दिन के खेल के बाद उन्होंने कहा, "अजिक्य का यह सीज़न अच्छा नहीं रहा है और वह फ़ॉर्म में नहीं हैं। लेकिन इसके लिए उनको दोष नहीं दिया जा सकता। सभी खिलाड़ियों के करियर में ऐसा समय आता है। यह बस एक बुरा दौर है। श्रेयस और अजिंक्य दोनों मुंबई और भारत के लिए एक मैच विजेता खिलाड़ी रहे हैं।"
ठाकुर ने आगे कहा, "अभी उनका समय सही नहीं चल रहा है, लेकिन यह आलोचना करने का भी समय नहीं है। आलोचना करना आसान होता है। अजिंक्य के बल्ले से रन नहीं आए हैं, लेकिन मैदान में आप उनके उत्साह को देख सकते हो। इस उम्र में भी उनका उत्साह कई अंडर-19 और अंडर-23 खिलाड़ियों को पीछे छोड़ता है। वह स्लिप में फ़ील्डिंग करते हैं, दिन में कम से कम 80 ओवर मैदान पर रहते हैं और टीम के लिए बाउंड्री बचाने के लिए स्प्रिंट और डाइव भी लगाते हैं। वहीं अय्यर फ़ील्ड में चीते की तरह फ़ील्डिंग करते हैं। फ़ील्डिंग के दौरान वह तो अपना सबकुछ झोंक देते हैं। ये दोनों खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों के लिए रोलमॉडल हैं।"
पहली पारी तक रहाणे ने इस सीज़न के आठ रणजी मैचों की 12 पारियों में 12.81 की मामूली औसत से 141 रन बनाए हैं, जिसमें सिर्फ़ एक अर्धशतक शामिल है। वहीं अय्यर के नाम तीन मैचों में 19.33 की औसत और 48 के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ सिर्फ़ 58 रन है।
अनुभवी बल्लेबाज़ों का बचाव कर रहे ठाकुर युवा बल्लेबाज़ों के प्रदर्शन से नाख़ुश दिखें, जो मिले हुए मौक़ों का फ़ायदा नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा, "दूसरे बल्लेबाज़ों को अच्छा अप्रोच दिखाना चाहिए था, फिर चाहे वह भूपेन ललवानी (37) हों, फिर मुशीर ख़ान (6) या फिर हार्दिक तामोरे (5)। उन्हें जल्दी-जल्दी सीखना होगा क्योंकि मुंबई के ड्रेसिंग रूम में बने रहना बहुत कठिन है। यहां आप टीम के लिए खेलते हैं, ना कि ख़ुद के लिए। आपको अपने स्कोर और अपने खेल को किनारे रखकर टीम के लिए खेलना होता है। अगर आप 25-30 रन बनाते हैं, तो उसे बड़ा करना होगा। हमें अपने आपको एक बल्लेबाज़ी इकाई के रूप में खड़ा करना होगा।"
ठाकुर मुंबई के लिए तब बल्लेबाज़ी के लिए आए, जब मुंबई 111 के स्कोर पर छह विकेट गंवाकर संघर्ष कर रहा था। शार्दुल ने आठ चौकों और तीन छक्कों की मदद से सिर्फ़ 69 गेंदों पर 75 रन बनाए और अपनी टीम को संकट से उबारा।
अपनी पारी के बारे में बात करते हुए ठाकुर ने कहा, "मुझे कठिन परिस्थितियों में खेलना पसंद है। मैं रोज अपने क्रिकेट किटबैग के साथ पालघर से मुंबई ट्रेन में सफ़र करता था, जो आप जानते हैं कि कितना कठिन है। इस यात्रा से मैं बहुत मज़बूत हुआ हूं।"
रणजी ट्रॉफ़ी फ़ाइनल ठाकुर के तेज़ गेंदबाज़ साथी धवल कुलकर्णी के लिए अंतिम प्रथम श्रेणी मैच है, जिन्होंने पहली पारी के दौरान शानदार गेंदबाज़ी की और तीन विकेट लिए। शार्दुल ने कहा, "यह ना सिर्फ़ धवल बल्कि मेरे लिए भी भावुक क्षण है। मैं उन्हें बचपन से खेलता देखता आ रहा हूं। जब मेरे पास जूते ख़रीदने के लिए पैसे नहीं होते थे, उन्होंने तब मेरी मदद की थी।"