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फ़ीचर्स

कैसे क्लासेन ने कटक की मुश्किल पिच पर बल्लेबाज़ी को आसान बनाया?

जहां अन्य बल्लेबाज़ संघर्ष कर रहे थे वहां उन्होंने मैच जिताऊ 81 रन बनाए

श्रेयस अय्यर ने 35 गेंदें खेली लेकिन वह कटक की इस पिच पर रन बनाने का तरीक़ा नहीं ढूंढ पाए। नई गेंद हरकत कर रही थी और कुछ गेंदें नीचे भी रह रही थी। श्रेयस ने आक्रामक रुख़ अपनाया और असफल रहे। फिर उन्होंने गेंद को टाइम करने का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
उनका संघर्ष समाप्त हुआ जब लेग कटर गेंद पर वह कीपर को कैच थमाकर चलते बने। भारत के 148 के स्कोर में श्रेयस ने सर्वाधिक 40 रन बनाए।
उसी पिच पर कीपर हेनरिक क्लासेन ने 46 गेंदों पर 81 रन ठोके। उनके बाद साउथ अफ़्रीका की ओर से सर्वाधिक 35 रन तेम्बा बवूमा ने बनाए जिसके लिए उन्हें 30 गेंदों का सामना करना पड़ा।
डेल स्टेन की तरह काफ़ी सारे लोगों को लगा कि क्लासेन एक अलग ही पिच पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे। हालांकि मैच के बाद क्लासेन के ख़ुद बताया कि खेलना इतना आसान नहीं था। फिर कैसे केवल उन्हीं की गाड़ी पांचवें गियर में चल रही थी?
ऐसा नहीं है क्लासेन के संघर्ष नहीं करना पड़ा। एक समय पर 12 गेंदें खेलने के बाद उनका स्कोर केवल चार रन था। इसके बाद उन्होंने चतुराई से बल्लेबाज़ी की और आगे बढ़े।
जब क्लासेन बल्लेबाज़ी करने आए, छठे ओवर में साउथ अफ़्रीका का स्कोर 29 रन पर तीन विकेट था। अच्छी बात यह थी कि अब तक सभी को तंग करने और तीन विकेट लेने वाले तेज़ गेंदबाज़ भुवनेश्वर कुमार अपने स्पेल का तीसरा ओवर डाल रहे थे। क्लासेन ने भुवी के ओवर की अंतिम तीन गेंदों को संभलकर खेला और वह 18वें ओवर तक गेंदबाज़ी पर वापस नहीं आए।
क्लासेन को इस बात का फ़ायदा मिला कि उन्होंने पहली पारी में 20 ओवर विकेट के पीछे कीपिंग करते हुए बिताए थे। उन्हें अंदाज़ा था कि पिच किस तरह खेल रही है। उन्हें पता था कि तेज़ गेंदबाज़ों की गेंद हरकत कर रही थी और उन्हें संभलकर खेलना था। स्पिनरों के लिए कोई मदद नहीं थी और उन पर प्रहार करना आसान था।
धीमी शुरुआत करने के बाद क्लासेन ने युज़वेंद्र चहल के ख़िलाफ़ ख़ुद को रूम दिया और एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से चौका लगाया। दो गेंदों बाद उन्होंने डीप मिडविकेट के ऊपर से स्लॉग स्वीप करते हुए छक्का जड़ा। अक्षर पटेल के ख़िलाफ़ भी उन्होंने ऐसा ही कुछ किया। पहले रूम देते हुए उन्होंने एक्स्ट्रा कवर और फिर डीप मिडविकेट पर बड़ा शॉट लगाया। इन सबके बीच हर्षल पटेल के ख़िलाफ़ भी उन्होंने चौके लगाए।
आठ ओवरों के बाद साउथ अफ़्रीका को जीत के लिए 113 रन चाहिए थे और क्लासेन की पारी के कारण यह आंकड़ा आठ ओवरों में 60 रन पर आ गया। क्लासेन की पारी ने बवूमा को एंकर की भूमिका निभाने की स्वतंत्रता दी। चौथे विकेट के लिए क्लासेन और बवूमा ने 41 गेंदों पर 64 रन जोड़े जिसमें क्लासेन ने 49 रनों का योगदान दिया।
इसके बाद डेविड मिलर के साथ उन्होंने 28 गेंदों पर 51 रनों की साझेदारी निभाई। छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ़्रीका को इन्हीं दो साझेदारियों की दरकार थी।
क्लासेन की यह पारी उनके करियर के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर आई है। 2021 टी20 विश्व कप के बाद यह उनका पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच था। विश्व कप के बाद से उन्हें वनडे टीम से ड्रॉप किया गया और उन्हें केंद्रीय अनुबंध भी नहीं दिया गया। अगर क्विंटन डिकॉक को कलाई में चोट ना लगती तो क्लासेन इस मैच का हिस्सा नहीं होते।
मैच के बाद क्लासेन ने कहा, "यह ईश्वर का आशीर्वाद है कि मेरे करियर के इस पड़ाव पर यह पारी आई। आने वाले अंतर्राष्ट्रीय मैचों के लिए इससे मेरी दावेदारी मज़बूत होगी और शायद इससे मेरा करियर और थोड़ा लंबा चलेगा।"

हेमंत बराड़ ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।