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तुषार देशपांडे: एक ऐसा तेज़ गेंदबाज़ जिसे कभी गेंदबाज़ी छोड़ने के लिए बोल दिया गया था

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ ने बताया कि कैसे उन्होंने हताशा से बाहर आकर अपने सपने को जिया है और CSK के साथ जुड़े हैं

Tushar Deshpande delivers the ball on his international debut, Zimbabwe vs India, 4th men's T20I, Harare, July 13, 2024

तुषार देशपांडे ने इसी साल ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ चौथे T20I में अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया था  •  Associated Press

सितंबर 23, 2011 - इस दिन को तुषार देशपांडे कभी नहीं भूल सकते। तब वह 16 साल के थे और मुंबई की अंडर-19 टीम के लिए पहली बार खेल रहे थे। उन्होंने अपने पहले मैच में अच्छा नहीं किया था और दूसरे मैच में उन्हें ड्रॉप कर दिया गया था। कोच ने उन्हें कहा कि चलो ग्वालियर के इस मैदान का चक्कर लगाकर आते हैं।
देशपांडे ने कहा, "उन्होंने सबसे पहले मुझसे पूछा कि तुमने कहां तक पढ़ाई की है। फिर उन्होंने कहा कि क्रिकेट में क्या भविष्य देखते हो? मैंने एकदम फटाक से जवाब दिया मैं भारत के लिए खेलूंगा। कोच ने मेरी तरफ़ देखा और कहा: 'तुम्हें लगता है कि तुम भारत के लिए खेल सकते हो?' मैंने कहा, बिल्कुल, क्यों नहीं? तो फिर वह मेरी तुलना दूसरे गेंदबाज़ों से करने लगे, कहने लगे, देखो उमेश यादव कितना लंबा है, धवल कुलकर्णी, ज़हीर ख़ान - सभी छह फ़िट के आस-पास हैं। तुम सिर्फ़ 5'10" के हो।"
कोच यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, "तुम्हें लगता है कि तुम तेज़ गेंदबाज़ी कर सकते हो और भारत के लिए खेल सकते हो? मैंने फिर कहा कि हां बिल्कुल। उन्होंने कहा: 'मुझे लगता है कि इस लंबाई के साथ तुम 125 किमी प्रति घंटे से ज़्यादा नहीं डाल सकते। तुम्हारी बल्लेबाज़ी तकनीक अच्छी है, तुम बल्लेबाज़ी पर ही ध्यान दो, या फिर ये सही उम्र है जहां तुम किसी और क्षेत्र में भी कोशिश कर सकते हो।' मैं बिल्कुल हताश हो गया था, आत्मविश्वास मर चुका था और मैं अब ख़ुद को दूसरे से मिलाने लगा था। जब आप अपनी तुलना किसी और से करते हैं तो फिर ख़ुद के बारे में बुरा सोचने लगते हैं - जैसे कि मैं लंबा नहीं हूं, मेरे पास ताक़त नहीं है, मेरे पास रफ़्तार नहीं है।"
देशपांडे को अगले दिन घर भेज दिया गया और फिर उन्होंने अपनी मां वंदना को वह सब बताया जो उनके कोच ने कहा था। देशपांडे ने मां की बात को याद करते हुए कहा, "उन्होंने मुझसे कहा, क्रिकेट खेलना तुम्हारी पसंद थी। दोबारा कभी घर आकर ये शिकायत मत करना कि क्रिकेट में ऐसा हो रहा है, वैसा हो रहा है। ये तुम्हारी लड़ाई है, जिससे तुम्हें ख़ुद ही लड़ना है। अगर तुम लड़ सकते हो तो खेलना जारी रखो, नहीं तो फिर अपना बैग बाहर रखो और क्रिकेट खेलना छोड़ दो।"
इसी साल जुलाई में 29 साल की उम्र में देशपांडे ने भारत और ज़िम्बाब्वे के बीच चौथे T20I में अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया। देशपांडे ने कहा, "जैसे ही मुझे इस बारे में बताया गया, सबसे पहले मैंने पिता जी को कॉल किया और उनसे पूछा: 'आपको कैसा लग रहा है, आपका बेटा भारत के लिए डेब्यू करने जा रहा है?' वह भावुक हो गए, मेरी दिवंगत मां की बात याद करने लगे। फ़ोन पर बात करने के दौरान मैंने अपनी भावनाओं को छिपाने की कोशिश की और फिर मैं तैयारियों में लग गया।"
देशपांडे के पिता, उदय, उनके पहले आदर्श थे। वह एक बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ थे जिन्होंने मुंबई के लिए बी डिविज़न क्रिकेट खेला था।
देशपांडे ने अपने पिता के बारे में कहा, "वह कभी भी अपनी भावनाओं को सभी के सामने ज़ाहिर नहीं करते। उन्होंने मुझे सिखाया है कि हमें एक योद्धा की तरह होना चाहिए। हम जो भी महसूस करते हैं वह हमारे अंदर ही रहना चाहिए ताकि बाहर की दुनिया को कुछ पता न चल पाए कि अंदर क्या हो रहा है। ये सबसे बड़ी चीज़ है जो मैंने उनसे सीखा है।"
सात साल पहले, देशपांडे अपने पहले ही रणजी सीज़न में चोटिल हो गए थे। एड़ी की चोट की वजह से उन्हें रणजी ट्रॉफ़ी से बाहर होना पड़ा था, और उसके दो महीने बाद ही उन्हें मां के कैंसर के बारे में पता चला।
उन दिनों उदय, नौकरी से छुट्टी ले चुके थे और अपनी पत्नी के साथ अस्पताल में सुबह 6 बजे से दिन के एक बजे तक रहते थे। इसके बाद देशपांडे कल्याण से अंधेरी का दो घंटे का सफ़र करते हुए रिहैब के लिए जाया करते थे, और फिर दोपहर में अस्पताल आकर अपने पिता को आराम देते थे। फिर ख़ुद अगले छह घंटे तक अस्पताल में मां के साथ रहते थे, फिर घर जाकर कसरत किया करते थे।
उसी साल जून में देशपांडे की एड़ी का ऑपरेशन भी हुआ क्योंकि पता चला कि तब तक उनका ग़लत इलाज चल रहा था। उन्होंने कहा, "अब घर में मां और बेटा दो-दो मरीज़ थे। मैं बैसाखी के सहारे था और मेरी मां की कीमोथेरैपी चल रही थी - 2017 मेरे लिए नर्क जैसा साल था।"
दिसंबर तक ठीक होने के बाद देशपांडे साल 2017 का इकलौता मुक़ाबला खेलने के लिए तैयार थे, जो एक मुंबई अंडर-23 का मैच था। 2018 में जब परिवार को लगने लगा था कि कीमोथेरैपी अपना काम कर रही है, तभी वंदना का कैंसर वापस आ गया और उनका स्वास्थ्य ख़राब होने लगा। देशपांडे ने कहा कि मां की हालत देखी नहीं जाती थी, दिन ब दिन उनका वज़न कम होता जा रहा था, वह न खा पा रही थीं और न बोल पा रही थीं।
"उन डेढ़ सालों ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया। मां के साथ दिनभर घर में रहने के बाद रात में आठ बजे मैं जिम जाता था, जहां से 10 या 11 बजे लौटने के बाद मैं दौड़ता था और उसी समय मैं अपने सारे काम करता था। ज़िंदगी कैसी होती है ये मैंने तब सीखा था।"
देशपांडे के लिए 2018-19 का घरेलू सीज़न अच्छा रहा था, हालांकि व्यक्तिगत तौर पर वह टूट चुके थे क्योंकि मार्च 2019 में वंदना ने 55 साल की उम्र में दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।
देशपांडे ने कहा, "मैं उनको सोचकर बहुत रोता था, कभी-कभी आज भी मैं मां को याद करते हुए रोता हूं। लेकिन तब मेरे पिता ने मुझसे कहा था कि हम एक योद्धा हैं, और तुम्हें क्रिकेट को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो तुम्हारी मां हमेशा तुमसे कहा करती थी। अगर तुमने अभी ऐसा किया तो कल को भारत के लिए भी खेल सकते हो और फिर तुम अपनी मां का सपना पूरा कर पाओगे।"
मां के निधन के दो दिन बाद ही देशपांडे अपने पिता के कहने पर, इंदौर के लिए रनाना हो गए थे। जहां उन्होंने सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में दिल्ली के ख़िलाफ़ चार विकेट झटके थे। उसी सीज़न उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी के चार मुक़ाबलों में 16.6 की औसत से 17 विकेट अपने नाम किए थे। साथ ही साथ मुंबई को 12 साल बाद विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी जिताने में अहम योगदान दिया था।
देशपांडे ने कहा कि विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में उन्होंने 140 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार को छुआ था। "मुझे लगता है जो 2011 में मेरे साथ हुआ था, ये उसकी ही देन थी जिसे मैंने आख़िरकार साबित कर दिया।"
अगली IPL नीलामी में दिल्ली कैपिटल्स ने उन्हें 20 लाख रुपये की बेस प्राइस पर अपने साथ जोड़ा। IPL में वह अपने आदर्श डेल स्टेन से मिले, जिन्होंने देशपांडे को बताया कि सफलता की कुंजी बस एक ही है और वह है रोज़ाना अपने बेसिक पर काम करना और ख़ुद को फ़िट रखना अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना।

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देशपांडे के करियर ने बड़ा उछाल तब लिया जब 2022 में वह चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) का हिस्सा बन गए। हालांकि CSK के साथ वह 2021 में ही जुड़ गए थे जब IPL के UAE लेग में देशपांडे CSK के नेट गेंदबाज़ थे।
2024 सीज़न तक देशपांडे CSK के स्ट्राइक गेंदबाज़ के तौर पर उभर चुके हैं और टीम के लिए आख़िरी चार ओवर में गेंदबाज़ी करने की चुनौती भी स्वीकार कर रहे हैं। जहां उन्हें एक शानदार मेंटॉर ड्वेन ब्रावो का साथ मिलै है, ब्रावो T20 क्रिकेट में सबसे बेहतरीन डेथ गेंदबाज़ों में से एक रहे हैं।
देशपांडे डेथ ओवर्स में उनके सफल होने का श्रेय ब्रावो को देते हैं। उन्होंने कहा, "ब्रावो ने मुझे बताया कि कोशिश करना चाहिए गेंद वहां डालें जिधर की बाउंड्री बड़ी है और हमेशा अपनी सर्वश्रेष्ठ गेंद डालनी चाहिए। बल्लेबाज़ को संदेश देना चाहिए कि मेरी रणनीति साफ़ है, अगर हिम्मत है तो मेरी रणनीति के हिसाब से शॉट लगाओ।"
देशपांडे के पास तीन तरह की विविधताएं हैं: ऑफ़-कटर, यॉर्कर और वाइड यॉर्कर। ब्रावो के मार्गदर्शन के बाद, वह सीख रहे हैं कि इन गेंदों को किस क्रम में डालना चाहिए - जो डेथ ओवर में बहुत मायने रखता है। देशपांडे ने कहा कि उनके ऑफ़-कटर इसलिए ही घातक रहते हैं क्योंकि उनका इस्तेमाल वह इन दो वेरिएशंस के बीच में करते हैं और बल्लेबाज़ को तब डालते हैं जब उसकी उम्मीद सबसे कम होती है।
देशपांडे का अगला लक्ष्य है - "मेरा सबसे बड़ा सपना है भारत के लिए टेस्ट खेलना और 100 टेस्ट विकेट हासिल करना।"

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं।