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महेश पीठिया: घरेलू क्रिकेट का एक उभरता हुआ ऑफ़ स्पिनर

पीठिया इस रणजी सीज़न के तीसरे सबसे सफल ऑफ़ स्पिनर हैं और उनकी उम्र भी उनके साथ है

Mahesh Pithiya sends down a delivery, Delhi vs Baroda, Ranji Trophy 2023-24, Group D, Delhi, 4th day, February 5, 2024

पीठिया ने बताया है कि उन्होंने वेटोरी और लायन से क्या गुर सीखे थे  •  Daya Sagar/ESPNcricinfo

बड़ौदा के ऑफ़ स्पिनर महेश पीठिया पहली बार सुर्ख़ियों में तब आए थे, जब उन्हें आर अश्विन की तरह ऐक्शन होने के कारण ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम ने पिछले साल बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के दौरान अपने ट्रेनिंग कैंप में बुलाया था। दूसरी बार वह फिर सुर्ख़ियों में तब आए, जब विश्व कप के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उन्हें फिर से बुलावा भेजा, लेकिन उन्होंने घरेलू क्रिकेट पर ध्यान देने का हवाला देकर इस आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया।
अब पीठिया तभी सुर्ख़ियों में फिर से आना चाहते हैं, जब तक वह घरेलू क्रिकेट में कुछ बड़ा करके IPL और भारतीय टीम के क़रीब ना आ जाएं। फ़िलहाल पीठिया बड़ौदा की रणजी टीम के साथ हैं, जिन्हें शुक्रवार से शुरू हो रहे रणजी ट्रॉफ़ी के क्वार्टर फ़ाइनल में मुंबई से भिड़ना है।
अपना सिर्फ़ दूसरा घरेलू सीज़न खेल रहे पीठिया के लिए इस साल सीज़न की शुरुआत बहुत शानदार रही थी और उन्होंने ओडिशा के ख़िलाफ़ पंजा खोलते हुए अपनी टीम को शानदार जीत दिलाई और प्लेयर ऑफ़ द मैच बने। पीठिया का यह शानदार फ़ॉर्म जारी रहा और उन्होंने पुडुचेरीजम्मू कश्मीर के ख़िलाफ़ मैचों में भी सात-सात विकेट झटके, जिसमें एक बार फिर से पारी में 5-विकेट हॉल शामिल था। इस दौरान पीठिया ने एक मैच बचाने वाला शानदार अर्धशतक भी बनाया।
इस रणजी सीज़न पीठिया ने 6 मैचों की 11 पारियों में 24.52 की औसत और 2.75 की इकॉनमी से 25 विकेट लिए हैं, जिसमें दो बार 5-विकेट हॉल शामिल है। वह इस रणजी सीज़न में जलज सक्सेना और सारांश जैन के बाद तीसरे सबसे सफल ऑफ़ स्पिनर हैं। जहां सक्सेना और जैन की उम्र 30 साल से ऊपर है, वहीं हाल ही में इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ इंडिया ए की टीम में शामिल हुए पुलकित नारंग की उम्र भी 29 साल है। जबकि 22 वर्षीय पीठिया की उम्र उनके साथ है और वह वॉशिंगटन सुंदर के साथ आफ़ स्पिन में एक दीर्घकालिक विकल्प हो सकते हैं।
पीठिया ने इस सीज़न कुछ मौक़ों पर अपने बल्ले से भी उपयोगी योगदान दिया है। इससे पहले 2022-23 सीज़न में डेब्यू करते हुए पीठिया को चार रणजी मैचों में सिर्फ़ आठ विकेट मिले थे।
इस सीज़न उन्होंने क्या बदलाव किया है? इस सवाल के जवाब में पीठिया कहते हैं, "मैंने अपनी गेंदबाज़ी में अधिक बदलाव नहीं किया है, बल्कि कुछ छोटे-छोटे सुधार किए हैं। इसका मुझे लाभ मिल रहा है तो अच्छा लग रहा है।"
पीठिया ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट कैंप का हिस्सा बनने से उन्हें बहुत आत्मविश्वास मिला है, जिसका फ़र्क उनकी गेंदबाज़ी में भी पड़ा है।
वह बताते हैं, "पहले तो मुझे सिर्फ़ चार दिनों के लिए ही अलूर के ऑस्ट्रेलियाई कैंप में बुलाया गया था, लेकिन जब उन्हें लगा कि मैं उनकी और मदद कर सकता हूं तो उन्होंने मेरे कार्यकाल को बढ़ा दिया। हालांकि मेरा अपना लक्ष्य था कि मैं डेविड वॉर्नर, उस्मान ख़्वाजा और स्टीव स्मिथ जैसे बल्लेबाज़ों के सामने गेंदबाज़ी करूं और नेथन लायन व डैनियल वेटोरी (ऑस्ट्रेलियाई स्पिन गेंदबाज़ी कोच) जैसे विश्व स्तरीय स्पिनरों से कुछ सीखूं। मैं अपने लक्ष्य में क़ामयाब रहा।"
"नेथन लायन से मेरी ऐक्शन के बारे में लंबी बात हुई। उन्होंने मुझे बताया कि गेंद को रोटेशन कैसे देना होता है। वेटोरी तो रन-अप पर ही खड़े रहते थे। उन्होंने मुझे बताया कि गेंद का सीम पोज़िशन क्या होना चाहिए, गेंदबाज़ी करते वक़्त शरीर को कितना नज़दीक ले जाना चाहिए, आदर्श लेंथ क्या होनी चाहिए और फ़्लाइट कैसी होनी चाहिए। मैंने वहां कई बार स्टीव स्मिथ को बीट कराया और आउट भी किया, जिसमें वह एक-दो बार बोल्ड भी हुए थे। इससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला।", पीठिया आगे बताते हैं।
पीठिया बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के दौरान अपने आदर्श अश्विन से भी मिले थे, जिनको देखकर उन्होंने ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी करना शुरू किया था। पीठिया बताते हैं, "वह मेरे लिए बहुत ही बड़ा पल था। मेरा उनसे बरसों से मिलने का सपना था, इसलिए जब मैं मिला तो मैंने उनके पैर भी छुए। मैं कुछ बोल पाता, उससे पहले उन्होंने सामने से ही मुझसे पूछा कि वे (ऑस्ट्रेलियाई) लोग क्या तैयारी कर रहे हैं। इस तरह हमारी बातचीत शुरू हुई। यह बिल्कुल स्वाभाविक भी है। मेरा भी मैच होता है तो मैं भी विपक्षी टीम की रणनीति को जानने की कोशिश करता हूं।"
हालांकि सिर्फ़ ऐक्शन के कारण अश्विन से हो रही तुलना को पीठिया बेमानी मानते हैं। उनका कहना है, "अश्विन लेजेंड हैं, इसलिए उनसे तुलना तो नहीं ही करनी चाहिए। मैं कोशिश करता हूं कि जितना हो सके, उनसे सीखूं। मैं उनको बहुत क़रीब से फ़ॉलो करता हूं।"
हालांकि पीठिया ने यह भी साफ़ किया कि उन्होंने कभी भी अश्विन के ऐक्शन की नक़ल करने की कोशिश नहीं की है। उन्होंने बताया, "मेरा ऐक्शन पहले से ही ऐसा था और मैं पहले ऐसे ही गेंदबाज़ी करता आ रहा था। बाद में कई लोगों ने मुझे ध्यान दिलाया कि मेरा और अश्विन सर का ऐक्शन थोड़ा मिलता-जुलता है। इसके बाद मैं भी थोड़ा सचेत हो गया और अब अगर वह कुछ बदलाव करते हैं तो मैं भी अपनी गेंदबाज़ी में वह बदलाव करने की कोशिश करता हूं।" वह मुस्कुरा देते हैं।
सौराष्ट्र के जूनागढ़ ज़िले से आने वाले पीठिया ने 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। पहले वह पड़ोसी ज़िले पोरबंदर में अभ्यास के लिए जाते थे, लेकिन वहां अधिक क्रिकेट सुविधाएं ना होने के कारण उन्होंने एक साल बाद ही बड़ौदा के मोतीबाग़ जाने का फ़ैसला किया, जहां से पठान बंधुओं (इरफ़ान पठान और युसूफ़ पठान) सहित बड़ौदा के कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर उभरे हैं।
किसान परिवार से आने वाले पीठिया को बड़ौदा में गुज़र बसर करने के लिए एक समय चाय भी बेचनी पड़ी थी। बहरहाल, एक बार पीठिया जब बड़ौदा आए तो बड़ौदा के ही हो गए। उन्होंने बड़ौदा के लिए अंडर-16 से लेकर अंडर-25 एज ग्रुप क्रिकेट खेला है और वहां अच्छा प्रदर्शन कर रणजी ट्रॉफ़ी में जगह बनाई है। पीठिया ने बताया कि जब अंडर-19 क्रिकेट खेलते वक़्त कूच बेहार ट्रॉफ़ी में उन्होंने 10 मैचों में 45 विकेट लिए तो पठान भाईयों की नज़र उन पर पड़ी और तब से वे लोग भी पीठिया पर बहुत ध्यान देते हैं। पीठिया अब पठान बंधुओं के साथ प्रैक्टिस भी करते हैं और पठान बंधु अपने अंतर्राष्ट्रीय अनुभव पीठिया के साथ साझा भी करते हैं।
बड़ौदा के गेंदबाज़ी कोच और पूर्व भारतीय तेज़ गेंदबाज़ श्रीनाथ अरविंद कहते हैं, "महेश बुहत मेहनती और चतुर गेंदबाज़ हैं। वह एक ट्रेडिशनल ऑफ़ स्पिनर हैं, जो भारत में लगातार घटते ही जा रहे हैं। महेश का ऑफ़ स्पिन बहुत अच्छा है और सीमित ओवर क्रिकेट में ज़रूरत पड़ने पर वह कैरम बॉल और बैक स्पिन भी डाल लेते हैं। वह प्रैक्टिस में भी मैच-सिचुएशन ढूंढ़ते हैं और लक्ष्य बनाते हैं कि किस बल्लेबाज़ को कैसे और कहां आउट करें। वह काफ़ी सोचने वाले गेंदबाज़ हैं और गेंदबाज़ी करते वक़्त बहुत दिमाग़ चलाते हैं। जब उन्हें विकेट नहीं मिलती है तो वह रन रोककर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं, जिससे दूसरे छोर पर उनके साथी गेंदबाज़ को फ़ायदा हो। वह प्रैक्टिस से लगातार बेहतर होते जा रहे हैं और चूंकि उम्र उनके साथ है तो मुझे लगता है कि वह एक दिन भारत के लिए भी खेल सकते हैं।"
फ़िलहाल पीठिया का भी सपना वही है। उन्होंने कहा कि उनका कोई छोटा-बड़ा लक्ष्य नहीं है, उनका एकमात्र लक्ष्य भारत के लिए खेलना है। इस साल IPL नीलामी में नाम होने के बावज़ूद ना ख़रीदे जाने पर वह दुःखी तो हैं, लेकिन निराश नहीं। वह अगले साल सीमित ओवर क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर IPL में भी जगह बनाना चाहते हैं। फ़िलहाल उनकी निगाहें बड़ौदा के लिए रणजी ट्रॉफ़ी जीतने पर लगी हैं और उनकी अगली चुनौती मुंबई है, जहां पर उनके सामने अजिंक्य रहाणे और पृथ्वी शॉ जैसे बल्लेबाज़ होंगे।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95