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शॉ और पंत भारत को विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम बना सकते हैं: सहवाग

सहवाग के अनुसार पंत को सीमित ओवर के क्रिकेट में ओपन करना चाहिए

Rishabh Pant and Prithvi Shaw find a reason to smile at training, Dharamsala, March 11, 2020

विपक्ष को सोचना होगा कि अगर शॉ और पंत बल्लेबाज़ी क्रम में हैं तो क्या 400 रन पर्याप्त होंगे: सहवाग  •  Associated Press

पूर्व भारतीय कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने यह दावा किया है कि पृथ्वी शॉ और ऋषभ पंत भारत को टेस्ट क्रिकेट पर राज करने और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीतने में मदद कर सकते हैं। साथ ही सहवाग का मानना है कि पंत का करियर ठीक उनके जैसा ही है।
स्पोर्ट्स18 चैनल के एक कार्यक्रम में यह पूछे जाने पर कि क्या पंत का करियर उनके जैसा था, जहां एकदिवसीय और टी20 में सीमित सफलता थी लेकिन टेस्ट में उन्हें काफ़ी सफलता मिली थी? सहवाग इस बात पर सहमति जताते हुए कहते हैं कि अगर पंत सीमित ओवर के क्रिकेट में भी ओपन करते हैं तो उन्हें सफलता ज़रूर मिलेगी।
पंत ने अब तक भारतीय टीम के लिए कुल 30 टेस्ट मैचों की 51 की पारियों में 40.85 की औसत से 1920 रन बनाए हैं। वनडे में उन्होंने 32.50 की औसत से 715 रन बनाए हैं। वहीं टी20 में उन्होंने भारत के लिए 43 पारियों में 24.39 की औसत से 683 रन बनाए हैं। पंत ने हर फ़ॉर्मेट में अमूमन नंबर चार या पांच पर बल्लेबाज़ी की है।
सहवाग ने कहा , "हम 50 या 100 रन बनाने के लिए सीमित ओवर का क्रिकेट नहीं खेलते। बल्कि हम तेज़ गति से स्कोर करने के लिए सीमित ओवर का क्रिकेट खेलते हैं। इस प्रारूप के क्रिकेट में विपक्षी टीम या बोलर के बारे में सोच कर नहीं खेला जाता। नंबर 4 या 5 पर वह खु़द को ऐसी स्थितियों में पाएंगे जो अधिक जिम्मेदारी की मांग करते हैं, लेकिन अगर वह खुल कर खेलते हैं, या कम दबाव वाली परिस्थिति में खेलते हैं तो वह अधिक सफल होंगे।"
सहवाग भविष्य में शॉ को भी एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में देखते हैं। सहवाग ने कहा, 'वह ऐसे खिलाड़ी हैं जो टेस्ट क्रिकेट में उत्साह वापस ला सकते हैं। विपक्ष को सोचना होगा कि अगर शॉ और पंत बल्लेबाज़ी क्रम में हैं तो क्या 400 रन पर्याप्त होंगे।"
इस कार्यक्रम में सहवाग ने विराट कोहली और सौरव गांगुली की कप्तानी के बारे में भी एक तुलनात्मक टिप्पणी की।
सहवाग ने कहा "गांगुली ने एक नई टीम बनाई, नए खिलाड़ियों को टीम में लाया और उनके उतार-चढ़ाव में उनका समर्थन किया। मुझे संदेह है कि क्या कोहली ने अपने कार्यकाल के दौरान शायद ही ऐसा किया हो।"
दो बार के विश्व कप विजेता का कहना है कि कोहली की कप्तानी के दौरान, 2-3 साल के लिए, लगभग हर टेस्ट के बाद टीम को बदलने का चलन था, चाहे वे जीते या हार गए। "मेरी राय में नबंर वन कप्तान वह है जो एक टीम बनाता है और अपने खिलाड़ियों को आत्मविश्वास देता है। उन्होंने (कोहली) कुछ खिलाड़ियों का समर्थन किया, कुछ का नहीं किया।"