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आईपीएल के रुझान : रिटेन खिलाड़ी फ़्लॉप तो वहीं अनकैप्ड भारतीय युवा हैं सुपरहिट

इस सीज़न 29 लगातार मैचों में कप्तान ने टॉस पर गेंदबाज़ी चुनी जो आईपीएल इतिहास में एक रिकॉर्ड है

आईपीएल 2022 में 29 मैच हो चुके हैं और अब इस सीज़न का मध्यांतर बहुत दूर नहीं है। ऐसे में कुछ रुझान साफ़ दिखने लगे हैं। रिटेन किए गए खिलाड़ी निराश कर रहे हैं और अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ियों ने उतना ही प्रभावित किया है। डेथ ओवर यानी 17वें और आख़िरी ओवर के बीच गेंदबाज़ी एक कड़ी चुनौती साबित हुई है और कोई भी टीम टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करना नहीं चाह रही। इन सबको हम आंकड़ों के ज़रिए पढ़ते हैं।
रिटेन किए गए खिलाड़ियों का संघर्ष
मोईन अली, विराट कोहली, मोहम्मद सिराज, रोहित शर्मा, कायरन पोलार्ड, अक्षर पटेल ऐसे बड़े नाम हैं जो रिटेन किए गए जाने के बावजूद अब तक पूरी तरह फ़ॉर्म में नहीं आए हैं। वहीं अब्दुल समद, यशस्वी जायसवाल और अनरिख़ नॉर्खिये जैसे खिलाड़ी नियमित तौर पर एकादश में नहीं दिख रहे हैं। रिटेन प्लेयर पर निर्भर रहने वाले मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स दोनों के लिए यह सीज़न बहुत निराशाजनक रहा है जबकि ड्राफ़्ट के ज़रिए जिन खिलाड़ियों को नई टीमों ने पिक किया था उनका फ़ॉर्म ज़बरदस्त रहा है। फलस्वरूप दोनों नई टीम अंक तालिका के पहले दो पायदान पर हैं। एक फ्रैंचाइज़ी के लिए रिटेन किए गए प्लेयर रीढ़ की हड्डी समान होते हैं और जैसे जैसे टूर्नामेंट अब आख़िर तक जाएगा इन टीमों का प्रदर्शन ऐसे खिलाड़ियों के फ़ॉर्म पर निर्भर करेगा।
अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ियों का जलवा
10 टीमों के आईपीएल में एक संदेह ज़रूर था कि इतने नए खिलाड़ी इस बड़े टूर्नामेंट के दबाव में कैसा प्रदर्शन करेंगे। अगर आप जितेश शर्मा, तिलक वर्मा, वैभव अरोड़ा, अभिनव मनोहर, आयुष बदोनी और विदेशी मूल के डेवाल्ड ब्रेविस के खेल को देखें तो आपको इनके अनुभवहीनता का कोई एहसास नहीं होगा। अगर टीमों की संख्या आठ ही रहती तो शायद कुछ नाम हमें खेलते हुए नहीं दिखते। बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल पिचों से ऐसे युवा खिलाड़ियों को मदद ज़रूर मिली है क्योंकि इन्हें आते ही आक्रामक बल्लेबाज़ी करने का पूरा मौक़ा मिला है। ऐसे में टीमों में मौजूद विदेशी खिलाड़ियों को भी अपनी जगह बनाए रखने के लिए निरंतरता दिखाने के दबाव को झेलना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर साढ़े आठ करोड़ रुपए में ख़रीदे गए टिम डेविड ने मुंबई के लिए बहुत कम मैच खेले हैं। अब तक के 29 मैचों में 11 ऐसे अवसर आए हैं जब टीमों ने अपने चार विदेशी खिलाड़ियों का कोटा नहीं अपनाया है जो सारे सीज़न को मिलाकर एक रिकॉर्ड है।
टॉस पर एकतरफ़ा फ़ैसला
इस सीज़न में 29 लगातार मैचों में कप्तान ने टॉस जीतकर गेंदबाज़ी चुनी है। हालांकि यह भी बता दें कि पिछले 12 मैचों में छह बार पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम ने मैच जीते हैं। दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच शेन वॉटसन ने 'द ग्रेड क्रिकेटर' पॉडकास्ट पर कहा कि टीमों के लिए ओस के बारे में पूर्वानुमान करना असंभव है। ऐसे में कप्तान टॉस पर यही सोच रहा है कि एक लक्ष्य का पीछा करना ही बेहतर है।
डेथ ओवर्स का धूम धड़ाका
डेथ ओवर (17-20) में इस सीज़न अब तक का औसतन रन रेट 11.53 का रहा है, जो किसी भी सीज़न के लिए 29 मैचों के बाद सर्वाधिक है। इसका सीधा मतलब है टीमें आख़िर के चार ओवर में 47 रन बना रही हैं। इससे पहले आम तौर पर यह रन रेट 10 के क़रीब ही रहा है लेकिन 2020 में यूएई में खेले गए सीज़न और इस बार यह औसत 11.5 से अधिक का रहा है।
इस पड़ाव में ओस और छोटी बॉउंड्री के चलते गेंदबाज़ों के लिए कठिनाई काफ़ी अधिक रही है। हमारे आंकड़ों के अनुसार यॉर्कर और गुड लेंथ से थोड़ी छोटी लंबाई की गेंदों ने रन रोकने में सबसे ज़्यादा असर डाला है। इन दोनों गेंदों पर रन रेट 5.76 और 8.76 रन प्रति ओवर का रहा है। हालांकि ओस के चलते तेज़ गेंदबाज़ो से यॉर्कर लेंथ में ग़लती भी हो रही है और ऐसे में 16 ऐसे डेथ ओवर डाले गए हैं जिनमें 20 या उससे अधिक रन बने हैं।
आख़िर के चार ओवर में अगर हम न्यूनतम 24 गेंदें डालने वाले गेंदबाज़ों को लें तो ऐसे में अर्शदीप सिंह, जसप्रीत बुमराह, ड्वेन ब्रावो और मोहम्मद शमी ने नौ रन प्रति ओवर से कम रन दिए हैं। सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, टी नटराजन, आवेश ख़ान और मुस्तफ़िज़ुर रहमान जैसे विशेषज्ञ गेंदबाज़ों ने भी 10 रन प्रति ओवर से अधिक रन दिए हैं। बतौर टीम गुजरात टाइटंस इकलौती टीम है जिसने इस पड़ाव में 10 से कम 8.41 के रन रेट से रन दिए हैं। वहीं रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और मुंबई इंडियंस ने 13 से अधिक के रेट से रन लुटाए हैं।
धीमी शुरुआतों का रुझान
जहां डेथ ओवर में टीमें क़हर बरपा रही हैं, तो वहीं लगभग सभी टीमों ने पावरप्ले में रन गति को बढ़ाने में संघर्ष किया है। इस सीज़न बल्लेबाज़ों ने इस पड़ाव में 27.04 के औसत और 7.04 के दर से रन बनाए हैं। इस समय में कई खिलाड़ियों का स्ट्राइक रेट 100 से भी नीचे का रहा है। 50 या उससे अधिक गेंदें खेलने वाले 17 बल्लेबाज़ों की सूची में आठ ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका स्ट्राइक रेट 110 से कम का है और इसमें फ़ाफ़ डुप्लेसी, केन विलियमसन और वेंकटेश अय्यर जैसे नाम मौजूद हैं।
शुरुआती हफ़्तों में तेज़ गेंदबाज़ों को नई गेंद से मदद मिलती रही है लेकिन आने वाले समय में पिचें धीमी होती जाएंगी और तब बल्लेबाज़ों के तेवर को ध्यान में रखना रोचक होगा।

गौरव सुंदररमन ESPNcricinfo मे सीनियर स्टैट्स विश्लेषक हैं। अनुवाद ESPNcricinfo में सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।