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उथप्पा : एबी डीविलियर्स ने बल्लेबाज़ी तकनीक के नियमों को तार-तार कर दिया

आज हम टी20 बल्लेबाज़ी में जो आधुनिकीकरण देखते हैं, उसकी शुरुआत उन्हीं से हुई

नागराज गोलापुड़ी को बताते हुए
23-Nov-2021
AB de Villiers gets down on his knees to play over the off side, Royal Challengers Bangalore vs Kolkata Knight Riders, IPL 2021, Chennai, April 18, 2021

एक घुटने पर बैठकर कहीं भी शॉट लगाने में माहिर थे एबी डीविलियर्स  •  BCCI

अगर आप मुझसे एबी डीविलियर्स की बल्लेबाज़ी की ख़ूबसूरती को क़ैद करने के लिए कहेंगे, तो मेरे दिमाग में बस यही आता है कि वह लेग स्टंप के बाहर खड़े हैं और गेंदबाज़ गेंद करने के लिए कूदता है, एबी घुटने पर बैठ जाते हैं, उनका सिर और आंखें स्थिर है, वह शॉट लगाने से पहले गेंद को देख रहे हैं।
इस शॉट का सबसे मुश्किल हिस्सा यही है कि आपको पोज़िशन में आना होता है और तब भी गेंद को देखना होता है। कई बार, मेरे जैसे बल्लेबाज़ पोज़िशन में आ जाते हैं और हम बस शॉट खेल देते हैं, लेकिन एबी के साथ ऐसा नहीं है। उनका सिर स्थिर रहता है, आंखें स्थिर रहती हैं और वह गेंद को देख रहे होते हैं।
एबी शरीर के सबसे भारी हिस्सों में से एक, अपने सिर को कंट्रोल कर पाते हैं और अपने शरीर के बाक़ी के हिस्से को पोज़िशन में लेकर आ जाते हैं, यही बल्लेबाज़ के तौर पर उनकी सबसे बड़ी ताक़त है।
2016 आईपीएल के क़रीब मैं बेंगलुरु में उनके साथ बैठकर बल्लेबाज़ी पर चर्चा कर रहा था। मैं एक बल्लेबाज़ के तौर पर ख़ुद के परिवर्तन में था, जिसमें स्टांस, सेट अप और तकनीक शामिल थी। मैंने उनसे पूछा, गेंदबाज़ का सामना करते हुए सबसे मुख्य बात क्या है?
एक बात जो उन्होंने कही वह सबसे अलग थी : "जब गेंदबाज़ अपने रन अप के चार-पांच कदम चल लेता है तो मैं सबसे पहले गेंद को देखने और अपने सिर को जितना हो सके स्थिर रखने की कोशिश करता हूं।" उन्होंने यह बात आमतौर पर कही थी, लेकिन मेरे ज़हन में वह बस गई। एबी ने मुझे यह समझाया कि गेंद पर सबसे पहले आपको सिर और आंखों को स्थिर रखने की ज़रूरत है, फिर आपका शुरुआती कदम, सेट अप या तकनीक मायने नहीं रखती। ऐसा करके आप गेंद को सही से खेलने का ख़ुद को अच्छा मौक़ा दे रहे हैं।
यह 2011 की बात है, जब वह दिल्ली डेयरडेविल्स से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु में आए थे। तब ही उनका परिवर्तन शुरू हुआ था। यही वह समय था जब उन्होंने मैदान पर कोणों के साथ प्रयोग करना शुरू किया। यह एबी ही थे जिन्होंने हमें यकीन दिलाया कि यह किया जा सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि पूरे मैदान पर शॉट खेले जा सकते हैं।
तब से हमने देखा है कि कैसे बल्लेबाज़ों ने अपनी ख़ुद की विविधता निकालकर मैदान के चारों ओर शॉट लगाए हैं। जैसे केएल राहुल जो फ़ाइन लेग और डीप स्क्वेयर लेग के बीच बने गैप का इस्तेमाल करते हैं और जिस तरह से लांग लेग पर पिकअप शॉट लगाते हैं। उन्होंने इसे काफ़ी हद तक परिभा​षित किया है और अब हम इसे केएल के ट्रेडमार्क शॉट के रूप में पहचानते हैं।
मैं विराट कोहली को देखकर अचंभित था, जब पिछले साल उन्होंने ऑस्‍ट्रेलिया में रैंप शॉट खेला था, लेकिन यह इस बात का प्रमाण है कि आज कितने बल्लेबाज़ यह सोच रहे हैं कि क्या करना संभव है। जिस तरह से ऋषभ पंत कोण बनाते हैं और उनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उपयोग करते हैं, ऐसा हमने नहीं देखा था। एबी के कुछ स्ट्रोक निश्चित रूप से पूर्व नियोजित थे, लेकिन साथ ही, अगर उन्हें लगा कि एक शॉट उपलब्ध है, तो वह जल्दी से स्थिति में आ सकते हैं और गेंद को मार सकते हैं।
वह स्पष्ट रूप से साहसी थे और कुछ मौक़ों पर उन्हें गेंद लगी भी, लेकिन वह बेहद चपल भी थे। वह जानते थे कि कैसे गिरना है, कैसे लुढ़कना है। मुझे लगता है कि उन्होंने इतना अच्छा प्रदर्शन इसलिए किया क्योंकि उन्होंने कई खेल खेले जैसे फ़ील्ड हॉकी, रग्बी, टेनिस। यह एक बड़ा फ़ायदा था क्योंकि वह स्वाभाविक रूप से एथलेटिक थे। मेरी पत्नी, शीतल [गौतम] एक पूर्व पेशेवर टेनिस खिलाड़ी हैं और उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि एबी टेनिस जैसी स्थिति में आ जाते हैं, जैसे कि वह फोरहैंड खेलने वाले हों या एक सर्व प्राप्त करने वाला हों।
एबी की मेरी तीन पसंदीदा पारियों में से एक पुणे वॉरियर्स के ख़िलाफ़ जीत है, जहां चिन्नास्वामी में 2012 में आरसीबी को आख़िरी ओवर में जीत के लिए 21 रन की दरकार थी। सौरभ तिवारी ने छक्का लगाकर जीत दिलाई, लेकिन यह एबी थे जिन्होंने इस ओवर में दो छक्के और एक चौका लगाया। एक और पसंदीदा पारी गुजरात लायंस के ख़िलाफ़ 2016 में शतक लगाना और विराट कोहली के साथ 200 से ज़्यादा रनों की साझेदारी थी।
लेकिन मेरी सबसे पसंदीदा पारी 2015 में जोहैनेस​बर्ग में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ रिकॉर्ड शतक है। वह 39वें ओवर में आए। तब तक हाशिम आमला और रायली रुसो शतक लगा चुके थे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने में 40 ओवर लिए और अब एबी आते हैं और 31 गेंद में शतक लगा देते हैं। मैंने उस शतक का वीडियो कई बार देखा और यह वाकई मास्टरक्लास थी। कुछ शॉट जो उन्होंने खेले वह मेरी दिमाग में बस गए। एक शॉट तो हॉकी का रिवर्स ड्रैग फ़्लिक था। ऐसा नहीं है कि दूसरे उस शॉट को नहीं खेल सकते, वह कर सकते हैं, लेकिन एबी की तरह लगातार नहीं।
उस पारी के दौरान उन्होंने मेरा पसंदीदा एबी शॉट कई बार खेला। एक घुटने पर बैठना और कीपर से लेकर डीप मिडविकेट के क्षेत्र का इस्तेमाल करना। यह योजना कभी गेंदबाज़ों के लिए सुरक्षित होती थी, जहां वे लेग स्टंप पर यॉर्कर कर सकते थे, ख़ासतौर पर डेथ ओवरों में और हर बल्लेबाज़ उन पर शॉट नहीं लगा पाते थे। लेकिन 2011 से जब एबी आए तो उनका यह सुरक्षित स्थान ख़त्म हो गया।
तभी मुझे लगता है टी20 के विकास में एबी ने अहम भूमिका अदा की है। वह उनमें से एक हैं, जिन्होंने बल्लेबाज़ों को चुनौती देने के लिए गेंदबाज़ों को दूसरी तरह से सोचने पर मजबूर कर दिया। अब आप नकल बॉल देखते हैं, हाथ के पीछे से धीमी गति की गेंद देखते हैं, ऑफ़ स्टंप के बाहर वाइड यॉर्कर देखते हैं। यह सब एबी जैसे खिलाड़ियों की वजह से हुआ जो पहले गेंदबाज़ों पर आराम से बड़े शॉट लगा देते थे।
मैं एबी में बल्लेबाज़ी करते समय टीम के लिए जुनून देख सकता हूं। उनके दिमाग में कभी नहीं रहता कि वह मैच हार सकते हैं। स्थिति कितनी भी असंभव क्यों न लगे, उन्हें विश्वास होता है कि वह अभी भी मैच जीता सकते हैं। यही चीज़ उन्हें बहुत ख़तरनाक बनाती है।
और यह सब करते हुए, एबी ने बल्लेबाज़ी तकनीक के नियम को तार तार कर दिया। उन्होंने साबित किया कि क्रिकेट में सफलता पाने के लिए आपको तकनीक में बंधने की ज़रूरत नहीं है। उनकी बल्लेबाज़ी का एकमात्र तत्व जो पारंपरिक था, वह उनका स्टांस था, जो साइड-ऑन था। लेकिन जैसे ही वह पोज़िशन में आते थे, उनके लिए सभी कोण खुले थे।
एबी वह नींव है जिस पर टी20 क्रिकेट का विकास हुआ है। उसके लिए हम सिर्फ़ उनका शुक्रिया अदा कर सकते हैं।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्‍यूज एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।