चोटिल खिलाड़ी को ओवर के बीच में बदलना चाहे।
सब्स्टीट्यूट किया गया खिलाड़ी आगे मैच में भाग नहीं ले सकता, बतौर फ़ील्डर भी नहीं।